सदैव का प्यार
वर्षों पहले, मेरे चार साल के बेटे ने मुझे एक धातु की प्लेट पर रखा हुआ एक लकड़ी का बना हुआ दिल दिया था, जिसके बीच में पेंट से शब्द हमेशाअंकित था l “माँ, मैं हमेशा आपसे प्यार करता हूँ,” उसने कहा।
मैंने गले लगाकर उसे धन्यवाद दिया। “मैं तुमसे और अधिक प्यार करती हूँ।”
वह बहुमूल्य उपहार अब भी मुझे मेरे बेटे के कभी न ख़त्म होनेवाले प्यार का विशवास दिलाता है। कठिन दिनों में, परमेश्वर उस मधुर उपहार का उपयोग आराम देने और प्रोत्साहित करने के लिए करता है क्योंकि वह मुझे आश्वास्त करता है कि मुझे गहराई से प्यार किया जाता है।
वह फ्रेम मुझे परमेश्वर के हमेशा के प्यार के उपहार की भी याद दिलाता है, जैसा कि उसके सम्पूर्ण वचन में व्यक्त किया गया है और उसकी आत्मा द्वारा पुष्टि की गयी है। हम परमेश्वर की अपरिवर्तनीय भलाई पर भरोसा कर सकते हैं और भजन गा सकते हैं, जो उसके स्थाई प्रेम की पुष्टि करता है, जैसे कि भजनकार करता है (भजन 136:1)। हम प्रभु को सबसे महान और सबसे ऊंचा मान कर महिमान्वित कर सकते हैं (पद.2-3), जब हम उसके न ख़त्म होने वाले आश्चर्य कर्मों और असीमित समझ पर विचार करते हैं। परमेश्वर जो हमें हमेशा प्यार करता है, वह आकाश और पृथ्वी को जागरूक और देखभाल करनेवाला निर्माता है, जो समय के नियंत्रण को बनाए रखता है (पद.6-9)।
हम आनंदित हो सकते हैं क्योंकि जिस चिरस्थायी प्रेम के बारे में भजन कार ने गाया वही निरंतर प्रेम हमारे सर्वशक्तिमान रचनाकार और संभालनेवाला आज अपने बच्चों के जीवन में उंडेलता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किसका सामना कर रहे हैं, जिसने हमें बनाया है और हमारे साथ रहता है हमसे शर्तहीन और पूर्ण प्यार करके निश्चित करते हुए हमें दृढ़ करता है। परमेश्वर, आपके अंतहीन और जीवन-परिवर्तन करने वाले प्रेम के अनगिनित ताकीद के लिए, धन्यवाद!
आइये स्तुति करें!
जब एसतर के फोन का अलार्म हर दिन दोपहर 3.16 बजे बंद हो जाता है, तो वह एक प्रशंसा अवकाश लेती है l वह परमेश्वर का धन्यवाद करती है और उसकी भलाई को स्वीकार करती है l यद्यपि वह दिन भर परमेश्वर के साथ बातचीत करती है, एसतर को यह अवकाश लेना बहुत पसंद है क्योंकि यह उसके साथ उसके अन्तरंग संबंधों को मनाने में मदद करता है l
उसकी आनंदमयी भक्ति से प्रेरित होकर, मैंने क्रूस पर उसके बलिदान के लिए मसीह का धन्यवाद करने और उन लोगों के लिए प्रार्थना करने के लिए प्रत्येक दिन एक विशिष्ट समय निर्धारित करने का फैसला किया, जिन्हें अभी तक बचाया जाना है l मुझे आश्चर्य करता हूँ कि ऐसा क्या होगा यदि यीशु में सभी विश्वासी अपने तरीके से उसकी प्रशंसा करना बंद कर दें और हर दिन दूसरों के लिए प्रार्थना करें l
पृथ्वी के छोर तक पहुँचने वाली उपासना की खुबसूरत लहर की छवि भजन 67 में प्रतिध्वनित होती है l भजनकार परमेश्वर के अनुग्रह के लिए अनुनय करता है, समस्त राष्ट्रों में उसके नाम को महान करने की अपनी इच्छा की घोषणा करता है (पद.1-2) l वह गाता है, “देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें (पद..3) l
वह उसके श्रेष्ठ प्रभुता और विश्वासयोग्य मार्गदर्शन का उत्सव मनाता है (पद.4) l परमेश्वर के महान प्रेम और बहुतायत की आशीषों की जीवित साक्षी के रूप में, भजनकार परमेश्वर के लोगों को प्रफुल्लित प्रशंसा में अगुवाई करता है (पद.5-6) l
