टूटे हृदय की प्रार्थना
“प्रिय स्वर्गिक पिता, मैं प्रार्थना करने वाला आदमी नहीं हूँ, लेकिन अगर आप ऊपर वहाँ हैं, और आप मुझे सुन सकते हैं, तो मुझे रास्ता दिखाएँ l मैं अपनी समस्या का हल ढूँढ़ने में असमर्थ हूँ l" यह प्रार्थना हिम्मत हार चुके जॉर्ज बेली द्वारा फुसफुसायी गयी, जो प्रसिद्ध अंग्रेजी फिल्म इट्स ए वंडरफुल लाइफ(It’s a Wonderful Life) का एक चरित्र है । अब उस प्रतिष्ठित दृश्य में उसकी आँखें में आंसू भर आते हैं । वे कथानक/script का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उस भूमिका को निभाने वाले चरित्र ने जब वह प्रार्थना की उसने कहा कि उसने “अकेलापन महसूस किया, लोगों की वह आशाहीनता जिनके पास मुड़ने की कोई दिशा नहीं थी l” उससे वह टूट गया l
इस प्रार्थना का बुनियादी अर्थ है, बस "मेरी मदद कीजिए ।" और यह वही है जो भजन 109 में सुनाई देता है । दाऊद को अपनी समस्या का हल नहीं मिल रहा था : “दीन और दरिद्र,” उसका हृदय घायल” था (पद.22), और उसका शरीर “चर्बी न रहने से . . . सुख गया [था]” (पद.24) l वह "ढलती हुई छाया के समान जाता रहा [था]” (पद.23), और “लोगों में [उसकी] नामधराई” हो रही थी और लोग देखकर “सर हिलाते [थे]” (पद.25) l अपने चरम टूटेपन में, वह कहीं और नहीं मुड़ सकता था l उसने परम प्रभु यहोवा से उसे राह दिखाने के लिए अनुनय किया : “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी सहायता कर” (पद.26) l
हमारे जीवन में ऐसे काल आते हैं जब "टूटापन” सब कह देता है l ऐसे समय में यह जानना कठिन हो सकता है कि प्रार्थना क्या करें । हमारा प्रेमी परमेश्वर मदद के लिए हमारी सरल प्रार्थना का जवाब देगा ।
केवल एक भोजन
ऐश्टन और ऑस्टिन सैमुएलसन ने एक मसीही कॉलेज से यीशु की सेवा करने की तीव्र इच्छा के साथ स्नातक किया । हालांकि, दोनों में से कोई भी चर्च में पारंपरिक सेवा के लिए बुलाहट महसूस नहीं की l लेकिन संसार में सेवा के बारे में क्या? बिलकुल । उन्होंने अपने ईश्वर प्रदत्त उद्यमशीलता कौशल के साथ बचपन की भूख को समाप्त करने के लिए अपने बोझ को एक किया और 2014 में एक रेस्तरां शुरू किया । लेकिन यह सिर्फ कोई भी रेस्तरां नहीं है । सैमुअलसन एक खरीदें-एक दान करें दर्शन से काम करते हैं । खरीदे गए हर भोजन के लिए, वे कुपोषित बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए भोजन प्रदान करने के लिए दान करते हैं । अब तक, उन्होंने साठ से अधिक देशों में योगदान दिया है । उनका लक्ष्य बचपन की भूख को खत्म करना है - एक समय में एक भोजन ।
मत्ती 10 में यीशु के शब्द अप्रगट नहीं हैं । वे आश्चर्यजनक रूप से स्पष्ट हैं : भक्ति कर्मों से स्पष्ट होती है, शब्दों से नहीं (पद.37–42) । उन कार्यों में से एक "छोटों" को देना है । सैमुअलसन के लिए, वह ध्यान बच्चों को देना है । लेकिन ध्यान दें, "छोटे लोग" एक कालानुक्रमिक उम्र तक सीमित वाक्यांश नहीं है । मसीह हमें इस संसार की दृष्टि में “कम महत्त्व” के किसी भी व्यक्ति को देने के लिए बुला रहा है : गरीब, बीमार, कैदी, शरणार्थी, किसी भी तरह से वंचित । और दें क्या? ठीक है, यीशु कहते हैं, "केवल एक कटोरा ठंडा पानी" (पद.42) । यदि एक कप ठंडे पानी के रूप में छोटा और सरल कुछ होता है, तो भोजन भी निश्चित रूप से पंक्ति में सही बैठता है ।
संसार में क्या गड़बड़ी है?
