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Articles by सिंडी हेस कैस्पर

अनवरत प्रेम

हेडी और जेफ गर्म जलवायु वाले एक बाहरी देश में एक निर्धारित कार्य के बाद घर आए और अमेरिका के मिशिगन राज्य में परिवार के साथ कई महीनों तक रहे – बस सर्दियों का समय आने वाला था l यह पहली बार होगा जब उनके दस बच्चों में से कई ने बर्फ की प्राकृतिक सुंदरता देखी होगी ।

लेकिन सर्दियों के मौसम में बाहरी गर्म कपड़ों की ज़रूरत होती है, जिसमें कोट, दास्ताने, जूते शामिल हैं l एक बड़े परिवार के लिए, यह काफी महंगा उपक्रम होगा जो उन्हें आगे आने वाले ठंड के महीनों के लिए तैयार करेगा । लेकिन परमेश्वर ने प्रबंध किया । पहले, एक पड़ोसी ने जूते लाए, फिर बर्फ वाले पेंट, फिर टोपी और दस्ताने । फिर, एक मित्र ने अपने चर्च में दूसरों से परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए सभी बारह साइजों में विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े इकट्ठा करने का आग्रह किया । जब बर्फीला मौसम आया, तब तक परिवार के पास उनकी ज़रूरत के अनुकूल सब था l

जिन तरीकों से हम परमेश्वर की सेवा करते हैं, उनमें से एक है ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करना । पहला यूहन्ना 3:16-18 हमें खुद की संपत्ति की प्रचुरता से दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है । सेवा करने से हमें यीशु की तरह बनने में मदद मिलती है क्योंकि हम लोगों को उसके दृष्टिकोण से प्यार करना और देखना आरम्भ कर देते हैं l

परमेश्वर अक्सर अपने बच्चों का उपयोग जरूरतों को पूरा करने और प्रार्थनाओं का जवाब देने के लिए करता है l और जब हम दूसरों की सेवा करते हैं हमारे अपने हृदयों को प्रोत्साहन मिलता है  जैसे हम उन लोगों को प्रोत्साहित करते हैं जिनकी हम सेवा करते हैं । परिणामस्वरूप, हमारा अपना विश्वास बढ़ेगा जब परमेश्वर हमें नए तरीकों से सेवा के लिए सुसज्जित करता है

(पद.18) ।

लोग भूल जाते हैं

एक महिला ने अपने पास्टर से शिकायत की कि उसने उनके धर्मोपदेशों में बहुत दोहराव देखा है । "आप ऐसा क्यों करते हैं”? उसने प्रश्न क्या l उपदेशक ने उत्तर दिया, "लोग भूल जाते हैं।"

हमारे भूलने के अनेक कारण हैं - समय, उम्र में बढ़ना, या बस व्यस्त होने के कारण । हम पासवर्ड, लोगों के नाम भूल जाते हैं, या यहां तक ​​कि जहां हमने अपनी कार पार्क की थी l मेरे पति कहते हैं, "केवल इतना ही मैं अपने मस्तिष्क में रख सकता हूं । मुझे कुछ नया याद करने से पहले कुछ हटाना होगा ।”

उपदेशक सही था । लोग भूल जाते हैं । इसलिए हमें अक्सर याद दिलाने के लिए ताकीद  की ज़रूरत है कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है । इस्राएलियों में उसी तरह की प्रवृत्ति थी । यहां तक ​​कि उनके द्वारा देखे गए कई चमत्कारों के बावजूद, उन्हें अभी भी उसकी देखभाल की याद दिलाने की आवश्यकता थी । व्यवस्थाविवरण 8 में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को याद दिलाया कि उन्हें जंगल में भूख का अनुभव करने दी गयी, लेकिन फिर हर दिन उनके लिए एक अद्भुत सुपरफूड दिया गया - मन्ना । उसने ऐसे कपड़े दिए जो कभी नहीं पुराने हुए l उसने जंगल में उनका नेतृत्व किया जहाँ साँप और बिच्छू थे और एक चट्टान से पानी पिलाया l उन्होंने विनम्रता सीखी, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वे किस प्रकार परमेश्वर की देखभाल और प्रावधान पर पूरी तरह से निर्भर थे (पद.2–4, 15-18) ।

