यीशु लेबिल(Jesus ।abel)
“बेटा, मेरे पास तुम्हें देने के लिए बहुत कुछ नहीं है । लेकिन मेरे पास एक अच्छा नाम है, इसलिए इसे नहीं बिगाड़ना ।” ये बुद्धिमान वजनी शब्द जेरोम के पिता ने कहे जब वह कॉलेज के लिए रवाना हुआ । जेरोम ने अपने पिता को उद्धृत किया जब उसने एक व्यवसायी एथलिट के रूप में मंच पर पुरस्कार प्राप्त किये । ये मूल्यवान शब्द जो जेरोम ने अपने सम्पूर्ण जीवन के दौरान अपने साथ ले कर चला इतने प्रभावशाली रहे हैं कि उसने अपने पुत्र से समान शब्द बोलते हुए अपना दिलचस्प भाषण समाप्त किया । “बेटा, मेरे पास अधिक कुछ नहीं है जो मैं तुम्हें दे सकता हूँ जो हमारे भले नाम से अधिक महत्वपूर्ण है ।”
एक अच्छा नाम यीशु में विश्वासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । कुलुस्सियों 3:12-17 में पौलुस के शब्द हमें उसके विषय याद दिलाते हैं जिसके हम प्रतिनिधि हैं (पद.17) । चरित्र एक वस्त्र की तरह है जो हम धारण करते हैं; और यह परिच्छेद “यीशु लेबिल(Jesus ।abe।)” के वस्त्र का प्रदर्शन(disp।ay) करता है । “इसलिए परमेश्वर के चुने हुओं के समान . . . बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो . . . एक दूसरे की सह लो और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो . . . इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबंध है बाँध लो” (पद.12-14) । यह केवल “रविवारीय वस्त्र” नहीं है । इन्हें हमें हर जगह, सब समय, पहनना है, जब परमेश्वर उसे प्रतिबिंबित करने के लिए हममें काम करता है । जब हमारे जीवन इन गुणों से चरितार्थ होते हैं, हम दर्शाते हैं कि हम उसका नाम धारण किये हुए हैं ।
जब वह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है हम प्रार्थनापूर्वक और सावधानी से उसका प्रतिनिधित्व करें ।
पवित्रशास्त्र का अध्ययन करना
जे. आई. पैकर (1926-2020), ने अपने उत्कृष्ट पुस्तक नोईंग गॉड(Knowing God) में, मसीह में चार प्रसिद्ध विश्वासियों के विषय बताया, जिन्हें उन्होंने “बाइबल के लिए उदबिलाव (beavers for the Bible)” संबोधित किया l “सभी प्रशिक्षित विद्वान नहीं थे, लेकिन जैसे एक उदबिलाव एक पेड़ को कुतर कर उसमें घुस जाता है, वैसे ही हर एक पवित्रशास्त्र को खा कर परमेश्वर को जानने के लिए बड़ी सावधानी बरतते थे l पैकर ने आगे ध्यान दिया कि बाइबल अध्ययन के द्वारा परमेश्वर को जानना केवल विद्वानों के लिए नहीं है l “एक साधारण बाइबल पढ़ने वाला और उपदेश सुनने वाला जो पवित्र आत्मा से भरा हुआ है एक अधिक दक्ष विद्वान जो धर्मवैज्ञानिक रूप से सही होने से संतुष्ट है की तुलना में अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के साथ कहीं अधिक गहरा जान-पहचान बना लेगा l
दुर्भाग्यवश, बाइबल का अध्ययन करनेवाले सभी लोग विनम्र दिलों के साथ उद्धारकर्ता को बेहतर तरीके से जानने और उसके समान बनने के लक्ष्य के साथ ऐसा नहीं करते हैं l यीशु के काल में पुराने नियम के ग्रंथों को पढ़ने वाले लोग थे, फिर भी पवित्रशास्त्र जिस एक व्यक्ति के बारे में कहता था उससे वे चूक गए l “तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनंत जीवन तुम्हें मिलाता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते” (यूहन्ना 5:39-40) l
