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Articles by टिम गस्टफसन

ऊर्मी प्रभाव(Ripple Effect)

उत्तरी घाना (अफ्रीका) में छोटा बाइबल कॉलेज प्रभावशाली नहीं दिख रहा था - बस टिन की छत वाला मिटटी से बना भवन और मुट्ठी भर छात्र l फिर भी बॉब हेयस ने अपना जीवन उन छात्रों में डाल दिया l उन्होंने उन्हें नेतृत्व की भूमिका दी और उन्हें उनकी कभी-कभी की  अनिच्छा के बावजूद प्रचार करने और सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया l बॉब का वर्षों पहले निधन हो गया,  लेकिन दर्जनों फलती-फूलती कलीसियाएं, स्कूल, और दो अतिरिक्त बाइबिल इंस्टिट्यूट पूरे घाना में आरम्भ हुए - सभी उस विनम्र स्कूल के स्नातकों द्वारा शुरू किए गए हैं l

राजा अर्तक्षत्र (465-424 ई.पू.) के शासनकाल के दौरान,  एज्रा शास्त्री ने यरूशलेम लौटने के लिए यहूदी निर्वासितों के एक झुण्ड को इकट्ठा किया l लेकिन एज्रा को उनके बीच कोई लेवी नहीं मिला (एज्रा 8:15) l उसे याजकों के रूप में सेवा करने के लिए लेवियों की ज़रूरत थी l  इसलिए उसने अगुओं को भेजा कि वे “परमेश्वर के भवन के लिए सेवा टहल करनेवालों को ले आएं” (पद.17) l उन्होंने ऐसा किया (पद.18–20),  और एज्रा ने उन सभी का उपवास और प्रार्थना में नेतृत्व किया (पद.21) l

एज्रा के नाम का अर्थ है “सहायक,” जो अच्छे नेतृत्व के हृदय में बसनेवाली एक विशेषता है l  एज्रा के प्रार्थनापूर्ण मार्गदर्शन में, वह और उसके आश्रित यरूशलेम में आध्यात्मिक जागृति का नेतृत्व करनेवाले थे (देखें अध्याय 9-10) l उन्हें केवल थोड़ा प्रोत्साहन और बुद्धिमान दिशा की ज़रूरत थी l

परमेश्वर की कलीसिया भी ऐसे ही काम करती है l जैसे अच्छे गुरु हमें प्रोत्साहित और निर्माण करते हैं,  हम दूसरों के लिए भी ऐसा करना सीखते हैं l ऐसा प्रभाव हमारे जीवनकाल से बहुत आगे तक पहुंचेगा l ईश्वर के लिए ईमानदारी से किया गया कार्य अनंत काल तक पहुँचता है l

वाणी का क्रिसमस उपहार

सर्जरी के बाद दिल के दौरे/stroke ने टॉम के बोलने की क्षमता को छीन लिया था, और उसे एक लम्बे स्वास्थ्य लाभ यात्रा का सामना करना पड़ा l कई सप्ताह बाद,  जब वह हमारे चर्च के धन्यवाद समारोह में दिखाई दिया तो हमें सुखद आश्चर्य हुआ । जब वह बोलने के लिए उठा तो हम और भी हैरान हुए । क्या कहना है की खोज करते हुए,  उसने अपने शब्दों में घालमेल कर दी,  खुद को दोहराया,  और दिन और समय को असंगत कर दिया l लेकिन एक बात स्पष्ट थी : वह परमेश्वर की प्रशंसा कर रहा था! आपका दिल टूटना संभव है और उसी क्षण धन्य होना l  यह उस तरह का क्षण था ।

"क्रिसमस से पहले की कहानी" में हम एक ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं,  जिसका बोली का उपहार खो गया था । जिब्राईल स्वर्गदूत जकर्याह याजक के सामने प्रगट हुआ और कहा कि वह एक महान भविष्यवक्ता का पिता होगा (देखें लूका 1:11-17) । जकर्याह और उसकी पत्नी वृद्ध थे, इसलिए उसे शक हुआ । उसी समय जिब्राईल ने उससे कहा कि "जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें” तब तक वह नहीं बोलेगा (पद.20) ।

और वह दिन आया l और चमत्कारिक बच्चे के नामकरण समारोह में, जकर्याह बोला l अपने पहले शब्दों के साथ उसने परमेश्वर की प्रशंसा की (पद.64) । फिर उसने कहा, "प्रभु, इस्राएल का परमेश्वर धन्य हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है” (पद. 68) ।

