जब मैं छठी कक्षा में पढ़ रहे अपने पौत्र, लोगन, की बीजगणित के कुछ जटिल गृहकार्य में सहायता कर रहा था, तो उसने मुझे इंजिनियर बनने के अपने सपने के बारे में बताया l जब हम उसके गृहकार्य में x और y के साथ क्या करना है, पता लगा चुके, तब उसने कहा, “मैं कब इसका उपयोग करूँगा?”

मैं यह कहते हुए मुस्कराए बिना नहीं रह सका, “ठीक है, लोगन, अगर तुम इंजिनियर बनते हो तो तुम इसी का उपयोग करोगे!” उसे बीजगणित और अपने प्रत्याशित भविष्य के बीच के सम्बन्ध का एहसास नहीं था l 

कभी-कभी हम पवित्रशास्त्र को इसी तरह से देखते हैं l जब हम धर्मोपदेशों को सुनते हैं और बाइबल के कुछ हिस्सों को पढ़ते हैं, तो हम विचार कर सकते हैं, “मैं इसका उपयोग कब करूँगा?” भजनकार दाऊद के पास कुछ उत्तर थे l उसने कहा कि पवित्रशास्त्र में पाए जाने वाले परमेश्वर के सत्य “प्राण को बहाल करती है,” “साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते है,” और “हृदय को आनंदित कर देते है” (भजन 19:7-8)  बाइबल की पहली पांच पुस्तकों में पाया जाने वाला पवित्रशास्त्र का ज्ञान, जैसा कि भजन 19 (साथ ही सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र) में उल्लिखित है, प्रतिदिन आत्मा की अगुवाई पर भरोसा करने में हमारी सहायता करता हैI (नीतिवचन 2:6)

और पवित्रशास्त्र के बगैर, हमें उस महत्वपूर्ण तरीको की की कमी रहेगी जो परमेश्वर ने हमें उसे अनुभव करने और उसके प्रेम और तरीकों को बेहतर ढंग से जानने के लिए प्रदान किया है l बाइबल का अध्ययन क्यों करें? क्योंकि “यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में ज्योति ले आती है I” (भजन 19:8)