सूखे से बच जाना
मई 2019 में मानसून की विफलता के कारण चेन्नई शहर को पानी की बड़ी कमी का सामना करना पड़ा । सड़कों पर प्लास्टिक के बर्तनों की कतारें पानी के ट्रकों का इंतजार करती थीं, जो सूखे से पीड़ित स्थानीय लोगों को सीमित मात्रा में पानी पहुंचाती थीं । उपनगरों में जहां माना जाता है कि हरियाली होनी चाहिये, सूखी घास और सूखे पौधे अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की बूंदों का इंतजार करते थे ।
सूखे पौधे और खरपतवार ही हैं, जिसकी मैं कल्पना करता हूँ जब मैं यिर्मयाह में एक व्यक्ति का वर्णन पढ़ता हूं, “जिसका मन यहोवा से भटक जाता है” (यिर्मयाह 17: 5) । वह कहता है कि जो लोग “मनुष्य” से अपनी ताकत पाते हैं, वे "निर्जल देश के अधमरे पेड़ के समान [होंगे]” और कभी भलाई न [देखेंगे]” (पद.5-6) l इसके ठीक उलट वे लोग हैं जो लोगों के बजाय परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं, पेड़ों की तरह, उनकी मजबूत, गहरी जड़ें उससे ताकत खींचती हैं, जिससे वे जीवन से भरे रहते हैं, यहां तक कि सूखे जैसी परिस्थितियों में भी ।
सूखे पौधे और पेड़ दोनों की जड़ें होती हैं, फिर भी यदि पौधे अपने जीवन-स्रोत से जुड़े नहीं रहते, तो वे सूख जाते हैं और मर जाते हैं । दूसरी ओर, पेड़ अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, जिससे वे फलने-फूलने और जीवित रहने में सक्षम होते हैं, जो कि कठिनाई के समय उन्हें बनाए रख सकता है । जब हम परमेश्वर के लिए उपवास रखते हैं, और बाइबल में उपस्थित बुद्धि से ताकत और हौसला बढ़ाते हैं और प्रार्थना में उससे बात करते हैं, हम भी जीवन-यापन, जीवन-निर्वाह के पोषण का अनुभव कर सकते हैं ।
हमारे हृदयों पर अंकित
1450 में जब जोहानस गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस को जंगम/चल प्रकार के साथ जोड़ा, तो उन्होंने पश्चिम में बड़े पैमाने पर जन संचार के युग की शुरुआत की और नए सामजिक क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार किया l दुनिया भर में साक्षरता बढ़ी और नए विचारों ने सामजिक और धार्मिक सन्दर्भों में तेजी से बदलाव लाए l गुटेनबर्ग ने बाइबल का पहला मुद्रित संस्करण प्रस्तुत किया l इससे पहले, बाइबल की प्रति कड़ी मेहनत से हाथ से नक़ल करके बनायी जाती थी, और शास्त्री उत्पादन करने के लिए एक साल तक का समय लेते थे l
सदियों से, प्रिंटिंग प्रेस ने आपके और मेरे जैसे लोगों को पवित्रशास्त्र तक सीधी पहुँच का विशेषाधिकार प्रदान किया है l जबकि हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी उपलब्ध हैं, उसके आविष्कार के कारण हम में से कई लोग अक्सर अपने हाथों में एक भौतिक बाइबल रखते हैं l बाइबल की दूसरी प्रति तैयार करने में सर्वथा कीमत और समय लगाने के बावजूद भी जो दुर्लभ थी आज हमारी ऊँगलियों पर आसानी से मौजूद है l
