यह अद्भुत है!
अपनी प्राकृतिक अवस्था में हम सभी उससे से रहित हैं। (रोमियो 3:23)
यीशु उस का प्रकाश था (इब्रानियों 1:3), और जो उन्हें जानते थे, उन्होंने उस की महिमा देखी (यूहन्ना 1:14)।
उस तेज ने तम्बू को भर दिया (निर्गमन 40:34–35), और इस्राएली उसकी अगुवाई में आगे बढ़ते थे।
और प्रतिज्ञा की गई है कि अंत समय में स्वर्ग उससे उज्जवलित होगा, ऐसा उजाला कि चान्द और सूरज के उजाले का प्रयोजन ना होगा (प्रकाशित वाक्य 21:23)।
उपर दिए सभी वाक्यों में "उस" शब्द क्या दिखता है? "उस" परमेश्वर की महिमा दिखता है। और वे अद्भुत हैं!
बाइबिल बताती है कि हम इस पृथ्वी पर, जिसे उन्होंने बनाया है, हमारे निवास करने के कारण हम परमेश्वर की भव्य महिमा की झलक पा सकते हैं। परमेश्वर की महिमा का वर्णन उनके अस्तित्व के बाहरी प्रदर्शन के रूप में किया गया है। अपनी उपस्थिति और कार्यों को वे ब्रह्मांड के वैभव, हमारे उद्धार की विशालता और हमारे जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति में प्रकट करते हैं। परमेश्वर की महानता के प्रमाण के लिए-उनकी महिमा की खोज करें। आप इसे प्रकृति की सुंदरता, एक शिशु की हंसी, और दूसरों के प्यार में देख सकेंगे। परमेश्वर उनकी महिमा से पृथ्वी को भरते हैं।
प्रेम की एक "हाँ"
21 अगस्त, 2016 को कैरिसा ने लुइसियाना में आई विनाशकारी बाढ़ की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। अगले दिन बाढ़ ग्र्स्त क्षेत्र में मदद करने को उनके साथ चलने का आग्रह किया। चौबीस घंटे के भीतर वो अपने पति बॉबी और तेरह लोगों के साथ 1,000 मील की यात्रा पर थी।
ऐसा क्या है जो लोगों को सब कुछ छोड़ कर आशा प्रदान करने के लिए वहाँ जाने के लिए प्रेरित करता है जहाँ वे पहले कभी न गए हों? वह प्रेम है।
मदद मांगने के आग्रह के साथ उसने यह वचन भी पोस्टpost किया था: "अपने मार्ग की चिंता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा कर वही पूरा करेगा "(भजन 37:5)। यह विशेष रूप से तब सार्थक होता है जब हम मदद करने के लिए परमेश्वर की बुलाहट का अनुसरण करते हैं। प्रेरित यूहन्ना ने कहा, "वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे ..."(1 यूहन्ना 3:17) जब हम "वह करते हैं जो उन्हें भाता है तब हमारी मदद करने का परमेश्वर ने वादा किया है"। (22)
आवश्यकता पड़ने पर जब हमें लगे की परमेश्वर दूसरों के लिए कुछ करने के लिए हम से कह रहे हैं, तब हम स्वेच्छा से प्यार की एक "हाँ" से परमेश्वर का आदर कर सकते हैं।
मंत्रमुग्ध करने वाली महिमा
यूरोप की यात्रा में लैंडस्केप को रंग-बिरंगा बनाने वाले ग्रैंड कैथेड्रल्स का दौरा करने का अपना आनंद है। ये गगनचुम्बी भव्य इमारतें अद्भुत रूप से सुन्दर हैं। इन भवनों की वास्तुकला और यहाँ प्रयुक्त प्रतीकात्मकता विस्मय और वैभव का मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव देती हैं।
परमेश्वर की महिमा और उनके महानतम वैभव को प्रदर्शन करने वाले इन भवनों को देखकर, मैं सोचने लगा कि परमेश्वर की भव्यता का अनुभव हम अपने मन और मस्तिष्क में किस प्रकार पुनः संभव बना सकते हैं जिससे उनकी महानता हमें स्मरण रहे। हमें मानव निर्मित भव्य इमारतों से बड़कर उस महान रचना पर विचार करना चाहिए जिसे परमेश्वर ने रचा है। तारों से टिमटिमाती रात परमेश्वर के सामर्थ को दिखाती है, जिन्होंने अपने शब्द से सृष्टि की रचना की। किसी नवजात शिशु को बाँहों में उठाकर जीवन के चमत्कार के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। अलास्का के बर्फ़ीले पहाड़ों या विशालकाय अटलांटिक महासागर को देखें जो लाखों प्राणियों से भरे हैं जिनकी रचना परमेश्वर ने की है और ईकोसिस्टम चलाने वाली शक्ति की कल्पना करें।
