स्पष्ट निर्देश
मेरी दूसरी बेटी अपनी बड़ी बहन के बिस्तर पर सोने के लिए बैचेन थी। ब्रिट्टा को बिस्तर से न निकलने की चेतावनी देकर मैं कहती कि अगर उसने उलंघन किया तो उसे अपने बिछौने पर जाना पड़ेगा। हर रात उसे गलियारे में देख मैं अपनी निरुत्साहित बेटी को उसके बिछौने पर सुला देती। वर्षों बाद मैंने जाना कि मेरी बड़ी बेटी को कमरे में रूममेट पसंद नहीं था। वह उसे कहती कि मैं उसे बुला रही हूँ, उसकी बात सुनकर ब्रिट्टा कमरे से निकल आती और उसे अपने बिछौने पर जाना पड़ता।
गलत बात मानने के परिणाम हो सकते हैं। जब यहोवा से वचन पाकर परमेश्वर का जन बेतेल गया, तो उसे स्पष्ट आज्ञा थी, न तो रोटी खाना...(1 राजा 13:9)। भविष्यवक्ता ने राजा यारोबाम के आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। एक बड़े नबी के आमंत्रण पर उसने पहले मना किया, बाद में सहमत हो गया। नबी ने यह कहकर उसे धोखा दिया, कि स्वर्गदूत ने उसे बताया है कि इसमें कुछ गलत नहीं। जैसे ब्रिट्टा को "बड़े बिस्तर" का आनंद देने की मेरी इच्छा थी, वैसे परमेश्वर को दुःख पहुंचा होगा कि उसने उनकी आज्ञा को न माना।
हमें परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए। उनका वचन हमारे जीवन का मार्ग है, जिसे सुनने और पालन करने में बुद्धिमानी है।
न्याय से अधिक दया
झगड़ा करके एक मेरे बच्चे शिकायत करने मेरे पास आए, मैंने दोनों का पक्ष बारी बारी से सुना। क्योंकि दोष दोनों का था, तो चर्चा के बाद मैंने दोनों ही से पूछा, कि उनके अनुसार दूसरे के लिए उचित, न्यायसंगत दंड क्या होना चाहिए। उनका सुझाव दूसरे को कठोर दंड देने का था। पर बजाय इसके जब उनको मैंने वही दण्ड दिया, जो उन्होंने अपने भाई के लिए चुना था तो वे आश्चर्यचकित थे। वही दंड जो उन्हें दूसरे के लिए उचित लग रहा था, जब उन पर आया तो उन्हें "अनुचित" लगने लगा।
बच्चों ने जिस "दया रहित निर्णय" को चुना था उसके विरुद्ध परमेश्वर हमें सावधान करते हैं (याकूब 2:13)। याकूब कहते हैं, कि परमेश्वर की इच्छा है कि धनवान या स्वयं के लिए भी पक्षपात न दिखाकर हम अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखें (8)। दूसरों का स्वार्थ अनुसार उपयोग करने या जो हमें लाभ न दें उनकी उपेक्षा करने के बजाय, याकूब हमें उनके समान व्यवहार करने का निर्देश देते हैं जो जानते हैं कि हमें कितना दिया और माफ किया गया है-और दूसरों पर भी वही दया दिखाएं।
परमेश्वर ने हमें उदारता से दया प्रदान की है। अपने व्यवहार में, हम उस दया को याद रखें जो और दूसरों पर भी इसे दिखाएं।
अग्रिम टीम
हाल ही में, मेरी एक मित्र अपने वर्तमान गृहनगर से दूर एक अन्य नगर में शिफ्ट करने की तैयारी कर रही थी। समय बचाने के लिए उसने और उसके पति ने कामों को बाँट लिया। पति ने नए घर की व्यवस्थाओं के प्रबंध किए, जबकि उसने सामान पैक किया। बिना घर देखे शिफ्ट करने के लिए उसका तैयार हो जाना हैरानी की बात थी, मैंने उससे पूछा कि वह ऐसा कैसे कर लेती है, उसने कहा कि इतने वर्षों से साथ रहते, उसकी पसंद-नापसन्द और ज़रूरतों का इतना ध्यान रखे जाने के कारण वह अपने पति पर विश्वास करती थी।
ऊपरी कक्ष में, यीशु ने अपनी मृत्यु के विषय में चेलों को बताया। यीशु के सांसारिक जीवन की और उनके चेलों की भी, सबसे अंधकारपूर्ण घड़ी आने वालीं थी। उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया कि वे स्वर्ग में उनके लिए एक स्थान तैयार करेंगे, चेलों के प्रश्न पूछने पर, उन्होंने उनके साथ बिताए समय और उन चमत्कारों की बातें कहीं जिन्हें उन्होंने यीशु को करते देखा था। यद्यपि उन्हें यीशु की मृत्यु का और ना रहने का दुःख होगा, उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि जैसा उन्होंने कहा था वैसा करने के लिए वे उनपर विश्वास कर सकते हैं।
हमारे सबसे अंधकारपूर्ण घड़ियों में भी, हम उस पर भरोसा कर सकते हैं।
अंदर क्या है?
