किशोर के रूप में, स्पर्जन ने परमेश्वर के साथ कुश्ती की l वह चर्च जाते हुए बड़े हुए थे परंतु वहां जो उपदेश होते थे वे उनको अरोचक और अर्थहीन लगते थे l उनके लिए परमेश्वर पर विश्वास करना एक संघर्ष था, उनके अपने शब्दों में, “चार्ल्स, ने विरोध और विद्रोह किया l” एक रात एक भयंकर बर्फानी तूफ़ान ने उन्हें एक छोटे मैथोडिस्ट चर्च में आश्रय लेने को विवश किया l चर्च के पासवान का उपदेश व्यक्तिगत रूप से उनकी ओर निर्देशित महसूस हुआ l उसी क्षण, परमेश्वर कुश्ती मैच जीत गया, और चार्ल्स ने अपना हृदय यीशु को दे दिया 

स्पर्जन ने बाद में लिखा, “मेरा मसीह के साथ आरम्भ करने से बहुत पहले, उसने मेरे साथ आरम्भ किया l” वास्तव में, परमेश्वर के साथ हमारा जीवन उद्धार पाने के क्षण से आरंभ नहीं होता है। भजनकार इस प्रकार लिखता है कि परमेश्वर ने हमारे भीतरी अंगों को बनाते हुए  “[हमें] माता के गर्भ में रचा” (भजन 139:13) l पौलुस प्रेरित लिखते हैं, “परन्तु परमेश्वर की, जिसने मेरी माता के गर्भ ही से मुझे ठहराया और अपने अनुग्रह से बुला लिया” (गलातियों 1:15) l जब हमारा उद्धार होता है तब परमेश्वर हममें काम करना बंद नहीं करता: “जिस ने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6)।

हम सब वे कार्य हैं जो एक प्रेमी परमेश्वर के हाथ में प्रगति पर हैं l वह हमें हमारे विद्रोही द्वंद से निकाल कर अपने स्नेही गोद में ले लेता है। परंतु उस समय हमारे साथ उसका उद्देश्य केवल एक आरम्भ है l “क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस नें अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है”(फिलिप्पियों 2:13)। विश्राम निश्चित है, हम उसके अच्छे कार्य हैं बावजूद इसके कि हमारी उम्र कितनी है या हम जीवन के किस पड़ाव पर हैं l