माह: अप्रैल 2025

सेवा करने की चुनौती

यद्यपि वह केवल तेरह साल का था, लेकिन डीएविऑन ने दूसरों की सेवा करने की चुनौती स्वीकार की। उसने और उसकी माँ ने एक ऐसे व्यक्ति के बारे में एक कहानी सुनी थी जिसने बच्चों को गर्मी की छुट्टी के दौरान पचास मैदानों के घास मुफ्त में काटने के लिए कहा था। उनका मकसद बुजुर्गों, एकल माताओं, विकलांग लोगों या ऐसे किसी भी व्यक्ति की सहायता करना था, जिन्हें तुरंत मदद की आवश्यकता हो । संस्थापक (जिन्होंने पचास राज्यों में पचास मैदाओं के घास काटे थे) ने कार्य नैतिकता के महत्व को सिखाने और समुदाय को कुछ लौटाने की चुनौती रची थी। गर्मी और अन्य गतिविधियों की उपलब्धता के बावजूद एक बालक गर्मियों में कुछ पाने की कोशिश कर सकता है, डीएविऑन ने दूसरों की सेवा करना चुना और चुनौती पूरी की। 
 
सेवा करने की चुनौती यीशु में विश्वासियों के लिए भी है। सभी लोगों के लिए अपनी मृत्यु से पहले की शाम को,  यीशु ने अपने मित्रों के साथ रात का भोजन खाया (यूहन्ना 13:1-2)। वह खुद पर आने वाली पीड़ा और मृत्यु के बारे में अच्छे से जानता था, फिर भी वह भोजन से उठा, उसने एक अंगोछा लपेटा, और अपने चेलों के पैर धोने लगा (पद. 3-5)। उसने कहा, “यदि मैं ने प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पाँव धोए, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पाँव धोना चाहिए।” (पद. 14)। 
यीशु, एक विनम्र सेवक और हमारा उदाहरण, लोगों की परवाह करता था : उसने अंधों और बीमारों को चंगा किया, अपने राज्य का सुसमाचार सुनाया,  और अपने मित्रों के लिए अपनी जान दे दी। क्योंकि मसीह आपसे प्रेम करता है, उससे पूछें कि वह चाहता है कि आप इस सप्ताह किसकी सेवा करें । 

महान प्रेम

पवित्र सप्ताह के कुछ दिन पहले,  जब दुनिया भर के मसीही यीशु के बलिदान को याद करते हैं और उनके पुनरुत्थान का जश्न मनाते हैं, दक्षिण पश्चिम फ़्रांस के एक सुपरमार्केट में एक आतंकवादी ने धावा बोलकर गोलीबारी की और दो लोगों की हत्या कर दी। बातचीत के बाद,  आतंकवादी ने सभी को रिहा कर दिया पर एक को बंधक बनाकर रखा, जिसे उसने खुद को बचाने के लिए एक मानव ढाल के रूप में उपयोग किया। खतरे को जानते हुए,  पुलिस अधिकारी अरनौद बेल्ट्रैम ने अकल्पनीय काम किया : उन्होंने महिला की जगह स्वेच्छा से खुद को सौंपा । अपराधी ने उसे छोड़ दिया,  लेकिन आगे की  हाथापाई में बेल्ट्रैम घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई । 
एक पास्टर जो उस पुलिस अधिकारी को जानते थे,  उन्होंने उसकी वीरता का जिम्मेदार यीशु में उनके विश्वास को ठहराया,  यूहन्ना 15:13  में उसके शब्दों की ओर इशारा करते हुए : “इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे l” ये वे शब्द थे जो मसीह ने अपने शिष्यों के साथ उनके अंतिम भोजन के बाद कहे थे। उसने अपने दोस्तों से कहा कि “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है,  वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो” (पद.12) और यह कि सबसे बड़ा प्रेम यह है कि एक दूसरे के लिये अपना प्राण दे दे (पद.13) । ठीक यही यीशु ने अगले दिन किया,  जब वह हमें हमारे पापों से बचाने के लिए क्रूस पर चढ़ा—जो केवल वही कर सकता था l  
हो सकता है हमें कभी भी अरनौद बेल्ट्रैम की वीरता का अनुसरण करने के लिए न बुलाया जाए। लेकिन जब हम परमेश्वर के प्रेम में बने रहते हैं, जब हम उसके महान प्रेम को साझा करना चाहते हैं तो अपनी योजनाओं और इच्छाओं को सामने रखते हुए  हम त्यागपूर्वक दूसरों की सेवा कर सकते हैं, । 

