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Articles by शेरिडन योयता

सच्ची सफलता

मेरे साक्षात्कार के अतिथि ने विनम्रता से मेरे सवालों का जवाब दिया । हालाँकि,  मुझे लग रहा था कि हमारी बातचीत के पीछे कुछ छुपी हुई है l एक गुजरती टिप्पणी ने इसे बाहर ला दिया l

"आप हजारों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं," मैंने कहा ।

"हजारों नहीं," उन्होंने कहा । "लाखों ।"

और जैसे कि मेरी अज्ञानता पर तरस खाते हुए,  मेरे अतिथि ने मुझे अपनी साख/प्रत्यायक याद दिलायी – उपाधियाँ जो उनके पास थीं, चीजें  जो उन्होंने हासिल की थीं,  वह पत्रिका जो उन्होंने गढ़ी/सजाई थी । यह एक अजीब क्षण था ।

उस अनुभव के बाद से,  मैं इस बात से प्रभावित हुआ कि परमेश्वर ने सीनै पर्वत पर खुद को मूसा के सामने कैसे प्रकट किया (निर्गमन 34:5-7) । यहाँ पर कायनात और मानवता का न्यायी था, लेकिन परमेश्वर ने अपनी संज्ञा, अपने नाम का उपयोग नहीं किया । यहां 100 बिलियन/असंख्य आकाशगंगाओं का रचयिता था, लेकिन इस तरह की योग्यताओं का उल्लेख भी नहीं किया गया था । इसके बजाय, परमेश्वर ने स्वयं को “दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवंत, और अति करुणामय और सत्य” के रूप में पेश किया (पद.6) l जब वह प्रगट करता है कि वह कौन है,  तो वह अपनी उपाधियों या उपलब्धियों को सूचीबद्ध नहीं करता है लेकिन उसके पास जिस तरह का चरित्र है ।

परमेश्वर की छवि में बनाए हुए और उसके उदाहरण का पालन करने के लिए बुलाए गए लोगों के रूप में (उत्पत्ति 1:27;  इफिसियों 5:1-2), यह गंभीर है । उपलब्धि अच्छी है, उपाधियों का  अपना स्थान है,  लेकिन वास्तव में यह महत्वपूर्ण है कि हम कितने दयालु, अनुग्रहकारी, और प्रेमी बन रहे हैं l

उस साक्षात्कार अतिथि की तरह,  हम भी अपने महत्व को उपलब्धियों पर आधारित कर सकते हैं l मैंने किया है l लेकिन हमारे परमेश्वर ने प्रतिमान बनाया है कि सच्ची सफलता क्या है – वह नहीं जो हमारे व्यवसाय कार्ड और रिज्युमे(resume) पर लिखा है,  लेकिन हम उनके जैसे कैसे बन रहे हैं ।

क्रिसमस विस्मय

मैं मीटिंग के लिए एक रात लंदन में था । बहुत तेज बारिश हो रही थी, और मुझे देर हो रही थी । मैं गलियों से तेजी से दौड़ता हुआ, एक कोने से मुड़ा और फिर रुक गया । दर्जनों स्वर्दूत रीजेंट स्ट्रीट के ऊपर मंडरा रहे थे,  उनके विशाल झिलमिलाते पंख यातायात में पसरे हुए थे l  स्पंदन करती हजारों बत्तियों से बनी हुई,  यह सबसे अद्भुत क्रिसमस प्रदर्शन था जिसे मैंने देखा था । केवल मैं ही अकेला मोहित नहीं था l सैकड़ों लोग विस्मय में डूबे हुए सड़क पर पंक्तिबद्ध थे l

क्रिसमस की कहानी में विस्मय सबसे महत्वपूर्ण है l जब स्वर्गदूत ने मरियम के समक्ष प्रगट होकर समझाते हुए कहा कि वह चमत्कारिक रूप से गर्भ धारण करेगी (लूका 1:26-38),  और चरवाहों को यीशु के जन्म की घोषणा की (2:8–20). प्रत्येक ने भय, आश्चर्य – और विषमय से प्रत्युत्तर दिया l उस रीजेंट स्ट्रीट की भीड़ को देखते हुए,  मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या हम भी कुछ हद तक वही प्रथम दिव्य दृश्य का अनुभव कर रहे थे l

