आशीषित पश्चाताप
जब मेरी दोस्त(और उसके पति) को संतान नहीं हो रहा था, तो डॉक्टरों ने उसे चिकित्सीय प्रक्रिया की सलाह दी l लेकिन मेरी दोस्त हिचकिचा रही थी l “क्या प्रार्थना हमारी समस्या को ठीक करने के लिए पर्याप्त नहीं होनी चाहिए?” उसने कहा l “क्या मुझे वास्तव में यह प्रक्रिया करने की ज़रूरत है?” मेरी दोस्त यह जानने का प्रयास कर रही थी कि परमेश्वर को कार्य करते देखने में मानवीय क्रिया की क्या भूमिका है l
यीशु द्वारा भीड़ को खाना खिलाने की कहानी यहाँ हमारी सहायता कर सकती है(मरकुस 6:35-44) l हम जान सकते हैं कि कहानी कैसे समाप्त होती है——हजारों लोगों को आश्चर्यजनक ढंग से बस थोड़ी सी रोटी और कुछ मछली से खाना खिलाया जाता है(पद.42) l लेकिन ध्यान दें कि भीड़ को खाना खिलाने वाला कौन हैं? शिष्य(पद.37) l और भोजन कौन उपलब्ध कराता है? वे ऐसा करते हैं(पद.38) l भोजन कौन वितरित करता है और बाद में सफाई कौन करता है? शिष्य(पद.39-43) l यीशु ने कहा, “तुम ही उन्हें खाने को दो”(पद.37) l यीशु ने चमत्कार किया, लेकिन यह शिष्यों के आचरण के अनुसार हुआ l
एक अच्छी फसल परमेश्वर की ओर से उपहार है(भजन सहिंता 65:9-10), लेकिन फिर भी एक किसान को भूमि पर काम करना पड़ता है l यीशु ने पतरस से प्रतिज्ञा की कि तुम “मछली” पकड़ोगे लेकिन मछुए को फिर भी अपना जाल डालना पड़ा(लूका 5:4-6) l परमेश्वर पृथ्वी की देखभाल कर सकता है और हमारे बिना आश्चर्य कर सकता है लेकिन आम तौर पर ईश्वर और मानव की भागीदारी में काम करता है l
मेरी दोस्त इस प्रक्रिया से गुज़री और बाद में सफलतापूर्वक गर्भवती हो गयी l हालाँकि यह किसी आश्चर्यकर्म का फार्मूला नहीं है, यह मेरी दोस्त और मेरे लिए एक सबक था l परमेश्वर अक्सर अपना आश्चर्यकर्म उन तरीकों के द्वारा करता है जो उसने हमारे हाथों में सौंपे हैं l

स्थायी आशा
मैं एक साथी लेखिका को फॉलो कर रही हूँ और उसके लिए प्रार्थना कर रही हूँ जो अपनी कैंसर यात्रा के बारे में ऑनलाइन पोस्ट कर रही है l वह बारी-बारी से अपने शारीरिक दर्द और चुनौतियों के बारे में अपडेट साझा करती है और पवित्रशास्त्र और परमेश्वर की स्तुति के साथ प्रार्थना अनुरोध साझा करती है l उसकी साहसी मुस्कान देखना सुन्दर है चाहे वह अस्पताल में इलाज का इंतजार कर रही हो या घर पर बनडाना(bandana-चमकीला रंगीन कपड़े का रुमाल जो गले या सिर में पहना जाता है) पहनी हुए हो क्योंकि उसके बाल झड़ रहे हैं l प्रत्येक चुनौती के साथ, वह दूसरों को आजमाइशों के दौरान परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करने से कभी नहीं चूकती l
जब हम कठिनाइयों से गुज़र रहे होते हैं, तो आभारी होने और परमेश्वर की स्तुति करने का कारण ढूढ़ना चुनौतीपूर्ण हो सकता है l हालाँकि, भजन सहिंता 100 हमें हमारी परिस्थितियों के बावजूद खुश होने और परमेश्वर की स्तुति करने का कारण देता है l भजनकार कहता है : “निश्चय जानो कि यहोवा ही परमेश्वर है ! उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं”(पद.3) l वह आगे कहता है, “क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करुणा सदा के लिए, और उसकी सच्चाई पीढ़ी पीढ़ी तक बनी रहती है”(पद.5) l