परमेश्वर का अपने अति प्रिय बच्चों के प्रति उसकी निरंतर विश्वासयोग्यता उसे मानने में हमें प्रेरित करती है l जब हम ऐसा करते हैं, दूसरे उसमें भरोसा, उसका आदर, अनुसरण, करने में और उसे प्रभु स्वीकार करने में हमारे साथ मिल जा सकते हैं l
परमेश्वर और बहुमूल्य है
पिछले दिनों में यीशु के विश्वासियों द्वारा आहात होने के बाद, मेरी माँ ने क्रोध में जवाब दिया जब मैंने अपना जीवन उसे समर्पित किया l “तो, अब आप मेरा न्याय करने जा रहीं हैं?” मैं ऐसा नहीं सोचती हूँ l” उन्होंने फोन रख दिया और पूरे एक वर्ष तक मुझसे बात करने से मना कर दिया l मैं दुखित हुयी, लेकिन अंततः अहसास हुआ कि परमेश्वर के साथ एक रिश्ता मेरे सबसे कीमती रिश्तों में से एक से भी अधिक महत्वपर्ण था l मैंने हर बार उनके लिए प्रार्थना की जब उन्होंने मेरे कॉल्स को अस्वीकार किया और परमेश्वर से आग्रह किया कि मेरी माँ से अधिक प्रेम करने में वह मेरी मदद करे l
अंततः, हमने सुलह कर ली l कुछ महीने बाद उन्होंने कहा, “तुम बदल गयी हो l मुझे लगता है कि मैं यीशु के बारे में अधिक सुनने के लिए तैयार हूँ l” इसके तुरंत बाद, उन्होंने मसीह को स्वीकार कर लिया और अपने बाकी दिनों में परमेश्वर और दूसरों से प्रेम किया l
उस व्यक्ति की तरह, जो यीशु के पास यह पूछने गया था कि वह अनंत जीवन कैसे प्राप्त कर सकता था, लेकिन उदास होकर लौट गया क्योंकि वह अपनी धन से अलग नहीं होना चाहता था (मरकुस 10:17-22), मैंने उसका अनुसरण करने के लिए सब कुछ त्यागने के विचार के साथ संघर्ष किया l
चीजों या लोगों को त्यागना सरल नहीं है जिन पर हम परमेश्वर से अधिक भरोसा रखने का विचार रखते हैं (पद.23-25) l लेकिन हम इस संसार में जो कुछ भी त्यागते हैं या खो देते हैं उसका मूल्य यीशु के साथ अनंत जीवन के उपहार से अधिक नहीं होगा l हमारे प्रेमी परमेश्वर ने सभी लोगों को बचाने के लिए स्वेच्छा से खुद को बलिदान किया l वह हमें शांति से ढकता है और हमें अनमोल और सतत प्यार से प्रेम करता है l
फिर . . . प्रार्थना करने का समय
मैं अपने पड़ोसी मिरियम और उसकी छोटी लड़की एलिज़बेथ की ओर हाथ हिलाते हुए अपनी कार को अपने घर के आगे सड़क पर बढ़ाया l इन वर्षों में, एलिज़बेथ वादा किये गए “कुछ मिनटों” की तुलना में लम्बे समय तक चलने वाली हमारी सहज चैट की आदि हो गयी थी और प्रार्थना सभाओं में भाग लेने लगी थी l वह अपने सामने के अहाते के बीच में लगे हुए पेड़ पर चढ़ गयी, एक डाली से अपने पैरों को हिलाने लगी, और व्यस्त हो गयी जब उसकी माँ और मैं बातचीत करते रहे l कुछ समय के बाद, एलिज़बेथ अपनी डाली से नीचे कूदकर वहाँ आ गयी जहाँ हम दोनों खड़े थे l वह हमारे हाथों को पकड़कर, मुस्कुराई और लगभग गाने लगी, फिर . . . प्रार्थना करने का समय है l” छोटी उम्र में भी, एलिज़बेथ समझने लगी थी कि हमारी मित्रता में प्रार्थना कितना प्रमुख था l
विश्वासियों को “प्रभु में और उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवंत” बनने के लिए उत्साहित करने के बाद (इफिसियों 6:10), प्रेरित पौलुस ने निरंतर प्रार्थना की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष अंतर्दृष्टि प्रदान की l उसने उस आवश्यक हथियारबंदी का वर्णन किया जिसकी ज़रूरत परमेश्वर के लोगों को प्रभु के साथ उनके आत्मिक राह में चाहिए, जो अपनी सच्चाई में सुरक्षा, विवेक और भरोसा देता है (पद.11-17) l हालाँकि, प्रेरित ने जोर देकर कहा कि परमेश्वर प्रदत्त यह सामर्थ्य प्रार्थना के जीवन-दायक उपहार में संकल्पित तन्मयता से बढ़ता है (पद.18-20) l
