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Articles by माँरविन विलियम्स

जीवन का मुकुट

बारह वर्षीय लीएडियानेज़ रोड्रिग्ज-एस्पाडा चिंतित थी कि उसे 5 किमी (3 मील से थोड़ा अधिक) दौड़ में देर हो जाएगी। उसकी उत्सुकता ने उसे अपने प्रारंभ समय से पंद्रह मिनट पहले हाफ-मैराथन (13 मील से अधिक!) के प्रतिभागियों के धावकों के साथ दौड़ शुरू करने को प्रेरित किया । लीएडियानेज़ अन्य धावकों की गति में गई और एक पैर दूसरे के सामने रखते गई। चार मील पर, जब समापन रेखा कहीं दिखाई नहीं दी, तब उसे एहसास हुआ कि वह एक लंबी और अधिक कठिन दौड़ में थी। बाहर निकलने के बजाय, वह बस दौड़ती रही। आकस्मिक हाफ मैराथन धावक ने अपने 13.1 मील का दौड़ पूरा किया और 2,111 धावको में से 1,885वें स्थान पर रही। अब यह है दृढ़ता!

 

यीशु में पहली सदी के कई विश्वासी सताव सहते हुए, मसीह की दौड़ से बाहर होना चाहते थे, लेकिन याकूब ने उन्हें दौड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। यदि उन्होंने धैर्य पूर्वक परीक्षा सहा, तो परमेश्वर उन्हें दोगुना इनाम देने का वादा किया (याकूब 1:4, 12)। पहला, “धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे” (पद.4)। दूसरा, परमेश्वर उन्हें  "जीवन का वह मुकुट" देगा—पृथ्वी पर यीशु में जीवन और आने वाले जीवन में उसकी उपस्थिति में रहने का वादा (पद.12) ।

 

कभी-कभी  मसीही दौड़ ऐसा महसूस होता है कि यह वह नहीं है जो मैं इंगित किया था—यह हमारी उम्मीद से अधिक लंबा और कठिन है। लेकिन जैसे परमेश्वर हमारी ज़रूरतों को पूरी करता है, हम दृढ़ रह सकते और दौड़ते रह सकते हैं। आप इस समय कौन सा कठिनाई सह रहे हैं?

परमेश्वर का छुटकारा

एक करुणामय स्वयंसेवक को उसके बहादुरी के कार्य हेतु उसे एक “संरक्षक दूत” (guardian angel) कहके संबोधित किया गया। जेक मन्ना अपने काम के स्थान पर सोलर पैनल लगा रहा था जब वह एक लापता पांच वर्षीय लड़की को ढूंढने के लिए तत्काल खोज में शामिल हो गया। जब पड़ोसियों ने अपनी गराजों और आंगनों में ढूंढा । मन्ना भी लड़की को ढूंढने के लिए एक नजदीकी मार्ग पर सीधा निकल गया जब वह एक जंगली क्षेत्र पर पहुंचा तो उसने वहां पर लड़की को कमर तक कीचड़ में फंसे हुए देखा उसने बड़ी ही सावधानी से उस गंदी दलदल से उसे बाहर निकाला और उसे किसी भी क्षति के बिना उसकी धन्यवादी माँ को लौटा दिया।

उस छोटी बच्ची की तरह, दाऊद ने भी छुटकारे का अनुभव किया। भजनकार भी अपनी पीड़ा में परमेश्वर को पुकार कर उसकी करुणा के लिए "धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की" (भजन संहिता 40:1)। और परमेश्वर ने किया, उसने उसकी पुकार की ओर अपनी दृष्टि की और सहायता देते हुए उसे उस कीचड़ रूपी परिस्थिति से बाहर निकाला (पद 2)—दाऊद के जीवन को स्थिर किया। बीते समय की दलदल से जब परमेश्वर ने उसे बचा निकाला तब उसके हृदय में स्तुति के भजन गाने लगा, जिससे भविष्य की परिस्थितियों में परमेश्वर को अपना भरोसा बनाए और अपनी कहानी दूसरों के साथ साझा कर सके (पद 3-4)।