ऊँची इमारतों से आकाश की ऊंचाईयां छूना गलत नहीं है, परन्तु हमारी सच्ची प्रशंसा परमेश्वर के लिए होनी चाहिए, जैसे लिखा है, "हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरे ही हैं।" (1 इतिहास 29:11)
परम्पराएं और क्रिसमस
इस क्रिसमस के समय जब आप कैंडी(टॉफी) खाते हैं, जर्मनी के लोगों से कहिये, “डंके स्कोन,”क्योंकि यह मिठाई सबसे पहले क्लोन में बनी थी l जब आपको पोइंसेटिया(एक प्रकार का पौधा) अच्छा लगे तो मेक्सिको वासियों से बोलिए “ग्रेसियास,” क्योंकि यह पौधा इसी देश का है l फ्रांस के लोगों से नोएल शब्द के लिए “मर्सीबियाउकूप” बोलें, और अपने मिसलटो(अमर बेल) के लिए अंग्रेजों की “प्रशंसा” करें l
किन्तु क्रिसमस के मौसम की अपनी परम्पराओं और उत्सवों अर्थात ऐसी रीति-रिवाजों को मानते हुए जो पूरे संसार में हैं, हम अपने भले, करुणामय, और प्रेमी परमेश्वर को अपना सबसे सच्चा और हृदयस्पर्शी “धन्यवाद” ज़रूर दें l 2,000 वर्ष से अधिक पहले यहूदा के चरनी में उस बालक के जन्म के कारण हम क्रिसमस उत्सव मानते हैं l एक स्वर्गदूत ने यह कहकर मानव जाति के लिए इस उपहार की घोषणा की थी, “मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ ... तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है” (लूका 2:10-11) l
इस बार क्रिसमस में, क्रिसमस ट्री की जगमगाती रोशनी में और उसके चारों ओर रखे नए उपहारों के बीच, अपना ध्यान यीशु बालक की ओर करने से ही सच्ची ख़ुशी मिलती है, जो “अपने लोगों का उनके पाप से उद्धार” करने आया” (मत्ती. 1:21) l उसका जन्म परम्पराओं से परे है : जब हम इस अवर्णनीय उपहार के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए उसकी प्रशंसा करते हैं वही हमारा केंद्र बिंदु है l
कटनी और धन्यवाद
कई हज़ार वर्ष पहले, परमेश्वर ने मूसा से सीधे बातें करके अपने लोगों के लिए एक नए पर्व की स्थापना की l मूसा के लेख अनुसार, निर्गमन 23:16 में, परमेश्वर ने कहा, “जब तेरी बोई हुयी खेती की पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्व मनाना l”
वर्तमान में, संसार के देश कुछ उसी तरह करते हुए देश की बहुतायत का उत्सव मनाते हैं l घाना देश में, लोग याम पर्व को कटनी उत्सव के रूप में मनाते हैं l ब्राज़ील में, डीया डी अकाओ डी ग्रेसास (Dia de Acao de Gracas) फसल के लिए धन्यवादी होने का समय है जिससे उनको भोजन मिला l चीन में, शरद ऋतू के मध्य (Moon) मून पर्व होता है l अमरीका और कनाडा में धन्यवाद पर्व होता है l
किसी कटनी उत्सव का उचित लक्ष्य समझने हेतु, हम जल प्रलय के तुरंत बाद नूह के पास चलें l मूसा ने नूह और उसके परिवार को और हमें भी पृथ्वी पर हमारी खुशहाली के लिए अपना श्रोत याद दिलाता है l पृथ्वी में मौसम, दिन और रात और “बोने और काटने” का समय हमेशा रहेगा (उत्पत्ति 8:22) l हमें पोषण देने वाली कटनी के लिए हमारा धन्यवाद, केवल परमेश्वर को जाता है l
चाहे जहाँ भी आप रहते हों या भूमि की उदारता का उत्सव मानते हैं, समय निकालकर परमेश्वर को धन्यवाद दें-क्योंकि उसकी अद्भुत रचनात्मक बनावट के बगैर हमारे पास उत्सव मनाने के लिए पैदावार न होती l
वह जानी मानी मुस्कराहट
हम दोनों पति पत्नी को पेरिस में लवरे(Louvre) अजायब घर देखने का अवसर मिला l मैंने अपनी ग्यारह वर्षीय पौत्री, एडी को फ़ोन कर उससे डा विन्ची की प्रसिद्ध चित्रकारी मोना लीसा की बात बतायी l एडी ने पूछा, “क्या वह मुस्करा रही है?”
