एक साथ उन्नतिशील
मेरे पति एलन, गगन चुम्बी लाईटों के नीचे क्रिकेट मैदान में खड़े होकर उसे रौशन कर रहे थे, जब विरोधी टीम के एक सदस्य ने एक गेंद को हवा में मारा । गेंद पर निगाह रखने के साथ, एलन ने मैदान के सबसे गहरे कोने की ओर पूरी गति से दौड़ लगाई - और बाड़े में जा घुसा l
उस रात, मैंने उसे एक आइस(बर्फ) पैक दिया। "क्या तुम ठीक महसूस कर रहे हो?" मैंने पूछा । उसने अपना कंधा रगड़ा । फिर वह बोला, “मुझे अच्छा लगता अगर मेरे दोस्त मुझे चेतावनी देते कि मैं बाड़े के पास पहुंच रहा हूं ।“
जब टीमें एक साथ काम करती हैं तो सर्वोत्तम काम करती हैं । एलन को चोट नहीं लगती, यदि उसका एक साथी भी चेतावनी दे देता जब वह बाड़े के पास निकट पहुँच रहा था l
पवित्रशास्त्र हमें याद दिलाता है कि चर्च के सदस्यों को एक साथ काम करने और एक टीम की तरह एक दूसरे का ध्यान रखने के लिए बनाया गया गया है l प्रेरित पौलुस हमें बताता है कि परमेश्वर इस बात की परवाह करता है कि हम एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं, क्योंकि एक व्यक्ति का कार्य विश्वासियों के पूरे समुदाय पर प्रभाव डाल सकता है (कुलुस्सियों 3:13–14) । जब हम सभी एक-दूसरे की सेवा करने के अवसरों को अपनाते हैं, तो पूरी तरह से एकता और शांति के लिए समर्पित, चर्च पनपता है (पद.15) ।
पौलुस ने अपने पाठकों को निर्देश दिया कि “मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओं, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिए भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाए” (पद.16) l इस तरह हम एक-दूसरे को प्यार और ईमानदार रिश्तों के द्वारा प्रेरित और सुरक्षित कर सकते हैं, कृतज्ञ हृदयों के साथ परमेश्वर का आज्ञापालन और प्रशंसा कर सकते हैं - एक साथ उन्नतशील l
परमेश्वर द्वारा प्रशस्त सृमितियाँ
जब मेरे बड़े बेटे को एक कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा, तो मैंने उसे अपने पिता की बेरोजगारी के वर्ष के दौरान परमेश्वर की निरंतर देखभाल और प्रावधान के बारे में याद दिलाया । मैंने उस समय को याद किया जब परमेश्वर ने हमारे परिवार को मजबूत किया और हमें शांति दी, जबकि मेरी माँ अधिश्वेतरक्तता/ल्युकेमिया(leukemia) से अपनी लड़ाई हार गई । पवित्रशास्त्र में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की कहानियों को उजागर करते हुए, मैंने पुष्टि की कि वह अपना वचन रखने में भला था । मैं अपने बेटे को हमारे परिवार की ईश्वर-प्रशस्त स्मृति पथ पर ले गयी, उसे उन तरीकों के बारे में याद दिलाती रही, जब वह हमारे घाटी और पर्वतीय क्षणों में विश्वसयोग्य रहा l चाहे हम संघर्ष कर रहे थे या जश्न मना रहे थे, परमेश्वर की उपस्थिति, प्यार और अनुग्रह पर्याप्त साबित हुए ।
हालाँकि मैं इस विश्वास को मजबूत करने की रणनीति को मेरा होने का दावा करना चाहता हूं, लेकिन परमेश्वर ने भविष्य की पीढ़ियों के विश्वास को प्रेरित करने के लिए कहानियों को साझा करने की आदत को अभिकल्पित किया है । जैसा कि इस्राएलियों को याद था कि उन्होंने अतीत में परमेश्वर को करते देखा था, उसने भरोसे के रास्ते के पत्थरों को उनकी दिव्य स्मृति वाली गलियों में लगाया l
इस्राएलियों ने परमेश्वर को उसके वादों के प्रति सच्चा देखा था जब उन्होंने उसका पालन किया था (व्यवस्थाविवरण 4:3–6) । उसने हमेशा उनकी प्रार्थनाओं को सुना और उत्तर दिया (पद.7) । युवा पीढ़ियों के साथ आनन्द और स्मरण करते हुए (पद.9), इस्राएलियों ने एकमात्र सच्चे परमेश्वर द्वारा उच्चारित एवं संरक्षित पवित्र शब्दों को साझा किया (पद.10) l
जब हम अपने महान ईश्वर की महिमा, दया, और अंतरंग प्रेम के बारे में बताते हैं, हमारे दृढ़ विश्वास और दूसरों का विश्वास उसकी स्थायी विश्वसनीयता की पुष्टि से मजबूत किया जा सकता है ।
परमेश्वर समझता है
हाल ही में एक बदलाव के बाद, माधुरी के सात वर्षीय बेटे, रोहित ने परेशान किया, जब वह अपने नए स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहा था l माधुरी ने उसे प्रोत्साहित किया, उसे आश्वस्त करते हुए कि वह समझती है कि बदलाव कठिन था l लेकिन एक सुबह, रोहित का चारित्रिक रवैया का रूखापन अत्यधिक महसूस हुआ l करुणा के साथ, माधुरी ने पूछा, “बेटा, तुम्हें कौन सी बात परेशान कर रही है?”
