मजबूत और अच्छा
युवा कैंपस मंत्री परेशान थे। लेकिन जब मैंने यह पूछने की हिम्मत की कि क्या वह प्रार्थना करते है तो वह विवादित दिखाई दिए। . . परमेश्वर के मार्गदर्शन के लिए। . . उसकी मदद के लिए। प्रार्थना करो, जैसा कि पौलुस ने आग्रह किया, निरंतर। जवाब में, युवक ने कबूल किया, "मुझे यकीन नहीं है कि मैं अब प्रार्थना में विश्वास करता हूं।" उनकी भौंहों पर बल पड़े। "या विश्वास करूँ कि परमेश्वर सुन रहा है। जरा दुनिया को देखो। वह युवा अगुवा अपनी शक्ति से एक सेवकाई का “निर्माण” कर रहा था और दुख की बात है कि वह असफल हो रहा था। क्यों? क्युँकि वह परमेश्वर को नकार रहा था।
यीशु, कलीसिया के सिरे के पत्थर के रूप में, हमेशा अस्वीकार किया गया है- वास्तव में, अस्वीकार करना उसके अपने ही लोगों के साथ शुरू हुआ (यूहन्ना 1:11)। बहुत से लोग आज भी उसे अस्वीकार करते हैं, संघर्ष कर रहे है अपने जीवन, कार्य, यहां तक कि कलीसियाओं को एक हलकी नीव पर बनाने के लिए - उनकी अपनी योजनाएं, सपने और अन्य अस्थिर भूमि। फिर भी, केवल हमारा अच्छा उद्धारकर्ता ही हमारी शक्ति और रक्षा है (भजन संहिता 118:14)। वास्तव में, "जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का पत्थर हो गया" (पद 22)।
हमारे जीवन के महत्वपूर्ण कोने में स्थित, उसमें जो विश्वासी है जो उसके लिए कुछ भी करना चाहते है उन्हें केवल वही सही संरेखण देता है। इसलिए, हम उससे प्रार्थना करते हैं, “हे यहोवा, हमें बचा! हे यहोवा, हमें सफलता प्रदान कर!” (वि. 25)। परिणाम? "धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है" (पद 26)। हम उसे धन्यवाद दें क्योंकि वह मजबूत और अच्छा है।
परिवर्तन का खेल
हाथ मिलाने ने बहुत कुछ कह दियाl1963 में मार्च की एक रात को, कॉलेज के दो बास्केटबॉल खिलाड़ियों ने—एक अश्वेत, एक श्वेत—अलगाववादियों की नफरत को झुठलाया और हाथ मिलाकर, मिसिसिपी राज्य के इतिहास में पहली बार चिन्हित किया कि इसकी सभी श्वेत पुरुषों की टीम एक एकीकृत(integrated) टीम के खिलाफ खेलीl एक राष्ट्रीय टूर्नामेंट में लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो के खिलाफ “परिवर्तन के खेल/game of change” में प्रतिस्पर्धा करने के लिए,मिसिसिपी राज्य टुकड़ी(squad) ने अपने राज्य को छोड़ने के लिए नकली खिलाड़ियों का उपयोग करके उन्हें रोकने के लिए निषेधाज्ञा से परहेज किया l इस बीच, लोयोला के अश्वेत खिलाड़ियों ने, पॉपकॉर्न और बर्फ की मार, और यात्रा के दौरान बंद दरवाजों का सामना करते हुए, पूरे सीजन(उप्युक्त् काल/ अवधि) में नस्लीय अपमान सहा था l
इसके बावजूद युवक खेलते रहे l “लोयोला रैम्बलर्स” ने “मिसिसिपी स्टेट बुलडॉग” को 61-51 से पराजित किया, और लोयोला ने आख़िरकार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत ली l लेकिन उस रात वास्तव में किसकी जीत हुयी? नफरत से प्यार की ओर एक कदम l जैसा कि यीशु ने सिखाया, “अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, जो तुम से बैर करें, उनका भला करो” (लूका 6:27)
