द्वेष नहीं रखना
2011 में एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान, दो तिहत्तर वर्षीय पूर्व कनाडाई फुटबॉल लीग खिलाड़ी मंच पर आपस में भिड़ गए। 1963 में अपने खेल के दिनों में एक आपसी अनबन को सुलझाना था। जब एक आदमी ने दूसरे को मंच से धकेल दिया, तो भीड़ ने उसको कहा कि उसे "जाने दो!" वे उससे कह रहे थे कि वह द्वेष न रखे।
बाइबल में ऐसे लोगों के कई उदाहरण हैं जो दुर्भाव रखते थे। कैन ने अपने भाई हाबिल के प्रति द्वेषपूर्ण व्यवहार रखा क्योंकि परमेश्वर ने हाबिल की भेंट को उसके ऊपर स्वीकार कर लिया था (उत्पत्ति 4:5)। यह द्वेष इतना गहरा था कि यह अंततः हत्या का कारण बना क्योंकि “कैन ने अपने भाई पर चढ़कर उसे घात किया” (पद 8)। "एसाव ने याकूब से बैर रखा" क्योंकि याकूब ने उसका पहिलौठा अधिकार चुरा लिया था (27:41)। यह द्वेष इतना तीव्र था कि इसने डर के मारे याकूब को अपने जीवन के लिए भागने के लिए विवश किया।
बाइबल हमें न केवल उन लोगों के कई उदाहरण देती है जो द्वेष रखते थे, बल्कि यह हमें यह भी निर्देश देती है कि इस तरह के विद्वेष को कैसे दूर किया जाए—माफी और मेल-मिलाप कैसे प्राप्त करें। परमेश्वर हमें दूसरों से प्रेम करने के लिए बुलाता है (लैव्यव्यवस्था 19:18), उन लोगों के लिए प्रार्थना करें और क्षमा करें जो हमारा अपमान करते हैं और हमें चोट पहुँचाते हैं (मत्ती 5:43-47), सभी लोगों के साथ शांति से रहें, बदला लेना, परमेश्वर पर छोड दें, और भलाई के साथ बुराई पर विजय पाएं (रोमियों) 12:18-21)। उनकी शक्ति से, हम आज द्वेष को मिटा दें।
सच्चा आनंद
दसवीं शताब्दी में, अब्द अल-रहमान III, कॉर्डोबा, स्पेन का शासक था। पचास वर्षों के सफल शासन के बाद ("मेरी प्रजा से प्रिय, मेरे शत्रुओं से भयभीत, और मेरे सहयोगियों द्वारा सम्मानित"), अल-रहमान ने अपने जीवन पर एक गहरी नज़र डाली। "धन और सम्मान, शक्ति और आनंद, मेरे निर्देश का इंतजार करते थे,” उन्होंने अपने विशेषाधिकारों के बारे में कहा। लेकिन जब उन्होंने गिना कि उस दौरान उन्हें कितने दिनों की सच्ची खुशी मिली, तो वे सिर्फ चौदह थे। कितना हताश करनेवाला l
