मनश्शे, वह आदमी जिसने उसके पति और उसके कुछ बच्चों को रुवान्डा नरसंहार में मार डाला था, को माफ करने के तरीके पर विचार करते हुए, बेआटा ने कहा, “मेरी क्षमा यीशु के द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित है l उसने हर समय हर बुरे कार्य के लिए दंड सहा l उसका क्रूस वह स्थान है जहाँ हम विजय पाते हैं─एकमात्र स्थान!” मनश्शे ने बेआटा को एक से अधिक बार जेल से लिखा था,  उससे─और ईश्वर से─क्षमा के लिए जब वह नियमित दुस्वप्नों द्वारा ग्रस्त होने का वर्णन किया l पहले तो वह कोई दया न कर सकी, यह कहते हुए कि वह उससे नफरत करती है क्योंकि उसने उसके परिवार की हत्या की थी l लेकिन फिर “यीशु उसके विचारों में दखल दिया,” और परमेश्वर की मदद से,  कोई दो साल बाद,  उसने उसे माफ कर दिया l

इसमें,  बेआटा ने यीशु का अपने शिष्यों को दिए गए निर्देश का अनुसरण किया कि जो पश्चाताप करते हैं उन्हें क्षमा करें l उसने कहा कि यद्यपि वह “दिन भर में . . . सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, ‘मैं पछताता हूँ,’ तो उसे क्षमा कर” (लूका 17:4) l लेकिन माफ करना बेहद मुश्किल हो सकता है,  जैसा कि हम शिष्यों की प्रतिक्रिया से देखते हैं : “हमारा विश्वास बढ़ा” (पद.5) l

माफ करने में असमर्थता को लेकर प्रार्थना में कुश्ती करते हुए बेआटा का विश्वास बढ़ गया l  यदि, उसकी तरह,  हम क्षमा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो हम परमेश्‍वर से उसकी पवित्र आत्मा के द्वारा पूछ सकते हैं कि वह हमें ऐसा करने में मदद करे l जैसे-जैसे हमारा विश्वास बढ़ता है, वह हमें माफ करने में मदद करता है l