परमेश्वर का निर्देश जीवन बदलने वाली अवधारणा थी l अपने शत्रुओं से प्रेम करने के लिए जैसा कि मसीह ने सिखाया है, हमें परिवर्तन के उनके क्रांतिकारी आदेश का पालन करना चाहिए l जैसा कि पौलुस ने लिखा, “यदि कोई मसीह में है, तो वह नयी सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गयी हैं; देखो, सब बातें नयी हो गयी हैं” (2 कुरिन्थियों 5:17) लेकिन हमारे भीतर उसका नया तरीका पुराने को कैसे पराजित करता है? प्रेम से l फिर, एक दूसरे में, हम अंततः उसे देख सकते हैं l
उसके प्रकाश को प्रतिबिम्बित करना
ऑइल पेंटिंग में परावर्तक प्रकाश(reflecting light) की सुंदरता को पकड़ने के लिए, चित्रकार आर्मंड कैबरेरा एक प्रमुख कलात्मक सिद्धांत के साथ काम करते हैं: "प्रतिबिंबित प्रकाश कभी भी अपने स्रोत प्रकाश जितना मजबूत नहीं होता है।" वह देखते है कि नौसिखिए चित्रकार परावर्तित प्रकाश को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। वह कहते हैं, "प्रतिबिंबित प्रकाश छाया से संबंधित है और इस तरह इसे समर्थन देना चाहिए, आपकी पेंटिंग के रोशनी वाले क्षेत्रों से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए।"
हम बाइबल में "सारी मानवजाति की ज्योति" के रूप में यीशु के बारे में इसी तरह की अंतर्दृष्टि सुनते हैं (यूहन्ना 1:4)यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला "गवाह बनकर आया कि उस ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा उस पर विश्वास करें" (पद. 7) सुसमाचार लेखक हमें बताता है, “वह स्वयं [यूहन्ना] ज्योति नहीं था; वह तो केवल ज्योति का गवाह बनकर आया” (पद. 8)
जैसा यूहन्ना के साथ हुआ था, वैसे ही हम परमेश्वर के द्वारा एक अविश्वासी संसार की छाया में रहने वालों के लिए मसीह की ज्योति को प्रतिबिंबित करने के लिए चुने गए हैं। यह हमारी भूमिका है, जैसा कि एक स्रोत कहता है, "शायद इसलिए कि अविश्वासी उसकी ज्योति की पूर्ण प्रज्वलित महिमा को प्रत्यक्ष रूप से सहन करने में सक्षम नहीं हैं।"
कैबरेरा अपने कला छात्रों (आर्ट स्टूडेंट्स) को सिखाते है कि "किसी भी दृश्य में प्रत्यक्ष प्रकाश पड़ने वाली कोई भी चीज़ स्वयं प्रकाश का स्रोत बन जाती है।" इसी तरह, यीशु भी "सच्ची ज्योति है जो सभी को उजियाला प्रदान करता है" (पद. 9) हम भी गवाहों के रूप में चमक सकते हैं जब हम उसे प्रतिबिम्बित करते हैं, काश दुनिया उसकी महिमा को हमारे माध्यम से चमकते हुए देखकर चकित हो जाए।
कभी देरी नहीं
एक छोटे से पश्चिम अफ्रीकी शहर के आगंतुक के रूप में, मेरे अमेरिकी पादरी ने रविवार की सुबह 10 बजे की आराधना के लिए समय पर पहुंचना सुनिश्चित किया; हालाँकि, उन्होने कमरा खाली पाया तो उन्होने इंतजार किया। एक घंटा। दो घंटे। अंत में, लगभग 12:30 बजे, जब स्थानीय पादरी एक लंबी दूरी तय करने के बाद वहां पहुंचे, उनके बाद कुछ गाना गानेवाले और शहर के मित्रवत लोगों का एक समूह आया — आराधना समय की परिपूर्णता में शुरू हुई, जैसा कि मेरे पादरी ने बाद में कहा था “आत्मा ने हमारा स्वागत किया, और परमेश्वर को देर नहीं हुई।” मेरे पादरी समझ गए थे कि यहां की संस्कृति अपने कुछ अच्छे कारणों से अलग है।