“तुम देखोगी कि अंदर क्या है?" मेरी मित्र ने पूछा। उसकी बेटी के हाथों में कपड़े की गुड़िया थी। “हाँ, अवश्य”, मैंने जवाब दिया। एमिली ने गुड़िया के पीठ में लगी ज़िप खोली। उसके अन्दर से, उसने एक ख़जाना निकाला: उसकी अपनी गुड़िया जिसके साथ 20 वर्ष पूर्व अपने बचपन में वह खेलती थी। "बाहरी" गुड़िया इस भीतरी गुडिया का केवल ढाँचा थी जिससे उसे ताकत और रूप दिया जा सके।
यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान का विवरण पौलुस एक खजाने के रूप में करते हैं, जो परमेश्वर के लोगों की कमजोर मानवता के अन्दर छिपा है। जो विश्वासियों को बल देता है कि कठिन परिस्थितियों में डटे रहकर वे सेवा करते रहें। जिससे लोगों की मानवीयता से उनकी ज्योति-उनका जीवन प्रकाशित होता हैं। पौलुस हम सभी को “हियाव न छोड़ने का” प्रोत्साहन देते हैं (2कुरिन्थियों 4:16)। परमेश्वर हमें उनके कार्य करने के सामर्थ से भरते हैं।
"भीतरी गुड़िया", के समान हमारे भीतर सुसमाचार का खजाना इस जीवन को उद्देश्य और संयम देता है। जब परमेश्वर का सामर्थ हम में चमकता है, तो दूसरों को पूछने के लिए बाध्य करता है, कि "अंदर क्या है"? फिर अपने हृदय की ज़िप खोल कर हम मसीह में मिलने वाले उद्धार की जीवनदाई प्रतिज्ञा को दिखा सकते हैं।
फिर आरम्भ करना
क्रिसमस के बाद, अक्सर मैं आने वाले वर्ष के बारे सोचती हूँ और परखती हूँ कि पिछला वर्ष मुझे कहाँ लाया और अगले में कहाँ पहुँचने की मैं आशा कर सकती हूँ। एक नए वर्ष के आरम्भ की बात मुझे आशा और अपेक्षा से भर देती है। लगता है, कि पिछले साल में चाहे जो भी हुआ हो, मेरे पास फिर से आरम्भ करने का अवसर है।
नए आरम्भ की मेरी कल्पना उस आशा के समाने फ़ीकी पड़ जाती है जिसे इस्राएलियों ने तब अनुभव किया होगा जब बाबुल में सत्तर साल की लम्बी बंधुआई के बाद उनके देश यहूदा लौट जाने के लिए उन्हें मुक्त किया गया था। पिछले राजा नबूकदनेस्सर ने इस्राएलियों को उनके अपने देश से निर्वासित कर दिया था। परन्तु परमेश्वर ने राजा कुस्रू से बंधकों को यहोवा के भवन के पुनर्निर्माण के लिए उनके घर यरूशलेम भेज देने को कहा (एज्रा 1: 2-3)। कुस्रू ने उन्हें वे खजाने भी लौटा दिए जिन्हें यहोवा के भवन से लाया गया था। पापों के कारण बाबुल में कठिन और लंबा समय बिताने के बाद उनके जीवन का नया आरम्भ उस स्थान पर हुआ जिसे परमेश्वर ने उनके लिए ठहराया था।
अतीत में किए अपने पापों का जब हम अंगीकार करते हैं, परमेश्वर हमें क्षमा और नया आरम्भ देते हैं।
गोश्त और अन्डे
मुर्गी और बकरे की कहानी में, दोनों ही एक रेस्टोरेंट खोलने की बात करते हैं l भोजन सूची में, मुर्गी की सलाह थी कि हम गोश्त और अन्डे परोसेंगे l बकरे ने यह कहकर तुरंत आपत्ति जतायी, “बिलकुल नहीं l इसमें मुझे पूरी तौर से समर्पित होना पड़ेगा, किन्तु इसमें तुम केवल शामिल होगी l”