जब हम स्वयं को जीवन की चुनौतियों जैसे आर्थिक मंदी, विवाहित परेशानियां और अयोग्य महसूस करने जैसी परिस्थितियों से घिरा हुआ पाते हैं, तो हम परमेश्वर की ओर अपनी आवाज को उठाएं और बड़े धीरज के साथ उसके प्रत्युत्तर की अपेक्षा करें (पद 1)। वह वहाँ है, हमारी ज़रूरत के समय में हमारी मदद करने और हमें खड़े होने के लिए एक स्थाई जगह देने के लिए तैयार है।।

परमेश्वर के प्रति समर्पण

परमेश्वर उनकी मदद नहीं करते जो अपनी मदद खुद करते हैं; वह उन लोगों की मदद करते है जो उस पर भरोसा करते हैं । सुसमाचार पर आधारित सफल टीवी श्रृंखला द चोज़ेन (The Chosen) में यीशु की भूमिका निभाने वाले अभिनेता जोनाथन रूमी को  मई 2018 में इस बात का एहसास हुआ। रूमी आठ साल से लॉस एंजिल्स में रह रहे थे, लगभग टूट चुके थे, उनके पास खाने के लिए बस दिन भर का ही भोजन था और कोई काम नज़र नहीं आ रहा था। यह नहीं जानते हुए कि वह इसे कैसे गुज़ारा कर पाएंगे, उस अभिनेता ने अपना ह्रदय परमेश्वर के सामने खोल दिया और अपना करियर (व्यवसाय) परमेश्वर को सौंप दिया। "मैंने वस्तुतः इन शब्दों से प्रार्थना की, 'मैं आत्मसमर्पण करता हूँ। मैं आत्मसमर्पण करता हूं।'' उस दिन बाद में, उन्हें ड़ाक  में चार चेक मिले और तीन महीने बाद, उन्हें “द चोज़ेन” में यीशु की भूमिका के लिए चुना गया। रूमी ने जाना कि परमेश्वर उन लोगों की मदद करते है जो उस पर भरोसा करते हैं।

"जो कुकर्मी हैं" (भजन संहिता 37:1) उनसे ईर्ष्या करने और उन पर क्रोधित होने के बजाय, भजनकार हमें सब कुछ परमेश्वर को समर्पित करने के लिए आमंत्रित करता है। जब हम अपने जीवन को उस पर केन्द्रित करते हैं, "उस पर भरोसा रखते और अच्छा करते," "उसमें प्रसन्न रहते" है (पद 3-4) और अपनी सभी इच्छाओं, समस्याओं, चिंताओं और अपने जीवन की दैनिक घटनाओं को उसे समर्पित करते हैं तब परमेश्वर हमारे जीवन को निर्देशित करेगा और हमें शांति देगा (पद- 5-6)। यीशु में विश्वासियों के रूप में, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उसे यह निर्धारित करने दें कि हमारा जीवन कैसा होना चाहिए।

आइए समर्पण करें और परमेश्वर पर भरोसा रखें। जैसे हम समर्पण करेंगे, वह कार्य करेगा और वही करेगा जो आवश्यक और सर्वोत्तम होगा।

आपके पास जो है उसे मसीह के लिए उपयोग करें

क्या आपने कभी द सोइंग हॉल ऑफ फ़ेम (The Sewing Hall of Fame) के बारे में सुना है? 2001 में स्थापित, यह उन लोगों को मान्यता देता है जिन्होंने "सिलाई शिक्षा और उत्पाद विकास के माध्यम से अनोखे और परिवर्तनात्मक योगदान के साथ घरेलू सिलाई उद्योग पर अपना स्थायी प्रभाव डाला है।" इसमें मार्था पुलेन जैसी महिला हैं, जिन्हें 2005 में हॉल में शामिल किया गया था, जिन्हें "नीतिवचन 31 महिला के रूप में वर्णित किया गया है। अपनी शक्ति, प्रेरणा और आशीष के स्रोत को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने में कभी असफल नहीं हुई।''

