धन की खोज
जॉन और मेरी अपनी भूसंपत्ति में अपने कुत्ते को घुमा रहे थे जब वे एक जंग लगे कनस्तर से जो हाल ही की बारिश के कारण धरती से थोड़ा बाहर दिखाई दे रहा था, ठोकर खाकर लड़खड़ा गए l उन्होंने उस कनस्तर को घर ले जाकर खोला, और उसमें उनको सौ साल से भी पुराने सोने के सिक्कों का गुप्त भण्डार मिला! दम्पति पुनः उस स्थान पर लौटकर सात और कनस्तरों को ढूँढ निकाला जिनमें कुल मिलकर 1,427 सिक्के थे l उसके बाद उन्होंने अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए दूसरी जगह गाड़ दिया l
उन सिक्कों के भण्डार (मूल्य $10 लाख) को सैडल रिज होर्ड(Saddle Ridge Hoard) कहा जाता है, जो अमरीकी इतिहास में अपने प्रकार की सबसे बड़ी खोज है l यह कहानी असाधारण रूप से यीशु द्वारा बताए गए एक दृष्टांत की याद दिलाता है : “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनंद के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया” (मत्ती 13:44) l
गड़े हुए धन की कहानियाँ सदियों से कल्पनाओं को जीती हैं, यद्यपि इस प्रकार की खोज बिरले ही होती है l परन्तु यीशु एक ऐसे धन के विषय बताते हैं जो उन सब की पहुँच में है जो अपने पापों का अंगीकार करते हैं और उसको ग्रहण करते हैं और उसका अनुसरण करते हैं (यूहन्ना 1:12) l
हम उस धन का थाह कभी नहीं लगा सकते हैं l जब हम अपने पुराने जीवन को छोड़ते हैं और परमेश्वर और उसके उद्देश्यों का पीछा करते हैं, हम उसके मूल्य जो जान जाते हैं l परमेश्वर हमारी कल्पना से परे हमें “अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु मे हम पर है, आनेवाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन”(इफिसियों 2:7) – उसके पुत्र और पुत्री के रूप में नया जीवन, इस पृथ्वी पर नया उद्देश्य, और उसके साथ समझ से बाहर अनंतता का आनंद - देता है l
प्रार्थना में लगे रहें
केविन ने अपनी आँखों से आंसू पोछा जब वह अपनी पत्नी, कैरी के पढ़ने के लिए कागज़ का एक टुकड़ा लिए हुए था l वह जानता था कि कैरी और मैं अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करते थे कि वह यीशु में पुनः विश्वास करने लग जाए l “यह पर्ची उसकी मृत्यु के बाद मेरी माँ की बाइबल में मिली, और मुझे आशा है कि यह तुम्हें प्रोत्साहित करेगी,” उसने कहा l उस पर्ची के ऊपरी भाग पर ये शब्द थे, “मेरे पुत्र, केविन के लिए l” उन शब्दों के नीचे उसके उद्धार के लिए एक प्रार्थना थी l
केविन ने समझाया, “मैं इस पर्ची को अपनी निजी बाइबल में रखता हूँ l” मेरी माँ ने मेरे उद्धार के लिए पैंतिस वर्षों से अधिक तक प्रार्थना की l मैं परमेश्वर से बहुत दूर था, और अब मैं विश्वासी हूँ l” वह हमारी ओर एक टक देखते हुए अपने आंसुओं में से मुस्कुराया : “अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करने में हार न मानना – चाहे जितना समय लग जाए l”
उसके प्रोत्साहन के शब्दों ने मुझे यीशु द्वारा लूका के सुसमाचार में प्रार्थना के विषय बताई गयी कहानी की भूमिका पर सोचने को विवश किया l लूका इन शब्दों के साथ आरम्भ करता है, “फिर [यीशु ने] इसके विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए, उनसे यह दृष्टांत कहा” (18:1) l
इस कहानी में, यीशु एक “अधर्मी न्यायी” (पद.6) जो केवल इसलिए एक निवेदन को मान लेता है क्योंकि वह आगे को और परेशान नहीं होना चाहता है, की तुलना सिद्ध स्वर्गिक पिता से करता है जो गहराई से हमारी चिंता करता है और इच्छित है कि हम उसके पास आएँ l जब भी हम प्रार्थना करते हैं हम उत्साहित हों कि परमेश्वर सुनता है और हमारी प्रार्थनाओं का स्वागत करता है l
उधार ली हुई आशीष
दोपहर के भोजन के समय, मेरे मित्र जेफ़ ने प्रार्थना की : “पिता, आपको धन्यवाद आपने हमें सांस लेने के लिए अपनी हवा और खाने के लिए अपना भोजन दिया है l” जेफ़ हाल ही में नौकरी छूटने की कठिनाई से गुज़रा था, इसलिए परमेश्वर में उसका भरोसा और स्वीकृति कि सब कुछ उसका है ने मुझे पूरी तरह प्रेरित किया l मैंने खुद को विचार करते हुए पाया : क्या मैं ईमानदारी से समझता हूँ कि मेरे जीवन में सबसे बुनियादी, दैनिक वस्तुएं भी वास्तव में परमेश्वर की ही हैं, और वह मुझे केवल उनका उपयोग करने दे रहा है?