परमेश्वर की विश्वसनीयता “पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (भजन 100: 5) । जब भी हम अपने आप को भूलते हुए पाते हैं, हम उन तरीकों के बारे में सोच सकते हैं जैसे उसने हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर दिए हैं, और यह हमें उसकी अच्छाई और भरोसेमंद वादों की याद दिलाता है ।

मजबूत और साहसी

प्रत्येक रात, जब छोटे केलब ने अपनी आँखें बंद कीं, उसने महसूस किया कि अंधेरा उसे ढक रहा है । कोस्टा रिका में लकड़ी के घर की चरमराहट से उसके कमरे की चुप्पी लगातार स्थगित हो जाती थी l फिर अटारी में चमगादड़ अधिक सक्रिय हो गए । उसकी माँ ने उसके कमरे में  नाईट लाइट लगा दी थी, लेकिन छोटे लड़के को अभी भी अंधेरे का डर था । एक रात केलब के पिता ने उसके बिस्तर के पावदान पर बाइबल का पद लिख दिया l उसमें लिखा था : “मजबूत और साहसी बनो l भय न खा . . . क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा” (यहोशु 1:9) l केलब ने हर रात उन शब्दों को पढ़ना शुरू किया — और उसने अपने फुटबोर्ड पर लिखा वादा परमेश्वर से मिला हुआ महसूस किया जब तक वह कॉलेज नहीं गया ।

यहोशू 1 में, हमने मूसा के मरने के बाद यहोशू को दिए गए नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पढ़ा l  “मजबूत और साहसी” बनने की आज्ञा यहोशु और इस्राएलियों को कई बार दोहराई गई थी ताकि इसके महत्व पर जोर दिया जा सके (पद.6–7, 9) । निश्चित रूप से, उन्होंने एक अनिश्चित भविष्य का सामना करने के साथ ही घबराहट महसूस की, लेकिन परमेश्वर ने आश्वस्त होकर कहा, “जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूँगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझ को छोडूंगा” (यहोशु 1:5) l

भय का होना स्वाभाविक है, लेकिन लगातार भय की स्थिति में रहना हमारे शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । जिस तरह परमेश्‍वर ने पुराने समय के अपने सेवकों को प्रोत्साहित किया, उसी तरह हम भी उसके कारण जिसने हमेशा हमारे साथ रहने का वादा करता है मज़बूत और साहसी हो सकते हैं ।

भटक जाना

मवेशियों के खेतों के पास रहते हुए, माइकल नामक एक हँसानेवाला(Comedian) देखा करता था कि किस तरह चरते-चरते गायों के भटक जाने की सम्भावना रहती थी l एक गाय अच्छे "हरे चरागाहों" की तलाश में आगे बढ़ती है l खेत के किनारे पर, गाय को एक छायादार पेड़ के नीचे कुछ अच्छी ताजा घास मिल जाती है l बाड़े के एक टूटे हिस्से के ठीक उस पार खाने लायक स्वादिष्ट वनस्पति है । फिर गाय बाड़ से परे सड़क तक चली जाती है । वह धीरे-धीरे “चरते हुए” खो जाती है l

घूमने की समस्या में गाय अकेले नहीं होती हैं । भेड़ें भी भटकती हैं, और इस बात की संभावना है कि लोगों में भटकने की सबसे बड़ी प्रवृत्ति है ।

शायद यही एक कारण है कि परमेश्वर बाइबल में हमारी तुलना भेड़ों से करता है । लापरवाह समझौता और मूर्खतापूर्ण निर्णयों के द्वारा दिशाहीन होकर “मार्ग भटक जाना” सरल हो सकता है, और ध्यान नहीं देना कि हम सच्चाई से कितनी दूर भटक गए हैं l 

