जैसे ही मैं रेन फारस्ट (वर्षा वन ) के सबसे ऊंचे स्थान से जिप लाइन पर चढ़ने को तैयार हुआ तो मेरे अंदर भय समा गया। मंच से कूदने से कुछ क्षण पहले, मेरे मन में हर उस बात के बारे में विचार आने लगे, जो गलत हो सकती है। परन्तु उस पूरे साहस के साथ जो मैं जुटा सकता था (और वापस मुड़ने के कुछ विकल्पों के साथ), मैंने मंच छोड दिया। जंगल की ऊंचाईयों से गिरते हुये हरे भरे पेड़ों से होकर मैं नीचे आ रहा था। हवा मेरे बालों से लग कर बह रही थी और धीरे धीरे मेरी चिन्ता लुप्त होने लगी; जैसे जैसे मैं हवा में ग्रैविटी को मुझे नीचे लाने दे रहा था, अगले मंच मुझे साफ नज़र आने लगा और धीरे से रुकने के बाद, मुझे पता चल गया कि मैं सुरक्षित पहुँच गया हूँ।

ज़िप लाइन पर बिताया गया मेरा समय मेरे लिए ऐसे समय के रूप चित्रित किया गया है जिसमें परमेश्वर हमसे नये और चुनौतीपूर्ण प्रयास करवाता है। जब हम संदेह और अनिश्चितता को महसूस करते हैं तो पवित्रशास्त्र हमें परमेश्वर पर अपना भरोसा रखने और “अपनी समझ का सहारा न लेने” की शिक्षा देता है (नीतिवचन 3:5)। जब हमारा मन भय और शंकाओं से भरा होता है, तो हमारे मार्ग अस्पष्ट और विकृत हो सकते हैं। परन्तु एक बार जब हमने परमेश्वर को अपना मार्ग सौंपने के द्वारा विश्वास में कदम उठाने का निर्णय ले लिया, तो “वह हमारे  लिए सीधा मार्ग निकालेगा” (पद 6)। प्रार्थना और पवित्रशास्त्र में समय व्यतीत करने के द्वारा यह सीखकर कि परमेश्वर कौन है, हम विश्वास की छलांग लगाने के लिए और अधिक आश्वस्त हो जाते हैं।

जब हम परमेश्वर से जुड़े रहते हैं और उसे हमारे जीवन में बदलावों के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करने की अनुमति देते हैं,तो हम जीवन की चुनौतियों में भी स्वतंत्रता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।