Month: सितम्बर 2022

उद्धार का चमत्कार

ब्लॉगर केविन लिन की जिंदगी बिखरती नजर आ रही थी। हाल के एक लेख में उन्होंने बताया, “मैं वास्तव में अपने सिर पर बंदूक रखा...परमेश्वर को अलौकिक रूप से मेरे कमरे और मेरे जीवन में कदम रखना पड़ा। और उस क्षण, मुझे वास्तव में वह मिल गया है जो मैं जानता हूं कि अब परमेश्वर है।” भगवान ने हस्तक्षेप किया और लिन को अपनी जान लेने से रोका। उन्होंने उसे दोषशिद्धि से भरा और उसे अपनी प्रिय उपस्थिति का एक जबरदस्त अनुस्मारक दिया। इस शक्तिशाली मुठभेड़ को छुपाने के बजाय, लिन ने अपने अनुभव को संसार के साथ बाँटा, एक यू-ट्यूब सेवा बनाया जहाँ वह अपना और साथ ही दूसरों की परिवर्तन का कहानी बांटता है। 

जब यीशु का अनुयायी और मित्र लाजरस मर गया, तो बहुतों को लगा की यीशु को काफी देर हो चुके हैं (11:32)। मसीह के आने से पहले लाजर चार दिन से कब्र में पड़ा था, पर जब उन्होंने उसे मृतकों में से जिलाया उन्होंने इस पीड़ा के क्षण को चमत्कार में बदल दिए (38)। “क्या मैं ने तुझ से नहीं कहा था कि यदि तू विश्‍वास करेगी, तो परमेश्‍वर की महिमा को देखेगी।”(40)।

जिस तरह यीशु ने लाजर को मृत्यु से जीवन के लिए जिलाए, वह हमें उनके द्वारा नया जीवन प्रदान करते हैं। क्रूस पर अपना जीवन बलिदान करने के द्वारा, मसीह ने हमारे पापों का कीमत चुकाया और जब हम उसके अनुग्रह के उपहार को ग्रहण करते हैं वह हमें क्षमा प्रदान करते हैं। हम हमारे पाप के बंधन से आजाद होते है, उसके चिरस्थायी प्रेम के द्वारा नवीकृत, और हमारे जीवन के क्रम को बदलने का मौका दिया जाता है।

बुद्धिमानी से चुने

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के लिए निर्धारित उड़ान चालक दल के कमांडर के रूप में अंतरिक्ष यात्री क्रिस फर्ग्यूसन ने एक कठिन निर्णय लिया। लेकिन वह निर्णय उड़ान के यांत्रिकी या उसके साथी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं था। बल्कि, यह उसके परिवार से संबंधित था जिसे वह अपना: सबसे महत्वपूर्ण काम मानता था। फर्ग्यूसन ने अपने पैरों को पृथ्वी पर दृढ़ता से रखने का विकल्प चुना ताकि वह अपनी बेटी की शादी में उपस्थित हो सके। 

कभी-कभी हम सब कठिन निर्णयों का सामना करते हैं-- निर्णय जो हमें यह मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करते हैं कि हमारे जीवन में हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है, क्योंकि एक निर्णय दूसरे की कीमत पर आता है। यीशु ने अपने चेलों और दर्शकों की भीड़ को इस सच्चाई का संचार करने का लक्ष्य रखा जो जिंदगी के सबसे अहम फैसला—उसका अनुकरण करना। उन्होंने कहा, एक चेला बनना, उसके साथ चलने के लिए उन्हें “वह अपने आपे से इन्कार करे ” (मरकुस 8:34)। वह खुद को, उन बलिदानों को जो मसीह के पीछे चलने के लिए आवश्यक है बचाने के लिए लालायित  हो और अपनी इच्छाओं को चुनते, लेकिन उन्होंने उन्हें याद दिलाया की वह उस कीमत पर आता जो बहुत अधिक मायने रखता है।

हम अक्सर उन चीजों का पीछा करने को लालायित रहते हैं जो हमें बहुत मूल्यवान लगती है , , फिर भी वे हमें यीशु का अनुकरण करने से विचलित करते हैं। जिन निर्णयों का सामना हम प्रतिदिन करते हैं उसमें हम परमेश्वर को हमें अगुआई करने के लिए कहें ताकि हम बुद्धिमानी से चुने और उनको आदर दें।

एक नाम का सामर्थ्य

भारत में , मुम्बई के सड़कों पर रहने वाले कुछ बच्चों की पुष्टि करने के लिए, रंजीत ने उनके नाम का एक गीत बनाया। उसने उन्हें धुन सिखाया, उन्हें जैसे बुलाया जाता है, उन्हें एक सकारात्मक स्मृति देने की उम्मीद में, प्रत्येक नाम के लिए एक अद्वित्य माधुर्य के साथ आया, उन बच्चों के लिए जो नियमित रूप से अपने नाम को प्यार से बुलाते हुए नहीं सुनते। उसने उन्हें आदर का उपहार दिया।

बाइबल में नाम महत्वपूर्ण है, अक्सर किसी व्यक्ति के व्यवहार और नए भूमिका या लक्षण को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने अब्राम और सारै का का नाम बदले जब उन्होंने उसके साथ प्रेम की वाचा बांधी, यह वादा करते हुए की वह उनका परमेश्वर होता और वे उसके लोग होते। अब्राम, जिसका अर्थ है “महान पिता” अब्राहम बन गया, जिसका अर्थ है “बहुतों का पिता।” और सारै, जिसका अर्थ है “राजकुमारी”,  सारा बन गया, जिसका अर्थ है “बहुतों की माता ” (17:5, 15)

