स्कॉटलैंड में एक नृत्यसभा के दौरान इंग्लैंड की रानी से मिलने के बाद, सिल्विया और उसके पति को एक सन्देश मिला कि राजपरिवार उनके साथ चाय पीने आना चाहता है l सिल्विया ने शाही मेहमानों की मेजबानी के विषय घबराहट महसूस करते हुए साफ़-सफाई और तैयारी शुरू कर दी l इससे पहले कि वे आएँ, वह मेज़ पर रखने के लिए कुछ फूलों को लाने बाहर गयी, उसका हृदय जोर से धड़क रहा था l फिर उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसे स्मरण करा रहा था कि वह राजाओं का राजा है और वह प्रतिदिन उसके साथ है l तुरंत उसे शांति महसूस हुई और उसने सोचा, “आखिरकार, यह तो केवल रानी है!”
सिल्विया सही है l जैसा कि प्रेरित पौलुस ने उल्लेख किया है, परमेश्वर “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” है (1 तीमुथियुस 6:15) और जो लोग उसका अनुसरण करते हैं वे “परमेश्वर की संतान” हैं (गलतियों 3:26) l जब हम मसीह के होते हैं, तो हम अब्राहम के उत्तराधिकारी हैं (पद.29) l अब हम विभाजन से सिमित नहीं हैं─जैसे कि जाति, सामाजिक वर्ग, या लिंग─क्योंकि हम “सब मसीह यीशु में एक” हैं (पद.28) l हम राजा के बच्चे हैं l
हालाँकि सिल्विया और उसके पति ने रानी के साथ एक बढ़िया भोजन किया, मुझे कभी भी निकट भविष्य में उनका निमंत्रण मिलने का अनुमान नहीं है l लेकिन मुझे इस बात का स्मरण है कि सभी का सर्वोच्च राजा हर पल मेरे साथ है l और जो लोग यीशु पर पूरा विश्वास करते हैं (पद.27) वे यह जानते हुए कि वह परमेश्वर की संतान हैं एकता में रह सकते हैं l
इस सच्चाई को थामना हमारे आज के जीने के तरीके को कैसे आकार दे सकता है?