सोइंग हॉल ऑफ फ़ेम इक्कीसवीं सदी का आविष्कार है, लेकिन अगर यह इज़राइल में पहली सदी के आसपास होता, तो तबीता  नाम की एक महिला प्रेरणा का कारण होती।  तबीता यीशु में विश्वास करने वाली और सीनेवाली स्त्री थी जो अपने समुदाय की गरीब विधवाओं के लिए सिलाई करके अपना समय बिताती थी (प्रेरितों 9:36, 39)। जब वह बीमार हो गई और मर गई, तो शिष्यों ने पतरस को यह देखने के लिए बुलाया कि क्या परमेश्वर उनके माध्यम से कोई चमत्कार करेंगे। जब वह पहुंचे, तो रोती हुई विधवाओं ने उन्हें वस्त्र और अन्य कपड़े दिखाए जो तबीता ने उनके लिए बनाए थे (पद- 39)। ये कपड़े उसके शहर में गरीबों के लिए "हमेशा भला करने" का सबूत थे (पद- 36)। परमेश्वर की शक्ति से, तबीता  को एक बार फिर से जीवन मिल गया।

परमेश्वर हमें बुलाते हैं और हमें हमारे समुदाय और दुनिया में मौजूद जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे कौशल का उपयोग करने के लिए तैयार करते हैं। आइए हम अपने कौशल को यीशु की सेवा में दे और देखें कि वह ह्रदयों और जीवन को एक साथ जोड़ने के लिए हमारे प्रेम के कार्यों का उपयोग कैसे करेगा (इफिसियों 4:16)।

स्पष्ट रोना

जब कोई बच्चा रोता है, तो यह संकेत है कि वह थका हुआ है या भूखा है, है ना! ब्राउन यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों के अनुसार, नवजात शिशु के रोने में हल्का सा अंतर भी अन्य समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण संकेत दे सकता है। डॉक्टरों ने एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया है जो रोने के कारकों जैसे पिच (उतार चढ़ाव), तीव्रता, और रोने की आवाज में स्पष्टता को मापता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि बच्चे के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (baby’s central nervous system) में कुछ गड़बड़ है या नहीं।

यशायाह ने भविष्यवाणी करी कि परमेश्वर अपने लोगों की स्पष्ट पुकार सुनेंगे, उनके दिलों की हालत समझेंगे, और अनुग्रह के साथ जवाब देंगे। यहूदा ने, परमेश्वर से परामर्श करने के बजाय, उसके भविष्यवक्ता की उपेक्षा की थी और मिस्र के साथ गठबंधन में मदद मांगी थी (यशायाह 30:1–7)। परमेश्वर ने उनसे कहा कि यदि उन्होंने अपना विद्रोह जारी रखा, तो वह उनके सामने उनकी हार और अपमान लाएगा। हालाँकि वह उन पर “अनुग्रह करने की भी और उन पर दया दिखाने की इच्छा रखता था” (पद 18)। बचाव आएगा, लेकिन केवल उनके पश्चाताप और विश्वास के रोने से। यदि परमेश्वर के लोग उसे पुकारते, तो वह उनके पापों को क्षमा कर देता और उनकी आत्मिक शक्ति और जीवन शक्ति को नया कर देता (पद 8–26)।

यही बात आज यीशु में विश्वास करने वालों के लिए भी सच है। जब पश्चाताप और विश्वास की हमारी  स्पष्ट पुकारें (दोहाई) हमारे स्वर्गीय पिता के कानों तक पहुँचती हैं, तो वह उन्हें सुनता है, हमें क्षमा करता है, और उसमें हमारे आनंद और आशा को नया करता है।

परमेश्वर के लिए अच्छी परेशानी

एक दिन, छठी कक्षा के एक विद्यार्थी ने एक सहपाठी को एक छोटे उस्तरा से अपना हाथ काटते देखा l सही काम के प्रयास में, उसने उससे लेकर फेंक दिया l आश्चर्यजनक रूप से, सराहना के बजाय, उसे दस दिन का स्कूल निलंबन प्राप्त हुआ l क्यों? उसके पास कुछ समय के लिए उस्तरा था—जिसकी स्कूल में अनुमति नहीं थी l यह पूछे जाने पर कि क्या वह दोबारा ऐसा करेगी, उसने उत्तर दिया : “भले ही मैं परेशानी में पड़ जाऊं . . . मैं इसे दोहराउंगी l” जिस तरह इस लड़की के अच्छे काम करने की कोशिश ने उसे परेशानी में डाल दिया (उसका निलंबन बाद में उलट दिया गया था), यीशु का राज्य के हस्तक्षेप के कार्य ने उसे धार्मिक अगुओं के साथ अच्छी परेशानी में डाल दिया l