बाहरी सुन्दरता से बढ़ कर भीतरी गुण होते हैं

जोस, यीशु में एक युवा विश्वासी, अपने भाई के चर्च में गया l जैसे ही उसने आराधना से पहले आराधनालय में प्रवेश किया, उसे देखते ही उसके भाई का चेहरा उतर गया। जोस के दोनों बाहों पर टैटू थे, जो उसके टी-शर्ट पहनने के कारण दिखाई दे रहे थे। उसके भाई ने उसे घर जाकर एक लंबी बाजू की शर्ट पहनने को कहा, क्योंकि जोस के कई टैटू उसके अतीत के तौर-तरीकों को दर्शाते थे। जोस को अचानक अच्छा नहीं लगा। लेकिन एक अन्य व्यक्ति ने भाइयों की बातचीत सुन ली और जोस को पास्टर के पास लाया, और उन्हें बताया कि क्या हुआ था। पास्टर मुस्कुराए और अपनी कमीज के बटन खोल दिए, जिससे उनकी छाती पर एक बड़ा सा टैटू दिखाई दे रहा था—जो उनके अपने अतीत का था। उन्होंने जोस को आश्वासन दिया कि क्योंकि परमेश्वर ने उसे भीतर से बाहर तक शुद्ध किया है, उसे अपनी बाहों को ढंकने की जरूरत नहीं है। 
दाऊद ने परमेश्वर द्वारा शुद्ध किए जाने के आनंद का अनुभव किया था। उसके सामने अपने पाप का अंगीकार करने के बाद, राजा दाऊद ने लिखा,  “क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया हो!” (भजन संहिता 32:1) । वह अब दूसरों के साथ “जिनके हृदय शुद्ध हैं!” “आनन्द से जयजयकार” कर सकता था (पद. 11)। प्रेरित पौलुस ने बाद में रोमियों 4:7-8 में भजन संहिता 32:1-2 को उद्धृत किया, एक भाग जो घोषणा करता है कि यीशु में विश्वास उद्धार और उसके सामने एक शुद्ध अवस्था की ओर ले जाता है (रोमियों 4:23-25 देखें)। 
यीशु में हमारी पवित्रता सतह से कहीं अधिक है, क्योंकि वह हमारे हृदयों को जानता और शुद्ध करता है (1 शमूएल 16:7; 1 यूहन्ना 1:9)। आज हम उसके शुद्धिकरण के कार्य में आनन्दित हों। 

सदैव ऊंचाइयों की ओर

 एक कवयित्री और धार्मिक लेखिका क्रिस्टीना रोसेटी ने पाया कि उनके लिए जीवन में कुछ भी आसान नहीं था। वह अपने पूरे जीवन में निराशा और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रही और सगाई का टूटना सहा। आखिरकार उसकी कैंसर से मौत हो गई। 
  
दाऊद इजराइल के लिए एक विजयी योद्धा था, फिर भी दाऊद ने अपने पूरे जीवन में कठिनाइयों का सामना किया। उसके शासनकाल के अंत में,  उसका अपना पुत्र,  उसके विश्वस्त सलाहकार और देश के अधिकांश लोगों के साथ, उसके विरुद्ध हो गया (2 शमूएल 15:1-12)। इसलिए दाऊद एब्यातार और सादोक याजकों को और परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को अपने साथ ले गया और यरूशलेम से भाग गया (पद 14, 24)। 
जब एब्यातार परमेश्वर के लिये बलिदान चढ़ा चुका,  तब दाऊद ने याजकों से कहा,  “परमेश्वर के सन्दूक को नगर में लौटा ले जा। यदि यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो, तो वह मुझे लौटाकर उसको और अपने वासस्थान को भी दिखाएगा;" (पद. 25) l अनिश्चितता के बावजूद,  दाऊद ने कहा, "परन्तु यदि वह [परमेश्‍वर] मुझ से ऐसा कहे, कि मैं तुझ से प्रसन्न नहीं, तौभी मैं हाजिर हूं, जैसा उसको भाए वैसा ही वह मेरे साथ बर्त्ताव करे।"  (पद. 26) l वह जानता था कि वह परमेश्वर पर भरोसा रख सकता है। 
क्रिस्टीना रॉसेटी ने भी परमेश्वर पर भरोसा रखा,  और उसका जीवन आशा में समाप्त हुआ। पूरा मार्ग वास्तव में कठिन (घुमावदार) हो सकता है,  लेकिन यह हमारे स्वर्गीय पिता की ओर ले जाता है,  जो खुले दिल से से हमारी प्रतीक्षा करता है । 

ब्लूस्टोन चर्च की घंटियाँ

ब्लूस्टोन एक आकर्षक किस्म का पत्थर है। जब आपस में टकराते है, तो कुछ ब्लूस्टोन संगीतमय स्वर के साथ बजते हैं। माइनक्लोहॉग, एक वेल्श(Welsh) गांव जिसके नाम का अर्थ "घंटी" या "बजने वाले पत्थर" हैं, अठारहवीं शताब्दी तक चर्च की घंटियों के रूप में ब्लूस्टोन का इस्तेमाल करता था। दिलचस्प बात यह है कि इंग्लैंड में स्टोनहेंज(Stonehenge) के खंडहर, ब्लूस्टोन से बने हैं, जिससे कुछ लोगों को आश्चर्य होता है कि क्या उस भूमि का मूल उद्देश्य संगीत संबंधी था। कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि स्टोनहेंज में ब्लूस्टोन को उनके अद्वितीय  ध्वनि संबंधी गुणों के कारण लगभग दो सौ मील दूर माइनक्लोहॉग के पास से लाया गया था। 
संगीतमय बजते हुए पत्थर परमेश्वर की महान रचना के चमत्कारों में से एक हैं, और वे हमें कुछ याद दिलाते हैं जो यीशु ने अपने खजूर के रविवार को यरूशलेम में प्रवेश के दौरान कहा था। जैसे ही लोगों ने यीशु की प्रशंसा की, धार्मिक नेताओं ने उनसे उन्हें फटकारने की माँग की। "मैं तुमसे कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे" (लूका 19:40)। 
यदि ब्लूस्टोन संगीत बना सकता है, और यदि यीशु ने अपने सृष्टिकर्ता की गवाही देने वाले पत्थरों का भी उल्लेख किया है, तो हम कैसे उसकी प्रशंसा करें जिसने हमें बनाया,  हमसे प्रेम करता है, और हमें बचाया? वह सारी आराधना के योग्य है। पवित्र आत्मा हमें उसे वह आदर देने के लिए उत्तेजित करें जिसका वह हकदार है। सारी सृष्टि उसकी स्तुति करती है।