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Articles by जेम्स बैंक्स

शेर, मेमना, उद्धारकर्ता!

दो आलीशान पत्थर के शेर न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी के प्रवेश द्वार पर नजर रखते हैं। 1911 में पुस्तकालय के समर्पण के बाद से संगमरमर से बने, वे गर्व से वहां खड़े हैं। पुस्तकालय के संस्थापकों को सम्मानित करने के लिए उन्हें पहले लियो लेनॉक्स और लियो एस्टोर का उपनाम दिया गया था। लेकिन महामंदी के दौरान, न्यूयॉर्क के महापौर फिओरेलो लागार्डिया ने उनका नाम दृढता और धैर्य रख दिया, वे गुण जो उन्होंने सोचा कि न्यूयॉर्क के लोगों को उन चुनौतीपूर्ण वर्षों में प्रदर्शित करना चाहिए। शेरों को आज भी दृढता और धैर्य कहा जाता है।

बाइबिल एक जीवित, शक्तिशाली शेर का वर्णन करता है जो मुसीबत में भी प्रोत्साहन देता है और अन्य नामों से जाना जाता है। स्वर्ग के अपने दर्शन में, प्रेरित यूहन्ना रोया जब उसने देखा कि कोई भी परमेश्वर की न्याय और छुटकारे की योजना वाली मुहरबंद पुस्तक को खोलने में सक्षम नहीं है। तब यूहन्ना से कहा गया, “मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह . . . उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिए जयवंत हुआ है" (प्रकाशितवाक्य 5:5)।

फिर भी अगले ही पद में, यूहन्ना कुछ और पूरी तरह से वर्णन करता है: "तब मैं ने उस सिंहासन . . . के बीच में, मानो एक वध किया हुआ मेमना खड़ा देखा” (पद 6)। सिंह और मेम्ना एक ही व्यक्ति हैं : यीशु। वह विजयी राजा है और "परमेश्वर का मेम्ना, जो जगत का पाप उठा ले जाता है!" (यूहन्ना 1:29)। उसकी ताकत और उसके क्रूस के द्वारा, हम दया और क्षमा प्राप्त करते हैं ताकि हम आनंद में रह सकें और आश्चर्य कर सकें कि वह हमेशा के लिए है!

घाटी में हमारे साथ

जब हैना विल्बरफ़ोर्स (प्रसिद्ध अमेरिकी राजनीतिज्ञ के चाची) मरने पर थी, उसने एक पत्र लिखा जिसमें उसने यीशु में एक साथी विश्वासी की मृत्यु के बारे में बताया : “वह प्रिय व्यक्ति धन्य है जो महिमा में प्रवेश कर गया है, अब यीशु की उपस्थिति में है, जिसे वह देखे बिना प्यार करता था l मेरा हृदय आनंद से उछल पड़ा l” उसके बाद उसने अपनी स्थिति का वर्णन किया : “मैं, बेहतर या बदतर; यीशु, हमेशा की तरह भला l”

उनके शब्द मुझे भजन 23 के विषय सोचने को विवश करते हैं, जहाँ दाऊद लिखता है, “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई   तराई [मृत्यु की छायावाली तराई] में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है” (पद.4) l ये शब्द पन्ने से बाहर कूदकर निकल आते हैं क्यों वे वहां हैं, मृत्यु की छाया वाली तराई के बीच, जहाँ दाऊद का परमेश्वर के विषय वर्णन अत्यंत व्यक्तिगत हो जाता है l वह भजन के आरम्भ में परमेश्वर के विषय बात करने के बाद──”यहोवा मेरा चरवाहा है”(पद.1) ──उससे बात कर रहा है : “क्योंकि तू मेरे साथ रहता है”(पद.4, italics जोड़ा गया है) l 

