जब रवि ने हमारी साप्ताहिक सेवा समूह मुलाकात में बताया कि वह “धूल-धूसरित” महसूस कर रहा था, तो मैं जान लिया कि यह उम्रवृद्धि और ख़राब स्वास्थ्य से जुड़ी भौतिक चुनौतियों का सन्दर्भ देने का उसका तरीका था l रवि और उसकी पत्नी के लिए, दोनों जो साठ के उत्तरार्ध में हैं, 2020 में डॉक्टरों से मुलाकात, सर्जिकल प्रक्रियाएँ, और घर को अस्पताल के कमरे के रूप में बदलना जिससे घर पर ही इलाज मिल सके शामिल था l वे दोनों जीवन के प्रमुख पड़ाव की दूसरी ओर थे और उसका आभास कर रहे थे l
शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक रूप से─अपर्याप्तता, अधूरापन, और कमजोरी का एहसास करने से पहले किसी को भी लम्बे समय तक जीने की ज़रूरत नहीं है l परमेश्वर अपने पुत्र यीशु के व्यक्तित्व में, हमारी पापमय दुनिया में प्रवेश किया और मानवीय अस्तित्व के दायित्वों का एहसास करनेवालों की देखभाल करता है (भजन 103:13) l आगे दाऊद लिखता है, “वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी(धूल) है” (पद.14) l शब्द मिट्टी(धूल) हमें वापस उत्पत्ति में ले जाती है : “तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी(धूल) से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया” (2:7) l
क्या आप इन दिनों धूसरित(dusty) महसूस कर रहे हैं? सांसारिक जीवन की वास्तविकताओं में आपका स्वागत है। हालाँकि, याद रखें, जब हम सबसे अधिक कमज़ोर महसूस करते हैं, हम अकेले नहीं छोड़े गए हैं l हमारा करुणामय परमेश्वर “जानता” और “याद” रखता है। वह आप और मुझ जैसे पृथ्वी के लोगों को क्षमा देने के लिए अपने पुत्र को भेजकर अपना प्रेम प्रदर्शित किया l जीवन हमारे सामने कुछ भी लेकर आए, हम उस पर भरोसा रखें l
वो कौन सी परिस्थितियां हैं जो आपको माननीय कमजोरियों का बोध कराती है? आप किस तरह अपनी कमजोरियों के मध्य परमेश्वर के हाथों को काम करते देखा है?
पिता, यद्यपि मैं भिन्न प्रकार से अपनी सीमाओं का अर्थात् धूसरित अवस्था का अहसास करता हूँ, मुझे विश्वास में मजबूत बनने और आप पर भरोसा करने में सहायता कर l