फरीसियों ने यीशु द्वारा एक विकृत हाथ वाले व्यक्ति की चंगाई को उनके नियमों का उल्लंघन बताया l  l मसीह ने उनसे कहा, कि अगर परमेश्वर के लोगों को सब्त के दिन गंभीर परिस्थितियों में पशुओं की देखभाल करने की अनुमति थी, तो “मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़कर है!” (मत्ती 12:12) l क्योंकि  सब्त का प्रभु होकर, यीशु जो अनुमत है और जो नहीं है को ठीक कर सकता था (पद.6-8) l यह जानते हुए कि इससे धार्मिक अगुवों को ठेस पहुंचेगी, उसने वैसे भी मनुष्य के हाथ को ठीक कर दिया (पद.13-14) l

कभी-कभी मसीह में विश्वासी “अच्छी मुसीबत” में पड़ सकते हैं—जो उसे आदर देता है लेकिन जिससे कुछ लोग खुश नहीं होते—जब वे दूसरों की मदद करते हैं l जब हम परमेश्वर के मार्गदर्शन में ऐसा करते हैं, हम यीशु का अनुकरण करते हुए दर्शाते हैं कि लोग नियमों और रीति-रिवाजों से अधिक महत्वपूर्ण हैं l

परमेश्वर के साथ रास्ते पर रहना

वर्षों पहले, उत्तर-पश्चिमी स्पेन में 218 लोगों को ले जा रही एक ट्रेन पटरी से उतर गई थी, जिसमें 79 लोगों की मौत हो गई और 66 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती थे। चालक दुर्घटना का व्याख्या नहीं कर सका, लेकिन वीडियो फुटेज कर सकता था और किया। जानलेवा मोड़ से टकराने से पहले ट्रेन बहुत तेज गति से जा रही थी। ट्रेन में सवार सब के सुरक्षा के लिए स्वीकार्य गति सीमा बनाया गया था। स्पेन के राष्ट्रीय रेल कंपनी का तीस वर्षीय अनुभवी होने के बावजूद, हालाँकि, चालक ने किसी भी कारण से गति सीमा को अनदेखा किया और कई लोगों की जान चली गई। 

व्यवस्थाविवरण 5 में, मूसा ने अपने लोगों के लिए परमेश्वर के मूल वाचा सीमाओं का समीक्षा किया। मूसा ने नई पीढ़ी को परमेश्वर के निर्देश को उसके साथ अपने वाचा के रूप में मानने के लिए प्रोत्साहित किया (पद 3), और फिर उसने दस आज्ञाओं (पद. 7-21) को दोहराया। आज्ञाओं को दोहराने और पिछले पीढ़ी के अनाज्ञाकारिता से सबक लेने के द्वारा, मूसा ने इस्राएलियों को श्रद्धावान, विनम्र और परमेश्वर के विश्वासयोग्यता के प्रति सचेत होने के लिए आमंत्रित किया। परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए एक मार्ग बनाया था ताकि वे अपने या दूसरों के जीवन को नष्ट न करें। यदि उन्होंने उसके बुद्धि का अवहेलना किया, तो वे अपने जोखिम पर ही ऐसा करते।

आज, जैसे परमेश्वर हमारा अगुवाई करता है, आइए हम पूरे पवित्रशास्त्र को अपना आनंद, परामर्शदाता और अपने जीवनों के लिए सुरक्षा कवच बनाएं। और जैसे आत्मा हमारा मार्गदर्शन करता है, हम उसकी बुद्धिमत्तापूर्ण सुरक्षा के दायरे में रह सकते हैं और अपना जीवन पूरे हृदय से उसके लिए समर्पित कर सकते हैं।

मदद के लिए एक पुकार

डेविड विल्स वाटरस्टोन्स बुकशॉप में ऊपर था जब वह नीचे आया और उसने पाया कि बत्तियाँ बंद थीं और दरवाज़े बंद थे। वह दुकान के अंदर फंसा हुआ था! और, यह नहीं जानते हुए, की क्या करना है उन्होंने ट्विटर की ओर रुख किया और ट्वीट किया: "हाय @Waterstones मैं आपके ट्राफलगर स्क्वायर किताबों की दुकान में 2 घंटे से बंद हूँ। कृपया मुझे बाहर निकाले। उसके ट्वीट के तुरंत बाद ही उसे छुड़ाया गया। 