एक क्षण बाद,  मैंने कुछ और देखा । कुछ स्वर्गदूतों ने अपनी भुजाएँ उठाई थीं,  मानो वे भी किसी चीज़ को टकटकी लगाकर देख रहे हों । जैसे कि स्वर्गदूतों का समूह यीशु का जिक्र होने पर स्तुति करने लगे (पद.13-14), ऐसा लगता है कि स्वर्गदूत भी विस्मित होते देखे जा सकते है – जब वे उसे टकटकी लगाकर देखते हैं l

"वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है” (इब्रानियों 1:3) l उज्ज्वल और प्रकाशमान,  यीशु हर स्वर्गदूत की निगाह का केंद्र बिंदु है (पद.6) । यदि स्वर्गदूत के प्रसंग वाला क्रिसमस का प्रदर्शन व्यस्त लंदन वासियों को उनके रास्ते में रोक सकता है,  तो उस पल की कल्पना करें जब हम उसे आमने-सामने देखेंगे l 

लड़ाई का सामना करना

अभी हाल ही में मैं दोस्तों के एक समूह से मिला । जब मैंने बातचीत सुनी, तो ऐसा लगा कि कमरे में हर कोई किसी ख़ास लड़ाई का सामना कर रहा था । हममें से दो के माता-पिता कैंसर से लड़ रहे थे, एक के बच्चे को भोजन विकार(eating disorder) की बीमारी थी, एक और दोस्त पुराने दर्द का सामना कर रहा था, और दूसरे की बड़ी शल्यचिकित्सा तय थी l तीस से चालीस उम्र के लोगों के लिए यह बहुत अधिक महसूस हो रहा था l

पहला इतिहास 16 इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण को याद करता है जब वाचा के सन्दूक को दाऊद के नगर (यरूशलेम) में लाया गया था । शमुएल हमें बताता है कि यह लड़ाई के बीच शांति के एक पल में हुआ (2 शमूएल 7:1) । जब परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक, सन्दूक अपने स्थान पर था, तो दाऊद ने एक गीत में लोगों का नेतृत्व किया (1 इतिहास 16: 8-36) । एक साथ राष्ट्र ने ईश्वर के आश्चर्यकर्म करने की सामर्थ्य, प्रतिज्ञा पूरी करने के तरीके, और अतीत में उसकी सुरक्षा के गीत गाए, (पद.12:22) । “यहोवा और उसकी सामर्थ्य की खोज करो; उसके दर्शन के लिए लगातार खोज करो,” वे पुकार उठे (पद.11) l उन्हें इसकी आवश्यकता थी, क्योंकि और लड़ाइयाँ तय थी l

प्रभु और उसकी सामर्थ्य की खोज करो l उसके दर्शन को खोजो l बीमारी, पारिवारिक चिंता, और अन्य लड़ाइयों का सामना करने के लिए यह बुरी सलाह नहीं है, क्योंकि हम अपनी स्वयं की क्षीण होती ऊर्जा में लड़ने के लिए नहीं छोड़े गए हैं । परमेश्वर उपस्थित है; परमेश्वर सामर्थी है; उसने अतीत में हमारी देखभाल की और आगे भी ऐसा करेगा ।

हमारा परमेश्वर हमें पार ले जाएगा l

ट्रक ड्राईवर के हाथ

खबर भयभीत करनेवाला था l पहले से ही प्रोस्टेट(prostate) कैंसर से बच जाने के बाद, मेरे पिता को अब अग्नाशय(pancreas) के कैंसर का पता चला था । मामलों को जटिल बनाएँ, तो  मेरे पिता मेरी माँ की पूर्णकालिक देखभाल करते हैं, उनकी स्वयं की पुरानी बीमारियों में सहायता करते हैं । माता-पिता दोनों को देखभाल की आवश्यकता के साथ, आगे कुछ कठिन दिन आनेवाले थे ।

उनके साथ रहने के लिए फ्लाइट से लौटने के बाद, मैं रविवार को अपने माता-पिता के चर्च गयी l वहाँ, एक व्यक्ति ने यह कहते हुए मुझसे संपर्क किया, कि वह मदद करना चाहता है । दो दिन बाद, यह आदमी एक कार्यसूची के साथ हमारे घर आया । "कीमोथेरेपी शुरू होने पर आपको कुछ भोजन की आवश्यकता होगी," उसने कहा । "मैं खाने की व्यवस्था कर दूँगा l घास कैसे काटी जाएगी? मैं कर सकता हूँ । और किस दिन आपका कूड़ा उठाया जाता है?” यह आदमी एक सेवानिवृत्त ट्रक ड्राइवर था, लेकिन हमारे लिए वह एक स्वर्गदूत बन गया । हमने पाया कि वह अक्सर दूसरों की मदद करता था जैसे अकेली माताएँ, बेघर और वृद्ध l