यद्यपि बकरा थाली में अपने आपको रखने में सहमत नहीं हुआ, समर्पण के विषय उसकी समझ शिक्षाप्रद है जिससे मैं पूरे मन से परमेश्वर का अनुसरण करना सीखता हूँ l
यहूदा के राजा, आसा ने अपने राज्य को बचाने के लिए, इस्राएल और आराम के राजाओं के साथ संधि को तोड़ना चाहा l उसने आराम के राजा, बेन्हदद का समर्थन पाने के लिए, अपने धन के साथ-साथ “यहोवा के भवन ... में से चाँदी-सोना [निकालकर]” उसके पास भेजा(2 इतिहास 16:2) l बेन्हदद सहमत हो गया और उनकी संयुक्त सेना ने इस्राएल को मार भगाया l
किन्तु नबी हनानी ने आसा को परमेश्वर पर, जिसने दूसरे शत्रुओं को उनके अधीन कर दिया था, की जगह मानवीय सहायता पर भरोसा करने के कारण उसे मुर्ख संबोधित किया l हनानी ने दावा किया, “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिसका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए l पद.9) l
अपनी लड़ाई और चुनौतियों का सामना करते हुए, हमेशा याद रखें कि परमेश्वर ही हमारा सबसे उत्तम मित्र है l जब हम पूरे मन से उसके लिए समर्पित होते हैं वह हमें सामर्थी बनाता है l
बेहतर जानना
जब हम अपने दत्तक बेटे को विदेश से घर लाए, मैं उस पर अपना प्रेम निछावर करना चाहता था और पिछले महीनों में जो उसकी कमियाँ रहीं थी उन्हें पूरा करना चाहता था, विशेषकर अच्छा भोजन, क्योंकि उसे पोषण का अभाव था l किन्तु हमारे सबसे अच्छे प्रयासों और विशेषज्ञों की सलाह के बाद भी, उसकी उन्नति बहुत कम हो रही थी l लगभग तीन वर्षों के बाद, हमें पता चला कि वह कुछ भोजन वस्तु नहीं खा सकता था l उन वस्तुओं को उसके भोजन से हटाने के बाद, वह कुछ ही महीनों में पाँच इंच बढ़ गया l मेरे अफ़सोस करने पर कि काफी समय तक मैंने उसके स्वास्थ्य के विरुद्ध भोजन खिलाया था, मैं अब उसके स्वास्थ्य की उन्नति से आनंदित था l
मैं समझता हूँ कि मंदिर में वर्षों तक खोयी हुई व्यवस्था की पुस्तक के मिलने पर योशिय्याह भी ऐसा ही महसूस किया होगा l जैसे मैंने भी अनजाने में अपने बेटे की उन्नति में बाधा था, योशिय्याह भी दुखित हुआ कि उसने अज्ञानता के कारण परमेश्वर की पूर्ण और सर्वोत्तम इच्छाओं से अपने लोगों को वंचित रखा (2 राजा 22:11) l यद्यपि प्रभु की नज़रों में सही कार्य के लिए उसकी प्रशंसा की गयी(पद.2), उसने व्यवस्था की पुस्तक प्राप्त करने के बाद बेहतर तरीके से परमेश्वर को आदर दिया l नया ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उसने परमेश्वर के निर्देश के अनुसार अराधना में लोगों की अगुवाई किया (23:22-23) l
जब हम बाइबिल से उसका आदर करना सीखते हैं, हम दुखित होंगे कि हम परमेश्वर की इच्छानुसार नहीं कर सके l फिर भी हम चैन प्राप्त करते हैं कि वह हमें चंगा करता है और पुनःस्थापित करता है, और गहरी समझ प्राप्त करने में कोमलता से अगुवाई करता है l
सर्वोत्तम उपहार क्या है?