हमारी आजमाइश चाहे जो भी हो, हम यह जानकार आराम पा सकते हैं कि परमेश्वर हमारे टूटे हुए हृदयों के निकट है(34:18) l जितना अधिक समय हम परमेश्वर के साथ प्रार्थना और बाइबल पढ़ने में बिताएंगे, उतना ही अधिक हम “फाटकों से धन्यवाद, और उसके आँगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश [कर सकेंगे]” और “उसका धन्यवाद [कर सकेंगे], और उसके नाम को धन्य [कह सकेंगे]”(100:4) l हम “यहोवा का जयजयकार” कर सकते हैं(पद.1) यहाँ तक कि और शायद विशेष रूप से तब जब हम किसी कठिन समय में हों क्योंकि हमारा परमेश्वर विश्वासयोग्य है l

चरित्र परिवर्तन
परिवार सत्रहवीं सदी के व्याकरणविद्(grammarian-व्याकरण जाननेवाला) डॉमिनिक बहॉर्स के बिस्तर के आसपास इकठ्ठा हुआ, जो मृत्यु शय्या पर था l जब उन्होंने अंतिम साँसें लीं, कहते हैं कि उन्होंने कहा, “मैं मरने वाला हूँ या मैं मरने जा रहा हूँ; कोई भी अभिव्यक्ति सही है l” अपनी मृत्यु शय्या पर व्याकरण की परवाह कौन करेगा? एक मात्र वही व्यक्ति जिसने जीवन भर व्याकरण की परवाह की l
जब तक हम बुढ़ापे तक पहुँचते हैं, हम काफी हद तक अपने तरीकों में तैयार को चुके होते हैं l हमारे पास अपने विकल्पों को उन आदतों में बदलने के लिए जीवन भर का समय रहा होगा जो अच्छे या बुरे चरित्र में बदल(calcify) जाती है l हम वही हैं जो बनने के लिए हमने चुना है l
जब हमारा चरित्र युवा और लचीला है तो ईश्वरीय आदतें विकसित करना आसान होता है l पतरस आग्रह करता है, “तुम सब प्रकार का यत्न करके अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ, और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ”(2 पतरस 1:5-7) l इन गुणों का अभ्यास करें, और “तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनंत राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे”(पद.11) l
पतरस की सूची में कौन से गुण आपमें सबसे अधिक जीवित हैं? किन गुणों पर अभी भी काम रहने की ज़रूरत है? हम वास्तव में नहीं बदल सकते जो हम बन गए हैं, लेकिन यीशु बदल सकता है l उससे आपको बदलने और सशक्त बनाने के लिए कहें l यह एक धीमी, कठिन यात्रा हो सकती है, लेकिन यीशु हमें वही देने में माहिर है जिसकी हमें ज़रूरत है l उससे अपने चरित्र को बदलने के लिए कहें ताकि आप अधिक से अधिक उसके जैसे बन सकें l

शालोम(शान्ति) के प्रतिनिधि
2015 में, कोलोराडो स्प्रिंग्स, कोलोराडो में स्थानीय सेवाकाइयों ने मिलकर शहर की सेवा की और COSILoveYou(City Gospel Movement/शहर सुसमाचार आन्दोलन) का जन्म हुआ l प्रत्येक पतझड़ में, सिटीसर्व(CityServe) नामक एक कार्यक्रम में, समूह विश्वासियों को समुदाय की सेवा के लिए भेजता है l
कई साल पहले, मुझे और मेरे बच्चों को सिटीसर्व(CityServe) के दौरान शहर के केंद्र में एक प्राथमिक विद्यालय में भेजा गया था l हम ने सफाई की l हमने खरपतवार निकाली l और हमने एक कला परियोजना पर काम किया, एक चेन-लिंक बाड़ के द्वारा रंगीन प्लास्टिक टेप को इस तरह लगाया कि यह पहाड़ों जैसा लगे l सरल, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर l