क्या इस चित्र के विषय यह बड़ा प्रश्न नहीं है? लियोनार्डो डा विन्ची के द्वारा बनाए गए इस चित्र के 600 वर्षों बाद भी हम नहीं जानते कि यह स्त्री मुस्करा रही थी या नहीं l इस चित्र की ख़ूबसूरती द्वारा मंत्रमुग्ध होने के बाद भी, हम मोना लीसा के आचरण को नहीं जानते हैं l
“मुस्कराहट” उस चित्रकारी की जिज्ञासा का हिस्सा है l किन्तु फिर भी यह कितना महत्वपूर्ण है? क्या मुस्कराहट कुछ है जिसके विषय बाइबिल बताती है? वास्तव में, यह शब्द वचन में पाँच बार से कम आया है, और ऐसा कुछ नहीं जिसे हमसे करने को कहा गया है l हालाँकि, बाइबिल हमसे मुस्कराने वाला आचरण रखने को कहती है-अर्थात आनंद l हम लगभग 250 बार आनंद के विषय पढ़ते हैं : “मेरा हृदय प्रफुल्लित है,” दाऊद प्रभु के विषय विचार करते हुए कहता है (भजन 28:7) l हमें “यहोवा के कारण जयजयकार करना है” (भजन 33:1); परमेश्वर के नियम “मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं” (119:111); और “हम आनंदित हैं” क्योंकि “यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं” (126:3) l
स्पष्ट रूप से, परमेश्वर हमारे लिए सब कुछ करके आनंद देता है जो हमारे चेहरे पर मुस्कराहट लाती है l
रूत की कहानी
रूत रोकर ही अपनी कहानी बता सकती है l अस्सी से ऊपर और चलने फिरने में अयोग्य, रूत हमारे चर्च में मुख्य व्यक्ति नहीं लगती है l वह कहीं जाने के लिए दूसरों पर निर्भर है, और अकेली रहने के कारण उसके प्रभाव का क्षेत्र छोटा है l
किन्तु जब वह अपने उद्धार की कहानी बताती है-जो वह अक्सर करती है-रूत परमेश्वर के अनुग्रह की एक अद्भुत मिसाल है l जब वह 30 के आसपास की थी, एक सहेली उसे एक प्रार्थना सभा में ले गयी l रूत नहीं जानती थी कि वह एक उपदेशक की सुनने जा रही है l वह कहती है, “यदि मैं जानती तो कभी नहीं जाती l” वह पहले से “धर्म” में विश्वास करती थी जो उसके लिए लाभहीन था l किन्तु वह गयी l और उस रात उसने यीशु का सुसमाचार सुना l
अब, पचास वर्ष बाद, वह उसके जीवन को रूपांतरित करनेवाले यीशु की कहानी आनंद के आंसुओं के साथ बताती है l उस शाम, वह परमेश्वर की संतान बन गयी l उसकी कहानी कभी पुरानी नहीं होती l
इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि हमारी कहानी रूत की तरह है या नहीं l अर्थपूर्ण यह है कि हम यीशु और उसकी मृत्यु और उसके पुनरुत्थान में सरलता से विश्वास करें l प्रेरित पौलुस कहता है, “यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकार अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा” (रोमियों 10:9) l
रूत ने यही किया l आप भी कर सकते हैं l यीशु हमें छुड़ाता है, रूपांतरित करता है, और नया जीवन देता है l
कमरा नंबर 5020
जे बफन ने अपने हॉस्पिटल के कमरे को एक प्रकाशस्तंभ में बदल दिया l