सभोपदेशक का लेखक भी धन और सम्मान (सभोपदेशक 2:7–9), शक्ति और सुख का व्यक्ति था (1:12; 2:1-3)। और उनका अपना जीवन मूल्यांकन भी उतना ही गंभीर था। धन, उसने महसूस किया, बस अधिक (5:10-11) की इच्छा पैदा करता है, जबकि सुख बहुत कम (2:1-2) पूरा करते हैं, और सफलता क्षमता के रूप में ज्यादा मौके का कारण हो सकती है (9:11)। लेकिन उनका आकलन अल-रहमान की तरह धुंधला नहीं हुआ। परमेश्वर को उसकी खुशी का अंतिम स्रोत मानते हुए, उसने देखा कि उसके साथ खाने, काम करने और अच्छा करने का आनंद लिया जा सकता है (2:25; 3:12–13)।
"हे मनुष्य!" अल-रहमान ने अपने विचार समाप्त किए, "अपना विश्वास इस वर्तमान दुनिया में मत रखो!" सभोपदेशक का लेखक सहमत होगा। चूँकि हम अनंत काल के लिए बनाए गए हैं (3:11), सांसारिक सुख और उपलब्धियाँ अपने आप संतुष्ट नहीं करेंगी। लेकिन उसके साथ हमारे जीवन में, हमारे खाने, काम करने और जीने में वास्तविक खुशी संभव है।
प्रेम गीत
शनिवार की दोपहर एक शांत नदी के किनारे एक पार्क। दौड़ने वाले(joggers) गुजरते हैं, मछली पकड़ने की छड़ें चक्कर खाति हैं, पक्षी मछली और बचे हुए भोजन के लिए लड़ रहे होते हैं, और मेरी पत्नी और मैं उस जोड़े को देख रहे होते। वे सांवले थे , शायद अपने चालीसवें दशक में होंगे। वह बैठी हुई उसकी आँखों में टकटकी लगाए देखती, जबकि वह बिना किसी शर्मीलेपन का संकेत देते हुए, उसके लिए अपनी ही भाषा में एक प्रेम गीत गाता, जो हवा द्वारा ले जाया जाकर हम सभी को सुनाई देता।
इस आनंदमय दृश्य ने मुझे सपन्याह की पुस्तक के बारे में सोचने पर मजबूर किया। सबसे पहले आपको आश्चर्य हो सकता है कि क्यों। सपन्याह के दिनों में, परमेश्वर के लोग झूठे देवताओं (1:4-5) को दण्डवत करने के द्वारा भ्रष्ट हो गए थे, और इस्राएल के भविष्यद्वक्ता और याजक अब अभिमानी और अपवित्र (3:4) थे। अधिकांश पुस्तक में, सपन्याह न केवल इस्राएल पर बल्कि पृथ्वी के सभी राष्ट्रों पर परमेश्वर के आने वाले न्याय की घोषणा करता है (पद.8)।
तौभी सपन्याह कुछ और भी देख पता है। उस अन्धकार के दिन में से एक ऐसे लोग निकलेंगे जो पूरे हृदय से परमेश्वर से प्रेम करते होंगे (पद. 9-13)। इन लोगों के लिए परमेश्वर उस दूल्हे के समान होगा जो अपने प्रियतम से प्रसन्न होता है : "वह अपने प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा" (पद.17)।
सृष्टिकर्ता, पिता, योद्धा, न्यायाधीश। पवित्रशास्त्र परमेश्वर के लिए कई नाम का उपयोग करता है। लेकिन हममें से कितने लोग परमेश्वर को एक गायक के रूप में देखते हैं जिसके होठों पर हमारे लिए एक प्रेम गीत है?
