प्राचीन रोम(ई.पू.4 – ई.सन् 65) का महान दर्शनशास्त्री, सेनेका पर एक बार महारानी मेसालिना द्वारा व्यभिचार का आरोप लगाया गया । राज्यसभा द्वारा सेनेका को मृत्यु दंड देने के बाद, सम्राट क्लौदिउस ने उसे इसके बदले कोर्सिका(एक द्वीप) में निर्वासित कर दिया, शायद इसलिए कि उसने अनुमान लगाया कि आरोप झूठा था । प्राणदंड के इस स्थगन ने शायद कृतज्ञता के उसके दृष्टिकोण को आकार दिया होगा जब उसने लिखा : मानववध, तानाशाह, चोर, व्यभिचारी, डकैत, पवित्र वस्तु दूषक, और देशद्रोही हमेशा रहेंगे, लेकिन इन सभी से बदतर कृतघ्नता का आपराध है ।
सेनेका का समकालीन, प्रेरित पौलुस शायद सहमत होता । रोमियों 1:21 में, उसने लिखा कि मानव जाति के पतन का कारण यह था कि उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद देने से इनकार किया । कुलुस्से की कलीसिया को लिखते हुए, पौलुस ने मसीह में साथी विश्वासियों को कृतज्ञता के प्रति चुनौती दी । उसने कहा कि हमें अधिकाधिक धन्यवाद करते” रहना है (कुलुस्सियों 2:7) । जब हम परमेश्वर की शांति को “अपने हृदय में अधिकाई से बसने” देते हैं, हम धन्यवाद के साथ प्रत्युत्तर देते हैं (3:15) । वास्तव में, धन्यवाद हमारी प्रार्थनाओं को चरितार्थ करे (4:2) ।
हमारे प्रति परमेश्वर की महान भलाइयाँ हमें जीवन की महान वास्तविकताओं में से एक की याद दिलाती है । वह न केवल हमारे प्रेम और आराधना के योग्य है, वह हमारे धन्यवादी हृदय के योग्य भी है । सब कुछ जो जीवन में अच्छा है उसी की ओर से आता है (याकूब 1:17) ।
सब कुछ के साथ जो हम मसीह में हैं, कृतज्ञता को साँस लेने के समान स्वभाविक होना चाहिए । हम उसके प्रति अपना धन्यवाद प्रगट करते हुए परमेश्वर के उदार दानों का प्रत्युत्तर दें ।
वे कौन सी बड़ी, सबसे अधिक स्थायी आशीषें हैं जो आपने जीवन में पायी हैं? वे कौन सी दैनिक आशीषें हैं जो आपने पायी हैं जिन्हें भूल जाना अक्सर सरल है?
प्रेमी पिता, उन समयों के लिए क्षमा करें जब मैंने आपको और आपकी आशीषों का महत्व नहीं समझा है । मुझे एक धन्यवादी हृदय दे, ताकि मैं आपको सभी चीज जो आपने किए हैं और कर रहे हैं के लिए आदर दे सकूँ और प्रशंसा कर सकूँ ।
DTW कार्यक्रम “Thanks Be To God” का प्रसारण बाकी है ।