जब मेरा बेटा लगभग तीन वर्ष का था, तो मुझे एक ऑपरेशन की आवश्यकता थी जिससे ठीक होने में एक महीने या उससे अधिक की आवश्यकता होती। प्रक्रिया से पहले, मैंने कल्पना की कि मैं  बिस्तर में हूँ , जबकि सिंक में गंदे बर्तनों का ढेर जमा हो गया है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं एक भागते-दौड़ते बच्चे की देखभाल कैसे करुँगी और खुद को भोजन पकाने के लिए चूल्हे के सामने खड़े होने की कल्पना नहीं कर पा रही थी। मुझे डर था कि मेरी कमजोरी का हमारे जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

इससे पहले कि गिदोन की सेना मिद्यानियों का सामना करे, परमेश्वर ने जानबूझकर गिदोन की सेना को कमजोर कर दिया। पहिले, जो डर गए थे उन्हें जाने दिया गया – बाईस हजार पुरूष अपने घर चले गए (न्यायियों 7:3)। तब जो दस हजार रह गए थे, उन में से केवल वही रह सके, जो पीने के लिथे हाथ में जल भरते थे। सिर्फ तीन सौ आदमी बचे थे, लेकिन इस नुकसान ने इस्राएलियों को खुद पर भरोसा करने से रोक दिया (पद. 5-6)। वे यह नहीं कह सकते थे, ” कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं।” (पद. 2)।

हम में से कई ऐसे समय का अनुभव करते हैं जब हम थका हुआ और शक्तिहीन महसूस करते हैं। जब मेरे साथ ऐसा होता है, तो मुझे एहसास होता है कि मुझे परमेश्वर की कितनी जरूरत है। उसने मुझे भीतरी रूप से अपनी आत्मा के द्वारा और बाहरी रूप से दोस्तों और परिवार की मदद के द्वारा प्रोत्साहित किया। मुझे कुछ समय के लिए स्वयं पर निर्भरता को छोड़ना पड़ा, लेकिन इसने मुझे सिखाया कि कैसे पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहना है। क्योंकि “[उसका] सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होता है” (2 कुरिन्थियों 12:9), हम तब आशा रख सकते हैं जब हम अपनी आवश्यकताओं को अपने दम पर पूरा नहीं कर सकते।