परमेश्वर हमारी चिंताओं के विषय सुनता है और फ़िक्र करता है, चाहे उनके विषय दृढ़ता से बोली जाए, सिसकते हुए कहा जाए, या एक दुखते हुए हृदय में छिपा कर रखा जाए l वह सदा हमें अपनी सामर्थ्य में शक्तिशाली बनाने के तैयार रहता है, जब वह वह हमें बार-बार प्रार्थना करने को आमंत्रित करता है l
दो अच्छे हैं
हवाई में,1997 के आयरनमैंन ट्रायथलॉन (एक ऐसा खेल जिसमें साइकिल चलाना, तैराकी और लम्बी दूरी दौड़ना शामिल है) में, दो महिलाएँ समापन रेखा तक पहुँचने के लिए लड़खड़ाते हुए संघर्ष करती रहीं l जब तक सियन वेल्च वेंडी इंग्राहम से टकराई नहीं, तब तक थकीं हुई, धाविकाएँ अपने डगमगाते पैरों पर डटी रहीं l दोनों ज़मीं पर गिर गयीं l खड़े होने के लिए संघर्ष करते हुए, वे आगे को लड़खड़ा गयीं, और समापन रेखा से लगभग बीस मीटर पहले फिर गिर पड़ीं l जब वेंडी अत्यंत धीमी गति से आगे बढ़ने लगी, तो भीड़ ने तालियाँ बजाईं l जब उसकी प्रतियोगी ने पीछा किया, तो उन्होंने जोर से शाबाशी दी l वेंडी ने चौथे स्थान पर समापन रेखा पार की, और वह अपने समर्थकों की खुली बाहों में गिरी l फिर वह मुड़कर अपनी गिरी हुयी बहन के पास पहुँचीं l सियन आगे की ओर झुककर, अपनी थकी हुए भुजा वेंडी के हाथों की ओर और समापन रेखा कि ओर बढ़ाया l जैसे ही उसने पांचवें स्थान पर दौड़ पूरी की, भीड़ ने ऊँची आवाज़ में उनको अनुमोदित किया l
इस जोड़े द्वारा 140 मील की दौड़ पूरी करने से बहुत लोग प्रेरित हुए l परन्तु थके प्रतियोगी के एक साथ धीरज से दौड़ने की छवि मेरे मन में अंकित है, और सभोपदेशक 4:9-11 में जीवन को समर्थ बनानेवाली सच्चाई को दृढ़ करता है l
जीवन में हम सभी को सहायता चाहिए इस बात को स्वीकार करने में कोई शर्म की बात नहीं है (पद.9), विशेषकर इसलिए कि हम ईमानदारी से अपनी आवश्यकताओं से इन्कार नहीं कर सकते हैं या सर्वज्ञानी परमेश्वर से उसे छिपा नहीं सकते हैं l एक समय या किसी अन्य समय पर, चाहे वह शारीरिक या भावनात्मक रूप से हो, हम सभी गिरते हैं l जब हम दृढ़ रहते हैं यह जानना कि हम अकेले नहीं हैं हमें आराम पहुंचाता है l जब हमारा स्वर्गिक पिता हमारी मदद करता है, वह हमें दूसरे ज़रुरतमंदों तक पहुँचने में समर्थ बनाते हुए, यह निश्चय देता है कि वे भी अकेले नहीं हैं l
जब जीवन कठिन हो
शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से थकने के बाद, मैं अपनी आराम कुर्सी में बैठ गयी l हमारे परिवार ने परमेश्वर की अगुवाई में तेलेंगाना से कर्नाटक चले आये थे l हमारे आने के बाद, हमारी कार खराब हो गयी और दो महीनों तक हमारे पास वाहन नहीं था l इस बीच, अप्रत्याशित पीठ की सर्जरी के बाद मेरे पति की सीमित गतिशीलता और मेरे पुराने दर्द ने हमारे सामान के खोलने को जटिल बना दिया l हमने अपने नए घर में, जो पुराना था महँगी समस्याओं का सामना किया l हमारा बूढ़ा कुत्ता स्वास्थ्य समस्याओं से जूझा l और यद्यपि हमें हमारे नए पिल्ले ने आनंद दिया, उर्जा से भरा इस रोयेंदार पिल्ले की सेवा करना अपेक्षा से परे था l मेरा रवैया अप्रिय हो गया l कठिनाइयों के ऊबड़खाबड़ मार्ग पर यात्रा करते समय किस तरह मुझमें अटल विश्वास होना चाहिए था?