मेरे पति ने हाल ही में महत्वपूर्ण जन्म-दिन मनाया, ऐसा जो शून्य में समाप्त होता है l इस विशेष मौके पर मैंने उन्हें सर्वोत्तम तरीके से सम्मानित करना चाहा l मैंने इसे सर्वोत्तम बनाने के लिए अपने बच्चों से अपने विचारों को बाँटा और उनसे सहायता मांगी l मेरी इच्छा थी कि हमारा उत्सव एक नए दशक के महत्व को दर्शाए और कि वे हमारे परिवार के लिए कितने विशेष हैं l मेरी इच्छा थी कि हमारा उपहार उनके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर के महत्व के अनुकूल हो l
राजा सुलैमान एक “बड़े जन्मदिन” के योग्य उपहार से कहीं महान उपहार परमेश्वर को देना चाहता था l वह चाहता था कि उसके द्वारा निर्मित मंदिर उसमें परमेश्वर की उपस्थिति के योग्य हो l कच्चे माल के लिए उसने सोर के राजा को सन्देश भेजा l अपने पत्र में, उसने कहा कि मंदिर विशाल होगा “क्योंकि हमारा परमेश्वर सब देवताओं में महान है” (2 इतिहास 2:5) l उसने माना कि परमेश्वर की विशालता और भलाई मनुष्य के हाथों से निर्मित किसी भी वस्तु से कहीं अधिक महान होने पर भी, कार्य प्रेम और उपासना के कारण ठहराया गया है l
हमारा परमेश्वर वास्तव में दूसरे देवताओं से महान है l वह हमारे जीवनों में अद्भुत कार्य करके, भेंट के भौतिक मूल्य के बावजूद, हमारे हृदयों से प्रेमी और बहुमूल्य भेंट लाने को उत्साहित करता है l सुलैमान जानता था कि उसका भेंट परमेश्वर की तुलना में नहीं हो सकता, फिर भी अपना आनंदपूर्वक भेंट उसके सामने लाया; और हम भी ला सकते हैं l
अत्यंत बेहतर
मेरा जन्म दिन मेरी माँ के जन्मदिन के बाद आता है l एक किशोरी के रूप में, मैं अपने बजट में रहकर ऐसा उपहार खरीदने का प्रयास करती हूँ जिससे मेरी माँ खुश हो जाए l उन्होंने मेरे उपहार को हमेशा पसंद किया, और अगले दिन मेरे जन्मदिन पर उसे मुझे दे दिया l कोई शक नहीं कि उनका उपहार मेरे उपहार को मात देता था l उनका उद्देश्य मेरे उपहार को फीका करना नहीं होता था, बल्कि वो अपने साधन से देती थीं, जो मेरे से कहीं अधिक था l
मेरी माँ को देने की मेरी इच्छा मुझे दाऊद का परमेश्वर के लिए एक घर बनाने की इच्छा याद दिलाती है l अपने महल और उस तम्बू के विषय जहाँ परमेश्वर ने खुद को प्रगट किया था के बीच विरोध से प्रभाबित होकर, दाऊद परमेश्वर के लिए एक मंदिर बनाना चाहा l दाऊद के देने की इच्छा पूर्ति के स्थान पर, परमेश्वर ने उसे अत्यंत बेहतर उपहार दिया l परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी कि दाऊद का एक पुत्र (सुलेमान) मंदिर ही नहीं बनाएगा (1 इतिहास 17:11), किन्तु वह दाऊद के लिए एक घर, एक वंश बनाएगा l वह प्रतिज्ञा सुलेमान से आरम्भ होकर अंततः यीशु में पूर्ण हुई, जिसकी राजगद्दी वास्तव में “सदैव स्थिर” है (पद. 12) l दाऊद अपने सिमित श्रोत में से देना चाहता था, किन्तु परमेश्वर ने कुछ असीमित देने की प्रतिज्ञा की l
दाऊद की तरह, हम भी परमेश्वर को कृतज्ञता और प्रेम से दें l और सर्वदा महसूस करें कि उसने यीशु में हमें अधिक बहुतायत से दिया है l