बावन वर्षीय वृद्ध पति, पिता, हाई स्कूल शिक्षक, और कोच कैंसरग्रस्त था, किन्तु उसका कमरा नंबर 5020 मित्र, परिवार, और हॉस्पिटल कार्यकर्ताओं के लिए आशा का प्रकाशस्तंभ बन गया l उसके आनंदित आचरण और मजबूत विश्वास के कारण नर्सेज चाहती थीं कि उनकी ड्यूटी जे के कमरे में लगायी जाए l कुछ एक तो ड्यूटी समाप्त होने पर भी उससे मिलने आती थीं l
यद्यपि एक समय उसका मजबूत शरीर दुर्बल होता जा रहा था, वह सभी से मुस्कराकर और उत्साह के साथ मिलता था l एक मित्र ने कहा, “जे से हर मुलाकात के समय वह प्रसन्न, सकारात्मक और आशापूर्ण दिखाई देता था l कैंसर और मृत्यु सामने होने पर भी वह अपने विश्वास को जी रहा था l”
जे के अंतिम संस्कार के समय, एक वक्ता ने ध्यान दिया कि कमरा नंबर 5020 विशेष रूप से अर्थपूर्ण था l उसने उत्पत्ति 50:20 की ओर इशारा किया, जिसमें युसूफ कहता है कि यद्यपि उसके भाइयों ने उसे दासत्व में बेच दिया, परमेश्वर ने मेज को पलट दिया और कुछ भला संपन्न किया : “बहुत से लोगों के प्राण बचे l” जे को कैंसर हुआ, किन्तु परमेश्वर के कार्य को पहचानकर जे कह सका कि “परमेश्वर ने ... भलाई का विचार किया l” इसीलिए जे कैंसर के विनाश का उपयोग दूसरों को यीशु के विषय बताने में किया l
द्वार पर मृत्यु के दस्तक के बीच, हमारे उद्धारकर्ता में अडिग भरोसा की कितनी बड़ी विरासत! हमारे भले और भरोसेमंद परमेश्वर में भरोसे की कितनी बड़ी साक्षी!
बिल्कुल नया
कुछ वर्ष पूर्व एक प्रकाशक ने गलती की l एक पुस्तक बहुत वर्षों से बिक रही थी, इसलिए उसमें बदलाव ज़रूरी था l लेखक ने पुस्तक को पुनः लिखकर उसे बिल्कुल नया करना चाहा l किन्तु नए संकरण के प्रकाशन बाद, समस्या खड़ी हो गई l प्रकाशक ने नये आवरण के साथ पुरानी पुस्तक को छाप दी l
बाहरी आवरण साफ़ और नया था, किन्तु भीतर पुराना और पुराना l यह “नया संस्करण” नया नहीं था l
कभी-कभी लोग मानते हैं कि जीवन में बदलाव ज़रूरी है l बातें गलत दिशा में जा रही हैं l इसलिए हृदय में ज़रूरी बदलाव किये बिना बाहरी आवरण बदल देते हैं l वे किसी बाहरी आचरण को बदल देते हैं किन्तु समझते नहीं कि केवल परमेश्वर ही अन्दर का बदलाव ला सकता है l
यूहन्ना 3 में, निकुदेमुस ने ऐसा महसूस किया क्योंकि यीशु “परमेश्वर की ओर से” था (पद.2) l उसने बिल्कुल भिन्न बात बताया l यीशु के कहने पर निकुदेमुस ने पहचाना कि यीशू नए जन्म से कम कुछ नहीं देता है (पद.4) : उसे बिल्कुल नया बनने के लिए “नए सिरे” से जन्म लेना था (पद.7) l
बदलाव केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने से आता है l यह तब होता है जब “पुरानी बातें बीत” जाती हैं और “सब बातें नयी” हो जाती हैं (2 कुरिं. 5:17) l क्या आपको परिवर्तन चाहिए? यीशु में विश्वास करें l वही आपके हृदय को बदलकर सब कुछ बिल्कुल नया कर देता है l