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Articles by जेम्स बैंक्स

प्रार्थना करने के लिए विराम (पॉज़) दबाएं

फायर हाइड्रेंट (पानी का नल) गली में घुस गया और मैंने अपना अवसर देखा। मेरे सामने कई कारें पानी की छीटें उड़ाती निकल  चुकी थीं, और मैंने सोचा फ्री वॉश पाने का क्या ही बढ़िया तरीका है! मेरी कार को एक महीने से साफ नहीं किया गया था और उस पर मोटी धूल जमी थी। इसलिए मैंने कार चला दी, और पानी की बाढ़ में चला गया।

यह इतनी तेजी से हुआ। उस सुबह मेरी काली कार पर सूरज पूरी तरह से चमका था, उसका शीशा और इंटीरियर गर्म हो गया था। लेकिन हाइड्रेंट का पानी ठंडा था। जैसे ही ठंडे पानी की बौछारें गर्म विंडशील्ड से टकराए, ऊपर से नीचे तक बिजली की तरह एक दरार आ गई। मेरी फ्री कार वॉश मुझे बहुत महंगी पड़ गई।

काश मैंने सोचने या यहाँ तक कि प्रार्थना करने के लिए पहले से ही “पॉज़ दबा” दिया होता। क्या आपके साथ  कभी ऐसा हुआ है? इस्राएल के लोगों के साथ हुआ, अधिक कठिन परिस्थितियों में। परमेश्वर ने उन्हें अन्य राष्ट्रों को बाहर निकालने में मदद करने का वादा किया था क्योंकि वे उस देश में प्रवेश कर रहे थे जिसे उसने उन्हें दिया था (यहोशू 3:10), ताकि वे झूठे देवताओं द्वारा परीक्षा में न पड़ें (व्यवस्थाविवरण 20:16–18)। लेकिन राष्ट्रों में से एक ने इज़राइल की जीत को देखा और बासी रोटी का इस्तेमाल करके उन्हें विश्वास दिलाया कि वे बहुत दूर रहते हैं। इस्राएलियों ने अपने भोजन का नमूना लिया, परन्तु यहोवा से कुछ न पूछा। तब यहोशू ने शांति की सन्धि की (यहोशू 9:14–15), अनजाने में परमेश्वर के निर्देशों को दरकिनार करते हुए।

जब हम प्रार्थना को अंतिम के बजाय पहला उपाय बनाते हैं, तो हम ईश्वर की दिशा, ज्ञान और आशीर्वाद को आमंत्रित करते हैं। क्या वह आज हमें  पॉज़ दबाना याद रखने में मदद कर सकता है।

 

एक आशीष के द्वारा चलना

1799 में 12 साल के कोनार्ड रीड ने अपने परिवार के छोटे खेत से होकर बहती  हुई नदी में एक बड़ा, चमचमाता पत्थर पाया। वह अपने पिता, एक गरीब अप्रवासी किसान, को दिखाने घर लेकर गया । उसके पिता ने उस पत्थर के संभावित मूल्य को नहीं समझा। और उसे दरवाजा रोकने के लिए इस्तेमाल किया। वह परिवार वर्षों तक उस पत्थर के आस पास चलता रहा। 

कोनार्ड का पत्थर वास्तव में एक 17पौंड सोने का डला था । एक स्थानीय जौहरी ने उसे देखा जल्द ही वह रीड परिवार अमीर हो गया, और उनकी संपत्ति अमेरिका में पहला प्रमुख गोल्डस्ट्राइक का स्थल बना।

कभी–कभी हम अपनी योजनाओं और तरीकों के इरादे से एक आशीष से आगे बढ़ते हैं। परमेश्वर की अवज्ञा करने के कारण इस्राएल को बाबुल में निर्वासित किए जाने के बाद, उसने एक बार फिर उनके लिए स्वतंत्रता की घोषणा की। लेकिन उसने उन्हें यह भी याद दिलाया कि वे क्या चूक गए थे। उसने उनसे कहा, “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुम्हें सिखाता है कि तुम्हारे लिए सबसे अच्छा क्या है, जो तुम्हें उस मार्ग पर ले जाता है जिस पर तुम्हें चलना चाहिए। यदि तूने मेरी आज्ञाओं पर ध्यान दिया होताए तो तेरी शान्ति नदी के समान, तेरा कल्याण समुद्र की लहरोंके समान होता।” फिर परमेश्वर ने उन्हें पुराने तौर–तरीकों से दूर एक नए जीवन में अपने पीछे चलने के लिए प्रोत्साहित कियार, “बाबुल को छोड़ दो — जयजयकार करते हुए इसकी घोषणा करो” (यशायाह 48:17–18, 20) ।

