मुर्गी और बकरे की कहानी में, दोनों ही एक रेस्टोरेंट खोलने की बात करते हैं l भोजन सूची में, मुर्गी की सलाह थी कि हम गोश्त और अन्डे परोसेंगे l बकरे ने यह कहकर तुरंत  आपत्ति जतायी, “बिलकुल नहीं l इसमें मुझे पूरी तौर से समर्पित होना पड़ेगा, किन्तु इसमें तुम केवल शामिल होगी l”

यद्यपि बकरा थाली में अपने आपको रखने में सहमत नहीं हुआ, समर्पण के विषय उसकी समझ शिक्षाप्रद है जिससे मैं पूरे मन से परमेश्वर का अनुसरण करना सीखता हूँ l

यहूदा के राजा, आसा ने अपने राज्य को बचाने के लिए, इस्राएल और आराम के राजाओं के साथ संधि को तोड़ना चाहा l उसने आराम के राजा, बेन्हदद का समर्थन पाने के लिए, अपने धन के साथ-साथ “यहोवा के भवन  … में से चाँदी-सोना [निकालकर]” उसके पास भेजा(2 इतिहास 16:2) l बेन्हदद सहमत हो गया और उनकी संयुक्त सेना ने इस्राएल को मार भगाया l

किन्तु नबी हनानी ने आसा को परमेश्वर पर, जिसने दूसरे शत्रुओं को उनके अधीन कर दिया था, की जगह मानवीय सहायता पर भरोसा करने के कारण उसे मुर्ख संबोधित किया l हनानी ने दावा किया, “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिसका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए l पद.9) l

अपनी लड़ाई और चुनौतियों का सामना करते हुए, हमेशा याद रखें कि परमेश्वर ही हमारा सबसे उत्तम मित्र है l जब हम पूरे मन से उसके लिए समर्पित होते हैं वह हमें सामर्थी बनाता है l