जैसे कि मैंने प्रार्थना की, परमेश्वर ने मुझे भजनकार की याद दिलाई, जिसकी प्रशंसा परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती है l दाऊद ने अपने भावनाओं को बाहर निकाला, अक्सर बहुत अधिक अतिसंवेदनशीलता के साथ, और परमेश्वर की उपस्थिति में शरण मांगी (भजन 16:1) l परमेश्वर को प्रदाता और रक्षक (पद.5-6) के रूप में स्वीकार करते हुए, उन्होंने उसकी प्रशंसा की और उसके परामर्श का पालन किया (पद.7) l दाऊद ने पुष्टि की कि वह “कभी न [डगमगाएगा]” क्योंकि उसने “यहोवा को निरंतर अपने सम्मुख रखा है” (पद.8) l इसलिए, वह आनंदित हुआ और परमेश्वर की उपस्थिति की ख़ुशी में विश्राम किया (पद.9-11) l
हम भी जानने में प्रसन्न हो सकते हैं कि हमारी अपनी शांति वर्तमान स्थिति पर निर्भर नहीं करती है l जब हम अपने अपरिवर्तनीय परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वह कौन है और हमेशा रहेगा, उसकी उपस्थिति हमारे दृढ़ विश्वास को बढ़ाएगी l
महानतम रहस्य
इससे पहले कि मैं यीशु में विश्वास करती, मैं सुसमाचार का प्रचार सुनी थी लेकिन मुझे उसकी पहचान के साथ जूझना पड़ा l जब बाइबल कहती है कि केवल परमेश्वर ही पापों को क्षमा कर सकता है तो वह[यीशु] मेरे पापों के लिए क्षमा कैसे प्रदान कर सकता है? जे. आई. पैकर की पुस्तक नोइंग गॉड(knowing God) पढ़ने के बाद मुझे पता चला कि मैं अपने संघर्षों में अकेली नहीं थी l पैकर का सुझाव है कि कई अविश्वासियों के लिए “वास्तव में चौंका देनेवाला मसीही दावा है कि नासरत का यीशु परमेश्वर था जो मनुष्य बना . . . और वास्तव में और पूरी तरह दिव्य था जैसे वह मनुष्य था l” फिर भी यह ही सच है जो उद्धार को संभव बनाता है l
जब प्रेरित पौलुस मसीह को “अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप” में संदर्भित करता है, तो वह कहता है कि यीश पूरी तरह से और सिद्धता से परमेश्वर है – स्वर्ग और पृथ्वी में सभी चीजों का सृष्टिकर्ता और थामनेवाला – लेकिन पूरी तौर से मानव भी (कुलुस्सियों 1:15-17) l इस सच्चाई के कारण, हम आश्वास्त हो सकते हैं कि मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, उसने न केवल हमारे पापों का दण्ड ही नहीं उठाया है, बल्कि मानव स्वभाव को भी पापों से मुक्त किया है, ताकि हम - और समस्त सृष्टि का – परमेश्वर के साथ सामंजस्य स्थापित हो सके (पद.20-22) l
प्रेम के अद्भुत, प्रारंभिक कार्य में, परमेश्वर पिता स्वयं को पवित्र शास्त्र में और पवित्रशास्त्र के द्वारा परमेश्वर और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से और परमेश्वर पुत्र के जीवन के द्वारा प्रगट करता है l जो यीशु पर विश्वास करते हैं वे बच जाते हैं क्योंकि वह इम्मानुएल हैं – परमेश्वर हमारे साथ l हल्लेल्युयाह!
