मधु से भी मीठा
अक्टूबर 1893 में शिकागो दिवस पर, शहर के सिनेमाघर बंद हो गए क्योंकि मालिकों को लगा कि सभी लोग विश्व मेले में भाग लेंगे l सात लाख से अधिक लोग गए, लेकिन ड्वाइट मूडी (1837-1899) शिकागो के दूसरे छोर पर प्रचार और शिक्षण से एक संगीत हॉल भरना चाहते थे l उनके दोस्त आर. ए. टोरी (1856-1928) को संदेह था कि मूडी उस दिन मेले की तरह एक भीड़ खींच सकते हैं l लेकिन परमेश्वर के अनुग्रह से, उन्होंने किया l जैसा कि टोरी ने बाद में निष्कर्ष निकाला, भीड़ आ गई क्योंकि मूडी को पता था “एक किताब जिसे यह संसार जानने को लालायित रहता है─बाइबल है l” टोरी चाहता था कि दूसरे लोग बाइबल से प्रेम करें जैसा कि मुडी करता था, समर्पण और जुनून के साथ इसे नियमित रूप से पढ़ना l
परमेश्वर ने अपनी आत्मा के द्वारा उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में शिकागो में लोगों को अपनी ओर लौटाया, और वह आज भी बात करता है l हम परमेश्वर और उसके शास्त्रों के प्रति भजनकार के प्रेम को प्रतिध्वनित कर सकते हैं जैसे वह पुकारता है “तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!” (भजन 119:103) l भजनकार के लिए, परमेश्वर के अनुग्रह और सच्चाई के संदेशों ने उसके मार्ग के लिए उजियाला, और उसके पाँव के लिए दीपक का काम किया (पद.105) l
आप उद्धारकर्ता और उसके संदेश के साथ प्यार में और अधिक कैसे बढ़ सकते हैं? जब हम पवित्रशास्त्र में अपने आप को डुबो देते हैं, तो परमेश्वर अपने प्रति हमारी भक्ति को बढ़ाएगा और हमारा मार्गदर्शन करेगा, और उन मार्गों पर जहाँ हम चलते हैं अपनी रौशनी चमकाएगा l
हर नई सुबह
मेरा भाई पॉल गंभीर मिर्गी(epilepsy) से जूझता हुआ बड़ा हुआ और जब वह अपनी किशोरावस्था में प्रवेश किया तो यह और भी बद्तर हो गया l रात का समय उसके और मेरे माता-पिता के लिए कष्टदायी बन गया, क्योंकि उसे एक बार में छह घंटे से अधिक समय तक लगातार दौरे का अनुभव होता था l डॉक्टरों को एक ऐसा उपचार नहीं मिल रहा था जो उसे दिन के कम से कम एक हिस्से के लिए जागरूक रखते हुए उसके लक्षणों को कम कर सकता था l मेरे माता-पिता प्रार्थना में पुकारे : “परमेश्वर, हे परमेश्वर, हमारी मदद कर!”