किसी से सुनी हुई एक कहानी है कि लंदन टाइम्स ने बीसवीं सदी के मोड़ पर पाठकों से एक सवाल किया । संसार में क्या गड़बड़ी है?
यह काफी अहम् सवाल है, क्या यह नहीं है? कोई जल्दी से जवाब दे सकता है, "ठीक है, मेरे पास आपको बताने के लिए कितना समय है?" और यह उचित होगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि हमारी दुनिया के साथ बहुत कुछ गलत है । जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, द टाइम्स को कई प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं, लेकिन विशेष रूप से एक ही अपनी संक्षिप्त प्रतिभा में धीरज धरा है । अंग्रेजी लेखक, कवि और दार्शनिक जी. के. चेस्टरटन ने इन चार शब्दों की प्रतिक्रिया के साथ, दूसरे पर आरोप मढ़ने के विपरीत एक तरोताजा आश्चर्य प्रगट किया : “प्रिय महोदय, मैं हूँ l”
कहानी तथ्यात्मक है या नहीं, बहस के लिए तैयार है । लेकिन वह प्रतिक्रिया? यह सच है इसके आलावा कुछ नहीं l चेस्टरटन के आने से बहुत पहले, पौलुस नाम का एक प्रेरित था । एक आजीवन मॉडल नागरिक से दूर, पौलुस ने अपनी पिछली कमियों को कबूल किया : “मैं तो पहले निंदा करनेवाला, और सतानेवाला, और अंधेर करनेवाला था” (पद.13) । यह बताने के बाद कि यीशु किसको (“पापी”) बचाने आया, वह आगे बढ़कर एक घोषणा करता है : “जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ”(v.15) । पौलुस को ठीक-ठीक पता था कि संसार में क्या गड़बड़ी है । और वह आगे भी चीजों को सही बनाने की एकमात्र आशा जानता था - "हमारे प्रभु का अनुग्रह" (पद.14) । क्या अद्भुत वास्तविकता है! यह स्थायी सत्य हमारी आँखों को मसीह के प्रेम के प्रकाश की ओर ले जाता है ।
सब दे दें जो आपके पास है
अनुमाप परिवर्तन(Scaling) l यह फिटनेस/स्वस्थता की दुनिया में उपयोग किया जाने वाला एक शब्द है जो किसी को भी भाग लेने की अनुमति देता है l यदि विशिष्ट व्यायाम एक पुश-अप है, उदाहरण के लिए, तो शायद आप एक बार में दस कर सकते हैं, लेकिन मैं केवल चार कर सकता हूँ l मेरे लिए प्रशिक्षक का प्रोत्साहन उस समय मेरी फिटनेस के स्केल के अनुसार पुश-अप्स वापस करना होगा l हम सभी एक ही स्तर पर नहीं हैं, लेकिन हम सभी एक ही दिशा में आगे बढ़ सकते हैं l दूसरे शब्दों में, वह कहेगी, “अपनी पूरी ताकत के साथ अपने चार पुश-अप्स करें l किसी और से अपनी तुलना न करें l अब गति को स्केल करें, जो आप कर सकते हैं उसे करते रहें, और आप चकित हो जाएंगे कि उतने ही समय में आप सात कर रहे हैं, और यहाँ तक कि एक दिन में, दस तक कर सकते हैं l”