जकर्याह की तरह,  जैसे ही वह सक्षम हुआ,  टॉम की प्रतिक्रिया परमेश्वर की प्रशंसा करना था । उनके दिलों का झुकाव उस की ओर था जिसने उनकी जुबान और उनके मन को बनाया था l इस मौसम में हम चाहे जिसका भी सामना हमसे होता हैं, हम उसी तरह प्रत्युत्तर दे सकते हैं l

मेरे लिए स्थान

वह एक बूढ़ा अनुभवी सैनिक था, खामियों से भरपूर और अशिष्ट भाषा बोलने वाला भी l एक दिन एक दोस्त ने उसकी पर्याप्त चिंता करते हुए उसके आध्यात्मिक मान्यताओं के बारे में पुछा l उस व्यक्ति की मानने से इनकार करने जैसी प्रतिक्रिया जल्दी से आई : "परमेश्वर के पास मेरे जैसे किसी के लिए जगह नहीं है ।"

शायद यह उसके "कठिन-व्यक्ति" चरित्र का हिस्सा था, लेकिन उसके शब्द सच्चाई से दूर नहीं हो सकते थे! परमेश्वर विशेष रूप से खामियों से पूर्ण, और अपराध-बोध ग्रसित, और बहिष्कृत  किसी के लिए भी जगह बनाता है और अपने समुदाय में फलने-फूलने देता है l यीशु की सेवा की शुरुआत से यह स्पष्ट था, जब उसने अपने शिष्यों के लिए कुछ आश्चर्यजनक चुनाव किए l  सबसे पहले, उसने गलील से कई मछुआरों को चुना- यरुशलेम में उन लोगों के दृष्टिकोण से “गलत चुनाव ।“ उन्होंने एक कर लेनेवाले, मत्ती का भी चयन किया, जिसके पेशे में उसके उत्पीड़ित देशवासियों से जबरन वसूली शामिल थी । फिर, अच्छे परिणाम के लिए, यीशु ने "अन्य" शमौन को चुना - "कनानी/जेलोतेस” (मरकुस 3:18/लूका 6:15) को चुना l

हम इस शमौन के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं (वह शमौन पतरस नहीं है), लेकिन हम जेलोतेस पंथ(कट्टर पंथी) के बारे में जानते हैं । वे मत्ती जैसे देशद्रोहियों से नफरत करते थे, जो तिरस्कृत रोमियों के साथ मिलकर अमीर हो गए थे । फिर भी दिव्य व्यंगोक्ति(divine irony) के साथ, यीशु ने मत्ती के साथ शमौन को चुना, उन्हें एक साथ लाया, और उन्हें अपने समूह  में शामिल किया ।

यीशु के लिए किसी को भी अत्यधिक “बुरा” साबित नहीं कीजिये l आखिरकार, उसने कहा, "मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिए बुलाने आया हूँ” (लूका 5:32) । कठिन मामलों के लिए उसके पास बहुत जगह है- आप और मेरे जैसे लोग ।

अड़ियल स्वभाव

एक प्रसिद्ध अंग्रेजी एनीमेशन फिल्म में, कहानी दो अड़ियल एनिमेटेड जीवों के बारे में बताती है  । इंसान जैसा जीव उत्तर में जाना चाहता है और दूसरा दक्षिण जाना चाहता है । वे दोनों एक घास के मैदान के बीच सीधे मिलते हैं, लेकिन ये दोनों अड़ियल चरित्र एक तरफ नहीं हटते हैं । पहला पात्र उसी जगह रहने की कसम खाता है - भले ही उससे “पूरी दुनिया स्थिर हो जाए l” (अबाधित, दुनिया चलती रहती है और उनके चारों ओर एक राजमार्ग बना देती है ।)

कहानी मानव स्वभाव की एक अविश्वसनीय रूप से सटीक तस्वीर पेश करती है । हमारे पास सही होने के लिए एक अनिच्छुक "आवश्यकता" है, और हम विनाशकारी तरीकों से उस वृत्ति के प्रति हठी होने की संभावना रखते हैं!