यद्यपि, उनकी भावनाएँ चकनाचूर हो गई थीं और उनके शरीर थक गए थे, पॉल और मेरे माता-पिता ने प्रत्येक नए दिन के लिए परमेश्वर से पर्याप्त सामर्थ्य प्राप्त की l इसके अलावा, मेरे माता-पिता को बाइबल के शब्दों में आराम मिला, जिसमें विलापगीत की किताब भी शामिल थी l यहाँ यिर्मयाह ने “नागदौने और – और विष” (3:19) को याद करते हुए बेबीलोनियों द्वारा यरूशलेम के विनाश पर अपना दुःख प्रकट किया l फिर भी यिर्मयाह ने आशा नहीं खोई l उसने परमेश्वर की दया को ध्यान में रखते हुए कहा कि उसकी दया “प्रति भोर . . . नई होती जाती है” (पद.23) l इसी तरह मेरे माता-पिता ने भी किया l
आप जिसका भी सामना कर रहे हैं, जाने कि परमेश्वर हर सुबह विश्वासयोग्य है l वह दिन-ब-दिन हमारी ताकत को नया करता है और हमें आशा देता है l और कभी-कभी, जैसे मेरे परिवार के साथ, वह राहत लाता है l कई वर्षों के बाद, एक नई दवा उपलब्ध हुई जिसने पॉल के लगातार रात के दौरे को रोक दिया, जिससे मेरे परिवार की नींद और भविष्य के लिए आशा की किरण जागी l
जब हमारी आत्माएँ हमारे भीतर दुखी हो जाती है (पद.20), तो हम परमेश्वर के वादों को ध्यान में रखें कि हर सुबह उसकी दया नई है l
हम ईश्वर नहीं हैं
पुस्तक मियर क्रिचियानिटी(Mere Christianity) में, सी.एस. लियुईस ने खुद से यह जानने के लिए कि क्या हम अहंकार महसूस करते हैं कुछ प्रश्न पूछने की सिफारिश की : “जब अन्य लोग मुझे कोई महत्त्व नहीं देते हैं, या मेरी अनदेखी करते हैं, . . . या सहायता करते हैं, इतराते हैं तो मैं इसको कितना नापसंद करता हूँ?” लियुईस ने अहंकार को “परम दुष्टता” के प्रतिनिधिरूप और घरों और राष्ट्रों में दुख के प्रमुख कारण के रूप में देखा l उन्होंने इसे “आत्मिक कैंसर” कहा जो प्रेम, संतोष और सामान्य ज्ञान की मूल संभावना को खा जाता है l
अहंकार युगों से एक समस्या रही है l परमेश्वर ने, नबी यहेजकेल के द्वारा, शक्तिशाली तटीय नगर सोर(Tyre) के अगुआ के अहंकार के विरुद्ध चेतावनी दी l उसने कहा कि राजा का अहंकार उसके पतन में बदल जाएगा : “तू जो अपना मन परमेश्वर-सा दिखाता है . . . मैं तुझ पर . . . परदेशियों से चढ़ाई कराऊँगा” (यहेजकेल 28:6-7) l तब वह जान जाएगा कि वह ईश्वर नहीं था, लेकिन नश्वर था (पद.9) l
अहंकार के विपरीत नम्रता है, जिसे लियुईस ने एक गुण के रूप में नामित किया है जिसे हम ईश्वर को जानने से प्राप्त करते हैं l लियुईस ने कहा कि जैसे-जैसे हम उसके संपर्क में आते हैं, हम “"ख़ुशी से विनम्र” बनते हैं, अपनी खुद की गरिमा के बारे में मूर्खतापूर्ण बकवास से छुटकारा पाने के लिए राहत महसूस करते हैं जो पहले हमें बेचैन और दुखी करता था l
जितना अधिक हम परमेश्वर की उपासना करते हैं, उतना ही अधिक हम उन्हें जानेंगे और अधिकाधिक अपने को नम्र कर सकते हैं l हम आनंद, नम्रता से प्रेम और सेवा करने वाले बन जाएँ l
सब कुछ समर्पित करना
दो लोगों को यीशु के लिए दूसरों की सेवा करने के लिए याद किया जाता जिन्होंने कला में आजीविका छोड़कर उस स्थान को जाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया जिसे वे मानते थे कि परमेश्वर ने उनको बुलाया है l जेम्स ओ. फ्रेजर (1886-1938) ने चीन में लिसु लोगों की सेवा करने के लिए इंग्लैंड में एक कॉन्सर्ट(संगीत-गोष्ठी) पियानोवादक बनने का फैसला छोड़ दिया, जबकि अमेरिकी जडसन वैन डीवेंटर (1855-1939) ने कला में अपनी कैरियर/आजीविका बनाने के बजाय एक प्रचारक बनने का विकल्प चुना l उन्होंने बाद में “यीशु को मैं सब कुछ देता” गीत लिखा l
