अपनी वाणी का उपयोग
आठ साल की उम्र से, लीसा हकलाहट के साथ संघर्ष करती थी और सामाजिक स्थितियों से डरने लगी जहाँ उसे लोगों से बात करने की ज़रूरत होती थी l लेकिन आगे जीवन में, वाक्-चिकित्सा(स्पीच थेरेपी/speech therapy) की सहायता से अपनी चुनौती पर विजय पाने के बाद लीसा ने अपनी आवाज़ को दूसरों की मदद करने में उपयोग करने का निर्णय लिया l वह एक भावनात्मक संकट टेलेफोन हॉटलाइन(इमोशनल डिस्ट्रेस टेलीफोन हॉट लाइन/emotional distress telephone hotline) के लिए परामर्शदाता के रूप में कार्य करने लगी l
इस्राएलियों को दासत्व से बाहर निकालने में सहायता करने के लिए बोलने के विषय में मूसा को अपनी चिंताओं का सामना करना पड़ा l परमेश्वर ने उसे फिरौन के साथ संवाद करने के लिए कहा, परन्तु मूसा ने विरोध किया क्योंकि वह अपनी बोलने की क्षमता में आत्मविश्वास महसूस नहीं करता था (निर्गमन 4:10) l परमेश्वर ने उसे चुनौती दी, “मनुष्य का मुँह किसने बनाया है? तब उसने मूसा को यह कहते हुए आश्वास्त किया, “मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखलाता जाऊँगा” (पद.11-12) l
परमेश्वर का प्रतिउत्तर हमें याद दिलाता है कि वह हमारी सीमाओं में भी हमारे द्वारा शक्तिशाली रूप से कार्य कर सकता है l लेकिन इसे अपने हृदय में जानते हुए भी, इसे जीना कठिन हो सकता है l मूसा संघर्ष करता रहा और किसी और को भेजने के लिए परमेश्वर से विनती की (पद.13) l इसलिए परमेश्वर ने मूसा के भाई हारून को उसके साथ जाने दिया (पद.14) l
हममें से हर एक के पास आवाज़ है जो दूसरों की सहायता कर सकता है l हम भयभीत हो सकते हैं l हम अक्षम महसूस कर सकते हैं l हमें लग सकता है कि हमारे पास सही शब्द नहीं हैं l
परमेश्वर जानता है हम कैसा महसूस करते हैं l वह दूसरों की सेवा करने के लिए शब्द और हमारी सारी आवश्यकता पूरी कर सकता है और अपने काम को पूरा कर सकता है l
परमेश्वर का प्रेम
1917 में, वित्तीय घाटे की असफलता से कैलिफ़ोर्निया का एक व्यवसायी, फ्रेडरिक लेहमन ने, “द लव ऑफ़ गॉड(The Love of God)” गीत के शब्द लिखे l उसकी प्रेरणा ने उसे पहले दो अंतरा लिखने के लिए प्रेरित किया, लेकिन वह तीसरे पर अटक गया l उसने एक कविता को याद किया जो वर्षों पहले खोजी गयी थी, जो एक जेल की दीवारों पर लिखी गयी थी l एक कैदी परमेश्वर के प्रेम के बारे में गहरी जागरूकता व्यक्त करते हुए, इसे वहां पत्थर पर कुरेद कर गया था l संयोग से वह कविता और लेहमन के भजन के छंद दोनों समान थे l उसने इसे अपना तीसरा अंतरा बनाया l
ऐसा समय होता है जब हम लेहमन और जेल की कोठरी से कवि के समान कठिन नाकामयाबियों का सामना करते हैं l निराशा के समय, हम भजनकार दाऊद के शब्दों को प्रतिध्वनित करके बेहतर महसूस करते हैं और “[परमेश्वर के] पंखो तले शरण [लेते हैं]” (भजन 57:1) l अपनी परेशानियों के साथ “परमेश्वर को [पुकारना] (पद.2), उससे अपने वर्तमान की आजमाइश और “सिंहों के बीच में” होने के अपने डर के बारे में बात करना ठीक है (पद.4) l हमें जल्द ही अतीत में परमेश्वर के प्रावधान की सच्चाई की याद आ जाती है, और दाऊद के साथ जुड़ जाते हैं जो कहता है, “मैं गाऊँगा वरन् कीर्तन करूँगा . . . मैं . . . पौ फटते ही जाग उठूँगा” (पद. 7-8) l
“द लव ऑफ़ गॉड इज़ ग्रेटर फार(The Love of God is greater far),” यह गीत घोषणा करता है, और उसमें जोड़ता है “इट गोज़ बियॉन्ड द हाईयेस्ट स्टार(it goes beyond the highest star) l” यह वास्तव में हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता के समय में है जब हमें गले लगाना है कि वास्तव में परमेश्वर का प्रेम कितना महान है—जो निस्संदेह “आकाशमंडल तक पहुँचता है” (पद.10) l