परमेश्वर के नये नाम अनुग्रहित वादों को भी शामिल किया की वे अब और निसंतान नहीं रहेंगे। जब सारा ने अपने बेटे को जन्म दिया, वे बहुत खुश थे और उसका नाम इसहाक रखा, जिसका अर्थ है “वह हंसता है”: सारा ने कहा, “और सारा ने कहा, “परमेश्‍वर ने मुझे प्रफुल्‍लित किया है; इसलिये सब सुननेवाले भी मेरे साथ प्रफुल्‍लित होंगे।” (उत्पत्ति 21:6)।

जब हम लोगों को उनके नाम से बुलाते है हम लोगों को आदर और सम्मान देते हैं और पुष्टि करते की परमेश्वर ने उन्हें क्या होने के लिए बनाए। एक प्यारा उपनाम जो किसी के अद्वितीय गुण की पुष्टि करता है जैसे कोई परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है कर सकता है।

कहानी अभी खत्म नहीं हुआ

जब ब्रिटिश नाटक लाइन ऑफ़ ड्यूटी का समापन हुआ, रिकॉर्ड संख्या ने देखा की संगठित अपराध के विरूद्ध उसकी लड़ाई कैसे खत्म होगी। लेकिन कई दर्शक तब निराश हुए थे जब समापन यह होता कि बुराई अंततः जीत जाएगी। एक प्रशंसक ने कहा "मैं चाहता था कि बुरे लोगों को न्याय मिले।" "हमें वह नैतिक अंत चाहिए था"

समाजशास्त्री पीटर बर्जर ने एक बार लिखा की हम आशा और न्याय के लिए भूखे हैं —आशा की एक दिन बुराई पर जित होगी और यह की जिन लोगों ने इसे किया, उन्हें उनके अपराधों का सामना करना पड़ेगा। एक दुनिया जहाँ हम जानते हैं कि दुनिया को कैसे काम करना चाहिए, बुरे लोग जित के उसके खिलाफ जाते हैं। इसे एहसास किये बिना की, वे निराश प्रशंसक दुनिया को फिर से ठीक का मानवता की गहरी लालसा व्यक्त कर रहे थे। 

प्रभु की प्रार्थना में, यीशु बुराई के बारे में वास्तविक हैं। यह न केवल हमारे मध्य मौजूद रहता, (12) क्षमा की आवश्यकता है। परन्तु बड़े पैमाने पर, छुटकारे की आवश्यकता है (13)। हालंकि, यह यर्थाथ, आशा के साथ मेल खाता है। एक जगह है जहाँ बुराई बास नहीं करता—स्वर्ग—और वह स्वर्गीय राज्य पृथ्वी पर आ रहा है (10)। एक दिन परमेश्वर का न्याय पूरा होगा, उसका "नैतिक अंत" आयेगा, और बुराई भलाई के लिए दूर किया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 21:4)।

इसलिये जब वास्तविक जीवन में बुरे लोग जीतते और निराशा होता है, हम यह याद रखें: जब तक परमेश्वर की इच्छा “जैसे स्वर्ग में है पृथ्वी पर” पूरी न हो जाती हमेशा आशा है—क्योंकि कहानी अभी खत्म नहीं हुआ।

लोग जिन्हें लोगों की जरूरत है

अपने हॉल-ऑफ-फ़ेम करियर में एक खिलाड़ी के रूप में, डेव किंड्रेड ने सैकड़ों प्रमुख खेल आयोजनों और चैंपियनशिप को कवर किया और मुहम्मद अली की जीवनी लिखी। सेवानिवृत्ति में बढ़ती ऊब, उसने एक स्थानीय स्कूल में लड़कियों के बास्केटबॉल खेलों में भाग लेना शुरू किया। जल्द ही उसने प्रत्येक खेल के बारे में कहानियाँ लिखना और उन्हें ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया। जब डेव की माँ और पोते की मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी को एक दुर्बल आघात हुआ, तो उसने एहसास किया की जिस टीम को वह कवर कर रहा था, उसने उसे समुदाय और उद्देश्य की भावना प्रदान की। उन्हें उसकी उतनी ही जरूरत थी, जितनी उसे उसकी जरूरत थी। किंड्रेड ने कहा, “इस टीम ने मुझे बचाया। मेरा जीवन अंधेरा हो गया था...[और] वे ज्योति थे।”

एक महान पत्रकार किशोरों के समुदाय पर कैसे निर्भर हो सकता है? उसी तरह एक महान प्रेरित उन लोगों की संगति पर निर्भर था जिनसे वह अपनी मिशनरी यात्रा में मिलते थे। क्या आपने उन सभी लोगों पर ध्यान दिया, जिनका पौलुस ने अपना पत्र समाप्त करते समय अभिवादन किया? (3-15)। उसने लिखा, “अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटुम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहले मसीही हुए थे, नमस्कार।” (7). “अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार। ”(8)। वह कुल मिलाकर पच्चीस से अधिक लोगों का वर्णन किया, जिनमें से अधिकांश का वर्णन फिर से पवित्रशास्त्र में नहीं किया गया है। लेकिन पौलुस को उनकी जरूरत थी।

आपके समुदाय में कौन है? शुरू करने के लिए सबसे अच्छा जगह आपका स्थानीय कलीसिया है। क्या कोई है जिसका जीवन अंधकारमय हो गया है? जैसे परमेश्वर आपकी अगुआई करता है, आप वह ज्योति बन सकते हैं जो यीशु की तरफ केन्द्रित करता है..किसी दिन वे एहसान वापस कर सकते हैं।