सैम के पिता को एक सैनिक आघात से अपने जीवन को बचाने के लिए भागना पड़ा था l आमदनी के अचानक समाप्त होने के बाद, परिवार अनिवार्य दवाइयां खरीदने के योग्य नहीं रहा जो सैम के भाई को जीवित रख सकता था l परमेश्वर से क्षुब्ध होकर, सैम ने सोचा, हमने क्या किया है जिससे हमारी यह दशा है?

यीशु के एक अनुयायी ने इस परिवार की परेशानी के विषय सुना l यह जानकार कि उसके पास दवा के लिए पर्याप्त पैसा है, उसने दवा खरीदी और उनके पास ले गया l एक अपरिचित से जीवन-रक्षक उपहार ने उनपर अद्भुत प्रभाव डाला l “इस रविवार को हम इस व्यक्ति के चर्च जाएंगे,” उसकी माँ बोली l सैम का क्रोध शांत होने लगा l और अंततः, एक एक करके, उस परिवार के प्रत्येक सदस्य ने यीशु में विश्वास कर लिया l 

जब याकूब ने मसीह में विश्वास की घोषणा के साथ ईमानदारी की जीवनशैली की आवश्यकता के बारे में लिखा, तो उसने दूसरों की देखभाल करने की ज़रूरत को व्यक्त किया l “यदि कोई भाई या बहिन नंगे-उघाड़े हो और उन्हें प्रतिदिन भोजन की घटी हो, और तुम में से कोई उनसे कहे, ‘कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो,’ पर जो वस्तुएँ देह के लिए आवश्यक हैं वह उन्हें न दे तो क्या लाभ?” (2:15-16) l

हमारे कार्य हमारे विश्वास की असलियत दर्शाती है l खास तौर से, उस प्रकार के कार्य दूसरों के विश्वास-चयन को प्रभावित कर सकता है l सैम के मामले में, वह एक पास्टर और कलीसिया रोपक बन गया l अंततः, वह उस आदमी को जिसने उसके परिवार की सहायता की थी “पापा मैप्स” पुकारने वाला था l वह अब उसे अपने आत्मिक पिता के रूप में जानता था──वह व्यक्ति जिसने उन्हें यीशु का प्यार दिखाया l