बाबुल छोड़ने का, शायद जो उस समय मतलब था, अब भी वही है,— पापमय मार्गों को छोड़ना, और एक ऐसे परमेश्वर के पास “घर आना” जो हमारे लिये अच्छा करने के लिए तरसता है, यदि केवल हम उसकी आज्ञा का पालन करें और उसका अनुसरण करें!

प्रेम सहित देखभाल

मेरा 4 वर्ष का पोता मेरी गोदी में बैठकर अपने हाथों से मेरे सिर को थपथपाते हुए, और ध्यान से देखते हुए पूछा, “दादाजी, “आपके बाल कहाँ गए?” “ओह, मैं हँसा, “मैंने इसे वर्षों में खो दिया l” उसका चेहरा चिन्ताशील हो गया : “यह तो बहुत ख़राब है,” उसने प्रतिउत्तर दिया l “मुझे अपने कुछ बाल आपको देना होगा l” 

उसके तरस पर मैं मुस्कुराया और उसे गले लगाने के लिए उसे अपनी और खींचा l बाद में मेरे लिए उसके प्रेम पर विचार करते हुए उस अभिलाषित क्षण ने मुझे परमेश्वर के निस्वार्थ, उदार प्रेम पर विचार करने को विवश किया l   

जी. के चेस्टरटन ने ऐसा लिखा है : “हमने पाप किया है और बूढ़े हो गए हैं, और हमारे पिता हमसे जवान हैं l” इससे उसका तात्पर्य यह था कि “एक प्राचीन युग-पुरुष” (दनिय्येल 7:9. BSI Hindi-C.L) पाप के क्षय से शुद्ध है─परमेश्वर शाश्वत है और हमसे बहुतायत से प्रेम करता है जो कभी भी डिगता या मुरझाता नहीं है l वह पूर्ण रूप से इच्छुक और यशायाह 46 में अपने लोगों से किये गए वादों को पूरी करने में सक्षम है : “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा” (पद.4) l 

5 पदों के बाद वह समझाता है, परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं” (पद.9) l वह महान “मैं हूँ” (निर्गमन 3:14) हमसे इतना गहरा प्रेम किया कि उसने हमारे पाप का पूर्ण भार उठाने के लिए क्रूस पर मरने की चरमसीमा तक गया, ताकि हम उसकी ओर मुड़ सकें और अपने बोझ से स्वतंत्र होकर सर्वदा उसकी उपासना कर सकें!

हर पल का सदुपयोग

उत्तरी कैरोलिना के विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के लेखागार(archive) में पॉकेट घड़ी की ठहरी हुए सुइयाँ एक डरावनी कहानी सुनाती हैं l वे सुइयाँ ठीक क्षण(8.19 और 56 सेकंड) अंकित करती हैं जब घड़ी का मालिक एलिशा मिशेल जून 27, 1857 की सुबह अपालाचिया पहाड़ में एक जलप्रपात से फिसल मर गए l  

मिशेल, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, उस शिखर पर जहाँ वे थे खुद के किए गए (सही) दावे के बचाव के लिए डेटा जुटा रहे थे─आज जो उनके नाम से पुकारा जाता है, माउंट मिशेल─ मिसीसिपी के पूर्व में सबसे ऊंचा है l उनकी कब्र पर्वत के शिखर पर स्थित है l यह उस जगह से बहुत दूर नहीं जहां से वह गिरे थे।

