अपने विवाह के दिन, ग्वेंडोलिन स्टलगिस ने अपने सपनों का विवाह वस्त्र पहनी l फिर उसने इसे दे दिया—एक अजनबी को l स्टलगिस मानती थी कि एक वस्त्र का कोठरी में रहकर धूल खाने से कही अधिक योग्य है l अन्य दुल्हनें सहमत हो गयीं l अब सैकड़ों स्त्रियाँ उनकी सोशल मीडिया साइट पर विवाह के कपड़े दान करने और प्राप्त करने के लिए जुड़ गयी हैं l जैसा कि एक देनेवाले ने कहा, “मुझे आशा है कि यह पोशाक एक दुल्हन से दूसरी दुल्हन, और आगे तक जाती रहेगी, और इसमें किये गए जश्न के कारण अन्त में खराब हो जाएगी और फट जाएगी l 

देने की भावना वास्तव में एक उत्सव की तरह महसूस हो सकती है l जैसा लिखा है, “ऐसे हैं, जो छितरा देते है, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है l उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सिंचीं जाएगी” (नीतिवचन 11:24-25) l 

प्रेरित पौलुस ने यह सिद्धांत नए नियम में सिखाया l जैसे ही उसने इफिसुस में विश्वासियों को अलविदा कहा, उसने उन्हें आशीष देकर (प्रेरितों 20:32) उन्हें उदारता के महत्व की याद दिलायी l पौलुस ने उनके अनुसरण के लिए एक उदाहरण के रूप में अपने स्वयं की कार्य नीति की ओर इशारा किया l उसने कहा, “मैं ने तुम्हें  . . . करके दिखाया कि . . . परिश्रम करते हुए निर्बलों को संभालना और प्रभु यीशु के वचन स्मरण रखना . . . जो उसने स्वयं ही कहा है : ‘लेने से देना धन्य है’ ” (पद.35) l  

उदार होना परमेश्वर को दर्शाता है l “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने . . . दिया” (यूहन्ना 3:16) l आइए उसके गौरवशाली उदाहरण का अनुसरण करें क्योंकि वह हमारा मार्गदर्शन करता है l