अपना सर्वोत्तम देना
जैसे ही हमने एक स्थानीय बेघर लोगों के आश्रय में प्रवेश किया, हमने दान किए गए जूतों के ढेर को देखा । निर्देशक ने हमारे युवा समूह को इस्तेमाल किए गए जूते के ढेर को छांटने के लिए आमंत्रित किया था । हमने सुबह का समय जूतों की जोड़ी मिलाने और उनको फर्श पर सिलेवार से पंक्तियों में लगाने में बिताया l दिन के अंत में, हमने आधे से अधिक जूते फेंक दिए क्योंकि वे ख़राब थे और दूसरों के उपयोग के लायक नहीं थे । हालांकि आश्रय लोगों को खराब गुणवत्ता वाली वस्तुओं को देने से रोक नहीं सकता था, लेकिन उन्होंने उन जूतों को वितरित करने से इनकार कर दिया जो खराब स्थिति में थे ।
इस्राएलियों ने भी परमेश्वर को अपने क्षतिग्रस्त माल देने के साथ संघर्ष किया । जब उसने नबी मलाकी के द्वारा बात की, तो उसने अंधे, लंगड़े, या रोगग्रस्त पशुओं की बलि देने के लिए इस्राएलियों को फटकार लगाई जब उनके पास बलि देने के लिए मजबूत जानवर थे (मलाकी 1:6–8) । उसने अपनी नाराजगी जतायी (पद.10), अपनी योग्यता/पात्रता की पुष्टि की, और इस्राएलियों को अपने लिए सबसे अच्छा रखने के लिए फटकार लगाई (पद.14) । लेकिन परमेश्वर ने उद्धारकर्ता(Messiah) भेजने का वादा किया, जिसका प्यार और अनुग्रह उनके हृदयों को रूपांतरित और उन्हें भेंट लाने की उनकी इच्छा को प्रज्वलित करने वाला था जो उसे सुखदायक लगनेवाला था (3:1-4) ।
कई बार, यह परमेश्वर को अपना बचा हुआ(leftovers) देने का प्रलोभन हो सकता है । हम उसकी प्रशंसा करते हैं और उससे अपेक्षा करते हैं कि वह हमें अपना सब कुछ दे, फिर भी हम उसे हमारे टुकड़ों की पेशकश करते हैं । जब हम सब कुछ पर विचार करते हैं जो परमेश्वर ने किया है, तो हम उसकी योग्यता/काबिलियत का जश्न मनाने और उसे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए आनन्दित हों l
कोई असंभव बाधा नहीं
एक शिक्षक के रूप में, मैंने विद्यार्थियों को एडवेंचर पार्क(adventure park) ले जाने के लिए एक अध्ययन यात्रा की व्यवस्था की l हमने छात्रों को सुरक्षा साज को अपनाते हुए आठ फीट की दीवार चढ़ने का निर्देश दिया । पहले चढ़ने वालों ने हर एक आरोही को साज-सज्जा पर भरोसा रखते हुए बिना नीचे देखे आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया l हमारे विद्यार्थियों में से एक ने बाधा को घूरते हुए देखा कि हम उसकी कमर के चारों ओर बेल्ट और बकल लगा रहे थे l “मैं किसी भी प्रकार से यह नहीं कर सकती हूँ,” वह बोली l उसके साज-सज्जा की ताकत की पुष्टि करते हुए, हमने उसे प्रोत्साहित किया और जब वह दीवार पर चढ़ गयी और ऊँचे मंच पर कदम रखी तो उसकी प्रशंसा की l
जब हम उन समस्याओं का सामना करते हैं जिसे जीतना असंभव लगता है, तो भय और असुरक्षा संदेह पैदा कर सकती है । परमेश्वर की अपरिवर्तनीय शक्ति, भलाई, और विश्वासयोग्यता का आश्वासन, भरोसा का एक मजबूत साज-सज्जा(harness) बनाता है । इस भरोसेमंद आश्वासन ने पुराने नियम के संतों के साहस को बढ़ाया, जिन्होंने यह प्रदर्शित किया कि विश्वास परमेश्वर की योजना के हर एक विवरण को जानने की हमारी आवश्यकता से बढ़ कर होता है (इब्रानियों 11:1-13, 39) । दृढ़ विश्वास के साथ, हम परमेश्वर को ईमानदारी से चाहते हैं, और अक्सर जब हम उस पर भरोसा करते हैं तो अकेले खड़े होते हैं । हम अपनी परिस्थितियों को एक शाश्वत दृष्टिकोण के साथ देखते हुए अपनी चुनौतियों के तरीके को समायोजित कर सकते हैं - यह जानते हुए कि हमारी आजमाइशें केवल अस्थायी हैं (पद.13-16) ।
