जब मैं सैमनरी में पढ़ रहा था, तब मैं पूर्णकालिक काम करता था l उसके साथ पुरोहिताई आवर्तन और एक चर्च में प्रशिक्षण(internship) l मैं व्यस्त था। जब मेरे पिता मुझसे मिलने आए, तो उन्होंने मुझसे कहा, “तुम वास्तव में विफल हो जाओगे l” मैंने उनकी सलाह को यह माँनते हुए हल्के में लिया कि वह पुरानी पीढ़ी के व्यक्ति हैं और परिणाम प्राप्त करने में मेरे मेहनत को नहीं समझ पा रहे हैं ।
मैं विफल तो नहीं हुआ l परंतु मैंने बहुत कठोर सूखेपन का अनुभव किया जिसमें मैं निराशा में चला गया l उस समय से, मैंने चेतावनियों को सुनना सीख लिया है─विशेषकर अपने प्रियों से ─बहुत सावधानी के साथ l
इससे मुझे मूसा की कहानी याद आ गई l वह भी इस्राएल का न्यायी होकर बड़े परिश्रम से कार्य कर रहा था (निर्गमन 18:13)। फिर भी उसने अपने ससुर की चेतावनी को मानना उचित समझा (पद 17-18)। यित्रो बहुत व्यस्त नहीं था, परंतु वह मूसा और उसके परिवार से प्रेम करता था और आनेवाली परेशानियों को जानता था l शायद इसीलिए मूसा यित्रो की बात सुन सका और उसकी सलाह को माना l मूसा ने छोटे विवादों को सुलझाने के लिए “ऐसे पुरुषों को छांट [लिया] जो गुणी” थे, और उसने कठिन मामलों को स्वयं हल किया (पद. 21-22)। क्योंकि उसने यित्रो की बात सुनी, उसने अपने काम को पुनःव्यवस्थित किया, और अपना बोझ साझा करने के लिए दूसरों को सुपुर्द किया, इसलिए वह जीवन के उस काल में विफल नहीं हुआ l
हममें से बहुत से लोग परमेश्वर का कार्य, अपना परिवार, और अन्यों को बहुत गंभीरता से─और भी भावप्रवणता से लेते हैं l परंतु फिर भी हमें अपने भरोसेमंद प्रिय लोगों की सलाह मानना चाहिए और अपने समस्त कार्यों में परमेश्वर की बुद्धि और सामर्थ पर भरोसा करना चाहिए।
समझदारी से सेवा करने के लिए आप खुद को याद दिलाने के लिए किसकी आवाज पर भरोसा कर सकते हैं? वफलता से बचने के लिए आपके पास कौन से क्रियाविधियाँ हैं ? आपने उन्हें अंतिम बार कब लागू किया?
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आपने मुझे विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किया। जबकि मैं बड़ी लगन से औरों की चिंता करता हूं तो मुझे सिखा कि मैं समझदारी से कैसे काम करूं जिससे कि मैं वह कर सकूं जो तू मेरे जीवन से चाहता है।