यह जानना कितना आश्वस्त करनेवाला है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जिसने “पृथ्वी और जगत की रचना की” (90:2) इतना तरस खानेवाला है कि वह सबसे कठिन स्थानों में भी हमारे साथ चलता है l चाहे हमारी परिस्थिति बेहतर या बदतर हो जाए, हम अपने चरवाहा, उद्धारकर्ता, और मित्र की ओर मुड़ सकते हैं और उसे “हमेशा अच्छा” ही पाएंगे l इतना भला कि मृत्यु स्वयं ही परास्त हो जाती है, और हम “यहोवा के धाम में सर्वदा वास [करेंगे]” (23:6) l 

अव्यवस्था से सन्देश तक

डैरिल बास्केटबॉल दिग्गज था जिसने अपने जीवन को नशीली पधार्थ से लगभग नष्ट कर दिया l लेकिन यीशु ने उसे स्वतंत्र कर दिया, और वह वर्षों से मुक्त है l वर्तमान में वह नशे से संघर्ष कर रहे लोगों की मदद करता है और उन्हें विश्वास की ओर ले जाता है l पीछे मुड़कर देखते हुए, वह पुष्टि करता है कि परमेश्वर ने उसकी अव्यवस्था को सन्देश में बदल दिया l 

परमेश्वर के लिए कुछ भी कठिन नहीं है l जब यीशु अपने चेलों के साथ गलील सागर में एक तूफानी रात के बाद एक कब्रिस्तान  के निकट पहुँचा, अँधकार से ग्रस्त एक व्यक्ति तुरंत उसके पास आया l यीशु ने उस दुष्टात्मा से बोला जो उस व्यक्ति के अन्दर थीं, उन्हें निकाल दिया, और उसे स्वतंत्र कर दिया l 

जब यीशु जाने लगा, तो वह व्यक्ति यीशु के साथ आना चाहा l लेकिन यीशु ने अनुमति नहीं दी, क्योंकि उसके पास उस व्यक्ति के लिए काम था जिसे उसे करना था : “अपने घर जाकर अपने लोगों को बता कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिए कैसे बड़े काम किये हैं” (मरकुस 5:19) l 

हम उस व्यक्ति को फिर कभी नहीं देखते हैं, लेकिन पवित्रशास्त्र हमें कुछ पहेलीनुमा दिखता है l उस क्षेत्र के लोग यीशु से “[चले जाने]” (पद.17) के लिए विनती करने लगे, लेकिन जब वह अगली बार वहां लौटा, एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई  (8:1) l क्या वह भीड़ का इकठ्ठा होना यीशु द्वारा उस व्यक्ति को भेजे जाने का परिणाम था? क्या यह हो सकता है कि वह, जो किसी वक्त अन्धकार से ग्रस्त था, पहला मिशनरी बन गया, जो यीशु की बचाने वाली सामर्थ्य को फैला रहा था?

हम स्वर्ग के इस हिस्से को कभी नहीं जान पाएंगे, लेकिन इतना तो स्पष्ट है l जब परमेश्वर हमें सेवा करने के लिए स्वतंत्र करता है, वह एक अव्यवस्थित अतीत को आशा और प्रेम के सन्देश में बदल सकता है l 

दया और अनुग्रह

एक तेजस्वी सूरजमुखी तेज गति पथ से कुछ फीट की दूरी पर, राष्ट्रीय राजमार्ग के एक सुनसान विस्तार के बीच में अपने दम पर खड़ा था, l जब मैंने उसके पास से अपनी गाड़ी निकाली, मुझे आश्चर्य हुआ कि वह वहाँ कैसे उगा था जबकि मीलों तक सूर्यमुखी के पौधे दिखाई नहीं दे रहे थे l केवल परमेश्वर ही एक पौधे को इतना कठोर बना सकता था कि वह धूसर बजरी में सड़क के इतने करीब मध्य रेखा के किनारे बढ़ सकता था l वहां वह था, बढ़ रहा था, हवा में झूम रहा था और गति से जा रहे यात्रियों का अभिवादन कर रहा था l 