यीशु ने फरीसियों को एक खोई हुई भेड़ की कहानी सुनाई । भेड़ चरवाहे के लिए इतनी कीमती थी कि उसने अपनी दूसरी भेड़ों को पीछे छोड़ दिया जबकि उसने भटकी भेड़ को खोजा l और जब उसने भटकी हुई को खोज लिया, उसने जश्न मनाया! (लूका 15:1-7) ।

परमेश्वर की ऐसी प्रसन्नता उन लोगों पर है जो उनकी ओर फिरते हैं । यीशु ने कहा, “मेरे साथ आनंद करो, क्योंकि मेरी खोयी हुई भेड़ मिल गयी है”(पद.6) । परमेश्वर ने हमें बचाने और हमें घर लाने के लिए एक उद्धारकर्ता भेजा है ।

जाने देना

“आपके पिता की मृत्यु सक्रिय रूप से हो रही है,” मरणासन्न रोगियों के आश्रय स्थल(hospice) की नर्स बोली l “सक्रिय रूप से मृत्यु होना” मरने की प्रक्रिया की अंतिम चरण को संदर्भित करता है और मेरे लिए एक नया शब्द था, अजीब तरह से एक एकल सड़क पर यात्रा करने जैसा महसूस होना l मेरे पिता के अंतिम दिन, नहीं जानते हुए कि वे हमारी सुन पा रहे हैं कि नहीं, मेरी बहन और मैं उनके बिस्तर के निकट बैठ गए l हमने उनके सुन्दर गंजे सिर को चूमा l हमने उनको परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं फुसफुसायी l हमने एक गाना गया और 23वाँ भजन उद्धृत किया l हमने उन्हें बताया कि हम उनसे प्यार करते हैं और हमारे पिता होने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया l हमें पता था कि उनका दिल यीशु के साथ रहने के लिए लालायित था, और हमने उनसे कहा कि वह जा सकते हैं l उन शब्दों को बोलना जाने देने के लिए पहला कठिन कदम था l कुछ मिनटों के बाद, हमारे पिताजी का उनके शास्वत घर में ख़ुशी से स्वागत किया गया l

किसी प्रियजन का अंतिम छुटकारा कष्टदायक होता है l यहाँ तक कि यीशु के आँसू बह गए जब उसके अच्छे मित्र लाजर की मृत्यु हो गई (यूहन्ना 11:35) l लेकिन परमेश्वर के वादों के कारण, हमें शारीरिक मृत्यु के आगे आशा है l भजन 116:15 कहता है कि ईश्वर के “भक्त” – जो उसके हैं – उसके लिए “अनमोल” है l हालाँकि वे मर जाते हैं, वे फिर से जीवित होंगे l

यीशु प्रतिज्ञा करता है, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनंतकाल तक न मरेगा” (यूहन्ना 11:25-26) l यह जानने में हमें कितना सुकून मिलता है कि हम हमेशा के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे l

पसंदीदा

मेरे पति का भाई लगभग 2000 किलोमीटर दूर रहता है, वह हमेशा अपने परिवार का प्रिय सदस्य रहा है, उसके मज़ाक करने की असाधारण आदत और दयालु हृदय के कारण l जहाँ तक मैं याद रख सकता हूँ, हालाँकि, उसके भाई-बहनों ने अपनी माँ की आँखों में उसकी पसंदीदा स्थिति के बारे में नेकी से मज़ाक किया है l कई साल पहले, उन्होंने उसे इन शब्दों के साथ एक टी-शर्ट भी भेंट की थी, “मैं मॉम का फेवरिट(प्रिय) हूँ l” जबकि हम सभी ने अपने भाई-बहनों के भोलेपन का आनंद लिया, सच्चा पक्षपात/तरफदारी कोई मज़ाक का विषय नहीं है l

उत्पत्ति 37 में, हम याकूब के बारे में पढ़ते हैं, जिसने अपने बेटे यूसुफ को एक रंगबिरंगा अंगरखा दिया था – जो उसके अन्य बच्चों के लिए एक संकेत था कि युसूफ विशेष था (पद.3) l कुटिलता की झलक के बिना, अंगरखा का सन्देश चिल्लाया : “युसूफ मेरा पसंदीदा बेटा है l”