खिड़की से बाहर झांकते हुए रोहित ने अपने कंधे सिकोड़े l “माँ, मैं नहीं जानता l मेरे अन्दर बहुत सारी भावनाएँ हैं l”
रोहित को ढाढ़स देते हुए माधुरी का दिल दुखा l उसकी मदद करने के लिए बेताब, उसने साझा किया कि उसके लिए भी वह कदम उठाना कठिन था l उसने रोहित को विश्वास दिलाया कि परमेश्वर उसके करीब रहेगा, वह सब कुछ जानता है, तब भी जब वे अपनी कुंठाओं को समझ नहीं सकते या आवाज़ नहीं दे सकते l “आओ स्कूल शुरू होने से पहले तुम्हारे मित्रों के साथ एक मुलाकात करें,” उसने कहा l उन्होंने योजनाएँ बनाईं, आभारी होते हुए कि परमेश्वर समझता है उस समय भी जब उसके बच्चों में “बहुत अधिक भावनाएं” होती हैं l
भजन 147 के लेखक ने अपनी विश्वास यात्रा में भावनाओं का अत्यधिक अनुभव किया और सर्वज्ञानी सृष्टिकर्ता और सभी का संभालनेवाला, शारीरिक और भावनात्मक घावों को चंगा करनेवाला की प्रशंसा करने के लाभों को मान्यता दी (पद.1-6) l वह परमेश्वर के प्रबंध करने के तरीकों के लिए उसकी प्रशंसा करता है और “जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं” उनसे प्रसन्न होता है (पद.11) l
जब हम अपनी बदलती भावनाओं को सार्थक बनाने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं, तो हमें अकेला या हतोत्साहित नहीं होना चाहिये l हम अपने न बदलने वाले परमेश्वर के शर्तहीन प्यार और असीमित समझ में आराम कर सकते हैं l
परमेश्वर के साथ कार्य करना
अपनी 1962 की मैक्सिको यात्रा के दौरान, बिल ऐश ने एक अनाथालय में पवनचक्की हैंड पंप(windmill hand pump) को ठीक करने में मदद की l पंद्रह साल बाद, जरूरतमंद गांवों को साफ पानी उपलब्ध कराने में मदद करके ईश्वर की सेवा करने की गहरी इच्छा से प्रेरित होकर बिल ने एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की l उन्होंने कहा, गाँव के गरीबों के लिए सुरक्षित पेयजल लाने की इच्छा वाले दूसरों को खोजने के लिए “परमेश्वर ने मुझे ‘समय का अधिकतम लाभ उठाने के लिए’ जगाया l” बाद में, 100 से अधिक देशों के हजारों पास्टर और सुसमाचार प्रचारकों के अनुरोध के माध्यम से सुरक्षित पानी की वैश्विक आवश्यकता के बारे में जानने के बाद, बिल ने दूसरों को सेवा के प्रयासों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया l
परमेश्वर हमें विभिन्न तरीकों से उसके और दूसरों के साथ सेवा करने के लिए स्वागत करता है l जब कुरिन्थुस के लोगों ने तर्क दिया कि वे किन शिक्षकों को पसंद करते हैं, तो प्रेरित पौलुस ने यीशु के सेवक और अपुल्लोस, के एक सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि की, जो आध्यात्मिक विकास के लिए पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर था (1 कुरिन्थियों 3: 1-7) l वह हमें याद दिलाता है कि सभी कार्यों में ईश्वर प्रदत्त मूल्य है (पद. 8) l उसकी सेवा करते हुए दूसरों के साथ काम करने के विशेषाधिकार को स्वीकार करते हुए, पौलुस हमें एक दूसरे का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करता है जब वह हमें प्यार में बदलता है (पद.9) l
