
दैनिक निर्भरता
एक सुबह हमारे छोटे बच्चों ने जल्दी उठने और खुद के लिए नाश्ता बनाने का निर्णय लिया। कठिन सप्ताह से थके हुए, उस शनिवार की सुबह मैं और मेरी पत्नी कम से कम 7 बजे तक सोने की कोशिश कर रहे थे। अचानक मैंने एक तेज आवाज सुनी! मैं बिस्तर पर से कूदा और बिखरा हुआ नीचे की ओर दौड़ा, और देखा, टूटा कटोरा,पूरे फर्श पर दलिया, और योना-हमारा पांच साल का-( अधिक गंदगी फैलाने वाला प्रतीत हो रहा था) फ़र्श पर झाडू लगाने की पूरी कोशिश कर रहा था। मेरे बच्चे भूखे थे, पर उन्होंने मदद न मांगने का निर्णय लिया था। निर्भरता के साथ पहुंचने के बजाय उन्होंने आत्मनिर्भरता को चुना, और परिणाम निश्चित रूप से एक अच्छा पकवान नहीं था।
मानवीय दृष्टि से, बच्चे निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए हैं। लेकिन परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते में, परिक्वता मतलब आत्मनिर्भरता से उस पर निर्भरता की ओर बढ़ना। प्रार्थना वह जगह है जहाँ हम ऐसे निर्भरता के तरीकों का अभ्यास करते हैं। जब यीशु ने अपने चेलों को सिखाया - और हम सबको जो उस पर विश्वास करने आते है —प्रार्थना करना सिखाया, हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। (मत्ती 6:11), वह एक निर्भरता की प्रार्थना सिखा रहे थे। रोटी जीविका, उद्धार और मार्गदर्शन के लिए एक रूपक है (vv.11-13)। हम इन सब के लिए और बहुत कुछ के लिए परमेश्वर पर निर्भर है।
यीशु में कोई स्व-निर्मित विश्वासी नहीं हैं, और हम उसकी अनुग्रह से कभी स्नातक नहीं होंगे। हमारे पूरे जीवन में, जब हम “हमारे पिता ..जो स्वर्ग में है; ..” (v.9) से प्रार्थना करते हैं हम हमेशा अपने दिन की शुरुआत निर्भरता की दशा में होकर करें।

प्रेम की मजदूरी
डॉ. रेबेका ली क्रुम्प्लेर मेडिकल डिग्री हासिल करने वाली पहली अफ्रीकी अमरीकी महिला थी। फिर भी उसके जीवनभर में (1831-95) वह खुद को “त्यागी, तिरस्कृत और महत्वहीन होने” के रूप में स्मरण करती है। हालाँकि, वह उपचार और अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए समर्पित रही। क्रुम्प्लेर ने कहा की भले ही लोग उसे उसके जाति और लिंग के अनुसार उसका न्याय करना चुने, फिर भी उसके पास हमेशा एक नवीनीकृत और साहसी तत्परता होती “जब भी और जहाँ भी ड्यूटी हो वहाँ जाने के लिए” और वह उसे करती। उसने विश्वास किया की महिलओं और बच्चों का इलाज करना और मुक्त दासों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना परमेश्वर की सेवा करने का एक तरीका था। अफसोस की बात है कि लगभग एक सदी बाद तक उन्हें अपनी उपलब्धियों के लिए औपचारिक मान्यता नहीं मिली।
कई बार हम अपने आस-पास के लोगों द्वारा अनदेखे, अवमूल्यन, या नाचीज होंगे। हालाँकि, बाइबल का ज्ञान हमें याद दिलाता है कि जब परमेश्वर ने हमें किसी कार्य के लिए बुलाया है, हमें सांसारिक स्वीकृति और मान्यता प्राप्त करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि हमें “तन मन से, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते है;” करना चाहिए। (कुलुस्सियों 3:23)। जब हम परमेश्वर की सेवा करने पर ध्यान देते है तो हम उनके सामर्थ्य और अगुआई में सबसे कठिन कार्यों को भी उत्साह और प्रसन्नता के साथ पूरा कर सकते हैं। तब हम सांसारिक मान्यता प्राप्त करने को कम चिंतित और उस इनाम को पाने के लिए जो केवल वह प्रदान कर सकते है, अधिक उत्सुक हो सकते है (24)।