पक्षपात दिखाना एक परिवार में पंगु अशक्त कर देनेवाला हो सकता है l याकूब की माँ, रिबका ने, अपने बेटे एसाव की तुलना में उसको अधिक पसंद किया, जिससे दोनों भाइयों के बीच टकराव हुआ (25:28) l जब याकूब ने अपनी पत्नी लिआ के ऊपर अपनी पत्नी राहेल (युसूफ की माँ) की मदद की, तो कलह और गहन खिन्नता उत्पन्न हुई (29:30-31) l इसमें कोई शक नहीं कि यह नमूना युसूफ के भाइयों के लिए अपने छोटे भाई का तिरस्कार करने का अस्वास्थ्यकर आधार था, यहाँ तक कि उसकी हत्या की साजिश भी (37:18) l

जब हमारे संबंधों की बात आती है, तो हम इसे उद्देश्यपूर्ण होने के लिए कभी-कभी छली पाते हैं l लेकिन हमारा लक्ष्य सभी के साथ पक्षपात रहित व्यवहार करना और जीवन में हर व्यक्ति से प्रेम करना होना चाहिये जैसे हमारे पिता हमसे प्यार करते हैं (यूहन्ना 13:34) l

आत्मा के लय में

जब मैंने पियानो ट्यूनर को उस सुन्दर भव्य पियानो को ट्यून(सुर मिलाना) करते देखा, तो मैं उस समय के विषय सोचा जब मैंने इसी पियानो को “प्रभु महान विचारूं कार्य तेरे,” गीत को अविश्वसनीय, समृद्ध माधुर्य में बजते सुना था। लेकिन अब इस वाद्य को ट्यून करने की ज़रूरत थी। जबकि कुछ एक सुर आवाज़ में सही थे, अन्य तेज़ या सपाट थे, जिससे एक अप्रिय ध्वनि पैदा हो रही थी। पियानो ट्यूनर का काम सभी कुंजियों को समान ध्वनि बजाने की नहीं थी, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक सुर की अद्वितीय ध्वनि दूसरों के साथ मिलकर एक मनभावन सामंजस्यपूर्ण सम्पूर्णता बनाने की थी।
चर्च में भी हम विसंगति के सुर देख सस्कते हैं। अद्वितीय महत्वकांक्षा या प्रतिभा वाले लोग जब एक साथ मिलते हैं, तो एक विचित असंगति पैदा कर सकते हैं। गलातियों 5 में, पौलुस ने विश्वासियों से “झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट [और] डाह,” जो परमेश्वर और दूसरों के साथ संगति को नाश कर सकती है दूर करने का आग्रह किया। आगे पौलुस हमें आत्मा के फल को अपनाने के लिए उत्साहित करता है : “प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम” (पद.22-23) l
जब हम आत्मा में जीवन जीते हैं, तब हम अनावश्यक मामलों में व्यर्थ झगड़ों को आसानी से दूर रख सकेंगे। हमारे उद्देश्य की साझा भावना हमारे मतभेदों से अधिक हो सकती है। और परमेश्वर की मदद से, हम में से प्रत्येक अनुग्रह और एकता में बढ़ सकता है क्योंकि हम अपने दिलों को उसके साथ सुर में कर सकते हैं।

ख़ुशी के विचार

व्हाट वी कीप (What We Keep), विभिन्न लोगों के साथ साक्षात्कार का एक संग्रह में, साक्षात्कारकर्ता उनके साथ महत्त्व और ख़ुशी के केवल एक विषय के बारे में बात करता है जो वे पकड़ते हैं l कुछ जिससे वे कभी अलग नहीं हो सकते थे l  

इसने मुझे उन चीजों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जो मेरे लिए सबसे अधिक मायने रखती हैं और मुझे ख़ुशी देती हैं l एक मेरी माँ की लिखावट में एक साधारण चालीस वर्ष पुराना जन्मदिन कार्ड है l एक और मेरी दादी के गहनों का डिब्बा है l अन्य लोग कीमती यादों को महत्त्व दे सकते हैं – एक प्रशंसा, जिसने उन्हें प्रोसाहित किया, एक पोते/नाती की खिलखिलाहट, या एक विशेष अंतर्दृष्टि जिसे उन्होंने पवित्रशास्त्र से बटोरा हो l 