हमारे लिए खुशी की बात है, परमेश्वर प्यार से अड़ियल मानव दिलों को नरम करने का चुनाव करता है l प्रेरित पौलुस यह जानता था, इसलिए जब फिलिप्पी की कलीसिया के दो सदस्य झगड़ा कर रहे थे, तो उनसे अधिक प्यार करने के कारण वह उनको अलग बुलाया (फिलिप्पियों 4: 2) । तब, पूर्व में विश्वासियों को मसीह (2:5–8) के सदृश आत्मत्यागी प्रेम रखने वाला वैसा ही . . . स्वाभाव” रखने का निर्देश देते हुए, पौलुस ने उन्हें इन “स्त्रियों की सहायता” करने को कहा जो उसके साथ सुसमाचार साझा करने में सच्ची सहकर्मी थीं l यह टीम के प्रयास के लिए शांतिदायक और बुद्धिमान समझौता बुलाहट महसूस होता है l

बेशक, कई बार कड़ा रुख अख्तियार करना पड़ता है, लेकिन मसीह के समान व्यवहार एक हठीली आत्मा की तुलना में बहुत अलग दिखाई देगा! जीवन में बहुत सी चीजों पर आपस में लड़ना उचित नहीं हैं । हम एक दूसरे के साथ हर नगण्य बात पर झगड़ा कर सकते हैं जबतक हम अपने को बर्बाद न कर दें (गलातियों 5:15) l या हम अपने अभिमान को निगल सकते हैं, विनम्रतापूर्वक बुद्धिमान परामर्श प्राप्त कर सकते हैं, और अपने भाइयों और बहनों के साथ एकता की तलाश कर सकते हैं ।

विचित्र आराम

लीसा को मिले कार्ड पर लिखा पद उसकी स्थिति से मेल नहीं खा रहा था : “तब यहोवा ने सेवक की आँखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा कि एलिशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भर हुआ है” (2 राजा 6:17) l मुझे कैंसर है! उसने व्याकुलता में सोचा l मैंने हाल ही में एक बच्चा खोया है! स्वर्गदूतों की सेना के विषय यह पद लागू नहीं होता l 

फिर “स्वर्गदूत” दिखाई देना आरम्भ हो गए l कैंसर से बचे हुए लोगों ने उसे अपना समय और  सुनने वाला कान दिया l उसके पति को एक विदेशी सैन्य कार्यभार से जल्दी मुक्ति मिल गयी l दोस्तों ने उसके साथ प्रार्थना की l लेकिन वह पल जब उसने सबसे ज्यादा परमेश्वर के प्यार को महसूस किया, जब उसकी दोस्त पैटी पेपर टिशु के दो डिब्बे लेकर आई l उन्हें टेबल पर रखकर वह रोने लगी l पैटी को पता था l उसने भी गर्भपात/अकाल प्रसवों को झेला था l 

लीसा कहती है, “वह सबसे अधिक मायने रखता था l” “कार्ड की सार्थकता अब समझ में आ गयी l मेरे ‘स्वर्गदूत सैनिक’ वहाँ सब समय थे l”

जब एक सेना ने इस्राएल को घेर लिया, तो वास्तविक स्वर्गदूतों की सेना ने एलिशा की रक्षा की l लेकिन एलिशा का सेवक उन्हें देख नहीं पा रहा था l “हम क्या करें?” वह नबी के पास आकर चिल्लाया (पद.15) l एलिशा ने बस प्रार्थना की, “हे यहोवा, इसकी आँखें खोल दे कि यह देख सके” (पद.17) l

जब हम परमेश्वर की ओर देखते हैं, तो हमारा संकट हमें दिखाएगा कि वास्तव में क्या मायने रखता है और कि हम अकेले नहीं हैं l हम सीखते हैं कि आराम देनेवाली परमेश्वर की उपस्थिति हमें कभी नहीं छोड़ती l वह हमें असीम आश्चर्यजनक तरीकों से अपना प्यार दिखाता है l

मरुभूमि में आग

1800 के दशक के अंतिम हिस्से में अमेरिका में एक मरुभूमि में सवारी करते समय, जिम वाइट ने धूएँ का एक विचित्र बादल भँवर की तरह आकाश की ओर उठते देखा l जंगल की आग समझते हुए, वह युवा चरवाहा उसके श्रोत की ओर बढ़ा, केवल यह जानने के लिए कि वह “धूँआ” चमगादड़ों का एक बड़ा झुण्ड था जो धरती में एक छेद से निकल रहा था l जिम गुफाओं की एक विशाल और शानदार प्रणाली में पहुँच गया जो बाद में एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण बन गया l