जबकि यीशु में विश्वासियों को दूसरों की मदद करने के लिए बुलाया गया है (लूका 10:25-37), कुछ लोगों के पास ऐसा करने की एक विशेष क्षमता होती है । प्रेरित पौलुस इसे दया का उपहार कहता है (रोमियों 12: 8)। यह उपहार प्राप्त लोग आवश्यकताओं को पहचान लेते हैं, व्यावहारिक सहायता देते हैं, और अभिभूत हुए बिना अधिक सेवा कर पाते हैं । पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित, ये मसीह के शरीर के हाथ हैं, जो हमारे घावों की देखभाल करते हैं (पद.4-5) ।

हाल ही में पिताजी का कीमोथेरेपी का पहला दिन था, और हमारे सहायक स्वर्गदूत ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया । उस रात मेरे माता-पिता का फ्रिज भोजन से भरा था ।

ट्रक ड्राइवर के हाथों से परमेश्वर की दया ।

देखने के लिए आँखें

मुझे हाल ही में एनामॉर्फिक/anamorphic(पारस्परिक रूप से लंबवत त्रिज्या के साथ विभिन्न ऑप्टिकल इमेजिंग प्रभाव का उत्पादन) कला के आश्चर्य का पता चला । यादृच्छिक/क्रम रहित भागों के वर्गीकरण के रूप में पहली बार दिखाई देने पर, एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला केवल सही कोण से देखे जाने पर समझ में आता है । एक टुकड़े में, लम्बवत स्तंभों की एक श्रृंखला एक प्रसिद्ध नेता के चेहरे को प्रकट करने के लिए संरेखित हैं । दूसरे में, केबल(cable) का एक ढेर एक हाथी की रूपरेखा बन जाता है । तार द्वारा निलंबित सैकड़ों काले बिन्दुओं से बनी एक और कलाकृति, सही ढंग से देखने पर एक महिला की आंख बन जाती है । एनामॉर्फिक कला की कुंजी इसे विभिन्न कोणों से देखने की है जब तक कि इसका अर्थ सामने नहीं आता ।

इतिहास, कविता और ज्यादा के हजारों छंदों के साथ, बाइबल कभी-कभी समझने में कठिन हो सकती है । लेकिन पवित्रशास्त्र स्वयं हमें बताता है कि इसका अर्थ कैसे अनलॉक किया जाए। इसके साथ एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला की तरह व्यवहार करें : इसे विभिन्न कोणों से देखें और इस पर गहराई से ध्यान दें ।

मसीह के दृष्टान्त इस तरह काम करते हैं । जो लोग उन पर ध्यान देते हैं उन्हें उनका अर्थ देखने के लिए “आँखें” मिलेंगी (मत्ती 13:10-16) l पौलुस ने तीमुथियुस को उसके शब्दों पर “ध्यान” देने के लिए कहा ताकि परमेश्वर उसे अंतर्दृष्टि दे (2 तीमुथियुस 2:7) । और भजन 119 में बार-बार आने वाले शब्द पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने का वह तरीका है जिससे बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि आती है जिससे उसके अर्थ समझने के लिए हमारी आँखें खुलती हैं (119:18, 97–99) ।

एक सप्ताह तक एक दृष्टान्त पर विचार करना या एक बैठक में एक सुसमाचार पढ़ना कैसा रहेगा? सभी कोणों से एक पद पर विचार करने में कुछ समय बिताएं । गहराई में जाएँ । बाइबल की अंतर्दृष्टि, पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने से आती है, न कि इसे केवल पढ़ने से l

हे परमेश्वर, हमें देखने के लिए आंखें दीजिये l

लिफ्ट की मरम्मत करना

सारा की एक दुर्लभ स्थिति है जो उसके जोड़ों के उखड़ने का कारण बनती है, जिससे वह बिजली के व्हीलचेयर पर निर्भर हो जाती है । हाल ही में एक बैठक में जाते समय, सारा अपनी व्हीलचेयर पर ट्रेन स्टेशन तक गयी लेकिन लिफ्ट टूटी हुई पाई । फिर । प्लेटफ़ॉर्म पर जाने का कोई रास्ता नहीं होने के कारण, उसे चालीस मिनट दूर दूसरे स्टेशन तक टैक्सी लेने के लिए कहा गया । टैक्सी बुलाई गई लेकिन वह नहीं आई । सारा हार मानकर घर चली गई ।

