व्यापार विश्लेषक फ्रांसिस इवांस 125 बीमा सेल्समैनों का अध्ययन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें क्या सफलता मिली l आश्चर्यजनक रूप से, योग्यता प्रमुख कारक नहीं थी l इसके बजाय, इवांस ने पाया कि ग्राहक समान राजनीति, शिक्षा और यहाँ तक कि ऊँचाई वाले सेल्समैन से खरीददारी करने की अधिक सम्भावना रखते हैं l विद्वान इसे होमोफिली(homophily) कहते हैं : अपने जैसे लोगों को पसंद करने की प्रवृति l

होमोफिली जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम कर रही है, शादी करने और अपने जैसे लोगों से दोस्ती करने की प्रवृत्ति हमारे साथ है l जबकि स्वाभाविक रूप से, अनियंत्रित रहने पर होमोफिली विनाशकारी हो सकती है l जब हम केवल “अपनी तरह” के लोगों को पसंद करते हैं, तो समाज नस्लीय, राजनीतिक और आर्थिक रेखाओं के साथ बट सकता है l

पहली शताब्दी में, यहूदी यहूदियों के, यूनानी यूनानियों के साथ रहे, और अमीर और गरीब कभी भी घुलमिल नहीं पाए l और फिर भी, रोमियों 16:1-16 में, पौलुस रोम की कलीसिया के वर्णन में,  प्रिस्किल्ला और अक्विला(यहूदी), इपैनितुस(यूनानी) फीबे(बहुतों का उपकार करनेवाली”, इसलिए शायद धनवान), और फिलुलुगुस (दासों के लिए सामान्य नाम) को शामिल कर सकता था l ऐसे अलग-अलग लोगों को एक साथ क्या लाया था? यीशु—जिसमें “न तो यहूदी है और न अन्यजाति, न दास और न स्वतंत्र” (गलातियों 3:28) l

अपने जैसे लोगों के साथ रहना, काम करना और चर्च जाना स्वाभाविक है l यीशु हमें उससे आगे ले जाता है l इस संसार में जो विभिन्न रेखाओं से बटी हुई है, वह हमें एक ऐसे लोग बना रहा है जो एक साथ हैं पर अलग हैं—एक परिवार के रूप में एक हैं l