“आपकी मधुमक्खियाँ जानेवाली हैं!” मेरी पत्नी मुझे बतायी जो कोई भी मधुमक्खी पालक सुनना पसंद नहीं करता l मैं बाहर जाकर हज़ारों मधुमक्खियों को अपने छत्ते से निकलकर ऊँचे चीड़ पर जाते देखा जो फिर लौटने वाली नहीं थीं l

मैंने संकेत थोड़ी देर से पढ़ी कि मधुमक्खियाँ झुण्ड बनाकर छत्ता छोड़ने वाली थीं; आंधी ने मेरे निरीक्षणों को बाधित कर दिया था l जिस सुबह तूफ़ान थमा, मधुमक्खियाँ जा चुकी थीं l छत्ता नया और स्वस्थ था, और मधुमक्खियाँ वास्तव में एक नयी शुरुआत करने के लिए छत्ते को विभाजित कर रही थीं l एक अनुभवी मधुमक्खी पालक ने मेरी निराशा को देखकर ख़ुशी से बोला, “अपने आप पर कठोर मत बनो l” “यह किसी के साथ भी हो सकता है!”

प्रोत्साहन एक सुखद उपहार है l जब दाऊद निराश हुआ, क्योंकि शाऊल उसको मारने हेतु उसका पीछा कर रहा था, तब शाऊल का पुत्र योनातान ने दाऊद को उत्साहित किया l योनातान ने कहा, “मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूँगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल जानता है” (1 शमुएल 23:17) l

ये आश्चर्यजनक रूप से निःस्वार्थ शब्द हैं जो सिंहासन के सीध में खड़े किसी व्यक्ति के हैं l यह संभव है कि योनातान ने पहचाना कि परमेश्वर दाऊद के साथ था, इसलिए उसने विश्वास के विनम्र हृदय से बात की l

हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें उत्साहवर्धन चाहिए l परमेश्वर उनकी सहायता करने में हमारी मदद करेगा जब हम उसके सामने स्वयं को दीन करते हैं और उससे हमारे द्वारा उन्हें प्रेम करने के लिए कहते हैं l