जब देने की बात आती है, तो प्रेरित पौलुस स्पष्ट था : “परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है” (2 कुरिन्थियों 9:7) l लेकिन कुरिन्थुस के विश्वासियों के लिए और हमारे लिए उसका प्रोत्साहन स्केलिंग का बदलाव है l “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे”(पद.7) l हम में से प्रत्येक अपने आप को देने के विभिन्न स्तरों पर देखते हैं, और कभी-कभी वे स्तर समय के साथ बदलते हैं l करुणा फायदेमंद नहीं है, लेकिन रवैया/व्यवहार है l आप जहाँ हैं, उसके आधार पर उदारता से दें (पद.6) l हमारे परमेश्वर ने वादा किया है कि इस तरह के हर्ष से देंनेवाले का अनुशासित अभ्यास हर तरह से एक समृद्ध जीवन के साथ समृद्धि लाता है जिसके परिणामस्वरूप “परमेश्वर का धन्यवाद” (पद.11) होता है l
पिता की राह पर
एक प्राचीन कहानी एक लालची, अमीर ज़मींदार के विषय बतायी गई है जिसने एक गरीब किसान को घर के साथ कुआँ बेचा l अगले दिन जब किसान ने अपने खेतों के लिए पानी खींचना चाहा, तो ज़मींदार ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उसने केवल कुआँ बेचा है, उसमें का पानी नहीं l व्याकुल होकर, किसान ने राजा अकबर के दरबार में न्याय माँगा l इस अज़ीबोगरीब मामले को सुनने के बाद, राजा ने सलाह के लिए अपने बुद्धिमान मंत्री बीरबल की ओर रुख किया l बीरबल ने ज़मींदार से कहा, “सच है, कुएँ का पानी किसान का नहीं है और कुआँ तुम्हारा नहीं है l इसलिए यदि तुम किसान के कुएँ में पानी जमा करना चाहते हो तो भला है कि तुम उस जगह के लिए किराए का भुगतान करो l” तुरंत जमींदार समझ गया कि वह मात खा गया है, और उसने घर और कुएँ पर अपने दावों को छोड़ दिया l
शमूएल ने भी अपने पुत्रों को इस्राएल के ऊपर न्यायी नियुक्त किया, और वे लालच से प्रेरित थे l उसके बेटे “उसकी राह पर न चले” (1 शमूएल 8:3) l शमूएल की ईमानदारी की तुलना में, उसके बेटे “लालच में आकर घुस लेते और न्याय बिगाड़ते थे” और अपने लाभ के लिए अपने स्थिति का उपयोग करने लगे l इस अन्यायपूर्ण व्यवहार ने इस्राएल के वृद्धों और परमेश्वर को नाराज़ किया, और राजाओं का एक क्रम आरंभ हुआ जिससे पुराना नियम के पन्ने भरे पड़े हैं (पद.4-5) l
परमेश्वर के तरीकों पर चलने से इनकार करना उन मूल्यों के विकृत होने की अनुमति देता है, और परिणामस्वरूप अन्याय पनपता है l उसके तरीके से चलने का मतलब ईमानदारी और न्याय केवल हमारे शब्दों में ही नहीं बल्कि हमारे कर्मों में भी स्पष्ट रूप से देखा जाता है l वे अच्छे काम कभी अपने आप में अंत नहीं होते, लेकिन हमेशा ऐसे होते है कि दूसरे देखेंगे और हमारे स्वर्गिक पिता की महिमा करेंगे l
केवल एक चिंगारी
“हम पुस्तकालय में हैं, और ठीक बाहर लपटों को देख सकते हैं!” वह डर गयी थी l हम इसे उसकी आवाज़ में सुन सकते थे l हम उसकी आवाज़ पहचानते हैं - हमारी बेटी की आवाज़ l इसके साथ ही हम जानते थे कि उसका कॉलेज परिसर उसके और उसके लगभग 3,000 साथी विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित जगह थी l 2018 में कॉलेज परिसर में किसी की अपेक्षा से कहीं अधिक तेजी से आग फ़ैल गयी – जिसमें अग्नि शामकों की अपेक्षा सबसे कम थी l अमरीका में इस स्थान में रिकॉर्ड गर्मी और शुष्क परिस्थितियों के साथ निसंदेह छोटी चिंगारियाँ ही थीं जिन्होंने अंततः 97,000 एकड़ को जला डाला, 1,600 से अधिक भवनों को नष्ट कर डाला और जिससे तीन लोगों की मृत्यु हुई l आग के बुझा दिए जाने के बाद ली गयी तस्वीरों में सामान्य हरे-भरे तट चंद्रमा की बंजर सतह सी दिखाई दे रही थी l