क्या आप कभी-कभी बाइबल पढ़ते हुए खुद को ठगा हुआ पाते हैं? या क्या आपने शास्त्रों का पूरी तरह से अध्ययन करना छोड़ दिया है? बाइबल के “उदबिलाव” बाइबल पाठकों से अधिक हैं l वे प्रार्थना और ध्यान से पवित्रशास्त्र को उन तरीकों से पढ़ते हैं जो यीशु को देखने और उससे प्यार करने के लिए उनकी आँखें और दिल खोलते हैं──जो इसमें प्रकट हुआ है l
खाली हाथ
रितेश शर्मिंदा हुआ जब वह दोपहर के भोजन के लिए आया और उसे एहसास हुआ कि वह अपना बटुआ भूल आया था l यह उसे इस बिंदु तक परेशान किया कि उसने विचार किया कि वह बिलकुल ही भोजन नहीं करेगा अथवा केवल कुछ पीने के लिए ले लेगा l अपने मित्र से कुछ निश्चयक मिलने पर, उसने अपना प्रतिरोध शांत किया l वह और उसका मित्र भोजन का आनंद लिए, और उसके मित्र ने ख़ुशी से बिल का भुगतान किया l
शायद हम इस दुविधा या किसी अन्य स्थिति से पहचान बना सकते हैं जो आपको प्रापक बना देता है l अपना भुगतान करना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे अवसर आते हैं जब हमें उदारता से जो दिया जाता है उसे हम नम्रतापूर्वक स्वीकार कर लें l
लूका 15:17-24 में किसी तरह का भुगतान हो सकता है जो छोटे बेटे के मन में था जो वह सोच रहा था कि वह अपने पिता से कहेगा l “अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले” (पद.19) l “मजदूर?” उसके पिता के पास ऐसा कुछ नहीं होता! उसके पिता की दृष्टि में, वह एक बहुत ही प्यारा बेटा था जो घर लौटा था l उसी रूप में उसका सामना उसके पिता के आलिंगन और स्नेही चुम्बन से हुआ (पद.20) l सुसमाचार का कितना शानदार तस्वीर! यह हमें याद दिलाता है कि यीशु की मृत्यु द्वारा उसने प्रेमी पिता को प्रगट किया जो खाली-हाथ लेकर आये अपने बच्चों’ का स्वागत खुली बाहों से करता है l एक गीत के लेखक ने इसे इस प्रकार वर्णन किया : “छूछे हाथ मैं आता हूँ, तेरा क्रूस मैं पकड़ा हूँ(Nothing in my hand I bring Simply to Thy cross I cling) l”
जब हमें समझ में नहीं आता
“मुझे उसकी योजना समझ में नहीं आती है l मैंने अपना पूरा जीवन उसको दे दिया l और ऐसा हो रहा है!” एक माँ को बेटे का यह सन्देश मिला जब एक पेशेवर एथलीट के रूप में सफल होने का उसका सपना अस्थायी रूप से विफल हो गया l हम में से किसके पास किसी प्रकार का अप्रत्याशित, निराशाजनक अनुभव नहीं हुआ है जो हमारे मन को विस्मयबोधक और प्रश्नों के साथ अतिश्रम में भेजता है? एक परिवार सदस्य स्पष्टीकरण के बिना बातचीत बंद कर देता है; स्वास्थ्य लाभ उल्टा हो जाता है; एक कंपनी अप्रत्याशित रूप से स्थानांतरित हो जाती है; एक जीवन बदलने वाली दुर्घटना हो जाती है l
अय्यूब 1-2 अय्यूब के जीवन में त्रासदियों और असफलताओं की एक श्रृंखला दर्ज करती है l मानवीय रूप से, अगर कोई ऐसा व्यक्ति था जो मुसीबत से मुक्त जीवन के लिए योग्य था, तो वह अय्यूब था l “एक पुरुष था; वह खरा और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से दूर रहता था” (अय्यूब 1:1) l लेकिन जीवन हमेशा उस तरह से काम नहीं करता है जैसे हम चाहते हैं──यह अय्यूब के लिए नहीं था, और हमारे लिए भी नहीं है l जब उसकी पत्नी ने उसे “परमेश्वर की निंदा कर, और . . . मर [जाने]” की सलाह दी! (2:9), उसके लिए अय्यूब के शब्द हमारे लिए भी जब चीजें होती हैं──बड़ी या छोटी──विवेकी, शिक्षाप्रद और उपयुक्त हैं जो हम निश्चय ही सामना नहीं करते l “ ‘क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें”’ इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुँह से कोई पाप नहीं किया” (पद.10) l