जीवन में कठिन रास्तों और खड़ी चढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना हमें यह विश्वास करने से रोक सकता है कि परमेश्वर हमें पार ले जाएगा l लेकिन यह जानकार कि वह हमारे साथ है, हम विश्वास से अपनी अनिश्चितताओं को दूर कर सकते हैं क्योंकि हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं जो हमें एक बार असंभव लगने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है l
समुद्र तट पर प्रार्थना
अपनी पच्चीसवीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक यात्रा के दौरान, मेरे पति और मैंने समुद्र तट पर अपने बाइबल पढ़े l जब विक्रेता हमारे पास से गुज़रे और अपने माल की कीमतें बतायीं, हमने प्रत्येक को धन्यवाद दिया, लेकिन कुछ भी नहीं खरीदा । एक विक्रेता, फर्नांडो, मेरी अस्वीकृति पर व्यापक रूप से मुस्कुराया और जोर देकर कहा कि हम दोस्तों के लिए उपहार खरीदने पर विचार करें । जब मैंने उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, तो फर्नांडो अपने सामान को लपेट कर दूर जाने लगा . . . जो अभी भी मुस्कुरा रहा था l “मैं परमेश्वर से प्रार्थना करती हूँ की तुम्हारा दिन धन्य हो,” मैंने कहा l
फर्नांडो ने मेरी ओर देखा और कहा, “उसके पास है! यीशु ने मेरे जीवन को बदल दिया l” फर्नांडो ने हमारी कुर्सियों के बीच घुटने टेक दिए । “मैंने उसकी उपस्थिति महसूस की l” फिर उसने साझा किया कि कैसे परमेश्वर ने उसे चौदह साल पहले नशीली दवाओं और शराब के दुरुपयोग से बचाया था ।
मेरे आंसू बह निकले जब उसने भजन की पुस्तक से पूरी कविताएँ सुनायीं और हमारे लिए प्रार्थना की । साथ में, हमने परमेश्वर की स्तुति की और उसकी उपस्थिति में आनन्दित हुए ।
भजन 148 स्तुति की प्रार्थना है । भजनकार ने सारी सृष्टि को “यहोवा के नाम की स्तुति” करने के लिए उत्साहित किया “क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और यह सिरजे गए” (पद.5), “क्योंकि केवल उसी का नाम महान् है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है” (पद.13) l
यद्यपि परमेश्वर हमें अपनी आवश्यकताओं को उसके सामने लाने के लिए आमंत्रित करता है और भरोसा करने के लिए कि वह हमारी बात सुनता है और हमारी परवाह करता है, वह कृतज्ञ प्रशंसा की प्रार्थना में भी आनंदित होता है हम जहाँ भी हैं l यहां तक कि समुद्र तट पर भी ।
एक साथ उन्नतिशील
मेरे पति एलन, गगन चुम्बी लाईटों के नीचे क्रिकेट मैदान में खड़े होकर उसे रौशन कर रहे थे, जब विरोधी टीम के एक सदस्य ने एक गेंद को हवा में मारा । गेंद पर निगाह रखने के साथ, एलन ने मैदान के सबसे गहरे कोने की ओर पूरी गति से दौड़ लगाई - और बाड़े में जा घुसा l
उस रात, मैंने उसे एक आइस(बर्फ) पैक दिया। "क्या तुम ठीक महसूस कर रहे हो?" मैंने पूछा । उसने अपना कंधा रगड़ा । फिर वह बोला, “मुझे अच्छा लगता अगर मेरे दोस्त मुझे चेतावनी देते कि मैं बाड़े के पास पहुंच रहा हूं ।“
जब टीमें एक साथ काम करती हैं तो सर्वोत्तम काम करती हैं । एलन को चोट नहीं लगती, यदि उसका एक साथी भी चेतावनी दे देता जब वह बाड़े के पास निकट पहुँच रहा था l