परमेश्वर के सत्य तक पहुँच एक अद्भुत विशेषाधिकार है l नीतिवचन के लेखक से संकेत मिलता है कि हमें पवित्रशास्त्र में उसके निर्देशों का पालन करना चाहिये जैसे कि कुछ “अभिलाषित” हो जैसे “[हमारी] आँख की पुतली” (नीतिवचन 7:2) और उसकी बुद्धिमत्ता के शब्दों को “[हमारे] हृदय की पटिया पर लिख लेना” (पद.3) l जैसा कि हम बाइबल को समझना चाहते हैं और उसकी बुद्धि के अनुसार जीना चाहते हैं, हम, शास्त्रियों की तरह, परमेश्वर की सच्चाई को अपनी “ऊँगलियों” से अपने हृदयों में उतार रहे हैं, और हम जहां भी जाते हैं, हम अपने साथ ले जाते हैं l
प्रतिद्वंद्वी या सहयोगी
1947 में हुए बंटवारे के बाद से भारत और पाकिस्तान कई सालों से एक-दूसरे के साथ विवादों में रहे हैं, हालांकि हर शाम किसी दूसरे के विपरीत झंडा उतारने
की रस्म को वाघा बॉर्डर पर देखा जा सकता है l धूमधाम और भव्यता के साथ, यह अत्यधिक नृत्य शैली (choreografted) में आयोजित दस्तूर दोनों देशों के सैन्यकर्मियों के एक तेज सलामी के साथ समाप्त होती है, और एक दोस्ताना हाथ मिलाने वाले मित्रवत संबंधों को दर्शाता है l संघर्ष के वर्षों और तीन बड़े युद्धों के बावजूद यह दैनिक बातचीत इन दोनों देश के पुरुषों के लिए एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्वक सामना करने का एक अवसर है, हालांकि वे अपनी राष्ट्रीय सीमाओं से अलग हैं l
कुरिन्थुस में विश्वासियों ने अपने मुख्य सार्वजनिक मार्ग में सीमारेखा नहीं खींची होगी, लेकिन वे विभाजित थे l वे उन लोगों के प्रति अपनी निष्ठा के परिणामस्वरूप झगड़ रहे हैं जिन्होंने उन्हें यीशु के बारे में सिखाया था : पौलुस, या अपुल्लोस, या कैफा(पतरस) l पौलुस ने उन सभी को “एक ही मन और एक ही मत” होकर चलने के लिए कहते हुए (1 कुरिन्थियों 1:10), उनको यह याद दिलाया कि यह मसीह ही है जो उनके लिए क्रूस पर चढ़ाया गया, न कि उनके आध्यात्मिक अगुए l
हम आज भी वैसा ही व्यवहार करते हैं, क्या यह सच नहीं है? हम कभी-कभी उन लोगों का भी विरोध करते हैं, जो विशिष्ट रूप से हमारे महत्वपूर्ण विश्वास को साझा करते हैं – जो उन्हें सहयोगी के बजाय उन्हें प्रतिद्वंद्वी बनाते हैं l जैसे मसीह स्वयं विभाजित नहीं है, हम, उसके सांसारिक प्रतिनिधि के रूप में - उसका शरीर हैं - हमें असहमतियों को महत्वहीन बातों पर हमें विभाजित करने की अनुमति नहीं देना है l इसके बजाय, हम उसमें अपनी एकता का उत्सव मानाएं l
गलत फायदा नहीं उठाना
कई कैदी अपने जेल के समय को कम करने के लिए सड़क के किनारे का कचरा इकठ्ठा कर रहे थे जब उनके पर्यवेक्षक/जेलर, जेम्स अचानक गिर गए l वे उनकी सहायता के लिए दौड़े और महसूस किया कि वह एक चिकित्सीय आपात स्थिति में है l एक कैदी ने मदद के लिए जेम्स का फोन लिया l पुलिस विभाग ने बाद में अपने पर्यवेक्षक को तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए कैदियों को धन्यवाद दिया, विशेष रूप से इसलिए कि वे उनकी उपेक्षा कर सकते थे – उनकी बड़ी हानि में क्योंकि उन्हें आघात(stroke) पहुंचा था – या भागने के लिए स्थिति का खुद लाभ उठा सकते थे l