जब राजा दाऊद यरूशलेम में मंदिर बनाने के लिए इस्राएलियों से भेंट स्वीकार किया, उसने प्रार्थना की, “मैं क्या हूँ और मेरी प्रजा क्या है कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है l” उसके बाद उसने आगे उसमें जोड़ा, “सब तेरा ही है” (1 इतिहास 29:14, 16) l
बाइबल हमें बताती है कि “सम्पति प्राप्त करने की सामर्थ्य” और आजीविका भी उसी की ओर से मिलती है (व्यवस्थाविवरण 8:18) l यह समझ कि सब कुछ जो हमारा है उधार ही का है इस संसार की वस्तुओं पर हमारी पकड़ को ढीला करके खुले हाथों और हृदय से जीने में हमें प्रोत्साहित करता है-उदारतापूर्वक साझा करते हुए क्योंकि हम प्रतिदिन नेकियों के लिए बहुत ही धन्यवादित है l
परमेश्वर उदार दाता है-इतना प्रेमी कि उसने ”हम सब के लिए” अपना पुत्र भी दे दिया (रोमियों 8:32) l इसलिए कि हमें बहुत अधिक मिला है, काश हम भी सभी छोटी और बड़ी आशीष के लिए उसे ह्रदय को छू जाने वाला अपना धन्यवाद प्रेषित करें l
कोई तुलना नहीं
मेरी मित्र सू की टिप्पणी-उसके पति के साथ दोपहर के भोजन पर अनौपचारिक रूप से की गई-पर मैं जोर से हंसा और इसपर मैंने विचार भी किया। सोशल मीडिया एक उत्तम वस्तु भी हो सकती है, जो हमें वर्षों और मीलों दूर बैठे मित्रों के साथ सम्पर्क में रहने और उनके लिए प्रार्थना करने में सहायता कर सकती है। परन्तु यदि हम सावधान नहीं हैं, तो यह जीवन का एक अवास्तविक दृष्टिकोण भी बना सकती है। जब हम “बढ़िया बातों” को और बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया हुआ देखते हैं, तो हम दूसरों के जीवन को बिना किसी कठिनाई वाला होने का विचार करने की ओर पथभ्रष्ट हो सकते हैं, और हम इस बात पर आश्चर्य करने लगते हैं कि हम ने क्या गलत किया है।
दूसरों के साथ अपनी तुलना करना नाखुश रहने का सबसे बढ़िया नुस्खा है। जब शिष्यों ने आपस में एक-दूसरे से तुलना की (देखें लूका 9:46; 22:24), यीशु ने इसे उसी समय समाप्त करवा दिया। अपने पुनरुत्थान के ठीक बाद यीशु ने पतरस को बताया कि वह अपने विश्वास के लिए किस प्रकार दुःख उठाएगा। तब पतरस यूहन्ना की ओर मुड़ा और पूछा, “प्रभु इसका क्या हाल होगा?” यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे इससे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।” (यूहन्ना 21:21-22) ।
यीशु ने पतरस का ध्यान बेकार की तुलना की सबसे अच्छी दवा की ओर किया। जब हमारे मन परमेश्वर और उसने हमारे लिए क्या किया की ओर केन्द्रित होते हैं, तो हमारा अपने ऊपर से ध्यान हट जाता है और हम उसके पीछे चलने के लिए ललायित रहते हैं। संसार की प्रतिस्पर्धा के दबाव और तनाव के स्थान पर वह हमें अपनी प्रेममय उपस्थिति और शान्ति देता है। उसकी तुलना किसी के साथ नहीं की जा सकती।
प्रार्थना करना और बढ़ना