परमेश्वर की सामर्थ्य से, उस पर हमारा विश्वास और श्रद्धा तब भी बनी रह सकती है, जब हम यह नहीं समझ सकते कि जीवन के कठिन दिनों में वह कैसे काम करता है l
भुलाया नहीं गया
“अंकल, क्या आपको वो दिन याद है जब आप मुझे नाई की दूकान और सुपरमार्केट में ले गए थे? मैं एक भूरे रंग का पैंट, एक नीली चारखानेदार स्वेटर, भूरे मोज़े, और भूरे रंग के जूते पहने था l वह दिन था गुरूवार, अक्टूबर 20, 2016 l” मेरे भांजे की स्वलीनता(autism)-सम्बंधित चुनौतियाँ उसके असाधारण स्मृति से दूर हो गई हैं जो किसी घटना के वर्षों बाद भी दिन और दिनांक और कपड़े जो वह पहना था याद रख सकता है l
जिस तरह से उसे बनाया गया है उसके कारण, मेरे भांजे के पास इस प्रकार की स्मृति है जो मुझे सर्वज्ञानी, प्रेमी परमेश्वर──समय और अनंतता का पालक──की याद दिलाता है l वह तथ्यों को जानता है और अपने वादों या अपने लोगों को नहीं भूलेगा l क्या आपके पास ऐसे क्षण हैं जब आपने सवाल किया हो कि परमेश्वर आपको भूल गया या नहीं भूला? जब दूसरे अधिक स्वस्थ, आनंदित या अधिक सफल या अन्यथा बेहतर दिखाई देते हैं?
प्राचीन इस्राएल की आदर्श से भी कम स्थिति ने उसके बोलने का कारण बना, “यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है” (यशायाह 49:14) l लेकिन मामला यह नहीं था l परमेश्वर की अनुकम्पा और देखभाल स्नेह के स्वाभाविक बंधन से अधिक था जो माताओं का अपने बच्चों के लिए होता है (पद.15) l “त्याग दिया है” या “भूल गया है” जैसे सूचक पत्र को अपनाने से पहले परमेश्वर ने अपने पुत्र, यीशु में और के द्वारा क्या किया है के विषय विचार करें l सुसमाचार में जो क्षमा लेकर आता है, परमेश्वर ने स्पष्ट कहा है, “मैं तुझे नहीं भूल सकता” (पद.15) l
पक्षपात और क्षमा
अन्याय सुधारने के बारे में एक संदेश सुनने के बाद, चर्च का एक सदस्य रोते हुए पास्टर के पास गया, क्षमा माँगी और स्वीकार किया कि उसने छोटी जाति के सेवक को अपने स्वयं के पूर्वाग्रह के कारण अपने चर्च के पास्टर होने के पक्ष में मतदान नहीं किया था l “मैं सच में चाहता हूँ कि आप मुझे क्षमा कर दें l मैं नहीं चाहता कि जातिवाद और पक्षपात का कचरा मेरे बच्चों में पहुँच जाए l मैंने आपको वोट नहीं दिया और मैं गलत था l” उनके आँसू और स्वीकारोक्ति सेवक के आँसू और क्षमा के साथ मिले l एक सप्ताह बाद, परमेश्वर ने उसके हृदय में कैसे कार्य किया था, इस बारे में उस व्यक्ति की गवाही सुनकर सम्पूर्ण कलीसिया आनंदित हुयी l
यीशु का चेला, और आरम्भिक कलीसिया का एक मुख्य अगुआ, को भी गैर-यहूदीयों के प्रति गलत धारणा के कारण सुधार की जरूरत पड़ी l गैर-यहूदियों के साथ खाना और पीना (जो अशुद्ध माने जाते थे), सामाजिक और धार्मिक नियम(प्रोटोकॉल) का उल्लंघन था । पतरस ने कहा,“तुम जानते हो, अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है” (प्रेरितों 10:28) l उसे यकीन दिलाने के लिए कि वह “किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न [कहे]” परमेश्वर की अलौकिक गतिविधि (पद.9-23) से कम कुछ भी नहीं लगा l
पवित्रशास्त्र का प्रचार, आत्मा की अभिशंसा, और जिन्दगी के अनुभवों द्वारा, परमेश्वर मनुष्य के हृदयों में दूसरों के प्रति हमारे भ्रष्ट परिपेक्ष्य को सुधारने का काम जारी रखता है l वह हमें देखने में मदद करता है कि “परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता” (पद.34) l
यह कल्पना करे!