छोटी दयालुता
एमांडा एक अतिथि नर्स के रूप में कार्य करती हैं जो कई नर्सिंग होम्स में जाती हैं—अक्सर अपनी ग्यारह वर्षीय बेटी रूबी को अपने साथ ले जाती है l कुछ करने की इच्छा से रूबी ने निवासियों से प्रश्न पूछना शुरू किया, “यदि आपके पास कोई तीन चीजें होतीं, तो आप क्या चाहते?” और उनके उत्तर अपने नोटबुक में दर्ज करती है l हैरानी की बात यह है कि उनकी कई इच्छाएँ छोटी-छोटी चीजों के लिए थीं जैसे —चिकन, चॉकलेट, पनीर, फल l इसलिए रूबी ने उनकी साधारण इच्छाओं को पूरा करने में मदद करने के लिए एक “गो फण्ड मी” (Go Fund Me) की स्थापना की l और वह उपहार देते समय गले भी लगाती है l वह कहती है, “यह आपको उन्नत करता है l यह वास्तव में ऐसा करता है l”
जब आप रूबी की तरह अनुकम्पा और दयालुता दिखाते हैं, तब हम अपने परमेश्वर को प्रतिबिंबित करते हैं जो “अनुग्रहकारी और दयालु . . . और अति करुणामय है” (भजन 145:8) l इसीलिए प्रेरित पौलुस हमसे आग्रह करता है, परमेश्वर के लोग होने कर कारण, “बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो” (कुलुस्सियों 3:12) l इसलिए कि परमेश्वर ने हमलोगों पर बड़ी दया दिखाई है, हम स्वभाविक रूप से दूसरों के साथ उसकी दया साझा करने की इच्छा रखते हैं l और जब हम जानबूझकर ऐसा करते हैं, हम स्वयं उसे “पहन” लेते हैं l
पौलुस आगे हमसे कहता है : “सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबंध है है बाँध लो” (पद.14) l और वह हमको स्मरण दिलाता है कि हमें “सब प्रभु यीशु के नाम से [करना है]” (पद.17), याद रखते हुए कि सब भलाई परमेश्वर की ओर से आती है l जब हम दूसरों के साथ दयालु होते हैं, हमारी आत्माएं उन्नत होती हैं l
दोनों सत्य हैं
तीन दशकों के बाद, फेंग लुलु का अपने परिवार से मिलन हुआ l चीन में अपने घर के बाहर खेलते समय उसे बचपन में अपहृरण कर लिया गया था, लेकिन एक महिला समूह की मदद से, अंततः उसे ढूंढ लिया गया l इसलिए कि उसे बहुत ही बालपन (बचपन) में अपहृरण कर लिया गया था, फेंग लुलु को याद नहीं है l वह यह मानकर बड़ी हुयी कि उसे बेच दिया गया था क्योंकि उसके माता-पिता उस पर खर्च करने में असमर्थ थे, इसलिए सच्चाई जानने पर कई सवाल और भावनाएं सामने आयीं l
जब युसूफ का अपने भाइयों से पुनःमिलन हुआ, तो यह संभव है कि उसने कुछ मुश्किल और उलझी हुई भावनाओं का अनुभव किया हो l उसके भाइयों ने उसे युवावस्था में मिस्र में गुलामी में बेच दिया था l कई पीड़ादायक घुमावदार मोड़ के बावजूद, परमेश्वर ने युसूफ को अधिकार के पद पर पहुँचाया l जब उसके भाई अकाल के समय अन्न खरीदने के लिए मिस्र आए, तो उन्होंने—अनजाने में—उसी से ही माँगा l
युसूफ ने माना कि परमेश्वर ने उनके अत्याचार से भलाई उत्पन्न किया, यह कहते हुए कि उसने उसका उपयोग “तुम्हारे प्राणों [ को बचाने के लिए किया]” (उत्पत्ति 45:7) l इसके बाद भी युसूफ ने उसके प्रति उनके हानिकारक कार्यों को पुनः परिभाषित नहीं किया—उसने उन्हें स्पष्ट रूप से “[उसे] बेचने” (पद.5) का वर्णन किया l
कभी-कभी हम भावनात्मक संघर्ष को स्वीकार किए बिना, भलाइयों पर केन्द्रित होकर जो परमेश्वर उनसे उत्पन्न करता है उन कठिन परिस्थितियों पर अत्यधिक सकारात्मक घुमाव देने की कोशिश करते हैं l
इस बात का ध्यान रखें कि किसी गलत को ऐसे ही अच्छा न कहें कि ईश्वर ने उससे भलाई उत्पन्न की थी: हम दर्द के गलत कारणों को पहचानते हुए भी उसमें से अच्छाई लाने के लिए उसकी तलाश कर सकते हैं l दोनों ही सत्य है l