मैं इसे “खाली/धूसर से हरियाली (lean to green) चमत्कार कहता हूँ l यह पंद्रह वर्षों से अघिक समय से हर वसंत में होता हैl सर्दियों के महीनों के समाप्त होने के बाद, हमारे आंगन में घास धूल से भरी और भूरी होती है, इतनी अधिक कि,एक आकस्मिक राहगीर जो उधर से गुज़र रहा हो उसे यह विश्वास हो सकता है कि यह सूख चुकी है l कोलोराडो, अमेरिका का एक पश्चिमी राज्य है जहाँ पहाड़ों पर बर्फ होती है, लेकिन मैदानी इलाकों “द फ्रंट रेंज”(the Front Range) पर मौसम सूखा होता है-— अधिकाँश गर्म महीने सूखे की चेतावनी से भरे होते है l लेकिन हर साल मई के अंत के आसपास, मैं स्प्रिंकलर/फौवारा(sprinkler) चालू करता हूँ—पानी की भारी मात्रा नहीं बल्कि कम, और लगातार सिंचाई के साथ, लगभग दो सप्ताहों में, जो सूखा और भूरा दिखता था वह प्रचूर और हरा हो जाता है l 

वह हरी घास मुझे याद दिलाती है कि प्रोत्साहन कितना महत्वपूर्ण है l इसके बिना, हमारा जीवन और हमारा विश्वास लगभग निर्जीव जैसा हो सकता है l लेकिन यह आश्चर्जनक है कि लगातार प्रोत्साहन हमारे हृदय, दिमाग और आत्माओं के लिए क्या कर सकता है l थिस्सलुनीकियों को लिखी पौलुस की पहली पत्री इस सच्चाई पर ज़ोर देती है l लोग चिंता और भय से जूझ रहे थे l पौलुस ने देखा कि उन्हें उनके विश्वास को मजबूत करने की आवश्यकता है l उसने उनसे एक दूसरे को प्रोत्साहन देने और एक दूसरे की उन्नति के अच्छे काम को जारी रखने का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) वह जानता था कि ऐसी ताजगी के बिना, उनका विश्वास मुरझा सकता है l पौलुस ने इसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया, क्योंकि वही थिस्सलुनीकियों के विश्वासी उसके लिए भी प्रोत्साहन थे, उसका निर्माण कर रहे थे l आपके और मेरे पास प्रोत्साहन करने का समान अवसर है—एक दूसरे को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद करने का l