जब भी मैं स्कूल के पास से गुजरता हूँ, हमारी विनम्र कला परियोजना मुझे यिर्मयाह 29 की याद दिलाती है l वहाँ, परमेश्वर ने अपने लोगों को बसने और जिस शहर में वे थे, उसकी सेवा करने का निर्देश दिया, भले ही वे निर्वासन में थे और वहाँ रहना नहीं चाहते थे l
नबी ने कहा, “जिस नगर में मैं ने तुम को बंदी करके भेज दिया है, उसके कुशल का यत्न किया करो और उसके हित के लिए यहोवा से प्रार्थना किया करो”(पद.7) l यहाँ शांति शब्द इब्री भाषा में शालोम(Shalom) है l और इसमें सम्पूर्णता और समृद्धि का विचार शामिल है जिसे केवल परमेश्वर की भलाई और छुटकारा ही ला सकती है l
आश्चर्यजनक रूप से, परमेश्वर हममें से हर एक को शालोम/शांति के अपने प्रतिनिधि/एजेंट बनने के लिए आमंत्रित करता है—ठीक वहीँ जहां हम हैं l हमें उन जगहों पर सुन्दरता उत्पन्न करने और सरल, ठोस तरीकों से उद्धार/छुटकारा का अभ्यास करने के लिए आमंत्रित किया गया है जहाँ उसने हमें रखा है l

बुद्धिमान चुनाव करना
क्या मैं अपनी दिवंगत माँ का घर बेच दूँ? मेरी प्यारी, विधवा माँ के निधन के बाद उस फैसले ने मेरे हृदय को बोझिल किया l भावुकता ने मेरे अहसासों को प्रेरित किया l फिर भी, मेरी बहन और मैंने ने उनके खाली घर की सफाई और मरम्मत में दो साल बिताएं, और उसे बेचना चाहा l यह 2008 की बात है, और विश्विक मंदी(global recession) के कारण हमारे पास कोई खरीददार नहीं था l हम कीमत कम करते रहे लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला l फिर, एक सुबह अपनी बाइबल पढ़ते समय इस अंश पर मेरी नज़र पड़ी : “जहाँ बैल नहीं, वहाँ गौशाला स्वच्छ तो रहता है, परन्तु बैल के बल से अनाज की बढ़ती होती है”(नीतिवचन 14:4) l
कहावत में खेती की बात की गयी थी, लेकिन मैं इसके सन्देश से चकित थी l एक खाली स्टॉल साफ़-सुथरा रहता है, लेकिन केवल निवासियों के रहने से ही फसल की पैदावार हो सकती है l या, हमारे लिए, उपयोगिता और पारिवारिक विरासत की फसल l मैंने अपनी बहन को फोन करके पूछा, “अगर हम माँ का घर रखेंगे तो कैसा रहेगा? हम इसे किराए पर दे सकते हैं l”
चुनाव ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया l माँ के घर को निवेश में बदलने की हमारी कोई योजना नहीं थी l लेकिन बाइबल, एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में व्यवहारिक बुद्धिमत्ता भी देती है l जैसा कि दाऊद ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे”(भजन संहिता 25:4) l
हमारे चुनाव से, मुझे और मेरी बहन को कई प्यारे परिवारों को माँ का घर किराये पर देने का सौभाग्य मिला है l हमने यह जीवन बदल देनेवाला सत्य भी सीखा : “पवित्रशास्त्र हमारे निर्णयों का मार्गदर्शन करने में मदद करता है l भजनकार ने लिखा, “तेरा वचन मेरे पावों के लिए दीपक है, और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है”(भजन सहिंता 119:105) l