यद्यपि हमारे पराक्रमी पिता को अपने महान कार्यों को पूरा करने के लिए हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं है, फिर भी वह हमें समर्थ करता है और अपने साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित करता है l
काम में परमेश्वर की करुणा
मेरा क्रोध तब तेज़ हो गया जब एक महिला ने मेरे साथ बदसलूकी की, मुझे दोषी ठहराया और मेरे बारे में बकवास की l मैं चाहती थी कि हर कोई यह जान जाए कि उसने क्या किया है – मैं चाहती थी कि उसको भी तकलीफ हो जैसे उसके व्यवहार के कारण मुझे तकलीफ हुई थी l मैं तब तक आक्रोष में डूबी रही, जब तक कि मेरी कनपटी में दर्द नहीं हुआ l लेकिन जैसा कि मैंने अपने दर्द के दूर होने के लिए प्रार्थना करना शुरू किया, पवित्र आत्मा ने मुझे दोषी ठहराया l राहत के लिए परमेश्वर से भीख मांगते हुए मैं कैसे बदला लेने की योजना बना सकती? अगर मुझे भरोसा है कि वह मेरी देखभाल करेगा, तो मैं इस स्थिति को संभालने के लिए उस पर भरोसा क्यों नहीं कर सकती थी? यह जानते हुए कि जो लोग आहत हैं, वे अक्सर दूसरे लोगों को आहत करते हैं, मैंने परमेश्वर से कहा कि वह मुझे उस स्त्री को माफ़ करने और सुलह की दिशा में काम करने में मदद करे l
भजनकार दाऊद ने अनुचित व्यवहार को सहन करते हुए परमेश्वर पर भरोसा करने की कठिनाई को समझा l हालाँकि दाऊद ने एक प्यार करने वाले सेवक होने की पूरी कोशिश की, राजा शाऊल ने ईर्ष्या के आगे घुटने टेक दिए और उसकी हत्या करना चाहा (1 शमूएल 24:1-2) l दाऊद को तब तक तकलीफ झेलनी पड़ी जब परमेश्वर ने बातों को हल किया और उसे सिंहासन लेने के लिए तैयार किया, लेकिन फिर भी उसने बदला लेने की बजाय परमेश्वर का आदर करने का चुनाव किया (पद.3-7) l उसने शाऊल के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी की और परिणाम परमेश्वर के हाथों में छोड़ दिया (पद.8-22) l
जब ऐसा लगता है कि दूसरे लोग गलत कामों के परिणाम से बच रहे हैं, हम अन्याय के साथ संघर्ष करते हैं l लेकिन हमारे दिलों और दूसरों के दिलों में परमेश्वर की करुणा के काम के साथ, हम क्षमा कर सकते हैं जैसे उसने हमें माफ़ कर दिया है और वह आशीष प्राप्त कर सकते हैं जो उसने हमारे लिए तैयार किया है l
अन्धकार में प्रकाश
एक प्रचंड आँधी हमारे नये शहर से होकर गुजरी, परिणामस्वरूप जो उमस और अँधकारमय आसमान छोड़ गयी l मैं अपने कुत्ते, जिमी को टहलाने ले गयी l मेरे परिवार का देश के एक हिस्से से विपरीत दिशा में दूसरे हिस्से में जाने की बढती चुनौतियाँ मेरे मन में भारी होती जा रही थी l अनगिनत तरीकों से निराश होकर चीजें हमारी उच्च आशाओं और अपेक्षाओं से बहुत दूर चली गई थीं l मैंने जिमी को घास का गंध लेने के लिए धीमा कर दिया l मैंने उस नाले की बात सुनी जो हमारे घर के पास बहता है l नाले के किनारे पर जंगली फूलों के बढ़ते हुए भागों पर छोटी-छोटी ज्योतियाँ चमक जाती थीं l जुगनू l