समय तुलनाल्मक लगता है, लेकिन परमेश्वर के सिद्ध, समय पूर्वक स्वभाव की पुष्टि पूरे पवित्रशास्त्र में की गई है। लाजर के बीमार होने और मरने के बाद, यीशु चार दिन बाद आया, लाजर की बहनों ने पूछा, “क्यों हे प्रभु? मार्था ने यीशु से कहा, “यदि तुम यहाँ होते, तो मेरा भाई न मरता” (यूहन्ना 11:21)। हम भी ऐसा ही सोच सकते हैं, यह सोचकर कि परमेश्वर हमारी समस्याओं को ठीक करने के लिए जल्दी क्यों नहीं करते। इसके बजाय उसके उत्तरों और शक्ति के लिए विश्वास से प्रतीक्षा करना बेहतर है।
जैसा कि धर्मशास्त्री हॉवर्ड थुरमन ने लिखा है, “हम प्रतीक्षा करते हैं, हमारे पिता, जब तक कि आपकी ताकत का कुछ हमारी ताकत नहीं बन जाता, आपके दिल का कुछ हमारा दिल नहीं बन जाता है, आपकी क्षमा का कुछ हमारी क्षमा नहीं बन जाता है। हम प्रतीक्षा करते हैं, हे परमेश्वर4 हम प्रतीक्षा करते हैं।” फिर, जैसा कि लाजर के साथ हुआ जब परमेश्वर जवाब देता है, तो हम चमत्कारिक रूप से उस चीज़ से आशीषित होते हैं जो आखिरकार देरी नहीं थी।
जैसे मैं हूँ
युवती सो नहीं पा रही थी। आजीवन शारीरिक रूप से विकलांग, अपनी उच्च शिक्षा के भुगतान का दान प्राप्त करने के लिए, अगले दिन वह चर्च बाज़ार में मुख्य मंच पर होगी। लेकिन मैं योग्य नहीं हूं, शार्लोट इलियट ने तर्क दिया।, पलटते और मुड़ते हुए, उसने अपनी साख पर संदेह किया, अपने आत्मिक जीवन के हर पहलू पर सवाल उठाया। अगले दिन फिर भी बेचैन, अंत में वह उत्कृष्ट भजन “जैसे मैं हूँ” के शब्दों को लिखने के लिए कलम और कागज उठाने के लिए टेबल पर गई।
“जैसे मैं हूँ, बगैर एक दलील,/पर तेरा लहू मेरे लिए बहाया गया,/ और यह कि तूने मुझे अपने पास बुलाया,/ मसीह, मसीह मैं आती हूँ। ”
1835 में लिखे गये, उसके शब्द, व्यक्त करते है कि यीशु ने कैसे अपने चेलों को बुलाया कि वें आए और उसकी सेवा करें। इसलिये नहीं क्योंकि वे तैयार थे। वे तैयार नहीं थे। परन्तु क्योंकि उन्होंने उन लोगों को-जैसे वे थे अधिकृत किया। एक असंगत समूह, उनके बारह के समूह में एक चुंगी लेने वाला, कट्टरपंथी, दो अति महत्वाकांक्षी भाई शामिल थे (मरकुस 10:35-37), और यहूदा इस्करियोती “जिसने उसे पकड़वा दिया” (मत्ती 10:4)। फिर भी, उन्होंने यह कहकर अधिकार दिया “बीमारों को चंगा करो, मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्टात्माओं को निकालो। ” (पद 8) और वह भी बिना पटुका, रूपा, ताँबा, झोली, न दो कुरते, न जूते और न लाठी (9-10)।
उन्होंने कहा “..मैं तुम्हें ... भेजता हूँ,” (पद 16), और वह पर्याप्त था। हम में से प्रत्येक के लिए जो उसे हाँ कहते हैं, वह अभी भी है।
बड़ी अपेक्षाएं
क्रिसमस से पहले एक व्यस्त दिन, एक बूढ़ी औरत मेरे भीड़-भाड़ वाले पड़ोस के डाकघर के मेल काउंटर पर पहुंची। उसकी धीमी गति को देखकर, धैर्यवान डाक क्लर्क ने उसका अभिवादन किया, “अच्छा नमस्ते, जवान महिला!” उसका शब्द मित्रवत था, लेकिन कुछ लोग उन्हें इस तरह सुन सकते हैं कि “युवा होना” बेहतर है।
बाइबल हमें यह देखने के लिए प्रेरित करती है कि उन्नत आयु हमारी आशा को प्रेरित कर सकता है। शिशु यीशु को जब पवित्र ठहराने के लिए युसूफ और मरियम के द्वारा मन्दिर में लाया जाता है(लुका 2:23; देखें निर्गमन 13:2, 12), दो बुज़ुर्ग विश्वासी बीच में अचानक अहम् स्थान लेते है।
