तब उस पुरूष और उसकी पत्नी ने यहोवा परमेश्वर का शब्द सुना, जब वह दिन की ठंडक में वाटिका में टहल रहा था। उत्पत्ति 3:8

कई साल पहले, नंदिता और उनके पति विशाल ने अपने उच्च वेतन वाली, तनावपूर्ण, आईटी नौकरियों को छोड़ने और एक सरल, तनाव मुक्त कृषि जीवन को अपनाने का सचेत निर्णय लिया। वे एक शांत पहाड़ी शहर में चले गए ताकि वे परमेश्वर और एक दूसरे के साथ समय बिता सकें। प्रकृति से घिरे हुए उन्होंने जीवन जीने के एक शांत तरीके का अनुभव किया– “वाटिका” में वापस जाने का एक तरीका।

अदन–वह (पैराडाइज़) स्वर्गलोक था जिसे परमेश्वर ने शुरू में हमारे लिए बनाया था। इस वाटिका में आदम और हव्वा नियमित रूप से परमेश्वर से मिलते थे, जब तक कि उन्होंने शैतान के साथ अपना समझौता नहीं किया (उत्पत्ति 3:6–7 देखें) । वह दिन अलग था। “तब आदम और उसकी पत्नी ने यहोवा परमेश्वर का शब्द सुना, जब वह दिन की ठंडक में चल रहा था, और वे वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए” (पद 8)। जब परमेश्वर ने पूछा कि उन्होंने क्या किया है, तो आदम और हव्वा एक दूसरे पर दोष लगाने लगे। उनके इनकार के बावजूद, परमेश्वर ने उन्हें वहां नहीं छोड़ा। उसने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े के अगंरखे बनाए और उन्हें पहिना दिए (पद 21), एक बलिदान जो मृत्यु का संकेत देता था जो यीशु हमारे पापों को ढकने के लिए सहन करेगा।

परमेश्वर ने हमें अदन तक वापस जाने का रास्ता नहीं दिया। उसने हमें उसके साथ पुन: स्थापित संबंध में आगे बढ़ने का मार्ग दिया। हम उस वाटिका में नहीं लौट सकते। लेकिन हम वाटिका के परमेश्वर के पास लौट सकते हैं।