अभी हाल ही में जब मैं उस पर्वत शिखर पर गया, मैंने मिशेल की कहानी और स्वयं की नश्वरता और हममें से हर एक के पास इतना ही समय है पर विचार किया l फिर मैंने यीशु मसीह के उन शब्दों पर ध्यान दिया जो उसने अपनी वापसी के विषय चेलों से जैतून के पहाड़ पर कहे थे : “इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा”(मत्ती 24:44)।

यीशु मसीह स्पष्टता से संकेत करता हैं कि हममें से कोई भी नहीं जानता कि वह किस घड़ी लौटेगा और सर्वदा के लिए अपना राज्य स्थापित करेगा अथवा कब वह हमें इस संसार को छोड़ने और उसके पास जाने के लिए l परंतु वह हमसे तैयार रहने और “जागते”(पद.42) रहने के लिए कहता है l 

टिक . . .  टिक . . . l हममें से प्रत्येक के जीवन की “घड़ी के पुर्जे” चलते रहते हैं─लेकिन कितने समय तक? हम अपने करुणामाय उद्धारकर्ता के साथ अपने पलों को प्रेम में जीते हुए उसका इंतज़ार और उसके लिए कार्य करते रहें l 

साक्षी चिन्ह

“उसे देखें?” घड़ी साज़ ने हमारे घर में पुरानी बड़ी दीवार घड़ी की मरम्मत करते समय अपनी टॉर्च की रोशनी घड़ी में एक छोटे से चिन्ह पर चमकाया l उसने कहा “इसे लगभग एक शताब्दी पहले किसी अन्य घड़ी साज़ ने लगा दिया होगा।“ “जिसे ‘साक्षी चिन्ह’ कहा जाता है, और इससे   मुझे इस घड़ी की यंत्रावली को ठीक करने के विषय सहायता मिलती है।“

तकनीकी खबरों और मरम्मत नियमावलियों के युग से पहले “साक्षी चिन्ह” का प्रयोग कर भविष्य में सूक्ष्मता से चलनेवाले पुर्जों को मिलाने के लिए मरम्मत करने वाले व्यक्ति की मदद करने में उपयोग किया जाता था l जिन्हें समय बचाने से बढ़कर उस दूसरे व्यक्ति के लिए नेंकी के एक चिन्ह स्वरूप छोड़ा जाता था जो उस पर बाद में काम करेगा।

जबकि हम परमेश्वर के कार्य में कार्यरत हैं तो बाइबल हमें इस बिखरी दुनिया में अपने साक्षी चिन्हों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। पौलुस रोम की कलीसिया को लिखता है कि “हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये प्रसन्न करे  कि उसकी उन्नति हो” (रोमियो 15:2)। यह हमारे परमेश्वर का उदाहरण है जो “धीरज, और शान्ति का दाता” है, (पद 5)। यह पृथ्वी और स्वर्ग दोनों के अच्छे नागरिक बनना है।

हो सकता है कि हमारा साक्षी चिन्ह छोटी सी बात दिखे, परंतु वह किसी के जीवन में बहुत बड़े अंतर को ला सकता है। प्रोत्साहन का शब्द, आवश्यकता में किसी व्यक्ति को एक आर्थिक उपहार, और एक सुनने वाले कान─यह सभी नेकी के चिन्ह हैं जिनका प्रभाव बहुत लंबे समय तक रहता है। परमेश्वर दूसरों के जीवन में आपके द्वारा एक साक्षी चिन्ह बनाने में आपकी सहायता करें।

परमेश्वर में प्रोत्साहित

1925 में, एक महत्वाकांक्षी लेखक, लैंगस्टन ह्यूज, जो एक होटल में सहायक वेटर के रूप में काम कर रहे थे,  ने पाया कि एक कवि जिन्हें वह बहुत पसंद करते थे (वेचल लिंडसे) वहाँ एक अतिथि के रूप में रह रहे थे। ह्यूज ने हिचकते हुए लिंडसे को अपनी खुद की कुछ कविताएँ पहुँचा दी, जिनकी लिंडसे ने बाद में एक सार्वजनिक पठन दौरान उत्साहपूर्वक प्रशंसा की। लिंडसे के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप ह्यूज को विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई, जिससे वह अपने स्वयं के सफल लेखन आजीविका के रास्ते पर आगे बढ़ गए।