जैसा कि एक मध्य पूर्वी रेगिस्तान में मूसा भेड़-बकरियों को चरा रहा था, उसने भी एक अजीब नज़ारा देखा, जिसने उसका ध्यान खींचा – एक धधकती हुई झाड़ी, जो जल कर भस्म नहीं हो रही थी (निर्गमन 3:2) l जब परमेश्वर ने झाड़ी में से बात की, तो मूसा ने महसूस किया कि वह पहले की तुलना में कहीं अधिक वैभवशाली प्राप्त कर लिया था l प्रभु ने मूसा से कहा, “मैं तेरे पिता का परमेश्वर, अब्राहम का परमेश्वर  . . . हूँ” (पद.6) l परमेश्वर गुलाम बनाए हुए  लोगों को छुटकारा और उन्हें अपने बच्चों (पद.10) के रूप में उनकी असली पहचान देना चाहता था (पद.10) l

छह सौ साल से भी पहले, परमेश्वर ने अब्राहम से यह वादा किया था : “भूमंडल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे” (उत्पत्ति 12:3) l मिस्र से इस्राएल का निकलना, उस आशीष में केवल एक कदम था – अब्राहम का वंश, उद्धारकर्ता(Messiah), के द्वारा अपनी सृष्टि को बचाने की योजना l 

आज हम उस वरदान का लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर सभी को यह बचाव प्रदान करता है l मसीह समस्त संसार के पापों के लिए मर गया l उस पर विशवास करके, हम भी जीवित परमेश्वर की संतान बन जाते हैं l

प्यार में भागना

सारा छोटी थी,  लेकिन "श्रेया" – जुझारू,  बड़ी महिला जो उसे आँखें तरेर कर देख रही थी – ने उसे डरायी नहीं l श्रेया ने यह भी नहीं कहा कि वह संकट गर्भावस्था केंद्र(crisis pregnancy center) में क्यों रुकी थी; वह पहले से ही “इस . . . बच्चे से छुटकारा पाने के लिए अपना मन बना चुकी थी l” इसलिए सारा ने धीरे-धीरे सवाल पूछे, और श्रेया ने रुखाई से ढिठाई के साथ आक्षेप लगाते हुए उन्हें हटाने की कोशिश की l जल्द ही श्रेया दिलेरी से अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के इरादे की घोषणा करते हुए उठकर जाने लगी l

श्रेया और दरवाजे के बीच अपने छोटे शारीर को लाते हुए, सारा ने पुछा, “इससे पहले कि तुम जाओ, क्या मैं तुम्हें गले लगा सकती हूँ, और क्या मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना कर सकती हूँ?” इससे पहले किसी ने भी उसे गले नहीं लगाया था – स्वस्थ्य इरादों के साथ, और वैसे भी नहीं l अचानक, अप्रत्याशित रूप से, आँसू आ गए l

सारा खूबसूरती से हमारे परमेश्वर के दिल की याद दिलाती है जो अपने लोग इस्राएल से “सदा प्रेम रखता” (यिर्मयाह 31:3) था l लोग उसके दिशानिर्देशों के लगातार उल्लंघन के कठिन परिणामों से ठोकर खाए थे l फिर भी परमेश्वर ने उनसे कहा, “मैंने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है l मैं तुझे फिर बसाऊंगा” (पद.3-4) l

ब्रिजेट का इतिहास(रोमांटिक हास्य फिल्म श्रृंखला) जटिल है l (हममें से अनेक उससे हमदर्दी रख सकते हैं l) जब तक कि वह उस दिन वास्तविक प्यार में नहीं पड़ी, तब तक उसका विश्वास था कि परमेश्वर और उसके अनुयायी केवल उसकी निंदा करेंगे l सारा ने उसे कुछ अलग दिखाया : वह परमेश्वर हमारे पाप को अनदेखा नहीं करता क्योंकि वह हमें कल्पना से परे प्यार करता है l वह खुली बाहों से हमारा स्वागत् करता है l हमें भागते रहने की ज़रूरत नहीं है l

समुद्र में एक झलक

“मैं बेस्वाद शराब और निराशा से भरा हुआ अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था,” सरकार के लिए एक गुप्चर एजेंट के रूप में अपने काम के दौरान एक ख़ास निराशाजनक शाम के विषय एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने लिखा l “इस संसार में अकेला, अनंत में, रौशनी की एक झलक के बिना l”