कैदियों की दया के कार्य पौलुस और सीलास के विपरीत नहीं है जब वे जेल में थे l जब उनके कपड़े उतारकर, बेंत लगाकर, उन्हें जेल में डाल दिया गया, एक बड़ा भूकंप आया जिससे उन के सब बंधन खुल गए और जेल की नींव हिल गयी और उसके दरवाजे खुल गए (प्रेरितों 16:23-26) l जब जेलर जागा, वह स्वाभाविक रूप से अनुमान लगाया कि कैदी भाग गए होंगे, इसलिए उसने अपने आप को मार डालने की तयारी की (कल्पना करके कि उनके भागने के लिए उसको क्या सज़ा मिलेगी) l जब पौलुस ने ऊंचे शब्द से पुकारा , “हम सब यहीं है!” (पद.28) जेलर उनके व्यवहार से द्रवित हो गया – कैदियों के विषय जो असामान्य था – कि वह उस परमेश्वर के विषय उत्सुक हो गया जिसके वे उपासक थे, और अंततः वह भी उसमें विश्वास कर लिया (पद.29-34) l
जिस प्रकार हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं दर्शाता है कि हम क्या विश्वास करते हैं और किसको महत्व देते हैं l जब हम हानि के बदले भलाई करने का निर्णय करते हैं, हमारे व्यवहार उनको उस परमेश्वर के विषय जिसको हम जानते और प्रेम करते हैं सोचने के लिए प्रेरित करेंगे l
2D सीट पर का व्यक्ति(The Man in Seat 2D)
प्रीति ने अपनी ग्यारह महीने की बेटी लिली और लिली की ऑक्सीजन मशीन के साथ हवाई जहाज के संकीर्ण गलियारे से गयी l वह अपने बच्चे के फेफड़ों की पुरानी बीमारी के इलाज के लिए यात्रा कर रही थी l अपनी साझा सीट पर बैठने के कुछ समय बाद, एक फ्लाइट परिचर ने यह कहते हुए प्रीति से संपर्क किया, कि प्रथम श्रेणी में एक यात्री उसके साथ सीट बदलना चाहता था l चेहरे पर कृतज्ञता के आँसू के साथ, प्रीति ने अधिक बड़ी सीट पर बैठने चली गयी, जबकि वह अजनबी शुभचिंतक उसकी सीट पर आ गया l
प्रीति के शुभचिंतक में उस प्रकार की उदारता सन्निहित थी जो पौलुस तिमोथी को लिखे अपने पत्र में प्रोत्साहित करता है l पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि जो उसकी देखभाल में हैं उनको आज्ञा दें कि वे “भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्पर हों” (1 तीमुथियुस 6:18) l पौलुस कहता है, अहंकारी बनना और इस संसार के धन में अपनी आशा रखना लुभावना है l इसके बदले, वह सलाह देता है कि हम उदारता का जीवन और दूसरों की सेवा करने वाला जीवन पर केन्द्रित होकर, केसली फ्लाइट में 2D सीट पर के उस व्यक्ति की तरह भले कामों में “धनी” बने l
चाहे हमारे पास बहुत है या हम अभाव में हैं, हम सभी दूसरों के साथ जो कुछ भी है उसे साझा करने के लिए तैयार होकर उदारता से जीने की प्रचुरता का अनुभव कर सकते हैं l जब हम ऐसा करते हैं, पौलुस कहता है कि हम “सच्चे जीवन को वश में कर [लेंगे]” (पद.19) l
पवित्र सहभागिता
हमारे स्कूली मित्रों के समूह ने एक सुन्दर झील के किनारे पर एक साथ लम्बे सप्ताहांत के लिए पुनर्मिलन किया l दिन पानी में खेलने और भोजन साझा करने में बिताए जाते थे, लेकिन मेरे लिए शाम के समय की बातचीत सबसे कीमती थी l जैसे जैसे शाम होती थी, हमारे हृदय असामान्य गहराई और भेद्यता के साथ एक-दूसरे के लिए खुलते थे, लड़खड़ाते हुए विवाह का दर्द और उसके बाद का आघात जो हमारे कुछ बच्चे सहन कर रहे थे l अपनी वास्तविकताओं के अधूरेपन को छिपाए बिना, हमने ऐसे चरम कठिनाइयों के दौरान एक दूसरे को परमेश्वर और उसकी विश्वासयोग्यता की ओर इंगित किया l
