क्योंकि यह ईस्टर के बाद का सप्ताह था, हमारे पाँच वर्षीय बेटे ने पुनरुत्थान के बारे में बहुत सारी बातें सुनी थीं l उसके पास हमेशा प्रश्न होते थे─आमतौर पर वास्तविक रूप से चकरा देने वाले l मैं गाड़ी चला रहा था और वह मेरे पीछे वाली सीट पर सीटबेल्ट से बंधा हुआ था l वह खिड़की से झांकता हुआ, गंभीर विचारों में था l “डैडी,” उसने कहा, और ठहरकर एक कठिन सवाल पूछने के लिए तैयारी करने लगा l “जब यीशु हमें फिर से जीवन देंगे, क्या हम वास्तव में जीवित होंगे─या केवल हम हमारे दिमाग में जीवित होंगे?” 

यही वह प्रश्न है जिसे हम में से बहुत से लोग लिए चलते हैं, चाहे हम इसे जोर से बोलने की साहस रखते हों या नहीं? क्या परमेश्वर हमें सच में चंगा कर देगा? क्या वह हमें वास्तव में मुर्दों में से जिंदा करेगा? क्या वह अपने सारे वायदे पूरे करेगा?

प्रेरित यूहन्ना हमारे निश्चित भविष्य का “नए आकाश और नयी पृथ्वी” के रूप में वर्णन करता है (प्रकाशितवाक्य 21:1) l उस पवित्र नगर में, “परमेश्वर आप [हमारे] साथ रहेगा और [हमारा] परमेश्वर होगा” (पद.3) l मसीह की जीत के कारण, हमारे लिए एक भविष्य की प्रतिज्ञा दी गयी है जहां अब आँसू नहीं है, परमेश्वर और उसके लोगों के विरुद्ध बुराई की कोई व्यूहरचना नहीं होगी l इस अच्छे भविष्य में, “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बाते जाती रहीं” (पद.4) l 

अर्थात्, उस भविष्य में जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर करता है, हम वास्तव में जीवित होंगे l हम इतने जीवित होंगे कि वर्तमान का हमारा जीवन मात्र एक छाया की तरह लगेगा l