पवित्रशास्त्र हमें याद दिलाता है कि चर्च के सदस्यों को एक साथ काम करने और एक टीम की तरह एक दूसरे का ध्यान रखने के लिए बनाया गया गया है l प्रेरित पौलुस हमें बताता है कि परमेश्वर इस बात की परवाह करता है कि हम एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं, क्योंकि एक व्यक्ति का कार्य विश्वासियों के पूरे समुदाय पर प्रभाव डाल सकता है (कुलुस्सियों 3:13–14) । जब हम सभी एक-दूसरे की सेवा करने के अवसरों को अपनाते हैं, तो पूरी तरह से एकता और शांति के लिए समर्पित, चर्च पनपता है (पद.15) ।
पौलुस ने अपने पाठकों को निर्देश दिया कि “मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओं, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिए भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाए” (पद.16) l इस तरह हम एक-दूसरे को प्यार और ईमानदार रिश्तों के द्वारा प्रेरित और सुरक्षित कर सकते हैं, कृतज्ञ हृदयों के साथ परमेश्वर का आज्ञापालन और प्रशंसा कर सकते हैं - एक साथ उन्नतशील l
परमेश्वर द्वारा प्रशस्त सृमितियाँ
जब मेरे बड़े बेटे को एक कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा, तो मैंने उसे अपने पिता की बेरोजगारी के वर्ष के दौरान परमेश्वर की निरंतर देखभाल और प्रावधान के बारे में याद दिलाया । मैंने उस समय को याद किया जब परमेश्वर ने हमारे परिवार को मजबूत किया और हमें शांति दी, जबकि मेरी माँ अधिश्वेतरक्तता/ल्युकेमिया(leukemia) से अपनी लड़ाई हार गई । पवित्रशास्त्र में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की कहानियों को उजागर करते हुए, मैंने पुष्टि की कि वह अपना वचन रखने में भला था । मैं अपने बेटे को हमारे परिवार की ईश्वर-प्रशस्त स्मृति पथ पर ले गयी, उसे उन तरीकों के बारे में याद दिलाती रही, जब वह हमारे घाटी और पर्वतीय क्षणों में विश्वसयोग्य रहा l चाहे हम संघर्ष कर रहे थे या जश्न मना रहे थे, परमेश्वर की उपस्थिति, प्यार और अनुग्रह पर्याप्त साबित हुए ।
हालाँकि मैं इस विश्वास को मजबूत करने की रणनीति को मेरा होने का दावा करना चाहता हूं, लेकिन परमेश्वर ने भविष्य की पीढ़ियों के विश्वास को प्रेरित करने के लिए कहानियों को साझा करने की आदत को अभिकल्पित किया है । जैसा कि इस्राएलियों को याद था कि उन्होंने अतीत में परमेश्वर को करते देखा था, उसने भरोसे के रास्ते के पत्थरों को उनकी दिव्य स्मृति वाली गलियों में लगाया l
इस्राएलियों ने परमेश्वर को उसके वादों के प्रति सच्चा देखा था जब उन्होंने उसका पालन किया था (व्यवस्थाविवरण 4:3–6) । उसने हमेशा उनकी प्रार्थनाओं को सुना और उत्तर दिया (पद.7) । युवा पीढ़ियों के साथ आनन्द और स्मरण करते हुए (पद.9), इस्राएलियों ने एकमात्र सच्चे परमेश्वर द्वारा उच्चारित एवं संरक्षित पवित्र शब्दों को साझा किया (पद.10) l
जब हम अपने महान ईश्वर की महिमा, दया, और अंतरंग प्रेम के बारे में बताते हैं, हमारे दृढ़ विश्वास और दूसरों का विश्वास उसकी स्थायी विश्वसनीयता की पुष्टि से मजबूत किया जा सकता है ।
परमेश्वर समझता है
हाल ही में एक बदलाव के बाद, माधुरी के सात वर्षीय बेटे, रोहित ने परेशान किया, जब वह अपने नए स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहा था l माधुरी ने उसे प्रोत्साहित किया, उसे आश्वस्त करते हुए कि वह समझती है कि बदलाव कठिन था l लेकिन एक सुबह, रोहित का चारित्रिक रवैया का रूखापन अत्यधिक महसूस हुआ l करुणा के साथ, माधुरी ने पूछा, “बेटा, तुम्हें कौन सी बात परेशान कर रही है?”
