“अच्छी वस्तु”
माइक के अधिकांश सहकर्मी मसीहियत के बारे में कम ही जानते थे, न ही उन्हें इसकी कोई परवाह थी l लेकिन वे जानते थे कि माइक परवाह करता था l ईस्टर के मौसम के पास एक दिन, किसी ने यूँ ही उल्लेख किया कि उन्होंने सुना है कि ईस्टर का फसह से कुछ लेना-देना था और सोच रहे थे कि उसका ईस्टर से क्या सम्बन्ध था l “अरे, माइक!” उसने कहा l “क्या तुम परमेश्वर की इस अच्छी वस्तु के बारे में जानते हो l फसह क्या है?”
इसलिए माइक ने समझाया कि परमेश्वर ने कैसे इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से बाहर निकाला था l उसने उन्हें उन दस विपत्तियों के बारे में बताया, जिनमें हर घर में पहिलौठे की मृत्यु शामिल थी l उसने बताया कि किस तरह मौत का स्वर्गदूत उन घरों के ऊपर से “गुज़र गया” जिनके चौखटों पर बलिदान किये हुए मेमने का लहू लगा हुआ था l उसके बाद उसने साझा किया कि कैसे यीशु बाद में फसह के मौसम में हमेशा के लिए बलिदान के मेमने के रूप में क्रूस पर चढ़ाया गया था l अचानक माइक ने महसूस किया, अरे, मैं तो साक्षी दे रहा हूँ !
शिष्य पतरस ने परमेश्वर को नहीं जानने वाली एक संस्कृति में एक कलीसिया को सलाह दी l उसने कहा, “जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, उसे उत्तर देने के लिए सर्वदा तैयार रहो” (1 पतरस 3:15) l
इसलिए कि माइक अपने विश्वास के विषय स्पष्ट था, उसे उस विश्वास को स्वाभाविक रूप से साझा करने का अवसर मिला, और वह ऐसा “नम्रता और भय के साथ” कर सका (पद.15) l
हम भी कर सकते हैं l परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सहायता से, हम सरल भाषा में समझा सकते हैं कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या है – परमेश्वर के विषय वह “वस्तु l”
नाम में क्या है?
परमेश्वर के समय में, हमारे बेटे कोफ़ी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, जो कि वास्तव में उसके नाम का अर्थ है – शुक्रवार को जन्मा लड़का l हमने उसका नाम घाना के एक मित्र, एक पास्टर के नाम पर रखा था, जिनके एकलौते बेटे की मृत्यु हो गयी थी l वह हमारे कोफ़ी के लिए लगातार प्रार्थना करते हैं l हम अत्यंत सम्मानित हैं l
किसी नाम का महत्व भूल जाना आसान है यदि आप उसके पीछे की कहानी नहीं जानते हैं l लूका 3 में, हम युसूफ के वंश में एक नाम के बारे में एक आकर्षक विवरण पाते हैं l यह वंशावली युसूफ के वंश को आदम और यहाँ तक कि परमेश्वर तक ले जाता है (पद.38) l पद 31 में हम पढ़ते हैं : “वह नातान का [पुत्र], और वह दाऊद का [पुत्र] l” यह दिलचस्प है l 1 इतिहास 3:5 में हम सीखते हैं कि नातान बतशेबा से पैदा हुआ था l
क्या यह संयोग है कि दाऊद ने बतशेबा के बच्चे का नाम नातान रखा था? पीछे की कहानी को याद करें l बतशेबा को कभी भी दाऊद की पत्नी नहीं बनना था l एक और नातान - नबी – ने बहादुरी से राजा का सामना किया जब उसने बतशेबा का शोषण किया और उसके पति की हत्या करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया (देखें 2 शमुएल 12) l
