नैन्सी गुस्तफ़सन, एक सेवानिवृत्त ओपेरा गायिका, उस समय तबाह हो गई जब उसने अपनी माँ से मिलने गयी और मनोभ्रंश(dementia) से उन्हें क्षीण होते हुए देखी l उसकी माँ अब उसे नहीं पहचानती थी और मुश्किल से बात कर पाती थी l कई महीनों तक उनसे मुलाकात करने के बाद, नैन्सी को एक विचार आया l उसने उनके सामने गाना शुरू कर दिया l उसकी माँ की आँखें संगीतमयी ध्वनियों पर झूम उठीं, और उन्होंने भी गाना शुरू कर दिया – बीस मिनट तक! तब नैन्सी की माँ हँसी, और मज़ाक में कहा जाए तो वे “गुस्तफ़सन परिवार के गायक” थे l नाटकीय परीवर्तन ने संगीत की शक्ति का सुझाव दिया, जैसा कि खोई यादों को जगाने के लिए कुछ चिकित्सक निष्कर्ष निकालते हैं l “पुराने पसंदीदा” गीत गाने को भी मूड को ताज़ा करते हुए, गिरावट, आकास्मिक कक्ष में जाना कम करते हुए, और शामक औषधि(sedative drugs) की आवश्यकता को कम करते हुए देखा गया है l
एक म्यूजिक-मेमोरी लिंक(music-memory link) पर अधिक शोध चल रहा है l फिर भी, जैसा कि बाइबल प्रगट करती है, गाने से मिलने वाला आनंद ईश्वर की ओर से एक उपहार है – और यह वास्तविक है l “याह की स्तुति करो क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है, क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है” (भजन 147:1) l
सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में, वास्तव में, परमेश्वर के लोगों से उसकी प्रशंसा के गीतों में अपनी आवाज उठाने का आग्रह किया जाता है l “यहोवा का भजन गाओ क्योंकि उसने प्रतापमय काम किये हैं” (यशायाह 12:5) l “उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है l बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे” (भजन 40:3) l हमारा गाना हमें प्रेरित करता है लेकिन सुनने वालों को भी l काश हम सभी याद रखें : हमारा परमेश्वर महान है और प्रशंसा के योग्य है l