फिल्म फिडलर ऑन द रूफ में, किरदार तेवी, एक गरीब किसान अपनी तीन बेटियों की शादी करने की कोशिश कर रहा परमेश्वर से अर्थशास्त्र के बारे में ईमानदारी से बात करता है, “आपने बहुत से, बहुत से गरीब लोगों को बनाया है। बेशक, मुझे पता है कि गरीब होना कोई शर्म की बात नहीं है। लेकिन यह कोई बड़ा सम्मान भी नहीं है! तो, अगर मेरे पास थोड़ी सी सम्पति होती, तो क्या होता!… यदि मैं एक धनी व्यक्ति होता— क्या वह किसी विशाल, शाश्वत योजना को खराब कर देती?”

लेखक शोलेम एलेकेम के, तेवी की जीभ पर ये ईमानदार के शब्द डालने से सदियों पहले, नीतिवचन की पुस्तक में आगूर ने परमेश्वर से उसी के समान ईमानदार लेकिन कुछ अलग प्रार्थना की। आगूर ने परमेश्वर से उसे न ही निर्धन और न ही धनी बनाने को कहा-केवल उसकी “प्रतिदिन की रोटी” (नीतिवचन 30:8)। उसे पता था की “बहुत अधिक” उसे घमंडी बना देता और परमेश्वर के चरित्र को नकारते हुए-उसे एक व्यावहारिक नास्तिक बना देता। इसके अलावा, उसने परमेश्वर  से “निर्धन” न बनाने को भी कहा क्योंकि वह उसे दूसरों से चोरी करके परमेश्वर के नाम का अपमान करा सकता है (पद 9)। आगूर ने परमेश्वर को अपना एकमात्र प्रदाता माना, और उनसे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कहा। उसकी प्रार्थना ने परमेश्वर की खोज और उस सन्तुष्टि को प्रकट किया जो केवल उसी में पाई जाती है।

हम में आगुर की वृत्ति हो, परमेश्वर को जो कुछ हमारे पास है उसका प्रदाता मानना। और जब हम आर्थिक भण्डारीपन का पीछा करते हैं जो उसके नाम का सम्मान करता है, आइए हम परमेश्वर के सम्मुख संतुष्टि के साथ रहे -वह जो न केवल “पर्याप्त” लेकिन पर्याप्त से अधिक प्रदान करता है।