थोड़ा सा प्रोत्साहन बहुत आगे बढ़ा सकता है, खासकर तब जब परमेश्वर उसमें हो। पवित्रशास्त्र एक घटना के बारे में बताती है जब दाऊद राजा शाऊल से भाग रहा था, जो "उसकी जान लेने" की कोशिश कर रहा था। शाऊल के पुत्र योनातान ने दाऊद को ढूंढ़ निकाला, "और परमेश्वर [में] ढाढ़स दिलाया l उसने उससे कहा, ‘मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा’” (1 शमूएल 23:15-17)।

योनातान सही था। दाऊद को राजा होना था। योनातान द्वारा दिए गए प्रभावी प्रोत्साहन का मूल सरल वाक्यांश "परमेश्वर [में]" (पद 16 )पाया जाता है। यीशु के द्वारा, परमेश्वर हमें "अनंत शांति और उत्तम आशा" दी है (2 थिस्सलुनीकियों 2:16)। जब हम अपने आप को उसके सामने नम्र करते हैं, तो वह हमें इस प्रकार ऊंचा करता करता है जैसा कोई नहीं कर सकता।

हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर द्वारा दिए गए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। यदि हम भी उन्हें वैसे ही ढूंढ़ते हैं जैसे योनातान ने दाऊद को ढूंढा और कोमल वचन या कार्य के द्वारा उन्हें धीरे से परमेश्वर की ओर केंद्रित करते है, तो वह बाकी का काम पूरा करेगा। इस जीवन में चाहे जो भी हो, अनंत काल में एक उज्ज्वल भविष्य उन लोगों की प्रतीक्षा करता है जो उस पर भरोसा करते हैं।

परमेश्वर में सीखना

हेरिएट टूबमैन पढ़ या लिख ​​​​नहीं सकता था। एक किशोर के रूप में, उसे एक क्रूर दास स्वामी के हाथों सिर में चोट लगी थी। उस चोट के कारण उसे जीवन भर दौरे पड़ते रहे और होश खो बैठा। लेकिन एक बार जब वह गुलामी से बच गई, तो परमेश्वर ने उसे तीन सौ अन्य लोगों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया।

जिन लोगों ने उन्हें मुक्त किया, उनके द्वारा उपनाम “मूसा” रखा गया, हेरिएट ने दूसरों को बचाने के लिए पूर्व-गृह युद्ध दक्षिण में बहादुरी से उन्नीस यात्राएं कीं। वह तब भी जारी रही जब उसके सिर पर कीमत थी और उसकी जान लगातार खतरे में थी। यीशु में एक समर्पित आस्तिक, वह हर यात्रा पर एक भजन और एक बाइबिल ले जाती थी और दूसरों को उसके छंद पढ़ते थे, जिसे वह स्मृति के लिए प्रतिबद्ध करती थी और अक्सर उद्धृत करती थी। “मैंने हर समय प्रार्थना की,” उसने कहा, “मेरे काम के बारे में, हर जगह; मैं हमेशा प्रभु से बात कर रहा था।” उन्होंने छोटी-छोटी सफलताओं का श्रेय भी ईश्वर को दिया। उसका जीवन आरंभिक मसीहियों के लिए प्रेरित पौलुस के निर्देश की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति थी: “हमेशा आनन्दित रहो, लगातार प्रार्थना करो, सभी परिस्थितियों में धन्यवाद दो; क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:16-18)।

जब हम पल में परमेश्वर में झुक जाते हैं और प्रार्थना में निर्भर रहते हैं, हमारी कठिनाइयों के बावजूद उनकी स्तुति करते हैं, तो वे हमें सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों को भी पूरा करने की शक्ति देते हैं। हमारा उद्धारकर्ता हमारे सामने आने वाली किसी भी चीज़ से बड़ा है, और जब हम उसकी ओर देखते हैं तो वह हमारी अगुवाई करेगा।

