पार्किंग स्थल का दृश्य देखने में हास्यास्पद होता यदि वह उतना त्रासदीपूर्ण नहीं होता l दो वाहन चालक एक कार के रास्ता रोकने के कारण ऊंची आवाज में झगड़ा कर रहे थे, जिसमें वह एक दूसरे को बुरा भला कह रहे थे।

इसे इस बात ने और भी ख़ास दर्दनाक बना दिया कि यह झगड़ा चर्च के पार्किंग स्थल में हो रहा था l शायद अभी-अभी इन दो आदमियों ने प्रेम, धीरज, या क्षमा के विषय उपदेश सुना था, लेकिन उस क्रोध के क्षण में वे सब कुछ भूल गए थे l  

गुज़रते हुए, मैंने अपना सिर हिलाया─फिर तुरंत अनुभव किया कि मैं भी बेहतर नहीं था l मैंने भी बाइबल को बहुत बार पढ़ा था, कुछ क्षण बाद केवल एक निर्दय विचार के साथ पाप में गिरने के लिए? कितनी बार मैंने उस व्यक्ति की तरह व्यवहार किया था जो “उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है l इसलिए कि वह अपने आप को देखकर चला जाता और तुरंत भूल जाता है कि मैं कैसा था”(याकूब 1:23-24)?

याकूब अपने पढ़ने वालों से अपील कर रहा था कि न केवल पढ़ें और परमेश्वर के निर्देशों पर विचार करें, बल्कि उसके कहे अनुसार करें भी (पद.22) l उसने ध्यान दिया कि एक संपूर्ण विश्वास का अर्थ वचन को जानना और उसे कार्य रूप देना है l 

जो वचन में लिखा है उसे जीवन की परिस्थितियां लागू करने में कठिन बना सकती हैं। परंतु यदि हम पिता से सहायता मांगते हैं तो वह अवश्य ही अपने वचन को मानने में एवं अपने कार्य द्वारा उसे प्रसन्न करने में मदद करेगा l