पहला, सिमोन—जो वर्षों से मसीहा को देखने का इंतजार कर रहा था-“ .. उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्वर का धन्यवाद करके कहा : “हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है, क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है, जिसे तू ने सब देशों के लोगों के सामने तैयार किया है,”
फिर जैसे शिमोन मरियम और यूसुफ से बातें कर रहा था हन्नाह, एक “बहुत बूढ़ी” भविष्यद्वक्तिन आती है (v.36)। एक विधवा जो सिर्फ सात साल विवाहित रही, वह चौरासी साल की उम्र तक मंदिर में ही थी, मंदिर को कभी नहीं छोड़ा, वह “उपवास और प्रार्थना कर करके रात–दिन उपासना किया करती थी।” जब उसने यीशु को देखा, वह “उन सभों से, जो यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उस बालक के विषय में बातें करने लगी।” (vv.37-38) और प्रभु की स्तुति करने लगी।
ये दो आशा से भरपूर दास हमें याद दिलाते है की हमें बड़ी आशा के साथ- परमेश्वर की प्रतीक्षा करना कभी बंद नहीं करनी चाहिए- भले ही हमारी उम्र कुछ भी क्यों न हो।
मसीह को सुनना, अव्यवस्था को नहीं
प्रतिदिन कई घंटों तक टीवी पर समाचार देखने के बाद, वह बुज़ुर्ग व्यक्ति घबरा गया और चिंतित हो गया—चिंतित इसलिए कि दुनिया बिखर रही है और उसे अपने साथ ले जा रही है l “कृपया टीवी बंद कर दें,” उसकी व्यस्क बेटी ने उनसे आग्रह किया l “सुनना तुरंत बंद कर दीजिए l” लेकिन वह व्यक्ति सोशल मीडिया और दूसरे समाचार स्त्रोतों में अधिकाधिक समय बिताता रहा l
जो हम सुनते हैं वह गहराई से मायने रखता है l हम इसे यीशु का पिलातुस के साथ सामना करने में देखते हैं l धार्मिक अगुओं द्वारा उसके विरुद्ध अपराधिक अभियोग का उत्तर देते हुए, पिलातुस ने उसे बुलवाकर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” (यूहन्ना 18:33) l यीशु ने हक्का-बक्काकर देनेवाला (चौकाने वाले) प्रश्न के साथ उत्तर दिया : “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या दूसरों ने मेरे विषय में तुझ से यह कहा है?” (पद.34) l
वही प्रश्न हमें भी जाँचता हैl घबराहट के संसार में, हम अव्यवस्था या अराजकता को सुन रहे हैं या मसीह को? निश्चित रूप से,उसने कहा “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं,” l “मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (10:27) l यीशु ने उस पर संदेह करनेवाले धार्मिक अगुओं को समझाने के लिए “यह दृष्टान्त कहा” (पद.6) l उसने कहा कि एक अच्छे चरवाहे की तरह, उसकी “भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं, क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं l परन्तु वे पराए के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानतीं” (पद.4-5) l
अच्छे चरवाहे के रूप में, यीशु हमें सभी बातों के ऊपर उसे सुनने के लिए कहता है l संभवतः हम उसे अच्छी तरह से सुने और उसकी शांति पाए l
परमेश्वर की दूरदर्शिता पर भरोसा
