हिमालय की तलहटी के पास, एक आगंतुक ने बिना खिड़कियों वाले घरों की एक पंक्ति को देखा l उनके मार्गदर्शक ने बताया कि कुछ ग्रामीणों को डर था कि जब वे सोते थे तो उनके घरों में राक्षस/दानव घुस सकते थे, इसलिए उन्होंने अभेद्य दीवारें बनायीं l  आप बता सकते हैं जब एक गृहस्वामी ने यीशु का अनुसरण करना शुरू किया क्योंकि उसने प्रकाश के अन्दर आने देने के लिए खिड़कियाँ लगा दीं l

एक समान गति बोधक हमारे अंदर आरंभ हो सकता है, हालांकि हम इसे उस तरह नहीं देख सकते हैं l हम डरावना, ध्रुवीकरण के समय में रहते हैं l शैतान और उसके अवदूत क्रोधी विभाजन पैदा करते हैं जो परिवारों और दोस्तों को विभाजित करते हैं l मुझे अक्सर अपनी दीवारों के पीछे छिपने का मन करता है l लेकिन यीशु चाहता है कि मैं एक खिड़की बनाऊं l

इस्राएल ने ऊंची दीवारों में शरण ली, लेकिन परमेश्वर ने कहा कि उनकी सुरक्षा उसके साथ है l वह स्वर्ग से राज्य करता है, और उसका वचन सभी पर शासन करता है (यशायाह 55:10-11) l अगर इस्राएल उसके पास लौट आएगा, तो ईश्वर उन पर “दया करेगा” (पद.7) और उन्हें संसार को आशीष देने के लिए अपने लोगों के रूप में पुनर्स्थापित करेगा (उत्पत्ति 12:1-3) l वह उन्हें उन्नत करेगा, अंततः उन्हें एक विजयी परेड/जुलूस में ले जाएगा l उनके उत्सव “से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा” (यशायाह 55:13) l

कभी-कभी दीवारें आवश्यक हैं l दीवारों के साथ खिड़कियाँ सबसे अच्छी हैं l वे संसार को दिखाती हैं कि हम भविष्य के लिए परमेश्वर पर भरोसा करते हैं l हमारे डर असली हैं l हमारा परमेश्वर उससे बड़ा है l खिड़कियाँ हमें यीशु की ओर खोलती हैं—“जगत की ज्योति” (यूहन्ना 8:12)—और दूसरों के लिए भी जिनको उसकी जरूरत है l