पुराने नियम में यहूदा के एक विश्वासयोग्य राजा की कहानी बताई गई  है जो अप्रत्याशित रूप से दिखाई दिया l उसके पिता और दादा ने उत्साहपूर्वक अन्य देवताओं की उपासना की थी; लेकिन योशिय्याह आठ साल तक राज्य करने के बाद, “[जब] वह लड़का ही था [उसने] अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा” (2 इतिहास 34:3) l उसने यहोवा के भवन की मरम्मत कराने के लिए” श्रमिक भेजे (पद.8), और जब वे काम कर रहे थे उन्हें व्यवस्था की पुस्तक (पुराने नियम की पहली पांच पुस्तकें; पद.14) मिली l तब परमेश्वर ने योशिय्याह को यहूदा के सम्पूर्ण राष्ट्र को विश्वास में लौटने में अगुवाई करने के लिए प्रेरित किया, और वे लोग “उसके (योशिय्याह) जीवन भर” (पद.33) प्रभु की सेवा करते रहे l 

हमारा परमेश्वर अप्रत्याशित दया का स्वामी है l वह जीवन की सबसे प्रतिकूल परिस्थितयों के कठिन बजरी से अप्रत्याशित रूप से अत्यधिक भलाई उत्पन्न करने में सक्षम है l उसे करीब से देखें l वह आज फिर से ऐसा कर सकता है l 

सुनना मायने रखता है

“तुरंत आ जाइए l हम एक बर्फ के चट्टान से टकरा गए हैं l” ये प्रथम तीन शब्द आर एम एस कारपाथिया(Carpathia) के वायरलेस ऑपरेटर, हेरोल्ड कोट्टम के थे, जो डूबते हुए आर एम एस टाइटैनिक(Titanic) से अप्रैल 15, 1912 को 12.25 बजे सुबह प्राप्त हुए थे l कारपाथिया (Carpathia) तबाही स्थल पर पहुंचकर 706 जीवनों को बचानेवाला पहला जहाज़ होने वाला था l  

कुछ दिनों के बाद अमेरिकी सिनेट की सुनवाई में, कारपाथिया(Carpathia) के कप्तान, आर्थर रोस्ट्रोन ने गवाही दी, “सब कुछ ईश्वरकृत था . . . . l वायरलेस ऑपरेटर उस समय अपने कक्ष में था, कोई भी शासकीय काम बिलकुल नहीं था, लेकिन कपड़े बदलते समय यूँही सुन रहा था . . दस मिनट के भीतर शायद वह सो गया होता, और वह उस सन्देश को नहीं सुना होता l”

सुनना मायने रखता है──विशेषकर परमेश्वर को सुनना l भजन 85 के लेखक, कोरहवंशियों, ने लिखते समय ध्यानपूर्वक आज्ञाकारिता का आग्रह किया, “मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त हैं, शांति की बातें करेगा; परन्तु वे फिरके मुर्खता न करने लगें l निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट हैं”(पद.8-9) l उनकी ताड़ना विशेषकर मार्मिक है क्योंकि उनके पूर्वज कोरह ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था और बियाबान में नाश हो गए थे (गिनती 16:1-35) l 

जिस रात टाइटैनिक डूबा, एक और जहाज़ नजदीक था, लेकिन वायरलेस ऑपरेटर सो चुका था l यदि वह संकट संकेत सुना होता और भी जानें बच गई होतीं l जब हम परमेश्वर की शिक्षा को सुनकर उसकी आज्ञा मानते हैं, वह जीवन के अत्यधिक अशांत जल में भी होकर जाने में हमारी मदद करेगा l

प्रार्थना और धूल और तारे के विषय

अदिति और आकाश तुरंत बच्चा चाहते थे, लेकिन उनके चिकित्सक ने उनसे कहा कि वे एक बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं । अदिति ने एक मित्र से कहा : “मैंने खुद को परमेश्वर  के साथ कुछ बहुत ही ईमानदार बात करते हुए पाया ।” लेकिन यह उन “बातचीत” में से एक के बाद उसने और आकाश ने अपने पास्टर से बात की, जिन्होंने उन्हें अपने चर्च में गोद लेने की सेवा के बारे में बताया l एक साल बाद उन्हें एक दत्तक बच्चे की आशीष मिली l 