खिड़की से बाहर झांकते हुए रोहित ने अपने कंधे सिकोड़े l “माँ, मैं नहीं जानता l मेरे अन्दर बहुत सारी भावनाएँ हैं l”
रोहित को ढाढ़स देते हुए माधुरी का दिल दुखा l उसकी मदद करने के लिए बेताब, उसने साझा किया कि उसके लिए भी वह कदम उठाना कठिन था l उसने रोहित को विश्वास दिलाया कि परमेश्वर उसके करीब रहेगा, वह सब कुछ जानता है, तब भी जब वे अपनी कुंठाओं को समझ नहीं सकते या आवाज़ नहीं दे सकते l “आओ स्कूल शुरू होने से पहले तुम्हारे मित्रों के साथ एक मुलाकात करें,” उसने कहा l उन्होंने योजनाएँ बनाईं, आभारी होते हुए कि परमेश्वर समझता है उस समय भी जब उसके बच्चों में “बहुत अधिक भावनाएं” होती हैं l
भजन 147 के लेखक ने अपनी विश्वास यात्रा में भावनाओं का अत्यधिक अनुभव किया और सर्वज्ञानी सृष्टिकर्ता और सभी का संभालनेवाला, शारीरिक और भावनात्मक घावों को चंगा करनेवाला की प्रशंसा करने के लाभों को मान्यता दी (पद.1-6) l वह परमेश्वर के प्रबंध करने के तरीकों के लिए उसकी प्रशंसा करता है और “जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं” उनसे प्रसन्न होता है (पद.11) l
जब हम अपनी बदलती भावनाओं को सार्थक बनाने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं, तो हमें अकेला या हतोत्साहित नहीं होना चाहिये l हम अपने न बदलने वाले परमेश्वर के शर्तहीन प्यार और असीमित समझ में आराम कर सकते हैं l
परमेश्वर के साथ कार्य करना
अपनी 1962 की मैक्सिको यात्रा के दौरान, बिल ऐश ने एक अनाथालय में पवनचक्की हैंड पंप(windmill hand pump) को ठीक करने में मदद की l पंद्रह साल बाद, जरूरतमंद गांवों को साफ पानी उपलब्ध कराने में मदद करके ईश्वर की सेवा करने की गहरी इच्छा से प्रेरित होकर बिल ने एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की l उन्होंने कहा, गाँव के गरीबों के लिए सुरक्षित पेयजल लाने की इच्छा वाले दूसरों को खोजने के लिए “परमेश्वर ने मुझे ‘समय का अधिकतम लाभ उठाने के लिए’ जगाया l” बाद में, 100 से अधिक देशों के हजारों पास्टर और सुसमाचार प्रचारकों के अनुरोध के माध्यम से सुरक्षित पानी की वैश्विक आवश्यकता के बारे में जानने के बाद, बिल ने दूसरों को सेवा के प्रयासों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया l
परमेश्वर हमें विभिन्न तरीकों से उसके और दूसरों के साथ सेवा करने के लिए स्वागत करता है l जब कुरिन्थुस के लोगों ने तर्क दिया कि वे किन शिक्षकों को पसंद करते हैं, तो प्रेरित पौलुस ने यीशु के सेवक और अपुल्लोस, के एक सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि की, जो आध्यात्मिक विकास के लिए पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर था (1 कुरिन्थियों 3: 1-7) l वह हमें याद दिलाता है कि सभी कार्यों में ईश्वर प्रदत्त मूल्य है (पद. 8) l उसकी सेवा करते हुए दूसरों के साथ काम करने के विशेषाधिकार को स्वीकार करते हुए, पौलुस हमें एक दूसरे का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करता है जब वह हमें प्यार में बदलता है (पद.9) l
यद्यपि हमारे पराक्रमी पिता को अपने महान कार्यों को पूरा करने के लिए हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं है, फिर भी वह हमें समर्थ करता है और अपने साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित करता है l
काम में परमेश्वर की करुणा
