सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, विलियम ऑफ़ ऑरेंज ने जानबूझकर अपने देश की अधिकांश भूमि को जलमग्न कर दिया l डच सम्राट ने हमलावर स्पेन के लोगों को खदेड़ने की कोशिश में इस तरह के कठोर उपाय का सहारा लिया l यह काम सफल नहीं हुआ, और खेती योग्य भूमि का एक विशाल महत्वपूर्ण हिस्सा समुद्र में डूब गया l वे कहते हैं, “निराशजनक समय निराशजनक उपायों की मांग करता है l”
यशायाह के दिन में, यरूशलेम निराशजनक उपायों की ओर मुड़ गया जब अश्शूरी सेना ने उन्हें धमकी दी l घेराबंदी सहने के लिए जल भंडारण व्यवस्था बनाने के साथ ही लोगों ने शहर की दीवारों को मजबूत करने के लिए घरों को भी तोड़ दिये l इस तरह के हथकंडे भले ही समझदारी के रहे हों, लेकिन उन्होंने सबसे अहम कदम को नजरअंदाज किया l “तू ने दोनों दीवारों के बीच पुराने पोखरे के जल के लिए एक कुण्ड खोदा l परन्तु तू ने उसके कर्ता को स्मरण नहीं किया, जिसने प्राचीनकाल से उसको ठहरा रखा था, और न उसकी ओर तू ने दृष्टि की” (यशायाह 22:11) l
आज हमारे लिए अपने घरों के बाहर एक असली सेना का सामना करने की संभावना नहीं है । ओसवाल्ड चैम्बर्स ने कहा, “संप्रहार(battering) हमेशा आम तरीकों से और आम लोगों के माध्यम से आते हैं l” फिर भी, इस तरह के संप्रहार वास्तविक खतरें हैं l शुक्र है, वे अपने साथ हमारी ज़रूरत के लिए पहले परमेश्वर की ओर मुड़ने के लिए उसका निमंत्रण लाते हैं l
जब जीवन की चिड़चिड़ाहट और रुकावटें आती हैं, तो क्या हम उन्हें परमेश्वर की ओर मुड़ने के अवसरों के रूप में देखेंगे? या हम अपने निराशजनक समाधान की तलाश करेंगे?
आज आपको किन साधारण खतरों का सामना करना पड़ता है? आपको उनका सामना करने के लिए किसकी आवश्यकता है?
प्रेमी परमेश्वर, आज, मैं अपनी बड़ी और छोटी, सभी चुनौतियों के साथ पहले आपकी ओर मुड़ता हूँ ।