दाऊद ने नबी के स्पष्ट फटकार को स्वीकार किया और अपने भयानक अपराधों के लिए पश्चाताप किया l समय बीतने के साथ, वह अपने बेटे का नाम नातान रखने वाला था l कितना उपयुक्त कि यह बेतशेबा का बेटा था, और वह युसूफ, यीशु का सांसारिक पिता, के वंश में का एक था l
बाइबल में, हम परमेश्वर के अनुग्रह को हर चीज़ में बुना हुआ पाते हैं – यहाँ तक कि शायद ही कभी पढ़ी गयी वंशावली में एक अज्ञात नाम l परमेश्वर की कृपा हर जगह है l
पूर्वानुमानकर्ता की गलती
21 सितम्बर, 1938 को दोपहर में, एक युवा मौसम विज्ञानी ने अमरीकी मौसम ब्यूरो को दो अग्र भागों के विषय चेतावनी दी जो एक तूफ़ान को उत्तर की ओर न्यू इंग्लैंड की ओर धकेल रहा है l लेकिन पूर्वानुमान के प्रमुख ने चार्ल्स पियर्स की भविष्यवाणी का मज़ाक बनाया l निश्चय हो एक उष्णकटिबंधीय(tropical) तूफ़ान इतनी दूर उत्तर की ओर हमला नहीं करेगा l
दो घंटे बाद, 1938 के न्यू इंग्लैंड तूफ़ान ने लॉन्ग आइलैंड पर आक्रमण किया l शाम 4.00 बजे तक वह न्यू इंग्लैंड तक पहुँच गया, जहां जहाज़ पानी में डूब गए और घर टुकड़े-टुकड़े होकर समुद्र में समा गए l छह सौ से अधिक लोग मारे गए l यदि पीड़ितों को पियर्स की चेतावनी मिली होती – ठोस आंकड़ों और उसके विस्तृत नक्शों के आधार पर – उनके बचने की सम्भावना होती l
यह जानने की अवधारणा कि किसके वचन को माना जाए को पवित्रशास्त्र में अग्रगामी है l यिर्मयाह के दिन में, परमेश्वर ने अपने लोगों को झूठे नबियों के खिलाफ चेतावनी दी थी l “[उनकी ओर] कान मत लगाओं,” उसने कहा l “ये तुमको व्यर्थ बातें सिखाते हैं, ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं” (यिर्मयाह 23:16) l परमेश्वर ने उनके विषय कहा, “यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वहां सुनाते” (पद.22) l
“झूठे नबी” अभी भी हमारे साथ हैं l “विशेषज्ञ” सलाह देते हुए परमेश्वर को पूरी तरह अनदेखा करते हैं या अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसके शब्दों को मोड़ देते हैं l लेकिन उसके वचन और आत्मा से, परमेश्वर ने वह दिया है जो हमें झूठे को सच से शुरू करने की ज़रूरत है l जैसे-कैसे हम उसके व्बचन की सच्चाई से सब कुछ नापते हैं, हमारे अपाने शब्द और जीवन तेजी से दूसरों के लिए उस सच्चाई को दर्शाते हैं l
जीवित तार
प्रोफेसर ने चर्च में परमेश्वर के साथ अपनी पहली मुठभेड़ का वर्णन करने के बाद बोली, “मुझे ऐसा लगा कि मैंने एक जीवित (विद्युत्) तार को छू लिया है l” उसने सोचा, “इस जगह पर कुछ हो रहा है, मुझे पता नहीं यह क्या है?” वह उस क्षण को याद करती है जब अलौकिक की संभावना के लिए उसके पहले नास्तिक विश्वदृष्टि ने अनुमति दी थी l आख़िरकार वह पुनर्जीवित मसीह की रूपान्तरित करनेवाली वास्तविकता में विश्वास करनेवाली थी l