मेरा क्रोध तब तेज़ हो गया जब एक महिला ने मेरे साथ बदसलूकी की, मुझे दोषी ठहराया और मेरे बारे में बकवास की l मैं चाहती थी कि हर कोई यह जान जाए कि उसने क्या किया है – मैं चाहती थी कि उसको भी तकलीफ हो जैसे उसके व्यवहार के कारण मुझे तकलीफ हुई थी l मैं तब तक आक्रोष में डूबी रही, जब तक कि मेरी कनपटी में दर्द नहीं हुआ l लेकिन जैसा कि मैंने अपने दर्द के दूर होने के लिए प्रार्थना करना शुरू किया, पवित्र आत्मा ने मुझे दोषी ठहराया l राहत के लिए परमेश्वर से भीख मांगते हुए मैं कैसे बदला लेने की योजना बना सकती? अगर मुझे भरोसा है कि वह मेरी देखभाल करेगा, तो मैं इस स्थिति को संभालने के लिए उस पर भरोसा क्यों नहीं कर सकती थी? यह जानते हुए कि जो लोग आहत हैं, वे अक्सर दूसरे लोगों को आहत करते हैं, मैंने परमेश्वर से कहा कि वह मुझे उस स्त्री को माफ़ करने और सुलह की दिशा में काम करने में मदद करे l
भजनकार दाऊद ने अनुचित व्यवहार को सहन करते हुए परमेश्वर पर भरोसा करने की कठिनाई को समझा l हालाँकि दाऊद ने एक प्यार करने वाले सेवक होने की पूरी कोशिश की, राजा शाऊल ने ईर्ष्या के आगे घुटने टेक दिए और उसकी हत्या करना चाहा (1 शमूएल 24:1-2) l दाऊद को तब तक तकलीफ झेलनी पड़ी जब परमेश्वर ने बातों को हल किया और उसे सिंहासन लेने के लिए तैयार किया, लेकिन फिर भी उसने बदला लेने की बजाय परमेश्वर का आदर करने का चुनाव किया (पद.3-7) l उसने शाऊल के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी की और परिणाम परमेश्वर के हाथों में छोड़ दिया (पद.8-22) l
जब ऐसा लगता है कि दूसरे लोग गलत कामों के परिणाम से बच रहे हैं, हम अन्याय के साथ संघर्ष करते हैं l लेकिन हमारे दिलों और दूसरों के दिलों में परमेश्वर की करुणा के काम के साथ, हम क्षमा कर सकते हैं जैसे उसने हमें माफ़ कर दिया है और वह आशीष प्राप्त कर सकते हैं जो उसने हमारे लिए तैयार किया है l
अन्धकार में प्रकाश
एक प्रचंड आँधी हमारे नये शहर से होकर गुजरी, परिणामस्वरूप जो उमस और अँधकारमय आसमान छोड़ गयी l मैं अपने कुत्ते, जिमी को टहलाने ले गयी l मेरे परिवार का देश के एक हिस्से से विपरीत दिशा में दूसरे हिस्से में जाने की बढती चुनौतियाँ मेरे मन में भारी होती जा रही थी l अनगिनत तरीकों से निराश होकर चीजें हमारी उच्च आशाओं और अपेक्षाओं से बहुत दूर चली गई थीं l मैंने जिमी को घास का गंध लेने के लिए धीमा कर दिया l मैंने उस नाले की बात सुनी जो हमारे घर के पास बहता है l नाले के किनारे पर जंगली फूलों के बढ़ते हुए भागों पर छोटी-छोटी ज्योतियाँ चमक जाती थीं l जुगनू l
प्रभु ने मुझे शांति में लपेट लिया जब मैंने टिमटिमाती हुई रोशनी को अँधेरे को चीरते हुए देखा l मैंने भजनकार दाऊद को गाते हुए कल्पना की, “तू ही मेरे दीपक को जलाता है” (भजन 18:28) l यह घोषणा करते हुए कि परमेश्वर अपने अंधकार को प्रकाश में बदल देता है, दाऊद ने प्रभु के प्रावधान और सुरक्षा में विश्वास का प्रदर्शन किया (पद.29-30) l जीवित परमेश्वर पर सभी परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विशवास करते हुए, दाऊद ने राष्ट्रों एक बीच उसकी प्रशंसा करने का वादा किया (पद.36-49) l
चाहे हम जीवन में अप्रत्याशित तूफानों को सहन कर रहे हों या बारिश के बीत जाने के बाद की शांति का आनंद ले रहे हों, परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति की शांति हमारे रास्ते को अँधेरे में रोशन करती है l हमारा जीवित परमेश्वर हमेशा हमारी शक्ति, हमारा आश्रय, हमारा संभालनेवाला और हमारा उद्धारकर्ता रहेगा l