मैं उन रातों को को उसके सदृश देखता हूँ जो परमेश्वर का अभिप्राय था जब उसने अपने लोगों को हर वर्ष झोपड़ियों के पर्व के लिए इकठ्ठा होने का निर्देश दिया था l अन्य पर्वों की तरह यह पर्व, इस्राएलियों से यरूशलेम जाने की मांग करती थी l एक बार उनके पहुँचने एक बाद, परमेश्वर ने अपने लोगों को आराधना में एक साथ इकठा होने और पर्व के दौरान – लगभग एक सप्ताह “परिश्रम का कोई काम न [करने] (लैव्यव्यवस्था 23:35) का निर्देश दिया था l झोपड़ियों का पर्व परमेश्वर के प्रावधान का और मिस्र को छोड़ने के बाद जंगल में बिताए गए उनके समय का उत्सव मनाना था (पद.42-43) l
इस सभा ने परमेश्वर के लोगों के रूप में इस्राएलियों की पहचान को मजबूत किया और उनकी सामूहिक और व्यक्तिगत कठिनाइयों के बावजूद उसकी अच्छाई को प्रमाणित किया l जब हम उन लोगों के साथ इकठ्ठा होते हैं जो परमेश्वर के प्रावधान और प्रबंध को हमारे जीवनों में स्मरण करना पसंद करते हैं, तो हम भी विशवास में मजबूत होते हैं l
बोलने वाले टेबल
अकेलापन, और उसके समान चीजों के द्वारा प्रभावित कर रहा है l एक अध्ययन के अनुसार सभी लोगों में से लगभग दो-तिहाई उम्र या लिंग की परवाह किए बिना कम से कम कुछ समय तक अकेलापन महसूस करते हैं l एक ब्रिटिश सुपरमार्केट ने लोगों के बीच सम्बन्ध को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में अपने स्टोर कॉफ़ी हाउस में “टॉकिंग टेबल” बनाए हैं l जो मनुष्यों के बीच बातचीत करने की इच्छा रखते हैं वे उस उद्देश्य के साथ एक निर्धारित टेबल पर बैठकर, दूसरों से जुड़ते हैं या जुड़ने की इच्छा का संकेत देते हैं l कनेक्शन/ सम्बन्ध और समुदाय की भावना प्रदान करने के लिए बातचीत होती है l
प्रारंभिक कलीसिया के लोग भी साझा कनेक्शन/सम्बन्ध के लिए प्रतिबद्ध थे l एक दूसरे के बिना, वे संभवतः अपने विशवास के अभ्यास में बहुत अकेले महसूस करते थे, जो संसार के लिए अभी भी नया था l केवल, उन्होंने यीशु के पीछे चलने के बारे में जानने के लिए प्रेरितों के “शिक्षण” के लिए अपने आप को “समर्पित” ही नहीं किया, वे “मंदिर में इकठ्ठा” होते थे और आपसी प्रोत्साहन और संगति के लिए अपने घरों में “रोटी तोड़ते थे” (प्रेरितों 2:42,46) l
हमें मानवीय कनेक्शन/सम्बन्ध चाहिये; परमेश्वर ने हमें इस तरह से रचा है! अकेलेपन के दर्दनाक मौसम उस ज़रूरत की ओर इशारा करते हैं l प्रारंभिक कलीसिया के लोगों की तरह, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम मानव सहचारिता को हमारी भलाई के लिए संलग्न करें और इसे हमारे आस-पास के उन लोगों के लिए भी प्रस्तुत करें जिनको इसकी आवश्यकता है l
चंगाई देने वाले शब्द
हाल ही के एक अध्ययन से पता चला है कि स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के शब्द रोगियों को उनकी बीमारियों से जल्दी स्वाश्य होने में मदद करती हैं l एक साधारण प्रयोग के रूप में स्वयंसेवक अध्ययन भागीदारों को स्किन एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति(skin allergen) से खुजलाने को कहा गया और उसके बाद अपने चिकित्सक से आश्वासन प्राप्त करनेवालों से उन लोगों की प्रतिक्रियाओं की तुलना की गयी जिन्होंने आश्वासन प्राप्त नहीं किये थे l अपने चिकित्सक से प्रोत्साहन प्राप्त करनेवाले रोगियों को उनके प्रतिरूप(counterpart) से कम कष्ट और खुजलाहट हुयी l