प्यार का सबसे बड़ा उपहार

मेरा बेटा ज्योफ एक दुकान से बाहर आ रहा था, जब उसने जमीन पर एक बैसाखी (अपाहिज का सहायक) पड़ी हुयी देखी। मुझे आशा है कि वहाँ कोई व्यक्ति नहीं है जिसे मदद की ज़रूरत है, उसने सोचा। उसने इमारत के पीछे देखा और फुटपाथ पर एक बेघर व्यक्ति को बेहोश पाया।

ज्योफ ने उसे जगाया और पूछा कि क्या वह ठीक है। "मैं खुद को मौत के घाट उतारने की कोशिश कर रहा हूं," उसने जवाब दिया। “तूफान में मेरा तम्बू टूट गया, और मैंने सब कुछ खो दिया। मैं जीना नहीं चाहता।"

ज्योफ ने एक मसीही पुनर्वास सेवकाई को बुलाया, और जब वे मदद के लिए इंतजार कर रहे थे, वह शीघ्र घर भागा और उस आदमी के लिए अपना कैम्पिंग तम्बू लेकर आया l "तुम्हारा नाम क्या है?" ज्योफ ने पूछा। "जेफ्री," बेघर आदमी ने उत्तर दिया, "G अक्षर से शुरू होनेवाला l”  ज्योफ ने अपने नाम या इसकी असामान्य वर्तनी का उल्लेख नहीं किया था। "पिताजी," उसने मुझसे  बाद में कहा, "वह मैं हो सकता था।"

ज्योफ एक बार स्वयं मादक द्रव्यों के सेवन से जूझ रहा था, और उसने उस व्यक्ति की मदद की क्योंकि वह उस दयालुता के कारण था जो उसने परमेश्वर से प्राप्त की थी। यशायाह भविष्यद्वक्ता ने यीशु में हम पर परमेश्वर की दया की आशा करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया : "हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया" (यशायाह 53:6)।

मसीह, हमारे उद्धारकर्ता, ने हमें खोया हुआ, अकेला और निराशा में आशाहीन नहीं छोड़ा। उसने हमारे साथ पहचान स्थापित करने और हमें प्रेम में ऊपर उठाने के लिए चुना, ताकि हम उसमें नए सिरे से जीने के लिए स्वतंत्र हो सकें। इससे बड़ा कोई उपहार नहीं है।

जब प्यार कभी खत्म नहीं होता

"जब भी मेरे दादाजी मुझे समुद्र तट पर ले जाते," प्रियंका ने याद दिलाया, "वे हमेशा अपनी घड़ी उतार देते थे और दूर रख देते थे। एक दिन मैंने उससे पूछा क्यों।"

"उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, 'क्योंकि मैं चाहता हूं कि तुम यह जानों कि तुम्हारे साथ मेरे पल मेरे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। मैं बस तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं और समय को बीतने देना चाहता हूं।'”

प्रियंका ने उस याद को अपने दादा के अंतिम संस्कार में साझा किया। यह उनके साथ उसके जीवन की उसकी पसंदीदा यादों में से एक थी। जैसा कि मैंने इस पर विचार किया कि जब दूसरे हमारे लिए समय निकालते हैं तो यह हमें कितना मूल्यवान महसूस कराता है, इसने परमेश्वर की प्रेमपूर्ण देखभाल पर पवित्रशास्त्र के शब्दों को ध्यान में लाया।

परमेश्वर हमेशा हमारे लिए समय निकालते हैं। दाऊद ने भजन संहिता 145 में प्रार्थना की, "तू अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है l यहोवा अपनी  सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करूणामय है। जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है।” (पद 16-18)।

परमेश्वर की भलाई और विचारशील ध्यान हमारे जीवन को हर पल बनाए रखते हैं, हमें सांस लेने के लिए हवा और खाने के लिए भोजन प्रदान करते हैं। क्योंकि वह प्रेम के धनी है, सभी चीजों के निर्माता, दयालुता से हमारे अस्तित्व के सबसे जटिल विवरणों को भी गढ़ता है।

परमेश्वर का प्रेम इतना गहरा और अंतहीन है कि उसकी दया और मेहरबानी में उसने अपनी उपस्थिति में अनन्त जीवन और आनंद का मार्ग भी खोल दिया है, जैसे कि यह कहने के लिए, "मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ, और समय बीतने देना चाहता हूँ l”