जब मेरे मित्र डेविड की पत्नी को अल्जाइमर हुआ तो यह उसके जीवन में जो बदलाव लाया इसने उसे चिड़चिड़ा बना दिया। उनकी देखभाल करने के लिए उसे सेवानिवृत्त होना पड़ा और जब वह रोग बढ़ा, तब उनकी पत्नी को और देखभाल की जरूरत पड़ी।
“मैं परमेश्वर से बहुत नाराज़ था” उसने मुझे बताया। “परन्तु जितना मैंने इसके लिए प्रार्थना की, उतना ही उन्होंने मुझे मेरा हृदय दिखाया, कि मैं हमारे वैवाहिक सम्बन्ध में कितना स्वार्थी रहा था। ” जब उसने अंगीकार किया तो उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, “वह दस वर्षों से बीमार है, परन्तु परमेश्वर ने मुझे चीज़ों को भिन्न रूप से देखने में सहायता की है। अब जो कुछ मैं करता हूँ वह उसके लिए मेरे प्रेम के कारण करता हूँ, मैं वह यीशु के लिए भी करता हूँ। उसकी देखभाल करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी आशीष बन गया है।”
कई बार परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर हमें वह न देने के द्वारा देते हैं, जो हम चाहते हैं, परन्तु वह हमें बदलने की चुनौती देने के द्वारा उत्तर देते हैं। जब नबी योना क्रोधित था, क्योंकि परमेश्वर ने दुष्ट नगर नीनवे को विनाश से बचा लिया था, उतप्त सूर्य से उसे बचाने के लिए परमेश्वर ने एक पौधा उगाया (योना 4:6) । फिर उसने इसे सुखा दिया। जब योना ने शिकायत की, परमेश्वर ने उत्तर दिया, “तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है?” (पद 7-9) । योना ने बस अपने ऊपर ध्यान दिया, और इसी की जिद्द की। परन्तु परमेश्वर ने उसे दूसरों का ध्यान देने और उनपर दया करने की चुनौती दी।
कई बार परमेश्वर हमें सीखने और बढ़ने में हमारी सहायता करने के लिए हमारी प्रार्थनाओं का प्रयोग करता है। यही वह बदलाव है जिसका हम खुले दिल से स्वागत कर सकते हैं, क्योंकि वह अपने प्रेम के द्वारा हमें बदलना चाहता है।
अगाध प्रेम
जब वे पहली बार मिले, तो एडविन स्टैंटन ने यूएस के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से आलोचना की-यहाँ तक कि उन्हें “लम्बी बाँह वाला प्राणी” तक कह दिया। परन्तु लिंकन ने स्टैंटन की योग्यताओं की प्रशंसा की और उन्हें क्षमा कर देने को चुना, और उन्हें गृहयुद्ध के दौरान कैबिनेट के एक मुख्य पद पर नियुक्त किया। बाद में स्टैंटन लिंकन से एक मित्र के रूप में प्रेम में बढ़ते गए। यह स्टैंटन ही थे जो फोर्ड थिएटर में राष्ट्रपति को गोली लगने के बाद सारी रात उनके पलंग पर बैठे रहे थे और उनके देहान्त पर आंसुओं के साथ धीमे स्वर में बोले, “अब इन्हें पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।”
पुनर्मिलन एक खुबसूरत चीज़ है। प्रेरित पौलुस ने यीशु के अनुगामियों की ओर संकेत किया जब उसने लिखा, “एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढाँप देता है” (1 पतरस 4:8)। पतरस के शब्दों पर मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या वह यीशु का इन्कार करने (लूका 22:54-62) और यीशु के द्वारा उसे (और हमें) क्रूस के द्वारा क्षमा कर दिए जाने के बारे में सोच रहा था।