एक जीवित तार को छूना – जिस दिन निश्चित रूप से पतरस, याकूब और युहन्ना को भी इसी तरह महसूस हुआ होगा जब यीशु उन्हें एक पहाड़ पर ले गया, जहाँ उन्होंने एक अद्भुत रूप-परिवर्तन देखा l मसीह का वस्त्र . . . उज्ज्वल” हो गया (मरकुस 9:3) और एलिय्याह और मूसा प्रगट हुए – एक घटना जिसे आज हम रूपांतरण के रूप में जानते हैं l
पहाड़ से उतरते हुए, यीशु ने शिष्यों से कहा कि वे किसी को भी यह ने बताएँ कि उन्होंने क्या देखा है जब तक कि वह जी नहीं उठता है (पद.9) l लेकिन उन्हें यह भी पता नहीं था कि “जी उठने” का क्या अर्थ है?” (पद.10) l
यीशु के विषय शिष्यों की समझदारी अधूरी थी, क्योंकि वे उस नियति की कल्पना नहीं कर सकते थे जिसमें उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान शामिल था l लेकिन अंततः उनके पुनारुथित प्रभु के साथ उनका अनुभव उनके जीवनों को पूरी तरह से बदलने वाला था l अपने जीवन के अंत में, पतरस ने मसीह के रूपांतरण के साथ अपने मुठभेड़ का वर्णन उस समय के रूप में किया जब शिष्य “उसके प्रताप को [देखने वाले] पहले प्रत्याक्ष्साक्षी थे” (2 पतरस 1:16) l
जैसा कि प्रोफ़ेसर और शिष्यों ने सीखा, जब हम यीशु की सामर्थ्य का सामना करते हैं तो हम “जीवित तार” को छूते हैं l यहाँ कुछ हो रहा है l जीवित मसीह हमें बुलाता है l
मर्सी का विलाप
उसके पिता ने अपनी बीमारी को जादू टोना का दोषी ठहराया l यह एड्स था l जब उनकी मृत्यु हुयी, उनकी बेटी, दस वर्षीय मर्सी, अपनी माँ के और भी करीब हो गयी l लेकिन उसकी माँ भी बीमार थी, और तीन साल बाद उसकी मृत्यु हो गयी l तब से, मर्सी की बहन ने पांच भाई-बहनों की परवरिश की l उसी समय से मर्सी ने अपने दर्द की एक दैनिकी रखना शुरू किया l
नबी यिर्मयाह ने भी अपने दर्द का रिकॉर्ड रखा l विलापगीत की पुस्तक में उसने बेबीलोन की सेना द्वारा यहूदा पर किये गए अत्याचारों के विषय में लिखा l यिर्मयाह का हृदय विशेष रूप से सबसे कम उम्र के पीड़ितों के लिए दुखी था l उसने विलाप किया, “मेरे लोगों . . . के विनाश के कारण मेरा कलेजा फट गया है . . . क्योंकि बच्चे वरन् दूध-पीते बच्चे भी नगर के चौंकों में मूर्छित होते हैं” (2:11) l यहूदा के लोगों का परमेश्वर को अनदेखा करने का इतिहास था, लेकिन उनके बच्चे भी इसकी कीमत चुका रहे थे l “अपने प्राण अपनी अपनी माता की गोद में छोड़ते हैं” (पद.12) l
हम शायद यिर्मयाह से उम्मीद कर सकते थे कि वह इस तरह की पीड़ा के सामने परमेश्वर को अस्वीकार कर देगा l इसके बजाय, उसने बचे लोगों से आग्रह किया, “प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को धारा के समान उंडेल . . . [अपने बालबच्चों के] प्राण के निमित्त आने हाथ उसकी ओर फैला” (पद.19) l
यह अच्छा है, जैसा कि मर्सी और यिर्मयाह ने किया, हमारे दिलों को परमेश्वर के सामने उंडेलने के लिए l विलाप मानव होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है l यहाँ तक कि जब परमेश्वर इस तरह के दर्द की अनुमति देता है, तो वह हमारे साथ दुखी होता है l जैसा कि हम उसके स्वरुप में रचे गए हैं, उसे भी विलाप करना चाहिए!