ऐसी हालत में, उसने वही किया जो उसने विवेकपूर्ण समझा; उसने खुद को डूबाने की कोशिश की l पास के समुद्र तट पर ड्राइविंग करते हुए, उसने समुद्र में लम्बी दूरी तक तैरना आरम्भ किया जब तक वह थक न जाए l पीछे मुड़कर, उसने दूर की तटीय रौशनी की झलक देखी l उस समय कोई कारण स्पष्ट नहीं होने के कारण, वह वापस रौशनी की ओर तैरने लगा l अपनी थकान के बावजूद, वह “एक अपरिहार्य आनंद” को याद करता है l

मुगरिज को ठीक-ठीक पता नहीं था, लेकिन वह जानता था कि परमेश्वर उस अँधेरे क्षण में उसके पास पहुँच गया था, उसे इस आशा से भर दिया था जो केवल अलौकिक हो सकता था l प्रेरित पौलुस ने ऐसी आशा के बारे में अक्सर लिखा था l इफिसियों की पत्री में उसने उल्लेख किया है कि, मसीह को जानने से पहले, हम में से प्रत्येक “[अपने] पापों के कारण मरे हुए थे . . . आशाहीन और जगत में ईश्वररहित थे l लेकिन “परमेश्वर ने जो दया का धनी है . . . जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया” (पद.4-5) l

यह संसार हमें गहराई में खींचना चाहती है, लेकिन निराशा के आगे झुकने का कोई कारण नहीं है l जैसा कि मुगेरिज ने समुद्र में अपने तैरने के बारे में कहा, “यह मेरे लिए स्पष्ट हो गया कि कोई अँधेरा नहीं था, केवल एक प्रकाश की दृष्टि खोने की सम्भावना थी जो सदा चमकती थी l”

इंतज़ार कैसे करें

चर्च से कुंठित और निराश, सत्रह वर्षीय थॉमस ने जवाबों के लिए एक लम्बी खोज शुरु की l लेकिन उसने जो कुछ भी खोजा वह उसकी लालसाओं को संतुष्ट करते हुए प्रतीत नहीं हुए या  उसे उसके सवालों के जवाब मिले l

उसकी इस यात्रा ने अवश्य ही उसे उसके माता-पिता के निकट ला दिया l फिर भी मसीहत के साथ उसको समस्याएँ थीं l एक चर्चा के दौरान, वह कड़वाहट के साथ चिल्ला उठा, “बाइबल खोखली प्रतिज्ञाओं से भरी हुई है l”

एक अन्य आदमी निराशाओं और कठिनाईयों का सामना किया जिन्होंने उसके संदेहों को बढ़ा दिया l लेकिन जब दाऊद अपने शत्रुओं से भाग रहा था जो उसको मारना चाहते थे, उसका प्रत्युत्तर परमेश्वर से भागना नहीं परन्तु उसकी प्रशंसा करना थी l “चाहे मेरे विरुद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बांधे निश्चिन्त रहूँगा” (भजन 27:3) l

फिर भी दाऊद की कविता संदेह की ओर इशारा करती है l उसकी पुकार, “हे यहोवा, मेरा शब्द सुन, मैं पुकारता हूँ, तू मुझ पर अनुग्रह कर और मुझे उत्तर दे” (पद.7), भयातुर और प्रश्नों से भरा व्यक्ति महसूस होता है l “अपना मुख मुझ से न छिपा . . . मुझे त्याग न दे, और मुझे छोड़ न दे,” दाऊद ने विनती की (पद.9) l

हालाँकि, दाऊद ने अपने शक को उसे पंगु नहीं बनाने दिया l उन संदेहों में भी, उसने घोषणा की, “[मैं] जीवितों की पृथ्वी पर यहोवा की भलाई को देखूंगा” (पद.13) l उसके बाद उसने अपने पाठकों को संबोधित किया : आप, मैं, और इस संसार के थॉमस लोग l “यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बाँध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हाँ, यहोवा ही की बाट जोहता रह!” (पद.14) l

हम अपने अत्यंत बड़े प्रश्नों का शीघ्र और सरल उत्तर नहीं प्राप्त करेंगे l लेकिन हम पाएंगे – जब हम उसकी बाट जोहेंगे – एक परमेश्वर जो भरोसेमंद है l