उसे आख़िरकार उस चर्च जाने का मौका मिला । वह तहखाने के भीतरी भाग में, वह छोटे गुफा या खोह(grotto) में पहुंची । वह संकरा स्थान मोमबत्तियों से भरा था और फर्श का एक कोना लटके हुए लैंप्स से आलोकित था । वह यहाँ था──एक चौदह नोकवाला चाँदी का तारा, जो संगमरमर के फर्श के उभरे हुए हिस्से को ढँक रहा था । वह बेतलहेम में ग्रोटो ऑफ़ द नेटीविटी में थी──वह स्थान जहाँ परम्परा के अनुसार मसीह ने जन्म लिया था । फिर भी लेखिका एनी डिलार्ड प्रभावित से कम महसूस करते हुए समझ ली कि परमेश्वर इस स्थान से बहुत बड़ा था ।
फिर भी, ऐसे स्थान हमारे विश्वास की कहानियों में बड़ा महत्व रखते हैं । एक और ऐसा स्थान यीशु और कूंएं पर उस स्त्री के बीच बातचीत में वर्णित है──वह पहाड़──गरिज्जीम पर्वत का सन्दर्भ देते हुए(व्यवस्थाविवरण 11:29)──जहाँ उसके “बापदादों ने आराधना की” (यूहन्ना 4:20) । वह सामरियों के लिए पवित्र था, जिन्होंने इसे यहूदी जिद्द के विपरीत बताया कि यरूशलेम ही था जहाँ सच्ची आराधना होती थी (पद.20) । हालाँकि, यीशु ने घोषणा की कि वह समय आ चूका है जब आराधना किसी ख़ास स्थान तक सीमित नहीं थी, लेकिन एक व्यक्ति : सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे” (पद.23) । उस स्त्री ने मसीह(Messiah) में अपना विश्वास जताया, लेकिन उसने नहीं पहचाना कि वह उससे बात कर रही थी । “यीशु ने उस से कहा, ‘मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ, वही हूँ’” (पद.26) ।
परमेश्वर किसी पहाड़ या भौतिक स्थान तक सीमित नहीं है । वह हमारे साथ सभी जगह उपस्थित है । हर दिन जो सच्चा तीर्थ हम करते हैं वह उसके सिंहासन के पास पहुँचना है क्योंकि हम साहसपूर्वक कहते हैं, “हमारे पिता,” और वह वहाँ उपस्थित है ।
यह जानकार आपको क्या फर्क पड़ता है कि ईश्वर आत्मा है, हमेशा और सर्वदा मौजूद है? इस क्षण में आप उनकी क्या प्रशंसा करेंगे?
पिता, आपकी निरंतर उपस्थिति के लिए धन्यवाद, कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कहाँ हूँ ।