जबकि कला में एक व्यवसाय होना कई लोगों के लिए सही आह्वान है, इन लोगों का मानना था कि परमेश्वर ने उन्हें एक कैरियर को दूसरे के लिए त्यागने के लिए बुलाया था l शायद उन्हें यीशु से प्रेरणा मिली जिसने धनी, युवा शासक से सब संपत्ति छोड़कर उसका अनुसरण करने की सलाह दी थी (मरकुस 10:17-25) l अदला-बदली को देखकर, पतरस ने कहा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिए हैं!” (पद.28) l यीशु ने उसे आश्वस्त किया कि जो उसका अनुसरण करेंगे परमेश्वर उन्हें “इस समय सौ गुना” और अनंत जीवन देगा (पद.30) l लेकिन वह अपनी बुद्धि के अनुसार देगा : “बहुत से जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहले होंगे” (पद.31) l
कोई फर्क नहीं पड़ता कि ईश्वर ने हमें कहाँ रखा है, हमें रोजाना अपने जीवन को मसीह के सामने समर्पित करने के लिए कहा गया है, उसका अनुसरण करने के लिए उसकी कोमल बुलाहट को मानना और अपने गुण और संसाधनों के साथ उसकी सेवा करना – चाहे घर, दफ्तर, अथवा समुदाय में या घर से दूर l जब हम ऐसा करते हैं, वह हमें दूसरों से प्यार करने के लिए प्रेरित करेगा, उनकी ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों के ऊपर रखकर l
परिपक्व होने की प्रक्रिया
कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में अपने पचास साल की सेवा में, चार्ल्स सिमियन (1759-1836) ने एक पड़ोसी पास्टर, हेनरी वेन और उनकी बेटियों से मुलाकात की । यात्रा के बाद, बेटियों ने टिप्पणी की कि वह युवा व्यक्ति कितना कठोर और अपने ऊपर भरोसा रखनेवाला है l जवाब में, वेन ने अपनी बेटियों को पेड़ों से आड़ू तोड़ने को कहा l जब उन्होंने सोचा कि उनके पिता को कच्चा फल क्यों चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया, ““ठीक है, मेरे प्रियों, यह अभी हरा है, और हमें इंतजार करना चाहिए; लेकिन थोड़ा और सूरज, और कुछ और बारिश, और आड़ू पक जाएगा और मीठा होगा l तो ऐसा ही मिस्टर सिमियन के साथ है l”
पिछले कुछ वर्षों में परमेश्वर का रूपांतरित करनेवाले अनुग्रह ने वास्तव में सिमियन को नरम किया । हर दिन बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने की उसकी प्रतिबद्धता एक कारण थी । एक मित्र जो कुछ महीनों तक उसके साथ रहा, उसने इस अभ्यास को देखा और टिप्पणी की, “यहाँ उसके महान अनुग्रह और आध्यात्मिक सामर्थ्य का रहस्य था l”
परमेश्वर के साथ अपने दैनिक समय में सिमियन ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के अभ्यास का पालन किया, जिसने परमेश्वर के वचनों को विश्वासयोग्यता से सुना । यिर्मयाह उन पर इतना निर्भर था कि उसने कहा, “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानों खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनंद का कारण हुए” (यिर्मयाह 15:16) l
अगर हम भी खट्टे हरे फल से मिलते-जुलते हैं, तो हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमें नरम बनाने में मदद करेगा जब हम वचन को पढ़ने और उसे मानने के द्वारा उसे जान जाएंगे
खंडहरों का पुनःनिर्माण