दुर्भाग्य से, यह सारा के लिए एक नियमित घटना है । टूटे लिफ्ट उसे ट्रेनों पर चढ़ने से रोकते हैं, भूली हुई चल सीढ़ियाँ उसे उतरने में असमर्थ छोड़ देती हैं । कभी-कभी रेलवे कर्मचारी सारा को सहायता की ज़रूरत के कारण परेशानी मानते हैं l वह अक्सर रोने लगती है l

मानव संबंधों को नियंत्रित करने वाले कई बाइबल नियमावलियों में से, "अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम रख” कुंजी है (लैव्यव्यवस्था 19:18; रोमियों 13: 8–10) । और जबकि यह प्रेम हमें झूठ बोलने, चोरी करने और दूसरों को गाली देने से रोकता है (लैव्यव्यवस्था 19:11,14), यह हमारे काम करने के तरीके को भी बदलता है l कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए (पद.13), और हम सभी को गरीबों के प्रति उदार होना चाहिए (पद.9–10) । सारा के मामले में, जो लिफ्ट को ठीक करते हैं और चल सीढ़ियों को बाहर खींचते हैं, वे असंगत कार्य नहीं करते हैं, लेकिन दूसरों को महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं ।

अगर हम काम को केवल मजदूरी या अन्य व्यक्तिगत लाभ के साधन के रूप में मानते हैं, तो हम जल्द ही दूसरों को झुंझलाहट के रूप में मानेंगे । लेकिन अगर हम अपनी नौकरियों को प्रेम के अवसरों के रूप में मानते हैं, तो अधिकतर रोजमर्रा का काम एक पवित्र उद्यम बन जाता है ।

प्रेम किया गया, खुबसूरत, वरदान प्राप्त

मोहन एक किशोर के रूप में आत्मविश्वास से भरा दिखाई दिया l लेकिन यह आत्मविश्वास एक मुखौटा था l सच में, एक अशांत घर ने उसे भयभीत, स्वीकृति के लिए बेताब, और अपने परिवार की समस्याओं के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार महसूस कराया l “जहां तक मुझे याद है,” वह कहता है, “हर सुबह मैं बाथरूम में जाता था, आईने में देखता हूँ, और खुद से ज़ोर से कहता था, ‘तुम मुर्ख हो, तुम बदसूरत हो, और यह तुम्हारी गलती है l’”

मोहन का स्वयं से नफरत तब तक जारी रहा, जब तक वह इक्कीस वर्ष का नहीं हो गया, जब उसे यीशु में अपनी पहचान का एक दिव्य रहस्योद्घाटन मिला’ l “मुझे एहसास हुआ कि ईश्वर मुझे बिना शर्त प्यार करता है और कोई भी इसे कभी नहीं बदलेगा,” वह याद करता है l “मैं ईश्वर को कभी शर्मिन्दा नहीं कर सकता था, और वह मुझे कभी भी अस्वीकार नहीं करने वाला था l” आखिरकार, मोहन ने आईने में देखा और खुद से अलग बात की l “तुमको प्यार किया जाता है, तुम विशेष हो, तुम प्रतिभाशाली हो,” उसने कहा, “और यह तुम्हारी गलती नहीं है l”

मोहन का अनुभव बताता है कि यीशु में विशवास करने वाले के लिए परमेश्वर की आत्मा क्या करती है – वह यह प्रगट करके कि हमसे कितनी गहराई से प्रेम किया जाता है हमें भयमुक्त करता है (रोमियों 8:15, 38-39), और पुष्टि करता है कि हम उन सभी लाभों के साथ परमेश्वर के बच्चे हैं जो वह स्थिति लाती है (8:16-17; 12:6-8) l परिणामस्वरूप, हम अपनी सोच को नूतन करके (12:2-3) खुद को सही ढंग से देखना शुरू कर सकते हैं l

वर्षों बाद, मोहन अभी भी उन शब्दों को हर दिन फुसफुसाता है, परमेश्वर जो कहता है कि वह कौन है को दृढ़ करता है l पिता की नज़रों में उससे प्यार किया जाता है, सुन्दर है, और प्रतिभाशाली है l और इसलिए हम हैं l

नवीकृत सामर्थ्य

एक मनोचिकित्सक ने एक बार उन लोगों में एक नमूना(pattern) देखा जो दूसरों की सेवा करते समय हिम्मत हार जाते हैं l पहली चेतावनी संकेत थकावट है l इसके बाद स्थिति कभी नहीं सुधरेगी के विषय चिड़चिड़ापन आता है, उसके बाद कड़वाहट, निराशा, अवसाद, और अंततः हिम्मत हार जाना l