प्रभु ने मुझे शांति में लपेट लिया जब मैंने टिमटिमाती हुई रोशनी को अँधेरे को चीरते हुए देखा l मैंने भजनकार दाऊद को गाते हुए कल्पना की, “तू ही मेरे दीपक को जलाता है” (भजन 18:28) l यह घोषणा करते हुए कि परमेश्वर अपने अंधकार को प्रकाश में बदल देता है, दाऊद ने प्रभु के प्रावधान और सुरक्षा में विश्वास का प्रदर्शन किया (पद.29-30) l जीवित परमेश्वर पर सभी परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विशवास करते हुए, दाऊद ने राष्ट्रों एक बीच उसकी प्रशंसा करने का वादा किया (पद.36-49) l
चाहे हम जीवन में अप्रत्याशित तूफानों को सहन कर रहे हों या बारिश के बीत जाने के बाद की शांति का आनंद ले रहे हों, परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति की शांति हमारे रास्ते को अँधेरे में रोशन करती है l हमारा जीवित परमेश्वर हमेशा हमारी शक्ति, हमारा आश्रय, हमारा संभालनेवाला और हमारा उद्धारकर्ता रहेगा l
जड़वत विश्वास
कई बड़े पेड़ हैं जो 500 साल या उससे अधिक पुराने हैं l उनकी जवानी में, उनकी घुमावदार शाखाएं ऊंची और फैली हुयीं थीं l ठंडी हवा उनकी हरी पत्तियों से खड़खड़ाहट की आवाज़ निकालती है, और पत्तियों के बीच में हवा से बनी जगह से सूरज झांकता है, जिससे पत्तियों की छतरियों के नीचे छाया में प्रकाश की नृत्य करने वाली झलक दिखाई देती है l लेकिन भूमि की सतह के नीचे उनकी असली भव्यता है – उनकी जड़ प्रणाली l पेड़ की मुख्य जड़ लम्बवत बढ़ती है, जो पोषण की एक भरोसेमंद आपूर्ति हासिल करती है l उस मूसला जड़ से, जड़ों की एक बड़ी संख्या क्षितिज के सामानांतर दिशा में फैलकर पेड़ों को आजीवन नमी और पोषक तत्व आपूर्ति करते हैं l यह जटिल जड़ प्रणाली अक्सर पेड़ की तुलना में अधिक बड़े पैमाने पर बढ़ती है, और यह धड़ को स्थिर करने के लिए एक जीवन रेखा और एक लंगर के रूप में समर्थन और सेवा करती है l
इन विशाल पेड़ों की तरह, हमारे जीवन का अधिकाँश विकास सतह के नीचे होता है l जब यीशु ने अपने चेलों को बीज बोने वाले के दृष्टान्त के बारे में बताया, तो उसने पिता के साथ एक निजी रिश्ते में मजबूती से लगाए जाने के महत्व पर ज़ोर दिया l जब हम परमेश्वर के ज्ञान में बढ़ते हैं, जैसे कि शास्त्रों के माध्यम से पता चलता है, हमारे विश्वास की जड़ें उसकी आत्मा द्वारा जीवित रखी जाती हैं l परमेश्वर अपने अनुयायियों को हमेशा बदलने वाली परिस्थितियों, परीक्षाओं, सताव और चिंता में भी उन्नति करने में मदद करता है (मत्ती 13:18-23) l
हमारा प्रेमी पिता अपने वचन से हमारे हृदयों को पोषण देता है l जैसा कि उसकी आत्मा हमारे चरित्र को बदल देती है, वह सुनिश्चित करता है कि हमारे गहरे विश्वास का फल हमारे आसपास के लोगों के लिए जाहिर जो जाए l
आनंद के लिए हमारा कारण
जब स्कूल का साल शुरू हुआ, चौदह वर्षीय संदीप हर दोपहर बस से कूदकर उतर जाता और अपने घर की सड़क पर नाचता हुआ जाता l उसकी माँ ने संदीप के स्कूल के बाद के रॉक संगीत के समय का विडियो बनाया और साझा किया l वह नाचता था क्योंकि वह जीवन का आनंद लेता था और हर कदम के साथ “लोगों को खुश करता था l” एक दिन, दो कचरा बीनने वालों ने अपने व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर उस जवान बच्चे के साथ जो दूसरों को अपने साथ नाचने के लिए प्रेरित करता था, पैर घसीट कर चले, पैरों पर तेजी से घूमें और झूमे l यह तिकड़ी ईमानदार और फैलने वाले आनंद की शक्ति को दर्शाती है l