नीतिवचन के लेखक को पता था कि उत्साहजनक शब्द कितने महत्वपूर्ण हैं l “मनभावने वचन . . . हड्डियों को हरी-भरी करते हैं” (नीतिवचन 16:24) l शब्दों का सकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य तक सिमित नहीं है : जब हम शिक्षा की बुद्धिमत्ता पर मन लगाते हैं, तो हम अपने प्रयासों में समृद्ध होने की अधिक सम्भावना रखते हैं (पद.20) l इसलिए बहुत अधिक प्रोत्साहन हमें उन चुनौतियों के लिए प्रोत्साहित करता है, जिनका सामना हम अभी करते हैं और भविष्य में सामना कर सकते हैं l
हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि क्यों और कैसे ज्ञान और प्रोत्साहन हमारे दैनिक जीवन में शक्ति और उपचार लाते हैं l फिर भी हमारे माता-पिता, कोच, और सहकर्मी का प्रोत्सहन और मार्गदर्शन हमें कठिनाई में स्थिर रहने और हमें सफलता की ओर अग्रसर होने में मदद करता है l इसी तरह, बाइबल हमें प्रोत्साहित करता है जब हम परीक्षाओं का सामना करते हैं, जिससे हम सबसे अकल्पनीय परिस्थितियों का सामना करने के लिए सज्जित होते हैं l परमेश्वर, आप अपनी बुद्धि से हमें मजबूत करें और बदले में, हम उन लोगों को “अनुग्रहपूर्ण शब्दों” की चंगाई और आशा प्रदान करें जिन्हें आपने हमारे जीवन में रखा है l
जिंदादिल
बारह वर्षों से, प्रतिदिन एक सामुद्रिक चिड़िया (seagull) एक व्यक्ति के पास आती रही है जिसने उसके एक टूटे हुए पैर को ठीक करने में उसकी सहायता की l जॉन ने कुत्ते के बिस्कुट के साथ उस चिड़िया को अपनी ओर आने के लिए लुभाया और फिर उसे स्वस्थ करने में मदद की l यद्यपि यह पक्षी केवल गर्मियों में इस छोटे से समुद्र तट शहर में उड़कर आता है, वह और जॉन बहुत सरलता से एक दूसरे को ढूँढ लेते हैं – वह पक्षी हर दिन समुद्र तट पर सीधे उसके पास आता है, यद्यपि वह किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं जाता l यह सुनिश्चित है कि यह एक असामान्य सम्बन्ध है l
इस पक्षी और जॉन के बीच यह अनोखा बंधन मुझे एक मनुष्य और पक्षी के बीच एक और असामान्य सम्बन्ध की याद दिलाता है l जब परमेश्वर के नबियों में से एक, एलिय्याह को अकाल के समय में, “करीत नाले में” छिपने के लिए जंगले में भेजा गया था, तो परमेश्वर ने कहा कि उसे नाले में का पानी पीना होगा और वह कौवों को उसके लिए भोजन का प्रबंध करने के लिए भेजेगा (1 राजा 17:3-4) l कठिन परिस्थितियों और परिवेश के बावजूद, एलिय्याह की भोजन और पानी की ज़रूरतें पूरी होंगी l कौवे खान-पान का प्रबंध करनेवाले नहीं हो सकते थे – स्वाभाविक रूप से खुद अनुचित भोजन खानेवाले – फिर भी वे एलिय्याह के लिए पोष्टिक भोजन लाते थे l
शायद यह हमें आश्चर्यचकित नहीं भी करे कि एक आदमी एक पक्षी की मदद करेगा, लेकिन जब पक्षी एक आदमी के लिए “सबेरे और सांझ को . . . उसके पास रोटी और मांस” (पद.6) लेकर आएं तो इसकी व्याख्या केवल परमेश्वर की सामर्थ्य और देखभाल से ही हो सकती है (पद.6) l एलिय्याह की तरह, हम भी अपने लिए ऊसके प्रबंध पर भरोसा कर सकते हैं l