लोकप्रिय टी.वी. कार्यक्रम घर नवीकरण के श्रृंखला के दौरान, दर्शक अक्सर मेजबान को यह कहते हुए सुनते हैं, “यह कल्पना करें!” फिर वह खुलासा करती है कि क्या होता है जब पुरानी चीज़े सुधार दी जातीं हैं और बेरंग दीवारें और फर्श को रंग और रंगत दे दी जाती हैं l एक एपिसोड में, नवीकरण के बाद गृहस्वामी इतना खुश हुआ कि, उत्साह के अन्य भावनाओं के साथ, शब्द “यह सुंदर है!” उसके होठों से तीन बार निकले l
एक अचम्भित करनेवाला परिच्छेद “यह कल्पना करें!” बाइबल में यशायाह 65:17-25 में है l पुनः सृजन का चकाचौंध करने वाला एक दृश्य! आकाश और पृथ्वी का भावी नवीकरण दृष्टि में है (पद.17), और यह केवल सुन्दरता बढ़ानेवाला नहीं है l यह गहरा और वास्तविक है, जीवन-परिवर्तन करनेवाला और जीवन संरक्षित करनेवाला है l “वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर उनका फल खाएँगे” (पद.21) l हिंसा अतीत की चीज होगी : “मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा” (पद.25) l
जबकि यह बदलाव जो यशायाह 65 में कल्पना की गयी है, भविष्य में पूर्ण होगा, वह परमेश्वर जो सार्वभौमिक नवीनीकरण को संयोजित करेगा इस समय जीवन-परिवर्तन के काम में है l प्रेरित पौलुस हमें आश्वस्त करता है, “इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैं” (2 कुरिन्थियों 5:17) । नवीनीकरण की जरूरत है? क्या आपकी जिन्दगी संदेह, अवज्ञा, और पीड़ा से टूटी हुयी है? यीशु के द्वारा जीवन-परिवर्तन वास्तविक और सुंदर है और हर एक माँगनेवाले और विश्वास करनेवाले के लिए उपलब्ध है l
भारी लेकिन आशावान
पीनट्स(Peanuts) कॉमिक स्ट्रिप(पट्टी) में, बहुत ही उत्साही चरित्र लूसी ने पांच सेंट(cent) के बदले में “मनोचिकित्सीय मदद” देने का विज्ञापन दिया l लाइनस उसके कार्यालय में आकर अपनी “उदासी की गहरी भावना” उसे बताया l जब उसने उससे पूछा कि वह अपनी स्थिति के बारे में क्या कर सकता है, तो लूसी का त्वरित उत्तर था, "इससे संभलो! कृपया, पांच सेंट दीजिये l”
जबकि इस तरह का सुकून देने वाला मनोरंजन एक क्षणिक मुस्कुराहट लाता है, वास्तविक जीवन में होने वाली उदासी और निराशा हमें जकड़ सकती है, जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किये जा सकता l निराशा और नाउम्मीदी की भावनाएं वास्तविक हैं, और कभी-कभी पेशेवर ध्यान देने की आवश्यकता होती है l
