एक बाजार में, फेंटे गत्ते के डिब्बे में मुझे यीशु के जन्म का एक सेट मिला। जैसे मैंने शिशु यीशु को उठाया, मैंने शिशु के शरीर के बारीक तराशे गए विवरण को ध्यान से देखा। यह नवजात शिशु कंबल में लिपटा आँख बंद किए हुए नहीं था-वह खुली बाँहों, खुले हाथों और फैली हुई उँगलियों के साथ आंशिक रूप से लिपटा और जगा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि वह कह रहा हैं “मैं यहाँ हूँ!”

उस आकृति ने क्रिसमस के चमत्कार को चित्रित किया-की परमेश्वर ने मानवीय शरीर में अपने पुत्र को पृथ्वी पर भेजा। जैसे-जैसे शिशु यीशु का शरीर परिपक्व हुआ, उनके खिलौने से खेलते छोट्टे हाथ, आगे तोरह (मूसा की पुस्तक) को पकड़ते, और फिर उनकी सेवा शुरू होने से पहले फर्नीचर बनाते। उनके पांव, जन्म के समय सिद्ध और गुदगुदे, आगे विकसित होते है की उन्हें सिखाने और चंगाई देने के लिए जगह जगह लेकर जाए, उनके जीवन के अंत में, ये मानवीय हाथ और पांव उसके शरीर को क्रूस पर टँगाए रखने के लिए किलों से छिदे जाते है।

रोमियों 8:3 कहता है, उस शरीर में परमेश्वर ने अपने पुत्र को हमारे पापों के लिए बलि देकर पाप का हम पर से नियन्त्रण का अंत कर दिया। यदि हम यीशु के बलिदान को हमारी सारी गलतियों की कीमत के रूप में ग्रहण करते और अपना जीवन उनको समर्पित करते हैं, हम पाप के दासत्व से छुटकारा पाएंगे। क्योंकि परमेश्वर का पुत्र, हमारे लिए एक वास्तविक ,हिलने-डुलने, लात चलाने वाले शिशु के रूप में पैदा हुआ था, उनके साथ अनन्तकाल का आश्वासन और परमेश्वर के साथ शांति पाने का एक तरीका है।