सत्रह साल की उम्र में, ड्वेन को अपना पारिवारिक घर दक्षिण अफ्रीका छोड़ना पड़ा, क्योंकि उसकी चोरी और हेरोइन(heroin) की लत थी । वह अपनी माँ के घर के पिछवाड़े में नालीदार धातु की एक झोंपड़ी पूरा नहीं बना सका, जिसे जल्द ही कैसीनो(Casino), ड्रग्स के उपयोग की जगह के रूप में जाना जाने लगा । हालाँकि जब वह उन्नीस वर्ष का था, ड्वेन यीशु में विश्वास कर लिया l दवाओं से दूर होने का उसका सफर लंबा और थका देने वाला था, लेकिन वह परमेश्वर की मदद और यीशु में विश्वास रखने वाले दोस्तों के सहयोग से साफ-स्वच्छ हो गया । और ड्वेन ने कैसीनो का निर्माण करने के दस साल बाद, उसने और अन्य लोगों ने झोपड़ी को गृह कलीसिया में बदल दिया । जो एक समय एक अंधेरा और अपशकुनी स्थान था अब आराधना और प्रार्थना का स्थान है ।
इस चर्च के अगुवा यिर्मयाह 33 की ओर देखते हैं कि कैसे परमेश्वर लोगों और स्थानों पर आरोग्यता और बहाली ला सकता है, जैसा कि उसने ड्वेन और पूर्व कैसीनो के साथ किया है । नबी यिर्मयाह ने दासत्व में परमेश्वर के लोगों से बात करते हुए कहा कि हालाँकि शहर को बख्शा नहीं जाएगा, फिर भी परमेश्वर अपने लोगों को चंगा और "उनका पुनर्निर्माण" करेगा, उनके पाप से उनको साफ़ करेगा (यिर्मयाह 33:7-8) । तब वह नगर उसके लिए हर्ष और स्तुति और शोभा का कारण होगा (पद.9) l
जब हम उस पाप पर निराशा करने की परीक्षा में पड़ते हैं जिससे दिल टूटता है और टूटापन आ जाता है, तो यह प्रार्थना करना जारी रखें कि परमेश्वर आरोग्यता और आशा लाएगा, जैसा कि उसने मेननबर्ग के एक पिछवाड़े में किया है l
परिपक्व होने की प्रक्रिया
कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में अपने पचास साल की सेवा में, चार्ल्स सिमियन (1759-1836) ने एक पड़ोसी पास्टर, हेनरी वेन और उनकी बेटियों से मुलाकात की । यात्रा के बाद, बेटियों ने टिप्पणी की कि वह युवा व्यक्ति कितना कठोर और अपने ऊपर भरोसा रखनेवाला है l जवाब में, वेन ने अपनी बेटियों को पेड़ों से आड़ू तोड़ने को कहा l जब उन्होंने सोचा कि उनके पिता को कच्चा फल क्यों चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया, ““ठीक है, मेरे प्रियों, यह अभी हरा है, और हमें इंतजार करना चाहिए; लेकिन थोड़ा और सूरज, और कुछ और बारिश, और आड़ू पक जाएगा और मीठा होगा l तो ऐसा ही मिस्टर सिमियन के साथ है l”
पिछले कुछ वर्षों में परमेश्वर का रूपांतरित करनेवाले अनुग्रह ने वास्तव में सिमियन को नरम किया । हर दिन बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने की उसकी प्रतिबद्धता एक कारण थी । एक मित्र जो कुछ महीनों तक उसके साथ रहा, उसने इस अभ्यास को देखा और टिप्पणी की, “यहाँ उसके महान अनुग्रह और आध्यात्मिक सामर्थ्य का रहस्य था l”
परमेश्वर के साथ अपने दैनिक समय में सिमियन ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के अभ्यास का पालन किया, जिसने परमेश्वर के वचनों को विश्वासयोग्यता से सुना । यिर्मयाह उन पर इतना निर्भर था कि उसने कहा, “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानों खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनंद का कारण हुए” (यिर्मयाह 15:16) l
अगर हम भी खट्टे हरे फल से मिलते-जुलते हैं, तो हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमें नरम बनाने में मदद करेगा जब हम वचन को पढ़ने और उसे मानने के द्वारा उसे जान जाएंगे
हमेशा धन्यवाद देना