टूटे सपनों से उबरने के बारे में एक किताब लिखने के बाद, मैं सम्मेलन में भाषण देने के एक व्यस्त काल में प्रवेश किया l निराशा के बाद भी लोगों को आशा पाने में मदद करना बड़े पैमाने पर लाभदायक था, लेकिन यह कीमत देने पर मिला l एक दिन, मंच पर कदम रखते समय, मुझे लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगा l मैं अच्छी तरह से सोया नहीं था, एक छुट्टी ने मुझे थकान से बाहर नहीं निकाला था, और दूसरे व्यक्ति की समस्याओं को सुनने के विचार ने बाद में मुझे भय से भर दिया l मनोचिकित्सक ने जिस नमूने का वर्णन किया था मैं उसी का अनुसरण कर रहा था l

पवित्रशास्त्र हिम्मत हारने की स्थिति पर जय प्राप्त करने के लिए दो रणनीतियाँ बताता है l यशायाह 40 में, थकी हुई आत्मा नवीकृत होती है जब वह प्रभु में आशा रखती है (पद.29-31) मुझे परमेश्वर में विश्राम करने की ज़रूरत थी, अपनी घटती ताकत से बल लगाने की बजाए काम करने के लिए उस पर निर्भर होना था l और भजन 103 कहता है कि परमेश्वर हमारी लालसाओं को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है (पद.5) l जबकि इसमें क्षमा और छुटकारा शामिल है (पद.3-4), आनंद का प्रावधान और अच्छा समय भी उसी की ओर से आते हैं l जब मैंने अपने दिनचर्या को पुनः ठीक करके उसमें अधिक प्रार्थना, विश्राम, और फोटोग्राफी की तरह के  शौक शामिल किये, मैं फिर से स्वस्थ्य महसूस करने लगा l

हार मान लेना थकान से आरम्भ होता है l इसे आगे बढ़ने से रोक दें l हम दूसरों की उत्तम सेवा तब करते हैं जब हमारे जीवन में आराधना और विश्राम दोनों होंगे l

फिर से धड़कना आरम्भ करो

2012 में एक अमेरिकी संगीत समूह ने “बीट योर हार्ट टू बीट अगेन” गीत रिलीज किया l यह हार्ट सर्जन की सच्ची कहानी से प्रेरित था l एक मरीज के हृदय को ठीक करने के लिए निकालने के बाद, सर्जन ने उसे फिर से उसके सीने में रखकर उसमें जीवन लाने के लिए उसे धीरे से मालिश करना शुरू किया l लेकिन हृदय फिर से नहीं धड़क रहा था l अधिक गहन उपायों का पालन किया गया, लेकिन हृदय अभी भी धड़क नहीं रहा था l अंत में, सर्जन बेहोश रोगी के बगल में झुक गया और उससे बोला : “मिस जॉनसन, यह आपका सर्जन है l ऑपरेशन पूरी रीति से सफल हुआ है l आपका हृदय ठीक कर दिया गया है l अब आप अपने हृदय को फिर से धड़कने के लिए कहें l” उसका हृदय धड़कने लगा l

यह विचार कि हम अपने शारीरिक हृदय को कुछ करने के लिए कह सकते हैं, अजीब लग सकता है, लेकिन इसमें आध्यात्मिक समानताएं हैं l “हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है?” भजनकार खुद से कहता है l “परमेश्वर पर आशा लगाए रख” (भजन 42:5) “तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ,” एक और भजन कहता है, “क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है” (116:7) l इस्राएल के शत्रुओं को युद्ध में पराजित करने के बाद, न्यायी, दबोरा ने खुलासा किया कि उसने भी युद्ध के दौरान अपने हृदय से बात की थी l उसने उससे कहा था, “हे मन, हियाव बांधे आगे बढ़” (न्यायियों 5:21), क्योंकि प्रभु ने विजय की प्रतिज्ञा की थी (4:6-7) l

हमारे सक्षम सर्जन ने हमारे हृदय को ठीक किया है (भजन 103:3) l इसलिए जब डर, अवसाद, या निंदा आती है, तो शायद हमें भी अपनी आत्माओं को संबोधित करना चाहिये और कहना चाहिये : आगे बढ़ो! मजबूत बनो! कमजोर हृदय, फिर से धड़कना शुरू करो l