ख्राइस्ट कॉलेज, कैंब्रिज, इंग्लैंड के चैपल में एक स्मारक है, जो सत्रहवीं शताब्दी के दो चिकित्सकों, जॉन फिंच और थॉमस बेन्स को समर्पित है l “घनिष्ठ मित्र” के रूप में प्रसिद्ध  फिंच और बेन्स ने चिकित्सा अनुसन्धान पर सहयोग किया और साथ में राजनयिक यात्राएँ की l 1680 में बेन्स की मृत्यु पर फिंच ने उनकी “आत्माओं के टूटे विवाह” पर जो छतीस वर्षों तक चला था शोक व्यक्त किया l उनकी मित्रता स्नेह, निष्ठा और प्रतिबद्धता की थी l 

राजा दाऊद और योनातान भी उतने ही घनिष्ठ मित्र थे l उन्होंने गहरा आपसी स्नेह साझा किया (1 शमुएल 20:41), यहाँ तक कि एक-दूसरे के प्रति वचनबद्धता की शपथ भी ली (पद.8-17, 42) l उनकी दोस्ती अत्यधिक विश्वासयोग्यता से चिन्हित थी (1 शमुएल 19:1-2; 20:13), योनातान ने सिंहासन पर अपना अधिकार भी त्याग दिया ताकि दाऊद राजा बन सके (20:30-31; 23:15-18 देखें) l योनातान की मृत्यु पर, दाऊद ने शोक व्यक्त किया कि योनातान का उसके प्रति प्रेम “स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर था” (2 शमुएल 1:26) l 

आज हम मित्रता की तुलना विवाह से करने में असहज महसूस कर सकते हैं, लेकिन शायद फिंच और बेन्स और दाऊद और योनातान जैसी मित्रता हमारी अपनी मित्रता को अधिक गहराई तक पहुँचने में मदद कर सकती हैं l यीशु ने अपने मित्रों का उसकी ओर झुकने का स्वागत किया (यूहन्ना 13:23-25) और वह स्नेह, निष्ठा और प्रतिबद्धता जो वह हमें दिखाता है वह हमारे द्वारा एक साथ बनायी जाने वाली गहरी मित्रता का आधार हो सकता है l