उत्तरी कैरोलिना के विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के लेखागार(archive) में पॉकेट घड़ी की ठहरी हुए सुइयाँ एक डरावनी कहानी सुनाती हैं l वे सुइयाँ ठीक क्षण(8.19 और 56 सेकंड) अंकित करती हैं जब घड़ी का मालिक एलिशा मिशेल जून 27, 1857 की सुबह अपालाचिया पहाड़ में एक जलप्रपात से फिसल मर गए l
मिशेल, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, उस शिखर पर जहाँ वे थे खुद के किए गए (सही) दावे के बचाव के लिए डेटा जुटा रहे थे─आज जो उनके नाम से पुकारा जाता है, माउंट मिशेल─ मिसीसिपी के पूर्व में सबसे ऊंचा है l उनकी कब्र पर्वत के शिखर पर स्थित है l यह उस जगह से बहुत दूर नहीं जहां से वह गिरे थे।
अभी हाल ही में जब मैं उस पर्वत शिखर पर गया, मैंने मिशेल की कहानी और स्वयं की नश्वरता और हममें से हर एक के पास इतना ही समय है पर विचार किया l फिर मैंने यीशु मसीह के उन शब्दों पर ध्यान दिया जो उसने अपनी वापसी के विषय चेलों से जैतून के पहाड़ पर कहे थे : “इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा”(मत्ती 24:44)।
यीशु मसीह स्पष्टता से संकेत करता हैं कि हममें से कोई भी नहीं जानता कि वह किस घड़ी लौटेगा और सर्वदा के लिए अपना राज्य स्थापित करेगा अथवा कब वह हमें इस संसार को छोड़ने और उसके पास जाने के लिए l परंतु वह हमसे तैयार रहने और “जागते”(पद.42) रहने के लिए कहता है l
टिक . . . टिक . . . l हममें से प्रत्येक के जीवन की “घड़ी के पुर्जे” चलते रहते हैं─लेकिन कितने समय तक? हम अपने करुणामाय उद्धारकर्ता के साथ अपने पलों को प्रेम में जीते हुए उसका इंतज़ार और उसके लिए कार्य करते रहें l
आप यीशु मसीह से मिलने के लिए कैसी तैयारी कर रहे हैं? आप उसके साथ रहने के लिए सबसे अधिक कौन सी बात की अपेक्षा करते हैं?
प्रेमी उद्धारकर्ता, कृपया मेरी मदद करें कि मैं आपसे किसी भी समय मिलने को तैयार रहूँ। आज आपकी सेवा करने और आपकी वापसी की तयारी में मेरी मदद करें l