जब हम मुसीबत में हों तो मदद पाने का रास्ता होना अच्छा है। यशायाह ने कहा कि कोई है जो हमारे पुकार का उत्तर देगा जब हम अपने ही बनाये हुए समस्यायों में फँस जाते हैं। भविष्यवक्ता ने लिखा है कि अपने लोगों पर परमेश्वर ने गैर-जिम्मेदार तरीके से धार्मिक भक्ति का अभ्यास करने का आरोप लगाया था। वे धर्म की गतियों से गुजर रहे थे लेकिन गरीबों के अपने उत्पीड़न को खोखले और स्वार्थी कर्मकांडों से छिपा रहे थे (यशायाह 58:1-7)।  इसे प्रभु खुश नहीं थे । परमेश्वर ने उनसे अपनी आँखें छिपा लीं और उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया (1:15)। उन्होंने उनसे पश्चाताप करने और दूसरों की परवाह करने के बाहरी कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए कहा (58:6-7)। वे ऐसा करते तो उन्होंने उनसे कहा, “तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दुहाई देगा और वह कहेगा, 'मैं यहाँ हूँ।' यदि तू अंधेर करना और उँगली उठाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे,” (पद 9)।

आइए हम गरीबों के करीब जाएं, उनसे कहें: "मैं यहां हूं।" क्योंकि परमेश्वर हमारी दोहाई को सुनता है और हम से कहता है, “मैं यहां हूं।”

एक प्रेमभरी चेतावनी

सन् 2010 में, सुमात्रा के इंडोनेशियाई द्वीप पर सूनामी आया, जिसमें चार सौ से अधिक लोग मारे गए। परन्तु यदि सुनामी की चेतावनी प्रणाली ठीक से काम कर रही होती तो उन मौतों को रोका या कम किया जा सकता था। सूनामी का पता लगाने वाले तंत्र (buoys) अलग हो गए थे और बहकर दूर चले गए थे।

यीशु ने कहा कि उसके चेलों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने साथी चेलों को उन बातों के बारे में चेतावनी दें जो उन्हें आत्मिक रूप से हानि पहुँचा सकती हैं, जिसमें वह पाप भी शामिल है जिसका पश्चाताप नहीं किया गया है। उसने एक ऐसी प्रक्रिया को रेखांकित किया जिसमें एक विश्वासी जिसने दूसरे के विरुद्ध पाप किया हो, वह विनम्रतापूर्वक, निजी तौर पर, और प्रार्थनापूर्वक अपराधी विश्वासी के पाप की ओर “संकेत” कर सकता है (मत्ती 18:15)। यदि वह व्यक्ति पश्चाताप करे, तो उस संघर्ष को सुलझाकर सम्बन्ध को बहाल किया जा सकता है। यदि वह विश्वासी पश्चाताप करने से इन्कार करता है, तो “एक या दो अन्य लोग”उस संघर्ष को सुलझाने में सहायता कर सकते हैं (पद 16)। यदि वह पापी व्यक्ति फिर भी पश्चाताप नहीं करता, तो इस मुद्दे को “कलीसिया” के सामने लाया जाना चाहिए (पद 17)। यदि वह अपराधी फिर भी पश्चाताप न करे,तो उस व्यक्ति को मंडली की संगति से निकाल देना चाहिए, परन्तु निश्चित रूप से उसके लिए अब भी प्रार्थना की जा सकती है और उस पर मसीह का प्रेम प्रकट किया जा सकता यीशु में विश्वासियों के रूप में,

आइए हम उस ज्ञान और साहस के लिए प्रार्थना करें जिसकी हमें आवश्यकता है, अपश्चातापी पाप के खतरों के बारे में एक दूसरे को प्यार से चेतावनी  देने के लिए   और हमारे स्वर्गीय पिता और अन्य विश्वासियों के लिए पुनःस्थापन की खुशियों के बारे में बताने के लिए। जब हम ऐसा करेंगेतो यीशु “वहाँ ... [हमारे] साथ” होगा (पद 20)।