याकूब की पुस्तक में, लेखक ने कुछ छोटी लेकिन शक्तिशाली चीजों का नाम लिया है : “घोड़ों के मुँह में लगाम(bit)” और जहाज़ के पतवार(rudder) (3:3-4) l और जब कि परिचित, ये उदाहरण कुछ हद तक हमसे दूर हो गए हैं l लेकिन फिर वह घर के करीब एक नाम लेता है, कुछ छोटी वस्तु जो हर इंसान के पास होती है – एक जीभ l और जब यह अध्याय प्राथमिक रूप से शिक्षकों को निर्देशित किया जाता है (पद.1), तो इसका लागू किया जाना जल्दी से हम में से प्रत्येक तक विस्तारित होता है l जीभ, जैसा कि छोटा है, विनाशकारी परिणाम पैदा कर सकता है l
हमारी छोटी जीभें शक्तिशाली हैं, परन्तु हमारा बड़ा परमेश्वर अधिक शक्तिशाली है l दैनिक आधार पर उसकी सहायता हमारे शब्दों को रोकने और निर्देशित करने की शक्ति प्रदान करती है l
ठीक सीधे
एक ट्रेक्टर को सीधी कतार में चलाने के लिए एक किसान को एक स्थिर दृष्टि और एक दृढ़ भुजा की ज़रूरत होती थी l लेकिन दिन के अंत में बेहतरीन दृष्टि भी पिछली करारों पर नयी कतार बना देती थीं और सबसे मजबूत भुजाएं भी थक जाते थे l लेकिन अब एक स्वपरिचालन (autosteer) मौजूद है – एक जी.पी.एस. आधारित तकनीक जो रोपण, खेती और छिड़काव करते समय एक इंच के भीतर सटीकता की अनुमति देता है l यह अविश्वसनीय रूप से कुशल है और इसे हाथों से चलाने की आवश्यकता नहीं होती l बस एक विशाल ट्रेक्टर में बैठने की कल्पना करें और स्टीयरिंग पकड़ने के बजाय, मानों आप चिकन 65(चिकन व्यंजन) के एक टांग को पकड़े हुए होते हैं l एक अद्भुत उपकरण जो आपको सीधे आगे की ओर बढ़ाता जाता है l
आप योशिय्याह का नाम याद करते होंगे l जब वह केवल “आठ वर्ष का था” (2 राजा 22:1) तो उसे राजा बनाया गया था l सालों बाद, अपने चौबीस से छब्बीस साल की उम्र में, मंदिर का महायाजक हिलकिय्याह को “व्यवस्था की पुस्तक” मिली (पद.8) l उसके बाद यह युवा राजा के समक्ष पढ़ा गया, जिसने परमेश्वर के प्रति अपने पूर्वजों की अवज्ञा से दुखित होकर अपने वस्त्र फाड़े l योशिय्याह ने वह करने की ठान ली जो “यहोवा की दृष्टि में थी है” (पद.2) l यह पुस्तक लोगों का मार्गदर्शन करने का उपकरण बन गयी, ताकि दायें या बाएं मुड़ना न हो l परमेश्वर के निर्देश चीजों को सही करने के लिए थे l
दिन-ब-दिन हमें मार्गदर्शन करने के लिए पवित्रशास्त्र को अनुमति देना हमारे जीवन को परमेश्वर और उसकी इच्छा को जानने के अनुरूप रखता है l बाइबल एक अद्भुत हथियार है, जिसका अगर पालन किया जाए, तो हम सीधे आगे बढ़ते रहते हैं l
मेरे पिता की सन्तान