क्रिसमस लाइट
मेरी नज़र में, क्रिसमस ट्री आग में जलता हुआ लग रहा था! रोशनी के कृत्रिम तारों की वजह से नहीं बल्कि असली आग से। हमारा परिवार एक मित्र की पारंपरिक परंपरा या “पुराना जर्मन तरीका” में, आमंत्रित था, स्वादिष्ट पारंपरिक मिठाइयों और असली, जली हुई मोमबत्तियों वाला एक पेड़ पेश करने वाला उत्सव। (सुरक्षा के लिए ताजे कटे हुए पेड़ सिर्फ एक रात जलाये जाते थे)।
जैसे पेड़ को देखा कि वह जलता हुआ दिखाई दे रहा है, मैंने जलती झाड़ी में मूसा की परमेश्वर से मुलाकात के बारे में सोचा। जंगल में भेड़ चराने के समय, मूसा उस जलती हुई झाड़ी से चकित था जो आग की लपटों से भस्म नहीं हो रही थी। जब वह उसे देखने के लिए झाड़ी के पास गया, प्रभु ने उसे बुलाया। जलती हुई झाड़ी में से वह संदेश न्याय का नहीं था लेकिन इस्राएलियों के छुटकारे के लिए। परमेश्वर ने अपने लोगों के दुर्दशा और दुख को देखा था जो मिस्र में गुलाम थे और “.. उतर आया कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाए”(निर्गमन 3:8)।
जब परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्रियों से छुड़ाया, पूरी मानवता को भी छुटकारे की जरूरत थी—न केवल शारीरिक कष्ट से लेकिन उस प्रभाव से भी जो दुष्टता और मृत्यु इस संसार में लाई। सैकड़ों वर्ष बाद, प्रभु ने उस ज्योति, अपने पुत्र, यीशु को नीचे भेजने के द्वारा उत्तर दिया (यूहन्ना 1:9-10), “... इसलिये नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।”(3:17)।

आप कौन हैं
निःसंतानता के एक दशक के बाद, 2011 में, मेरी पत्नी और मैंने एक नए देश में नए सिरे से शुरुआत करना चुना। जैसे वह जगह-बदलाव रोमांचक था, इसके लिए मुझे मेरा प्रसारण का करियर छोड़ना ज़रूरी था, जो मुझे याद आया। खोया हुआ महसूस करते हुए, मैंने अपने मित्र लियं से सलाह माँगा।
“मुझे नहीं पता कि मेरी बुलाहट अब क्या है,” मैंने लियं को विषादपूर्वक कहा। तुम यहाँ प्रसारण नहीं कर रहें? उसने पूछा। मैंने कहा कि मैं नहीं कर रहा था।
“और तुम्हारा वैवाहिक जीवन कैसा है?”असके विषय के बदलाव पर आश्चर्यचकित, मैंने लियं से कहा की मेर्र्यन और मैं अच्छे हैं। हमने एक साथ बड़े दुःख का सामना किया था पर इसके कारण से हम और करीब हो गए..“प्रतिबद्धता सुसमाचार का मूल है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ओह, दुनिया को तुम्हारे जैसे प्रतिबद्ध विवाहों को देखना चाहिए! हो सकता है तुम उस प्रभाव को महसूस न कर सको जो तुम्हारे द्वारा पहले ही से पड़ रहा है, इससे परे कि तुम क्या करते हो, बस तुम जो हो, उसके होने से,”
जब एक कठिन कार्य परिस्थिति ने तीमुथियुस को निराश कर दिया, प्रेरित पौलुस ने आजीविका के लक्ष्य नहीं दिए। बल्कि उसने तीमुथियुस को वचन, और चाल–चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में आदर्श बनने और एक धर्मी जीवन, जीने को प्रोत्साहित किया, (4:12-13, 15)। वह विश्वासयोग्ता से जीने के द्वारा दूसरों को सर्वोत्तम रूप से प्रभावित करता।
अपने आजीविका की सफलता के आधार पर अपने जीवन को महत्व देना आसान है जबकि जो सबसे ज्यादा मायने रखता है वह हमारा चरित्र है। मैं यह भूल गया था। लेकिन एक सत्य वचन, एक दयालु कार्य, एक प्रतिबद्ध शादी भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है—क्योंकि उसके द्वारा परमेश्वर की स्वयं की भलाई का कुछ दुनिया को छूता है।