हमें एक अपरिचित स्थान पर ले जाते समय, मेरे पति ने देखा कि जीपीएस दिशाएँ अचानक गलत लग रही थीं। एक विश्वसनीय चार -लेन राजमार्ग में प्रवेश करने के बाद, हमें सलाह दी गई कि हम बाहर निकलें और हमारे समानांतर चलने वाली एक-लेन "सर्विस" सड़क के साथ यात्रा करें। कोई देरी न होने के बावजूद डैन ने कहा, "मैं बस इस पर भरोसा करूंगा।" हालाँकि, लगभग दस मील के बाद, हमारे बगल के राजमार्ग पर यातायात धीमा हो गया और लगभग ठप हो गया। मुसीबत? बड़ा निर्माण कार्य। और सर्विस रोड? कम यातायात के साथ, इसने हमारी मंज़िल के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रदान किया। "मैं आगे नहीं देख सकता," डैन ने कहा, "लेकिन जीपीएस देख सकता था।" या, जैसा कि हम सहमत थे, "ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर देख सकता है।"
आगे क्या है,यह जानते हुए, परमेश्वर ने स्वप्न में उन बुद्धिमानों को उनकी दिशाओं में ऐसा ही परिवर्तन करने को कहा था जो पूर्व से "यहूदियों का राजा" (मत्ती 2:2) यीशु की आराधना करने के लिए आए थे, । राजा हेरोदेस, एक "प्रतिद्वंद्वी" राजा की खबर से परेशान होकर, जादूगर से झूठ बोला, उन्हें बेथलहम भेजकर कहा: "जाओ, उस बालक के विषय में ठीक-ठीक मालूम करो, और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उस को प्रणाम करूं" (पद 8)। एक सपने में चेतावनी दी गई थी कि "हेरोदेस के पास फिर न जाना," हालांकि, "वे दूसरे मार्ग से अपने देश को चले गए" (पद 12)।
परमेश्वर हमारे कदमों का भी मार्गदर्शन करेंगे। जब हम जीवन के राजमार्गों में यात्रा करते हैं, तो हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह जानता है कि आगे क्या है और आश्वस्त रह सकते है कि "वह [हमारे] लिये सीधा मार्ग निकालेगा" जब हम उसके निर्देशों के अधीन होते हैं (नीतिवचन 3:6)।
आकाश के पक्षी
गर्मियों का सूरज उग रहा था और मुस्कुराती हुई मेरी पड़ोसन ने मुझे अपने सामने के यार्ड में देखकर फुसफुसाया आओ देखो। "क्या?" मैं उत्सुकता से वापस फुसफुसाई। उसने अपने सामने के बरामदे पर एक विंड चाइम की ओर इशारा किया, जहां एक धातु के डंडे के ऊपर पुआल का एक छोटा प्याला रखा हुआ था। "एक चिड़ियों का घोंसला," वह फुसफुसाई। "बच्चों को देखो?" दो चोंच, सुई जैसी छोटी, ऊपर की ओर इशारा करते हुए मुश्किल से दिखाई दे रही थीं। "वे माँ की प्रतीक्षा कर रहे हैं।" हम वहाँ खड़े थे, अचंभित हो रहे थे। मैंने एक तस्वीर खींचने के लिए अपना सेल फोन ऊपर किया। "ज्यादा करीब नहीं," मेरे पड़ोसन ने कहा। "माँ को डराना नहीं चाहते।" और इसके साथ ही, हमने दूर से ही - चिड़ियों के एक परिवार को अपनाया।
लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं। एक और हफ्ते में, चिड़िया और बच्चे चले गए—उतनी ही चुपचाप से जितनी चुपचाप से आए थे। लेकिन उनकी देखभाल कौन करेगा?
बाइबल एक गौरवशाली परन्तु परिचित उत्तर देती है। यह इतना परिचित है कि हम वे सब भूल सकते हैं जिसका ये वायदा करता है: " अपने प्राण के लिए.. चिन्ता न करना। " यीशु ने कहा (मत्ती 6:25)। एक सरल लेकिन सुंदर निर्देश। उन्होंने कहा। "आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हें खिलाता है" (पद 26)।
परमेश्वर जैसे छोटे पक्षियों की परवाह करता है, वैसे ही वह हमारी परवाह करता है - हमारे मन, शरीर, प्राण और आत्मा को पोषित करता है। यह एक महाप्रतापी वादा है। हम प्रतिदिन—बिना किसी चिंता के— उसकी ओर देखें और ऊंचा उड़ते जाएं।