अब से सौ साल बाद
1975 में पठकथा लेखक रॉड सर्लिंग ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे अब से सौ साल बाद याद रखें l” अमेरिकी टीवी श्रृंखला द ट्वाईलाइट ज़ोन के निर्माता, सर्लिंग चाहते थे कि लोग उनके बारे में कहें, “वह एक लेखक थे l” हममें से बहुत से लोग एक विरासत छोड़ने के सर्लिंग की इच्छा के साथ तादात्म्य स्थापित कर सकते हैं – कुछ जो हमारे जीवन को अर्थ और स्थायित्व दे सकता है l
अय्यूब की कहानी हमें एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताती है जो जीवन के क्षणभंगुर दिनों के बीच अर्थ से जूझ रहा है l एक पल में, न केवल उसकी संपत्ति, बल्कि उसके लिए सबसे कीमती, उसके बच्चों को ले लिया गया l तब उसके मित्रों ने उस पर इस नियति का हकदार होने का आरोप लगाया l अय्यूब ने पुकारा : “भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं, और लोहे की टांकी और सीसे से वे सदा के लिए चट्टान पर खोदी जातीं” (अय्यूब 19:23-24) l
अय्यूब के शब्दों को “हमेशा के लिए चट्टान में उकेरा गया है l” यह हमारे पास बाइबल में हैं l फिर भी अय्यूब को अपने जीवन में उस विरासत से जो वह छोड़ता अधिक मायने रखने की ज़रूरत थी l उसने इसे परमेश्वर के चरित्र में खोजा l “मुझे तो निश्चय है कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अंत में पृथ्वी पर खड़ा होगा,” अय्यूब ने घोषणा की (19:25) l इस ज्ञान ने उसे सही लालसा दी l “उसका दर्शन मैं आप अपनी आँखों से अपने लिए करूँगा,” अय्यूब ने कहा l “यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर चूर भी हो जाए” (पद.27) l
अंत में, अय्यूब को वह नहीं मिला जिसकी उसने अपेक्षा की थी l उसने बहुत अधिक पाया – सभी अर्थों और स्थायित्व का श्रोत (42:1-6) l
प्रेम का दूसरा पहलु
यीशु मसीह के समय रोमी सरायों की प्रतिष्ठा इतनी खराब थी कि रब्बी लोग उनमें मवेशियों को भी रखने की अनुमति नहीं देते था l ऐसी बुरी परिस्थितियों का सामना होने पर, मसीही यात्री आतिथ्य के लिए आमतौर पर अन्य विश्वासियों को ढूंढ़ते थे l
उन आरंभिक यात्रियों में झूठे शिक्षक होते थे जो इस बात से इनकार करते थे कि यीशु ही मसीहा/अभिषिक्त थे l इस वजह से 2 यूहन्ना की पत्री अपने पाठकों से कहता है कि आतिथ्य देने से इनकार करने का भी समय है l यूहना ने एक पिछली पत्री में कहा था कि ये झूठे शिक्षक “पिता और पुत्र का इनकार करनेवाले - ख्रीष्ट विरोधी थे” (1 यूहन्ना 2:22) l 2 यूहन्ना में उसने इस पर विस्तार से पाठकों को बताया कि जो यीशु को मानता है कि वह मसीहा है “उसके पास पिता भी है और पुत्र भी” (पद.9) l
फिर उसने चेतावनी दी, “यदि कोई तुम्हारे पास आए और यह शिक्षा न दे, उसे न तो घर आने दो और न नमस्कार करो” (पद.10) l झूठे सुसमाचार का प्रचार करनेवाले की पहुनाई करना वास्तव में लोगों को परमेश्वर से अलग रखने में मदद करेगा l
यूहन्ना की दूसरी पत्री हमें परमेश्वर के प्रेम का “दूसरा पहलु” दिखाता है l हम एक ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो सभी का खुली बाहों से स्वागत करता है l लेकिन सच्चा प्यार उन लोगों को सक्षम नहीं करता जो धोखे से खुद को और दूसरों को धोखा देते हैं l परमेश्वर पश्चाताप के साथ आनेवालों के चारों ओर अपनी बाहें लपेटता है, लेकिन वह कभी भी झूठ को गले नहीं लगाता है l