प्यारा परमेश्वर
प्रोफेसर ने हर बार दो में से एक तरीके से अपनी ऑनलाइन कक्षा समाप्त की। वह कहते, "अगली बार मिलते हैं" या "आपका सप्ताहांत अच्छा हो।" कुछ छात्र "धन्यवाद" के साथ जवाब देते। आप का भी!" लेकिन एक दिन एक छात्र ने जवाब दिया, "मैं आपसे प्यार करता हूँ।" आश्चर्यचकित होकर, उन्होंने उत्तर दिया, "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ!" उस शाम सहपाठियों ने अपने प्रोफेसर की प्रशंसा में अगली कक्षा के लिए "मैं तुमसे प्यार करता हूँ - कड़ी" बनाने के लिए सहमति व्यक्त की, जिन्हें अपने कंप्यूटर पर एक स्क्रीन पर पढ़ाना था, न कि व्यक्तिगत रूप से शिक्षण जैसा वह पसंद करते थे। कुछ दिनों बाद जब उन्होंने पढ़ाना समाप्त किया, तो प्रोफेसर ने कहा, "अगली बार मिलते हैं," और एक-एक करके छात्रों ने उत्तर दिया, "मैं आपसे प्यार करता हूँ।" उन्होंने इस प्रथा को महीनों तक जारी रखा। शिक्षक ने कहा कि इसने उनके छात्रों के साथ एक मजबूत बंधन बनाया, और अब उन्हें लगता है कि वे "परिवार" हैं।
1 यूहन्ना 4:10-21 में, हम, परमेश्वर के परिवार के हिस्से के रूप में, उसे "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ" कहने के कई कारण पाते हैं : उसने अपने पुत्र को हमारे पाप के लिए बलिदान के रूप में भेजा (पद 10)। उसने हमें हम में रहने के लिए अपनी आत्मा दी (पद 13, 15)। उसका प्रेम हमेशा विश्वसनीय है (पद 16), और हमें न्याय से कभी भी डरने की आवश्यकता नहीं है (पद 17)। वह हमें उसे और दूसरों से प्रेम करने में सक्षम बनाता है "क्योंकि उसने पहिले हम से प्रेम किया" (पद 19)।
अगली बार जब आप परमेश्वर के लोगों के साथ एकत्रित हों, तो उसे प्रेम करने के अपने कारणों को साझा करने के लिए समय निकालें। परमेश्वर के लिए "मैं तुमसे प्यार करता हूँ" श्रृंखला बनाना उसको स्तुति देगा और आपको करीब लाएगा।
कुम्हार का चाक
1952 में, एक दुकान में अनाड़ी या लापरवाह लोगों को सामान तोड़ने से रोकने के प्रयास में, एक दुकान मालिक ने एक संकेत पोस्ट किया जिसमें लिखा था: "आप इसे तोड़ते हैं, आप इसे खरीदते हैं।" आकर्षक वाक्यांश ने ग्राहकों के लिए चेतावनी का काम किया। इस तरह के संकेत अब कई बुटीक/वस्त्रालय में देखे जा सकते हैं।
विपरीततया एक असली कुम्हार की दुकान में एक अलग चिन्ह लगाया जा सकता है। यह कहेगा : "यदि आप इसे तोड़ते हैं, तो हम इसे कुछ बेहतर बना देंगे।" और ठीक यही यिर्मयाह 18 में प्रकट है।
यिर्मयाह एक कुम्हार के घर जाता है और देखता है कि कुम्हार अपने हाथों से "विकृत" मिट्टी को आकार दे रहा है, सावधानी से सामग्री को संभाल रहा है और उसका “दूसरा बर्तन” बना रहा है (पद 4)। भविष्यवक्ता हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर वास्तव में एक कुशल कुम्हार है, और हम मिट्टी हैं। वह सर्वशक्तिमान है और वह जो कुछ भी बनाता है उसका उपयोग बुराई को नष्ट करने और हममें सुंदरता पैदा करने अर्थात् दोनों के लिए कर सकता है।
परमेश्वर हमें तब भी आकार दे सकता है जब हम विकृत हैं या टूट गए हैं । वह, कुशल कुम्हार, हमारे टूटे हुए टुकड़ों से नए और कीमती मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए तैयार है। परमेश्वर हमारे टूटे हुए जीवन, गलतियों और पिछले पापों को अनुपयोगी सामग्री के रूप में नहीं देखता है। इसके बजाय, वह हमारे टुकड़ों को उठाता है और उन्हें वैसा ही नया आकार देता है जैसा वह सबसे अच्छा देखता है।
हमारे टूटेपन में भी, हमारे सिद्ध कुम्हार के लिए हमारी बहुत उपयोगिता है। उसके हाथों में, हमारे जीवन के टूटे हुए टुकड़े सुंदर बर्तन में बदले जा सकता हैं’ जिनका उपयोग उसके द्वारा किया जा सकता है (पद 4)।