उन्होंने धुंधली तस्वीर को देखा, फिर मुझे देखा, फिर मेरे पिता की ओर देखा, फिर से मेरी ओर देखा, और उसके बाद फिर से मेरे पिता की ओर l उनकी आँखें विस्मय के साथ पूरी तौर से खुल गयीं l “पापा, आप बिलकुल दादा के समान दिखते हो जब वे जवान थे!” मेरे पिता और मैं दांत दिखाते हुए मुस्कुराए क्योंकि यह कुछ ऐसा था जिसे हम लम्बे समय से जानते थे, लेकिन यह हाल ही तक ज्ञात नहीं था जब तक कि मेरे बच्चों को यह पता नहीं चला l जबकि मेरे पिता और मैं अलग-अलग लोग हैं, मुझे देखने के लिए एक बहुत ही वास्तविक अर्थ में मेरे पिता को एक छोटे आदमी के रूप में देखना है : लम्बी दुबली पतली बनावट; काले बालों का पूरा सिर; बाहर की ओर निकली हुई नाक, और अपेक्षा से बड़े कान l नहीं, मैं मेरा पिता नहीं हूँ, परन्तु मैं निश्चित रूप में अपने पिता का बेटा हूँ l
यीशु के एक शिष्य, फिलिप्पुस ने एक बार पुछा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे” (यूहन्ना 14:8) l और जब कि यह पहली बार नहीं था जब यीशु ने संकेत दिया था, उसकी प्रतिक्रिया अभी भी उसके ठहरने का कारण थी : “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है” (यूहन्ना 14:9) l अपने पिता और मेरे बीच शारीरिक समानता के विपरीत, जो यीशु यहाँ कहता है वह क्रांतिकारी है : “क्या तू विश्वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है?” (पद.10) l उसका बिलकुल वही तत्व और चरित्र उसके पिता के समान ही था l
उस क्षण यीशु अपने प्रिय शिष्यों और हम सब से बहुत ही स्पष्ट बोल रहा था : यदि तुम जानना चाहते हैं कि परमेश्वर कैसा है, मुझे देखो l
मुझे एक कहानी सुनाइये
एक समय की बात है l ये पांच शब्द सम्पूर्ण संसार में शायद सबसे शक्तिशाली शब्दों में से हैं l एक लड़के के रूप में मेरी कुछ आरंभिक यादों में उस प्रबल वाक्यांश में भिन्नता है l मेरी माँ एक दिन बाइबल की कहानियों की एक बड़े, हार्ड कवर वाले सचित्र संस्करण [पुस्तक] के साथ आयी - माई गुड शेफर्ड बाइबल स्टोरी बुक l बत्तियाँ बुझने से पहले, प्रत्येक शाम के समय, मेरा भाई और मैं उम्मीद के साथ बैठते थे जब वह बहुत समय पहले के एक काल के विषय पढ़कर सुनाती थी जो रोचक लोगों और उनसे प्रेम करनेवाले परमेश्वर के विषय होता था l वे कहानियाँ एक लेंस बन गयीं कि हम इस बड़े महान संसार को कैसे देखते हैं l
निर्विवाद रूप से महानतम कथाकार? नासरत का यीशु l वह जानता था कि हममें से हर के भीतर कहानियों के प्रति एक गहरा लगाव है, इसलिए उसने लगातार अपने सुसमाचार को संप्रेषित करने के लिए उसको माध्यम के रूप में उपयोग किया : एक समय की बात है एक व्यक्ति था जो “भूमि पर बीज छींटे” (मरकुस 4:26) l एक समय की बात है “एक राई का दाना था” (पद.31), और एक के बाद एक कहानी l मरकुस का सुसमाचार स्पष्टता से संकेत करता है कि यीशु ने साधारण लोगों के साथ अपने संवाद में संसार को और स्पष्टता से देखने में और उनसे प्रेम करनेवाले परमेश्वर को अधिक गहराई से समझने के लिए उनकी मदद करने में कहानियों का उपयोग किया (पद.34) l
परमेश्वर की दया और कृपा का सुसमाचार दूसरों के साथ साझा करने की इच्छा रखने के लिए यह समझदारी है l कहानी के उपयोग का विरोध करना लगभग असंभव है l