सत्रहवीं शताब्दी में, मार्टिन रिन्कार्ट ने युद्ध के समय और प्लेग के दौरान तीस से अधिक वर्षों तक जर्मनी के सैक्सोनी(जर्मनी का एक क्षेत्र) में पास्टर के रूप में कार्य किया । एक वर्ष में उन्होंने अपनी पत्नी सहित 4,000 से अधिक अंतिम संस्कार किए, और कई बार भोजन इतना दुर्लभ था कि उनका परिवार भूखा रह जाता था । हालाँकि वह निराश हो सकता था, लेकिन परमेश्वर में उनका विश्वास मज़बूत था और उन्होंने लगातार धन्यवाद दिया । वास्तव में, उन्होंने अंग्रेजी गीत, “Now Thank We All Our God” (अब मन और मुँह और हाथ ईश्वर की ओर उठाओ-हिंदी अनुवाद) के द्वारा अपना आभार व्यक्त किया ।
रिन्कार्ट ने नबी यशायाह के उदाहरण का अनुसरण किया, जिसने परमेश्वर के लोगों को हर समय धन्यवाद देने का निर्देश दिया, जिसमें वह भी समय शामिल था जब उन्होंने परमेश्वर को निराश किया था या जब दुश्मनों ने उन पर अत्याचार किया था । इसके बाद भी उन्हें परमेश्वर के नाम को ऊंचा उठाना था, और “सब जातियों में उसके बड़े कामों का प्रचार [करना था]” (पद.4) l
हम फसल उत्सव के दौरान आसानी से धन्यवाद दे सकते हैं जैसे जब हम मित्रों और परिवार के साथ प्रचुर दावत का आनंद ले रहे होते हैं l लेकिन क्या हम मुश्किल समय में परमेश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं, जैसे कि जब हम अपनी मेज पर किसी को याद कर रहे होते हैं या जब हम अपने वित्त से जूझ रहे होते हैं या जब हम अपने किसी करीबी के साथ संघर्ष करते होते हैं?
हम अपने हृदयों और आवाजों को एक करके पास्टर रिन्कार्ट को प्रतिध्वनित करें जब हम उसकी महिमा करते हैं और उस "शाश्वत परमेश्वर, जिसकी पृथ्वी और स्वर्ग आराधना करते हैं” को धन्यवाद दें l हम "यहोवा का भजन [गाएं], क्योंकि उसने प्रताप्मय काम किये हैं” (पद.5) ।
जब परमेश्वर बोलता है
एक बाइबल अनुवादक, लिली, अपने घर जाने के लिए अपने देश की ओर उड़ान भरी जब उसे हवाई अड्डे पर रोक लिया गया l उसके मोबाइल फोन की तलाशी ली गई, और जब अधिकारियों को इसमें नए नियम की एक ऑडियो/श्रव्य कॉपी मिली, तो उन्होंने फोन को जब्त कर लिया और उससे दो घंटे तक पूछताछ की । एक बिंदु पर उन्होंने उसे बाइबल ऐप चलाने के लिए कहा, जो मत्ती 7: 1–2 पर सेट था : “दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए l क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा l” इन शब्दों को अपनी भाषा में सुनकर, अधिकारियों में से एक पीला पड़ गया । बाद में, उसे छोड़ दिया गया और आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई ।
हमें नहीं पता है कि हवाई अड्डे पर उस अधिकारी के दिल में क्या हुआ, लेकिन हम जानते हैं कि "परमेश्वर के मुंह से" जो शब्द निकलता है, वह उसकी इच्छा पूरी करता है जो वह चाहता है (यशायाह 55:11) । यशायाह ने निर्वासन में परमेश्वर के लोगों के लिए आशा के इन शब्दों की नबूवत की, यह अनुमान लगाते हुए कि जैसे बारिश और बर्फ पृथ्वी को अंकुरित करती और बढाती हैं, उसी प्रकार वह उन्हें आश्वस्त करता है कि जो “उसके मुख से निकलता है” वह उसके उद्देश्यों को पूरा करता है (पद.10-11) l
हम इस परिच्छेद को परमेश्वर में अपना भरोसा संभालने के लिए पढ़ सकते हैं l जब हम हवाई अधिकारियों के साथ लिली जैसी विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे होते हैं, तो हम भरोसा करें कि परमेश्वर कार्य कर रहा है - तब भी जब हम अंतिम परिणाम नहीं देखते हैं ।