प्रीति ने देखा कि उसकी बेटी मॉल में अपनी टोपी नहीं उतारना चाह रही थी और समझ गयी कि इलाज के एक हिस्से के अंतर्गत अत्यधिक कीमोथेरेपी से उत्पन्न गंजेपन के विषय संकोची थी l अपनी बेटी की मदद करने के लिए कृतसंकल्प, उसने अपने लम्बे, शोभायमान बालों को मुंडवाने का पीड़ादायक चुनाव किया ताकि वह अपनी बेटी के साथ तादात्म्य स्थापित कर सके l 

प्रीति का अपनी बेटी से प्रेम परमेश्वर का उसके पुत्र और पुत्रियाँ के लिए प्रेम को प्रदर्शित करता है l क्योंकि हम, उसकी संतान, “मांस और लहू के भागी हैं (इब्रानियों 2:14), यीशु हमारी तरह बन गया और मानव देह धारण किया और [हमारा] “सहभागी” हो गया, ताकि मृत्यु . . . को निकम्मा कर दे (पद.14) l “उसको चाहिए था, कि सब बातों में [हमारे] . . . समान बने” (पद.17) ताकि हमारे लिए परमेश्वर के साथ सब बातों को सही कर दे l 

प्रीति अपनी बेटी को उसके संकोच पर जीत दिलाने में मदद करना चाहती थी और इसलिए खुद को अपनी बेटी की “तरह” बना डाली l यीशु ने हमें हमारी अत्यधिक बड़ी समस्या पर जीत दिलाने में मदद की─दासत्व से मृत्यु l उसने खुद को हमारे समान बनाकर, हमारे पाप का परिणाम अपने ऊपर उठाकर हमारे स्थान पर मृत्यु सहकर हमारे लिए जीत हासिल की l 

यीशु का हमारे मनुष्यत्व को स्वेच्छा से साझा करने की इच्छा न केवल परमेश्वर के साथ सही सम्बन्ध सुनिश्चित किया लेकिन संघर्ष के हमारे क्षणों में उस पर भरोसा करने में योग्य बनाता है l जब हम आजमाइश और कठिनाई का सामना करते हैं, तो हम सामर्थ और सहयोग के लिए उस पर टिक सकते हैं क्योंकि वह “सहायता कर सकता है” (पद.18) l एक प्रेमी पिता की तरह, वह हमें समझता और हमारी चिंता करता है।