जिस अगाध प्रेम का प्रदर्शन यीशु ने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा किया, वह हमें हमारे पापों के ऋण से मुक्त करता और परमेश्वर के साथ हमारे पुनर्मिलन का मार्ग खोलता है (कुलुस्सियों 1:19-20)। उसकी क्षमा हमें दूसरों को क्षमा करने के लिए सशक्त करती है, जब हम इस बात का एहसास करते हैं कि हम अपनी ही सामर्थ से क्षमा नहीं कर सकते और हम उससे सहायता मांगते हैं। जब हम दूसरों से प्रेम करते हैं क्योंकि हमारा उद्धारकर्ता उनसे प्रेम करता और क्षमा करता है, क्योंकि परमेश्वर हमें अपने भूतकाल को छोड़ देने और उसके साथ अनुग्रह के सुन्दर स्थानों में आगे बढ़ जाने के लिए सामर्थ प्रदान करता है।
आशा की निश्चित बुनियाद
विश्वास के सबक अनापेक्षित स्थानों से भी मिल सकते हैं-जैसे मैंने एक सबक अपने 110 पाउन्ड के लेब्राडोर रिट्रीवर “बेयर” से सीखाl बेयर का पानी का कटोरा रसोई के एक कोने में रखा हुआ थाl जब कभी यह खाली होता था, तो वह भौंकता या अपने पंजे से इसकी ओर इशारा करता थाl या वह इसके पास चुपचाप लेट जाता और इन्तजार करता थाl कई बार तो उसे अनेक मिनटों तक इन्तजार करना पड़ता था, परन्तु बेयर ने भरोसा करना सीख लिया था कि आखिरकार मैं कमरे में आऊँगा, उसे वहाँ देखूँगा, और जो कुछ उसे चाहिए वह उसे उपलब्ध करवाऊंगाl उसके साधारण से विश्वास ने मुझे परमेश्वर पर भरोसा रखने की जरूरत को याद दिलायाl
बाइबल बताती है कि “विश्वास आशा की गई वस्तुओं का निश्चय और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है” (इब्रानियों 11:1)l इस निश्चय और आश्वासन की बुनियाद स्वयं परमेश्वर है, जो “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है” (पद 6)l उन सभी के लिए अपने वायदों को पूरा करने में परमेश्वर वफादार है जो विश्वास करते और यीशु के द्वारा उसके पास आते हैंl
कई बार “अनदेखी” वस्तुओं पर विश्वास करना आसान नहीं होता हैl परन्तु हम परमेश्वर की भलाई और उसके प्रेमी स्वभाव पर यह भरोसा करते हुए निर्भर हो सकते हैं कि उसकी बुद्धी सब बातों में सिद्ध है—तब भी जब हमें इन्जार करना पड़ता हैl जो वह कहता है उसे पूरा करने में वह वफादार है: हमारी अनन्त आत्माओं को बचाने और हमारी गम्भीर जरूरतों को पूरा करने में, इसी समय और सर्वदा के लिएl
सभी बातें नयी
कबाड़खाना मुझ में कुतूहल पैदा करते हैं l मुझे कारों पर कार्य करना पसंद है, इसलिए मैं अपने घर के निकट एक कबाड़खाना में जाता हूँ l यह एकांत स्थान है, जहां हवा टूटी और त्यागे हुए कबाड़ के बीच से फुसफुसाती है, जो कभी किसी की मूल्यवान सम्पति थी l कुछ टूट गए, कुछ पुराने, और दूसरे अपनी उपयोगिता को पार किये हुए l कारों की पंक्तियों के बीच से गुज़रता हुआ, कभी-कभी कोई कार मेरे नजरों में आ जाती है, और मैं उसके रोमांच के विषय सोचने लगता हूँ जिसमें से वह अपने “जीवन काल” में गुज़री होगी l अतीत के एक द्वार की तरह, हरेक कार के पास बताने के लिए एक कहानी है – मनुष्य की आधुनिकतम मॉडल की तीव्र उत्कंठा और समय के अपरिहार्य भाग के पीछे भागना l