लूसी की सलाह वास्तविक पीड़ा को संबोधित करने में सहायक नहीं थी l हालाँकि, भजन 88 का लेखक कुछ शिक्षाप्रद और आशावादी सलाह देता है l मुसीबत से भरा एक ट्रक उसके दरवाजे पर आ गया l और इसलिए, नम ईमानदारी के साथ, उसने परमेश्वर के समक्ष अपना हृदय उंडेल दिया l “मेरा प्राण क्लेश से भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुँचा है” (पद.3) l “तू ने मुझे गढ़हे के तल ही में, अँधेरे और गहिरे स्थान में रखा है” (पद.6) l “अंधकार ही मेरा साथी है” (पद.18 Hindi-C.L.) l हम भजनहार की पीड़ा के विषय सुनते हैं, महसूस करते हैं, और शायद उसके साथ तादात्म्य स्थापित करते हैं l फिर भी, सब कुछ यह नहीं है l उसका विलाप आशा से पूर्ण है l “हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूँ l मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, और मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा” (पद. 1-2; देखें पद. 9, 13) l भारी चीजें आती हैं और व्यावहारिक कदम जैसे परामर्श और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है l लेकिन ईश्वर में कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए l
परमेश्वर के साथ युद्ध का सामना
अमेरिकी सेना के सैनिक डेसमंड डॉस के वीर कर्मों को 2016 की फिल्म हैक्सॉ रिज(Hacksaw Ridge) में चित्रित किया गया है l जबकि डॉस के दृढ़ विश्वास ने उसे मानव जीवन की हत्या करने की अनुमति नहीं दी, उन्होंने सेना के एक चिकित्सक के रूप में खुद के जीवन के जोखिम के बावजूद जीवन को सुरक्षित करने के लिए खुद को समर्पित किया l 12 अक्टूबर, 1945 को डॉस मेडल ऑफ ऑनर समारोह में पढ़े गए उद्धरणों में ये शब्द शामिल थे : “प्राइवेट फर्स्ट क्लास डॉस ने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया और बहुत से घायल लोगों के साथ गोलाबारी प्रभाव-क्षेत्र में बने रहकर, उन्हें एक-एक करके उठाकर किलाबंदी के ढलान के किनारे लाते गए . . . . l उन्होंने एक तोपची ऑफिसर(artillery officer) की मदद करने के लिए दृढ़तापूर्वक शत्रु की गोलाबारी और छोटे हथियारों की गोलीबारी का सामना किया l
भजन 11 में, दाऊद की यह धारणा कि उसका भरोसा परमेश्वर में था, उसे दुश्मनों का सामना करने से ज्यादा भागने के सुझाओं का विरोध करने पर विवश किया (पद.2-3) l पाँच सरल शब्दों में उसका विश्वास कथन समाविष्ट था : “मेरा भरोसा परमेश्वर पर है” (पद.1) l वह अच्छी तरह जड़वत धारणा उसके आचरण का मार्गदर्शन करनेवाली थी l
पद. 4-7 में दाऊद के शब्दों ने परमेश्वर की महानता को बढ़ाया l हां, जीवन कभी-कभी एक युद्ध भूमि की तरह हो सकता है, और विरोधी गोलाबारी हमें आश्रय के लिए तितर-बितर कर सकती है जब हम पर स्वास्थ्य की चुनौतियाँ या वित्तीय, संबंधपरक और आध्यात्मिक तनाव बमबारी करते हैं l तो हमें क्या करना चाहिए? स्वीकार करें कि परमेश्वर संसार का राजा है (पद.4); परिशुद्धता के साथ न्याय करने की उसकी अद्भुत क्षमता का आनंद लें (पद.5-6); और क्या सही, उचित और न्यायसंगत है की उसकी ख़ुशी में विश्राम करें (पद.7) l हम आश्रय के लिए परमेश्वर की ओर तेजी से दौड़ सकते हैं!