भजन 149 का लिखने वाला स्थायी और शर्तहीन आनंद का श्रोत – परमेश्वर - का वर्णन करता हैं l भजनकार परमेश्वर के लोगों से एक साथ मिलकर “यहोवा के लिए एक नया गीत गाने” को कहता है (पद.1) l वह इस्राएल से “अपने कर्ता के कारण आनंदित” होने और “अपने राजा के कारण मगन” होने के लिए आमंत्रित करता है (पद.2) l वह हमें उसके साथ नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करने को कहता है (पद.1-3) l क्यों? क्योंकि “यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभायमान करेगा” (पद.4) l
हमारे प्रेममय पिता ने हमें बनाया और इस सृष्टि को संभालता है l वह हममें सिर्फ इसलिए प्रसन्न रहता है क्योंकि हम उसके प्यारे बच्चे हैं l उसने हमें बनाया, हमें जानता है, और हमें अपने साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाने के लिए आमंत्रित करता है l कितना बड़ा सम्मान है! हमारा प्रेमी और जीवित परमेश्वर ही हमारे सदा के आनंद का कारण है l हम उसकी निरंतर उपस्थिति के उपहार में आनंदित हो सकते हैं और हमारे सृष्टिकर्ता द्वारा हमें दिए गए हर दिन के लिए आभारी हो सकते हैं l
चाँद को रचनेवाला
अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा ईगल(Eagle) अन्तरिक्ष यान को सी ऑफ़ ट्रैनक्वीलिटी(Sea of Tranquility- चन्द्रमा पर एक ख़ास स्थान) पर उतारने के बाद, नील आर्मस्ट्रांग(अन्तरिक्ष यात्री) ने कहा, “यह मानव के लिए एक कदम है, मानवता के लिए एक भीमकाय छलांग l” वह चंद्रमा के सतह पर कदम रखने वाला पहला मनुष्य था l दूसरे अंतरिक्ष यात्री भी गए, जिसमें अंतिम अपोलो अभियान के कमांडर जेने सेरनन शामिल थे l “वहां(चंद्रमा पर) मैं था, और वहां अर्थात् पृथ्वी पर आप हैं, उर्जस्वी(dynamic), अभिभूत करनेवाला, और मैंने अनुभव किया . . . अचानक यह जो हुआ बहुत ही खुबसूरत है,” सेरनन ने कहा, “आप से बड़ा और मुझसे बड़ा ज़रूर कोई है l” गहरे अन्तरिक्ष में अपनी अद्वितीय दृष्टि से भी, इन लोगों ने कायनात/सृष्टि की विशालता की तुलना में अपनी लघुता को समझा l
नबी यिर्मयाह ने भी पृथ्वी और उससे परे के सृष्टिकर्ता और संभालनेवाला के रूप में परमेश्वर की विशालता पर विचार किया l सभी के सृष्टिकर्ता ने घनिष्टता से खुद को प्रकट करने का वादा किया क्योंकि उसने अपने लोगों को प्यार, क्षमा और आशा की पेशकश की (यिर्मयाह 31:33-34) l यिर्मयाह परमेश्वर की विशालता की पुष्टि करता है कि यह वही है “जिसने दिन में प्रकाश देने के लिए सूर्य को और रात में प्रकाश देने के लिए चंद्रमा और तारागन के नियम ठहराए हैं” (पद.35) l हमारा सृष्टिकर्ता और सर्वशक्तिमान प्रभु सब के ऊपर राज्य करेगा जब वह अपने सभी लोगों को छुड़ाने का काम कर रहा है (पद.36-37) l
हम आकाश की अथाह विशालता और पृथ्वी की नींव की गहराई की खोज कभी भी कर पाएंगे l लेकिन हम सृष्टि की जटिलता पर विस्मय से देखेंगे और चन्द्रमा – और बाकी सब कुछ को बनानेवाले पर भरोसा करेंगे l