उत्पति 15 में, बाइबल हमें एक और ईमानदार बातचीत के बारे में बताती है──यह संवाद अब्राम और परमेश्वर के बीच था । परमेश्वर ने उससे कहा था, “हे अब्राम, मत डर; . . . तेरा अत्यन्त बड़ा प्रतिफल मैं हूँ” (पद.1) । परन्तु, अपने भविष्य के बारे में परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विषय अनिश्चित, अब्राम ने खुलकर उत्तर दिया : “हे प्रभु यहोवा मैं तो निर्वंश हूं . . . अतः तू मुझे क्या देगा?” (पद.2) l 

पूर्व में परमेश्वर ने अब्राम से वायदा किया था, “मैं तेरे वंश को पृथ्वी की धूल के किनकों के समान बहुत करूंगा,”(13:16) अब अब्राम ने──बहुत ही मानवीय क्षण में── उसे परमेश्वर को याद दिलाया । लेकिन परमेश्वर के उत्तर पर ध्यान दे : उसने अब्राम को ऊपर देख

कर “तारागन को गिन──क्या तू उनको गिन सकता है?,” कहकर उसे आश्वस्त किया, और यह संकेत दिया कि उसका वंश ऐसा ही होगा (15:5) ।

परमेश्वर कितना अच्छा है, न केवल ऐसी स्पष्ट प्रार्थना की अनुमति देने में लेकिन कोमलता से अब्राम को आश्वस्त करने में भी! बाद में, परमेश्वर उसका नाम अब्राहम (बहुतों का पिता) कर दिया l अब्राहम की तरह, आप और मैं खुले तौर पर उसके साथ अपना हृदय साझा कर सकते हैं और जान सकते हैं कि हम उस पर करने के लिए भरोसा कर सकते हैं जो हमारे लिए और दूसरों के लिए सर्वोत्तम है l 

केवल परमेश्वर पर भरोसा

कुछ लोग आपसे कह सकते हैं कि कुछ ख़ास “भाग्यशाली तंत्र-मन्त्र” ने उनके लिए अच्छा भाग्य लेकर आया l कुछ के लिए यह ‘सजावटी मछली’ है दूसरों के लिए यह विशेष सिक्के, पारिवारिक विरासत या शुभ दिन है । वस्तुएं जो सुख लाने वाली मानी जाती हैं और जिसके लिए बहुत से लोग बहुत समय और ध्यान लगाते हैं l 

शुभ भाग्य में सार्वभौमिक विश्वास विभिन्न संस्कृतियों में खुद को अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शित करता है l यह हमारे परम सुख के लिए परमेश्वर के साथ सम्बन्ध के अतिरिक्त  कुछ और──पैसा या मानव शक्ति या धार्मिक परम्परा भी──में भरोसा करने की हमारी मानवीय प्रवृति की ओर संकेत करता है l परमेश्वर ने अपने लोगों को इसके प्रति आगाह किया जब अश्शूर के आक्रमण ने धमकाया, और उन्होंने अपने पापों से मुड़ने और व्यक्तिगत रूप से उसकी ओर मुड़ने की जगह फिरौन की मदद खोजी : “प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, ‘लौट आने और शांत रहने में तुम्हारा उद्धार है; शांत रहने और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है । परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, तुम ने कहा, “नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे l” इसलिये तुम भागोगे!’” (यशायाह 30:15-16) l  

उनका “अभियान” विफल रहा (जैसे कि परमेश्वर ने कहा था कि वह होगा) और अश्शूर ने यहूदा को पूरी तरह पराजित कर दिया । लेकिन परमेश्वर ने अपने लोगों से यह भी कहा था, “तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे l” इसके बावजूद भी जब हमने कमतर वस्तुओं पर भरोसा रखा है, परमेश्वर फिर भी, उसके पास लौटने में हमारी मदद करने के लिए अपना हाथ फैलाता है l “क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं” (पद.18) l 