गुप्त सुपुर्दगी
सुन्दर लाल और सफ़ेद गुलाब के साथ डैफोडिल्स फुलों के एक स्पष्ट, कांच के फूलदान ने उसके सामना के दरवाजे पर कला का अभिवादन किया l सात महीनों तक, यीशु के एक अनाम विश्वासी ने कला को सुन्दर गुलदस्ते भेजे l प्रत्येक मासिक उपहार, वचन के शाब्दिक प्रोत्साहन से भरे एक पत्र के साथ आता था और हस्ताक्षरित होता था : “यीशु से प्यार करो l”
कला ने इन गुप्त सुपुर्दगियों की तस्वीरे फेसबुक पर शेयर कीं l फूलों ने उस एक व्यक्ति की दयालुता का जश्न मनाने और परमेश्वर द्वारा अपने लोगों के द्वारा से अपने प्रेम का इज़हार करने के तरीके को स्वीकार करने का अवसर दिया l जब उसने एक अनत्य बीमारी(terminal disease) के साथ अपनी लड़ाई के माध्यम से उस पर भरोसा किया, हर रंगीन फूल और लिखित पत्र ने उसके लिए परमेश्वर की दयालुता की पुष्टि की l
प्रेषक की गुमनामी दिल की मंशा को दर्शाती है जो यीशु अपने लोगों से दान देने के समय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है l वह दूसरों के द्वारा “दिखाने के लिए” धार्मिक कार्यों का अभ्यास करने के खिलाफ चेतवानी देता है (मत्ती 6:1) l अच्छे कामों का उद्देश्य हमारे लिए परमेश्वर द्वारा किये गए समस्त कार्य के लिए कृतज्ञता से भरे उपासना के भाव हैं जो हमारे हृदयों से उमंड़ते हैं l सम्मानित होने की आशा या अपेक्षा के साथ हमारी खुद की उदारता की विशिष्टता दर्शाने से सभी अच्छी वस्तुओं के दाता –यीशु – से ध्यान खिंच सकता है l
परमेश्वर जानता है जब हम अच्छे इरादों के साथ देते हैं (पद.4) l बस वह चाहता है कि हमारी उदारता प्रेम द्वारा प्रेरित हो जब हम उसको महिमा, आदर, और प्रशंसा देते हैं l
प्रेम में धोया हुआ
दक्षिणी कैलिफोर्निया के एक छोटे से चर्च ने व्यवहारिक तरीके से परमेश्वर के प्रेम को व्यक्त करना पहचान लिया l यीशु में विश्वासियों ने एक स्थानीय धोबीघाट(laundromat) में इकठ्ठा होकर आर्थिक आवश्यकताओं में लोगों के कपड़े धोकर अपने समुदाय की मदद की l उन्होंने मिलकर कपड़े धोये और उनको तह किये, और कभी-कभी गर्म भोजन या एक थैला किराने का सामान पानेवालों को देते थे l
एक स्वयंसेवक को मालूम चला कि सबसे बड़ा ईनाम “लोगों के साथ . . . वास्तविक संपर्क में था जो उनकी कहानी सुनते थे l” यीशु के साथ उनके संबंधों के कारण, ये स्वयंसेवक प्यार भरे शब्दों और कार्यों के जरिये अपना विश्वास दर्शाना चाहते थे, जिससे उन्हें दूसरों के साथ वास्तविक संबंधों को पोषित करने में मदद मिली l
प्रेरित याकूब इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक दावा करनेवाले विश्वासी की प्रेमपूर्ण सेवा का हर एक कार्य वास्तविक विश्वास का एक परिणाम है l वह कहता है कि “विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है” (याकूब 2:14-17) l घोषणा करना कि हम विश्वास करते हैं हमें परमेश्वर की संतान बनाता है, लेकिन जब हम दूसरों की सेवा करके उसकी सेवा करते हैं तब हम उन विश्वासियों के रूप में कार्य करते हैं जो भरोसा करते हैं और यीशु का अनुसरण करते हैं (पद.24) l विश्वास और सेवा शरीर और आत्मा के रूप में अन्योन्याश्रित(interdependent) हैं (पद.26), मसीह की सामर्थ्य का एक सुन्दर प्रदर्शन, जैसा कि वह हमारे अन्दर और हमारे द्वारा काम करता है l
व्यक्तिगत रूप से यह स्वीकार करने के बाद कि क्रूस पर परमेश्वर का बलिदान हमें सिद्ध प्रेम में धोता है, हम असली विश्वास में प्रत्युतर दे सकते हैं जो हमारी सेवा के तरीकों में अधिकाई से दिखाई देता है l