स्वर्ग में लावा(भूराल)
फुफकारने वाला लावा(lava) का धीरे-धीरे फैलनेवाला शिकंजा जो उष्णकटिबंधीय(tropical) वनस्पतियों के किनारों का खात्मा कर रहा है को छोड़कर, सब कुछ शांत है l अधिकाँश दिनों में वे इसे “स्वर्ग” कहते हैं l इस दिन, हालाँकि, हवाई के पुना जिला में उग्र दरार/फटन ने सभी को याद दिलाया कि परमेश्वर ने इन द्वीपों को बेहद शक्तिशाली ज्वालामुखीय शक्ति से रचा है l
प्राचीन इस्राएलियों को एक अदम्य शक्ति का सामना करना पड़ा l राजा दाऊद द्वारा वाचा के संदूक को पुनः अपने कब्जे में कर लेने पर (2 शमूएल 6:1-4), एक उत्सव मनाया जाने लगा (पद.5) – जब तक कि अचानक एक व्यक्ति की मृत्यु न हो गयी जब उसने संदूक को पकड़कर स्थिर करने के लिए उसे पकड़ा (पद.6-7) l
यह हमें सोचने के लिए भरमा सकता है कि परमेश्वर ज्वालामुखी की तरह अप्रत्याशित है, जैसे संभवतः वह रचने के साथ-साथ नष्ट भी करनेवाला है l हालाँकि, यह याद रखने में मदद करता है कि परमेश्वर ने इस्राएल को ख़ास निर्देश दिया था कि उसकी उपासना में निर्धारित वस्तुओं को कैसे संभालना है (देखें गिनती 4) l इस्राएल को परमेश्वर के निकट आने का सौभाग्य प्राप्त था, लेकिन लापरवाही से उसके निकट आने पर उसकी उपस्थिति उनके लिए अत्यधिक अभिभूत करनेवाली थी l
इब्रानियों 12 “आग से प्रज्वलित पहाड़” की याद दिलाता है, जहाँ परमेश्वर ने मूसा को दस आज्ञाएँ दी थीं l उस पहाड़ ने सभी को भयभीत कर दिया (पद.18-21) l परन्तु लेखक उस दृश्य को इसके विपरीत लाता है : “तुम . . . नयी वाचा के मध्यस्थ यीशु . . . के पास आए हो” (पद.22-24) l यीशु – परमेश्वर का एकलौता बेटा – ने हमारे लिए अपरिचित लेकिन फिर भी प्रेमी पिता के निकट जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया l
केवल एक स्पर्श
यह सिर्फ एक स्पर्श था, परन्तु इससे कॉलिन को पूरी तरह फर्क पड़ा l जब उसकी छोटी टीम यीशु के विश्वासियों से विद्वेष रखनेवाले क्षेत्र में परोपकारी कार्य करने की तैयारी कर रही थी, उसका तनाव बढ़ने लगा l जब उसने अपनी चिंता अपने टीम सदस्य के साथ साझा किया, उसका मित्र ठहरकर, उसके कंधे पर अपना हाथ रखा, और उसके साथ कुछ एक उत्साहवर्धन शब्द साझा किए l कॉलिन पीछे मुड़कर उस संक्षिप्त स्पर्श को एक नए मोड़ के तौर पर देखता है, एक सरल सत्य का शक्तिशाली ताकीद कि परमेश्वर उसके साथ था l
युहन्ना, यीशु का निकट मित्र और शिष्य, को सुसमाचार सुनाने के कारण पतमुस टापू में निर्वासित कर दिया गया था, जब उसने “तुरही का सा बड़ा शब्द . . . सुना”(प्रकाशितवाक्य 1:10) l इस आरंभिक घटना के बाद स्वयं प्रभु ने दर्शन दिया, और युहन्ना “उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा l” परन्तु उस डरावने पल में, उसने आराम और साहस प्राप्त की l युहन्ना लिखता है, “उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा, ‘मत दर; मैं प्रथम और अंतिम और जीवता हूँ’” (पद.17) l
परमेश्वर हमें नयी बातें दिखाने के लिए, हमें विस्तारित करने के लिए, हमारी उन्नति के लिए हमारे आरामदायक क्षेत्र से हमें बाहर निकालता है l परन्तु वह प्रत्येक स्थिति से गुजरने के लिए साहस और आराम भी देता है l वह हमारी परीक्षाओं में हमें अकेले नहीं छोड़ेगा l उसके नियंत्रण में सब कुछ है l वह हमें अपने हाथों में थामे रखता है l