न्याय का परमेश्वर

शायद यह इतिहास का सबसे महान “बलि की गाय” थी। हम नही जानते कि उसका नाम डेज़ी, मेडलिन, या ग्वेंडोलिन था (हर एक नाम सुझाया गया नाम है), पर शिकागो में 1871 की आग के लिए श्रीमती ओ’लियरी की गाय को दोषी माना गया जिसके कारण शहर का हर तीसरा निवासी बेघर हो गया था l लकड़ियों की संरचनाओं में से गुज़रती हुयी आग तेज हवा के कारण तीन दिनों तक जलती रही और लगभग तीन-सौ लोगों की जान ले ली l

कई वर्षों तक, लोगों को यह लगा कि किसी गौशाले में रात को जलती हुयी लालटेन को उस गाय द्वारा ठोकर मारने के कारण आग लगी थी l अगली छानबीन के बाद──126 साल बाद──पुलिस और अग्नि की शहरी समिति ने स्वीकृत प्रस्ताव पारित कर गाय और उसके मालिक को दोषमुक्त करते हुए पड़ोसियों की अनुबद्ध जांच का सुझाव दिया l 

न्याय अक्सर समय लेता है, और पवित्र शास्त्र स्वीकार करता है कि यह कितना मुश्किल हो सकता है l राग में दोहराने के शब्द, "कब तक?" भजन 13 में चार बार दोहराए गए हैं, “हे परमेश्वर, कब तक?” क्या सदैव मुझे भुला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझसे छिपाए रहेगा? मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियाँ करता रहूँ, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं? कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?” (पद. 1-2) l लेकिन अपने विलाप के मध्य, दाऊद विश्वास और आशा का कारण ढूंढ लेता है : “परन्तु मैंने तो तेरी करुणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा (पद.5) ।”

यहाँ तक कि जब न्याय विलंबित होता है, परमेश्वर का प्रेम हमें कभी धोखा नहीं देगा l हम उस में भरोसा कर सकते हैं और आराम पा सकते है न केवल उस पल के लिए परन्तु हमेशा के लिए l

उसके लायक या योग्य

अफ्रीकी कांगो में एक अंग्रेजी मिशनरी चिकित्सक हेलेन रोजवेयर को 1964 में सिम्बा विद्रोह के दौरान विद्रोहियों द्वारा कैदी बना लिया गया था l बंदी बनानेवालों ने उन्हें पीटा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया, उसने बहुत कष्ट भोगा l उसके बाद के दिनों में,  उसने खुद से पूछा, “क्या वह  इसके लायक है?”

जब वह यीशु के पीछे चलने की कीमत पर विचार करने लगी तो उसने परमेश्वर को उससे उसके विषय बात करते हुए महसूस किया l वर्षों बाद उसने एक साक्षात्कारकर्ता को समझाया, “जब विद्रोह के दौरान भयानक क्षण आए और कीमत चुकाना बहुत बड़ा लग रहा था, तो प्रभु मुझसे बात करता हुए प्रतीत हुआ, ‘प्रश्न को बदल दो l ऐसा नहीं है, ‘क्या वह लायक है?’ यह ऐसा है ‘क्या मैं उसके लायक हूँ?’” ’उसने निष्कर्ष निकाला कि दर्द के बावजूद उसने सहन किया था, “ हमेशा जवाब है हाँ, वह योग्य है l’” ’

अपने खौफनाक आजमाइश के दौरान परमेश्वर के अनुग्रह के कार्य के कारण,  हेलेन रोजवेयर ने फैसला किया कि वह उद्धारकर्ता जिसने उसके लिए मृत्यु सही, उसका अनुसरण करना योग्य था  चाहे वह जिसका भी सामना कर रही थी l उसके शब्द, “वह योग्य है” प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में यीशु के सिंहासन के चारों ओर के लोगों की पुकार की प्रतिध्वनि है l “और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, ‘वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ्य और धन और ज्ञान के योग्य है!’” (5:12) l

हमारे उद्धारकर्ता ने दुःख उठाया और लहू बहाया और हमारे लिए मृत्यु सही, खुद को पूरी तौर से बलिदान कर दिया, ताकि हम सेंत-मेंत में अनंत जीवन और आशा प्राप्त करें l उसका सम्पूर्ण हमारे सम्पूर्ण की मांग करता है l वह योग्य है!