किन्तु मैं ख़ास तौर से किसी पुराने हिस्से में नया जीवन खोजना चाहता हूँ l जब भी मैं कुछ त्यागी हुयी वस्तु उठाता हूँ और इसको एक ठीक किये गए वाहन में नया जीवन देता हूँ, यह समय और गिरावट के विरुद्ध एक छोटी विजय महसूस होती है l
यह मुझे बाइबल के अंत में यीशु के शब्दों पर विचार करने पर विवश करता है : “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूँ” (प्रकाशितवाक्य 21:5) l ये शब्द परमेश्वर द्वारा सृष्टि की नवीनीकरण का सन्दर्भ देता है, जिसमें विश्वासियों को सम्मिलित किया गया है l पहले से, यीशु को ग्रहण करनेवाले उसमें “नयी सृष्टि” हैं (2 कुरिन्थियों 5:17) l
एक दिन हम उसके साथ अनन्त दिनों की प्रतिज्ञा में प्रवेश करेंगे (यूहन्ना 14:3) l उम्र और बीमारी वहाँ नहीं होगी, और हम अनंत जीवनकाल के रोमांच में निरंतर रहेंगे l हममें से प्रत्येक के पास बताने के लिए क्या कहानी होगी – हमारे उद्धारकर्ता की छुटकारा देने वाले प्रेम की और अमर विश्वासयोग्यता की l
उस क्षण का प्रभु
कुछ समय पूर्व मैं अपने पुत्र के घर से तीन घंटे की दूरी पर एक निर्माण परियोजना में काम करता था l काम पूरा होने में अपेक्षाकृत अधिक दिन लग गए, और हर सुबह मेरी प्रार्थना होती थी हम सूर्यास्त तक काम ख़त्म कर लेंगे l किन्तु प्रत्येक शाम करने के लिए और काम निकल आते थे l
मैं सोचने लगा क्यों l क्या विलम्ब के लिए कोई कारण हो सकता था? अगली सुबह एक उत्तर मिला l औज़ार उठाते समय एक अपरिचित का फोन आया जिसे बहुत जल्दी थी : तुम्हारी बेटी के साथ दुर्घटना हो गयी है l तुम्हें तुरंत आना है l"
वह मेरे पुत्र के घर के निकट ही रहती थी, इसलिए मुझे उसके पास पहुँचने में केवल चौदह मिनट लगे l यदि मैं अपने घर पर होता, मुझे पहुँचने में तीन घंटे लगे होते l मैं एम्बुलेंस के साथ-साथ गया और सर्जरी से पहले उसे ढाढ़स दिया l जब मैं उसके हाथों को थामे हुए था मैं समझ गया कि यदि मेरी परियोजना विलंबित नहीं होती, मैं वहाँ नहीं होता l
हमारे क्षण परमेश्वर के हैं l इस तरह का अनुभव उस स्त्री का था जिसके पुत्र को परमेश्वर ने एलिशा नबी द्वारा जिलाया था (2 राजा 4:18-37) l उसने अकाल के कारण देश छोड़ दिया था और वर्षो बाद लौटकर राजा से अपनी भूमि मांगी l ठीक उसी समय राजा नबी के सेवक गहेजी से बात कर रहा था l "जब वह [गहेजी] राजा से यह वर्णन कर ही रहा था कि एलिशा ने . . . स्त्री के बेटे को . . . जिलाया था" वह स्त्री अन्दर आ गयी (8:5) l उसका अनुरोध पूरा किया गया l
हम नहीं जानते अगला क्षण क्या लेकर आएगा, किन्तु परमेश्वर हर एक स्थिति को भलाई में बदल देता है l परमेश्वर हमें आज हमारे लिए उसकी नियुक्तियों में उम्मीद से चलने के लिए अनुग्रह दे l