भले ही, जो हम अक्सर अपने दिलों में दबा कर रखते हैं, ऐसी चीजें है जो हमें बहुत दुखी करती हैं : चिंता – छिपी हुयी, लेकिन आसानी से फिर मिल जा सकती है l क्रोध – सतह के नीचे, लेकिन आक्रमण करने के लिए तत्पर l आक्रोश – चुपचाप हमारे विचारो के भीतरी भाग को खाता जाता है l 

प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के चर्च को लिखे एक पत्र में “सोचने” के लिए और अधिक सकारात्मक तरीका बताया l उसने चर्च के लोगों को हमेशा आनंदित रहने, कोमल होने और सब कुछ प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित करने के लिए प्रोत्साहित किया (फिलिप्पियों 4:4-9) l 

क्या सोचना चाहिए के विषय पौलुस के प्रेरक शब्द हमें यह देखने में मदद करता है कि अँधेरे विचारों को बाहर करना संभव है और परमेश्वर की शांति को हमारे हृदय और हमारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखने की अनुमति देता है (पद.7) l यह तब होता है जब हमारे मन को भरने वाले विचार सच्चे, श्रेष्ठ, सही, पवित्र, खूबसूरत, उत्कृष्ट, और प्रशंसनीय होते हैं जिससे हम अपने दिलों में उसकी शांति बनाए रखते हैं (पद.8) l 

जो तुम्हारे पास है उसे लेकर आओ

“पत्थर का सूप (Stone Soup)” कई संस्करण के साथ एक पुरानी कहानी, एक भूखे आदमी के बारे में बताती है जो एक गाँव में आता है, लेकिन कोई भी उसके लिए थोड़ा सा भोजन भी नहीं देता है l वह एक बर्तन में पानी और एक पत्थर डालकर आग पर चढ़ा देता है l चकित होकर, गाँव वाले उसे देखते हैं जब वह अपने “सूप” को चलाना शुरू करता है l आखिरकार, मिश्रण में डालने के लिए एक दम्पति आलू लाते है; दूसरे के पास कुछ गाजर है l एक व्यक्ति एक प्याज़ डालता है, एक और व्यक्ति मुट्ठी भर जौ डालता है l एक किसान थोड़ा दूध दे देता है l आखिर में, “पत्थर का सूप” स्वादिष्ट सूप बन जाता है l 

यह कहानी साझा करने के महत्त्व को दर्शाती है, लेकिन यह हमें याद दिलाती है कि हमारे पास क्या है, तब भी जब यह महत्वहीन लगता है l युहन्ना 6:1-14 में हमें एक ऐसे लड़के के बारे में पढ़ते हैं, जो एक बड़ी भीड़ में अकेला व्यक्ति प्रतीत होता है, जिसने कुछ खाना लेकर आने के बारे में सोचा था l मसीह के शिष्यों के पास लड़के की पांच रोटियों और दो मछलियों के दोपहर के भोजन का बहुत कम उपयोग था l लेकिन जब यह समर्पित कर दिया गया, तो यीशु ने इसे बढ़ाया और हज़ारों भूखे लोगों को खिलाया!

मैंने एक बार किसी को यह कहते सुना, “आपको पांच हज़ार को नहीं खिलाना है l आपको बस अपनी रोटियाँ और मछलियां पहुंचानी हैं l” जिस तरह यीशु ने एक व्यक्ति के भोजन को लेकर उसे किसी की अपेक्षाओं या कल्पना से कहीं अधिक गुणित कर दिया (पद.11), वह हमारे समर्पित प्रयासों, गुणों, और सेवा को स्वीकार करेगा l वह केवल चाहता है कि जो हमारे पास है हम उसे उसके पास लाने के लिए इच्छुक हो l